कैंसर एक गंभीर बीमारी होती है, जो जानलेवा तक साबित हो सकती है. इसलिए, कैंसर का समय पर इलाज करवाना जरूरी होता है. जो व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होता है, उसे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही कैंसर के इलाज के दौरान भी कुछ सामान्य समस्याएं महसूस हो सकती हैं. इसी में से एक है एनीमिया. जी हां, अगर किसी को कैंसर है और सांस लेने में तकलीफ, थकानसिर में दर्द जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो ये एनीमिक हो सकता है. एनीमिया कैंसर के उपचार का एक सामान्य दुष्प्रभाव हो सकता है. इतना ही नहीं कुछ मामलों में कैंसर ही एनीमिया का कारण होता है.

आज इस लेख में आप एनीमिया और कैंसर के बीच के संबंध के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. एनीमिया क्या है?
  2. एनीमिया और कैंसर के बीच संबंध
  3. कैंसर से कितने लोग एनीमिक हो सकते हैं?
  4. सारांश
एनीमिया व कैंसर के बीच संबंध के डॉक्टर

एनीमिया खून से जुड़ी एक बीमारी होती है. यह तब होती है, जब शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए पर्याप्त रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन नहीं हो पाता है. हल्का एनीमिया ज्यादा परेशान नहीं करता है, लेकिन गंभीर एनीमिया थकान और सिरदर्द के साथ ही अन्य लक्षण भी पैदा कर सकता है. यह एनीमिया जीवन के लिए खतरा हो सकता है.

कैंसर के रोगियों में एनीमिया धीरे-धीरे विकसित हो सकता है. तेजी से दिल धड़कना, तेजी से सांस लेना, सांस लेने में कठिनाई, चक्कर आनाछाती में दर्दसूजे हुए हाथ, पीली त्वचा, अत्यधिक थकान एनीमिया के लक्षण हो सकते हैं. अगर किसी को कैंसर है, साथ ही ये लक्षण भी महसूस हो रहे हैं, तो हो सकता है कि उस व्यक्ति को कैंसर की वजह से एनीमिया हो गया होगा. इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत होती है. 

(और पढ़ें - एनीमिया का आयुर्वेदिक इलाज)

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एनीमिया और कैंसर के बीच एक गहरा संबंध होता है, क्योंकि कैंसर की बीमारी व्यक्ति में गंभीर एनीमिया के लक्षण पैदा कर सकती है. इसके अलावा, कैंसर का उपचार भी एनीमिया का कारण बन सकता है. आइए, कैंसर और एनीमिया में संबंध जानते हैं -

ल्यूकेमिया और लिम्फोमा कैंसर

ल्यूकेमिया और लिम्फोमा कैंसर बोने मेरो को प्रभावित करते हैं. यहीं से सभी रक्त कोशिकाएं आती हैं. ऐसे में जब बोने मेरो प्रभावित होता है, तो शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है. इस स्थिति में शरीर में रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन पर्याप्त नहीं हो पाता है और शरीर के अन्य भागों में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है. इसलिए, ल्यूकेमिया और लिम्फोमा कैंसर को एनीमिया का मुख्य कारण माना जाता है.

(और पढ़ें - एनीमिया का होम्योपैथिक इलाज)

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर भी एनीमिया का कारण बन सकते हैं. यह पेट का कैंसर होता है. इस कैंसर में रोगी के शरीर से रक्तस्राव अधिक होता है. ऐसे में जब बहुत अधिक खून बहता है, तो शरीर से रेड ब्लड सेल्स तेजी से कम होने लगते हैं. इसके बाद शरीर इन कोशिकाओं को आसानी से बना भी नहीं पाता है. जब रेड ब्लड सेल्स में कमी आती है, तो एनीमिया के लक्षण पैदा होने लगते हैं.

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किडनी का कैंसर

अगर किसी व्यक्ति को किडनी का कैंसर है या वह किडनी के कैंसर का इलाज करवा रहा है, तो वह एनीमिक हो सकता है. दरअसल, किडनी एक हार्मोन बनाती है, जो बोन मेरो को रेड ब्लड सेल्स को बनाने के लिए ट्रिगर कर देते हैं. ऐसे में जब पर्याप्त रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन नहीं हो पाता है, तो एनीमिया के लक्षण महसूस हो सकते हैं.

(और पढ़ें - एनीमिया की दवाओं के नाम)

ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर

अगर किसी व्यक्ति को ब्रेस्ट या प्रोस्टेट कैंसर है, तो उसे भी एनीमिया होने की आशंका अधिक हो सकती है. दरअसल, ब्रेस्ट और प्रोस्टेट की कैंसर कोशिकाएं बोने मेरो तक जा सकती हैं. इस स्थिति में बोने मेरो के द्वारा निर्मित होने वाले रेड ब्लड सेल्स प्रभावित हो सकते हैं. ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर होने पर रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे एनीमिया के लक्षण महसूस हो सकते हैं.

(और पढ़ें - कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज)

कैंसर का इलाज

कैंसर की बीमारी ही नहीं, बल्कि इसका उपचार भी एनीमिया का एक कारण बन सकता है. कैंसर के दौरान कीमोथेरेपी और रेडिएशन किया जाता है. ये दोनों ही एनीमिया के लक्षणों का कारण बन सकते हैं. दरअसल, कीमोथेरेपी और रेडिएशन कैंसर कोशिकाओं और लाल रक्त कोशिकाओं के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं.

ऐसे में कीमोथेरेपी और रेडिएशन के दौरान सभी तरह की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिससे व्यक्ति थकान और कमजोरी महसूस कर सकता है. इसके साथ ही कैंसर के इलाज के दौरान रोगियों की भूख भी कम हो जाती है. ऐसे में उसे पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल नहीं मिल पाते हैं, जिससे एनीमिया हो सकता है.

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कैंसर में एनीमिया से बचाव के उपाय

अगर कोई व्यक्ति कैंसर से ग्रस्त है, तो उसे एनीमिया होने की आशंका भी बनी रहती है. ऐसे में इस अवस्था से बचने के लिए कैंसर के मरीज को निम्न बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए -

  • ब्लड कैंसर के चलते एनीमिया होने पर रेड ब्लड सेल्स की संख्या को बढ़ाने के लिए मरीज को ब्लड चढ़ाया जा सकता है.
  • अगर किसी को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर में होने वाले रक्तस्राव के कारण एनीमिया है, तो इसके लिए मरीज को आयरन थेरेपी दी जा सकती है. साथ ही आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ दिए जा सकते हैं.
  • एनीमिया का इलाज करने के लिए फोलिक एसिड और विटामिन-बी12 की खुराक भी ली जा सकती है. 
  • कैंसर के रोगियों के लिए एनीमिया का इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि जब तक एनीमिया ठीक नहीं हो जाता, तब तक कैंसर के उपचार में अधिक समय लगता है और गंभीरता बढ़ सकती है.

(और पढ़ें - कैंसर में क्या खाएं)

एनीमिया होने की अवस्था में Sprowt Vitamin-B12 का सेवन किया जा सकता है -

नेशनल एनीमिया एक्शन काउंसिल के अनुसार कीमोथेरेपी लेने वाले लगभग सभी कैंसर रोगी एनीमिया के हल्के या गंभीर लक्षण महसूस कर सकते हैं. कैंसर के लगभग 80 प्रतिशत मरीजों में एनीमिया के लक्षण दिख सकते हैं. 

(और पढ़ें - कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षण)

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एनीमिया के कारण व्यक्ति की पूरी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है. इसलिए, कारण जो भी हो, एनीमिया का इलाज करवाना जरूरी होता है. जो लोग गंभीर रूप से एनीमिक होते हैं, वे रोगी अपने कैंसर का इलाज समय पर नहीं कर पाते हैं. इसके अलावा, कुछ कैंसर और एनीमिया वाले लोगों में कीमोथेरेपी और रेडिएशन सही रिजल्ट नहीं दे पाता है. अगर किसी को कैंसर है, तो इस दौरान एनीमिया से बचना जरूरी होता है, क्योंकि एनीमिया कैंसर के इलाज को प्रभावित कर सकता है. इसलिए, अगर कैंसर के दौरान एनीमिया के लक्षण महसूस हों, तो डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए.

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