कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो बाद में जानलेवा हो सकती है। हालांकि, कुछ लोग इस बीमारी से बच जाते हैं वो अपने आपको भाग्यशाली ही मानते हैं। एक रिसर्च में इस बीमारी से ठीक होने वाले लोगों के संक्रमण जैसे कि मौसमी इन्फ्लूएंजा के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मरने की आशंका का पता चला है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अलग-अलग प्रकार के कैंसर से ठीक होने वाले लोगों को बाकी लोगों की तुलना में फ्लू से ज्यादा खतरा है। इस अध्ययन को ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसमें एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। वहीं, इस अध्ययन को चिकित्सा के क्षेत्र की प्रमुख पत्रिका 'ईक्लीनिकल मेडिसिन' में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कैंसर की बीमारी से ठीक हुए लोगों को कोविड-19 के गंभीर संक्रमण का भी खतरा है।

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कैसे की गई थी रिसर्च?
इस रिसर्च के तहत एलएसएचटीएम की शोधकर्ताओं की टीम ने ब्रिटेन के 6,30,000 से अधिक लोगों के (1990 से 2014 तक) मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया, जिसमें कैंसर की बीमारी से ठीक हुए एक लाख से अधिक लोग शामिल थे। इसके बाद वैज्ञानिकों ने अलग-अलग तरह के कैंसर से ठीक हुए लोगों और बिना कैंसर वाले लोगों के बीच की तुलना की। साथ ही साथ शोधकर्ताओं ने इन्फ्लूएंजा के चलते इन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और इससे जुड़ी मृत्यु दर का भी विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि लिम्फोमा, ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) और मायलोमा कैंसर से ठीक हुए कई लोगों में इन्फ्लएंजा से अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु का नौ गुना अधिक जोखिम था। निष्कर्ष बताते हैं कि यह जोखिम कैंसर के निदान के बाद कम से कम 10 साल तक बना रहता है।

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गंभीर फ्लू का खतरा कम था- रिसर्च
हालांकि, सामान्य आबादी की तुलना में कैंसर सर्वाइवर्स को जोखिम तो था, लेकिन गंभीर फ्लू होने का खतरा अब भी अपेक्षाकृत कम था। निष्कर्ष से पता चलता है कि हर साल, इन कैंसर से जीवित बचे 1000 लोगों में से एक को फ्लू के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं, अन्य प्रकार के कैंसर से बचे लोगों में निदान से पांच साल तक के लिए इन्फ्लूएंजा के गंभीर परिणाम का दोगुना से अधिक जोखिम था। हैरानी की बात है कि ये निष्कर्ष अन्य संदिग्ध रिस्क फैक्टर जैसे बुढ़ापे, धूम्रपान संबंधी आदत, सामाजिक आर्थिक स्थिति, बॉडी मास इंडेक्स और बाकी बीमारियों के साथ गणना करने पर भी वैसे ही बने रहे। मतलब इन कारकों के साथ तुलना करने पर भी नतीजों में कोई अंतर देखने को नहीं मिला।

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शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि कैंसर की बीमारी से ठीक हुए लोगों को अन्य बीमारियां होने की आशंका भी अधिक होती है जैसे कि हृदय रोग, डायबिटीज, श्वसन रोग और गुर्दे की बीमारी। यह वो स्थितियां हैं जो कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के खतरे को बढ़ाती हैं। एलएसएचटीएम के शोधकर्ता कृष्णन भास्करन के मुताबिक, 'इन निष्कर्षों की तात्कालिक प्रासंगिकता है, क्योंकि सर्दी आ चुकी हैं और हमारे पास एक फ्लू वैक्सीन भी उपलब्ध है। वहीं जल्द ही कोविड-19 की वैक्सीन आने की भी संभावना है।'

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