प्राथमिक चिकित्सा - First Aid in hindi


किसी की जान बचाने के लिए प्राथमिक चिकित्सा एक एहम कदम हो सकता है। प्राथमिक चिकित्सा को अंग्रेजी में फर्स्ट ऐड (First Aid) कहा जाता है। एक्सीडेंट या चोट लगने के बाद तुरंत फर्स्ट ऐड देने से घायल व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।

प्राथमिक चिकित्सा में सामान्य चोट के लिए पट्टी करना से लेकर सीपीआर (CPR) देने की प्रक्रिया तक शामिल हो सकती हैं। हर व्यक्ति को फर्स्ट ऐड देना आना चाहिए ताकि वह ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कर सके।

इस लेख में आप प्राथमिक चिकित्सा का मतलब, उसका महत्व, उद्देश्य, सिद्धांत और प्राथमिक चिकित्सा देने के तरीके जैसी बातों के बारे में जानेंगे।

  1. प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट ऐड) क्या है - Prathmik chikitsa (first aid) kya hai
  2. प्राथमिक चिकित्सा का महत्व - Prathmik chikitsa (first aid) ka mahatva
  3. प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य - Prathmik chikitsa ke uddeshya
  4. प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत - Prathmik chikitsa ke siddhant
  5. प्राथमिक चिकित्सा देने के नियम - Prathmik chikitsa ke niyam
  6. प्राथमिक चिकित्सा कैसे करते हैं - Prathmik chikitsa kaise karte hain

प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट ऐड) क्या है - Prathmik chikitsa (first aid) kya hai

चोट लगने के बाद व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से पहले किए जाने वाले सहायक इलाज को प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड कहते हैं। बीमार व्यक्ति की स्थिति को सुधारने के लिए भी फर्स्ट ऐड का प्रयोग किया जाता है।

फर्स्ट ऐड पूर्ण चिकित्सा नहीं होती, लेकिन इससे अस्पताल ले जाने के लिए रोगी की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है। अस्पताल ले जाते समय या मदद का इंतज़ार करते समय किसी व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा देने से उसकी जान बच सकती है।

आपातकालीन स्थिति में कुछ आसान तकनीकों और बहुत कम उपकरणों का इस्तेमाल करके किसी को प्राथमिक चिकित्सा देने के लिए आपको विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है। यह आसानी से सीखा जा सकता है।

अगर आपको कभी आपातकालीन स्थिति में किसी को फर्स्ट ऐड देने की आवश्यकता पड़ती है, तो हो सके तो घायल व्यक्ति के खून, लार और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों से दूर रहें। अगर ऐसा संभव न हो, तो अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए दस्ताने पहनें। प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद, हमेशा अपने हाथ अच्छी तरह से धोएं और अपनी आंखों, नाक या मुंह को हाथ न लगाएं। इसके साथ-साथ प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद बिना हाथ धोए खान-पान न करें।

प्राथमिक चिकित्सा का महत्व - Prathmik chikitsa (first aid) ka mahatva

प्राथमिक चिकित्सा से केवल जान ही नहीं बचाई जाती, इससे व्यक्ति के ठीक होने का समय भी कम होता है और व्यक्ति को कोई बड़ा शारीरिक नुक्सान होने से भी बचाया जा सकता है। प्राथमिक चिकित्सा करना सीखने से आप आपातकालीन स्थिति में शांत रहना और प्राथमिक चिकित्सा की आवश्यक प्रक्रियाओं के बारे में सीख सकते हैं। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आपातकालीन स्थिति में आप अधिक प्रभावपूर्ण चिकित्सा कर पाएंगे।

निम्नलिखित बातों से आपको प्राथमिक चिकित्सा का महत्व समझ आ जाएगा -

  • हर बार एक्सीडेंट होने पर या चोट लगने पर अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि घायल व्यक्ति को दर्द या परेशानी नहीं हो रही। अगर एक बच्चा बुखार या चोट के कारण रो रहा है, तो इसका मतलब है कि उसे परेशानी हो रही है। सही तरह से पट्टी करने या ठंडी सिकाई करने से आप उस बच्चे की समस्या को कम कर सकते हैं। आप शांत रहकर बच्चे को भावनात्मक सहानुभूति भी दे सकते हैं, जिससे वह सुरक्षित महसूस करेगा और उसकी परेशानी भी कम होगी। (और पढ़ें - बच्चे को बुखार)
  • अगर पीड़ित व्यक्ति को सही समय पर प्राथमिक चिकित्सा न दी जाए तो उसकी स्थिति अधिक बिगड़ सकती है। मदद का इंतज़ार करते समय आप उस व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा देकर उसकी स्थिति बेहतर कर सकते हैं। अगर फर्स्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध नहीं है, तो आप आपातकालीन स्थिति में घर में मौजूद अन्य चीज़ों का इस्तेमाल करना सीख सकते हैं।
  • अगर आपको घायल व्यक्ति की स्थिति का सही आंकलन करना आता है, तो आप डॉक्टर को पीड़ित व्यक्ति की सही स्थिति के बारे में बता पाएंगे जिससे वक्त बचेगा।
  • प्राथमिक चिकित्सा की सही जानकारी होने से आप घायल व्यक्ति की मदद करने के साथ-साथ अपनी भी सुरक्षा करेंगे ताकि घायल व्यक्ति के साथ आपको भी मदद की आवश्यकता न पड़े।

(और पढ़ें - चोट का इलाज)

प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य - Prathmik chikitsa ke uddeshya

प्राथमिक चिकित्सा के निम्नलिखित तीन मुख्य उद्देश्य होते हैं -

  • जान बचाना
    प्राथमिक चिकित्सा का सबसे मुख्य उद्देश्य होता है घायल या पीड़ित व्यक्ति की जान बचाना। किसी की जान बचने के लिए आप हमेशा डॉक्टर पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। ऐसा संभव नहीं है कि घटनास्थल पर हमेशा कोई डॉक्टर मौजूद हो, इसीलिए सही तरीके से प्राथमिक चिकित्सा देने से घायल व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
     
  • स्थिति बिगड़ने से बचाना
    प्राथमिक चिकित्सा का उद्देशय होता है घायल व्यक्ति की स्थिति और घावों को बिगड़ने व बढ़ने से रोकना। किसी को प्राथमिक चिकित्सा देने का मतलब है कि आप उस व्यक्ति को खतरे से बचा रहे हैं या उसका खतरा कम कर रहे हैं। जैसे, आग से जल रहे व्यक्ति के ऊपर कंबल देना उसे आग से बचाएगा और उसके लिए फर्स्ट ऐड का काम करेगा।
     
  • ठीक होने में मदद करना
    कुछ मामलों में, प्राथमिक चिकित्सा रोगी के ठीक होने की प्रक्रिया में मदद करती है। जिन लोगों को प्राथमिक चिकित्सा करनी आती है, उन्हें छोटे से कट से लेकर फ्रैक्चर की स्थिति में किए जाने वाले इलाज के बारे में पता होता है।

(और पढ़ें - घाव ठीक करने के घरेलू उपाय)

प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत - Prathmik chikitsa ke siddhant

प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत निम्नलिखित हैं -

  • घायल व्यक्ति की हालत बदतर बनाए बिना जल्द से जल्द एक्सीडेंट के बाद प्राथमिक चिकित्सा देना।
  • केवल आवश्यक प्राथमिक चिकित्सा ही देना।
  • रक्तस्त्राव को तुरंत ठीक करना।
  • श्वसन और परिसंचरण को सही करना।
  • व्यक्ति को सदमा लगने से बचाना और अगर वह पहले से ही सदमे में है, तो उसका इलाज करना।
  • फ्रैक्चर या जोड़ हिलने की स्थिति में प्रभावित क्षेत्र को हिलने-डुलने न देना।
  • आसान प्रक्रियाओं और दवाओं से दर्द को ठीक करना।
  • घायल व्यक्ति को जल्दी ठीक होने का आश्वासन देना और उसका हौंसला बढ़ाना।

प्राथमिक चिकित्सा देने के नियम - Prathmik chikitsa ke niyam

घटना होने के बाद अगर व्यक्ति बेहोश है, तो उसे सही करने के लिए आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। इन्हें प्राथमिक चिकित्सा की "ए-बी-सी" भी कहा जाता है।

  • ए - एयरवे (Airway: श्वसन नली की जाँच)
    सबसे पहले इस बात की जांच करें कि व्यक्ति की श्वसन नली खुली है या नहीं। श्वसन नली एक ट्यूब होती है, जिससे हवा फेफड़ों में जाती है और बाहर आती है। अगर यह ट्यूब बंद हो जाए, तो सांस लेना असंभव हो जाता है। अगर यह नली बंद है, तो व्यक्ति की ठोड़ी उठाएं जिससे उसका सिर पीछे की तरफ झुक जाए। (और पढ़ें - सांस फूलने का इलाज)
     
  • बी - ब्रीथिंग (Breathing: सांस की जाँच)
    एयरवे के बाद  5 से 10 सेकंड के लिए व्यक्ति की सांस की जाँच करें। उसके मुंह के पास अपना कान लगाकर उसकी सांसों को सुनें और यह देखें कि उसकी छाती ऊपर-नीचे हो रही है या नहीं। अगर आपको लगता है कि व्यक्ति हांफ रहा है, इसका मतलब है कि वह सामान्य तरीके से सांस नहीं ले रहा। (और पढ़ें - हांफने के लक्षण)
     
  • सी - सर्कुलेशन (Circulation: परिसंचरण की जाँच)
    परिसंचरण की जांच करने के लिए रक्तस्त्राव और शॉक के लक्षणों (जैसे, फीकी, नम व ठंडी त्वचा) के लिए व्यक्ति की जांच करें। रक्तस्त्राव को तुरंत रोकना चाहिए और जल्दी से व्यक्ति के पूरे शरीर की जांच करनी चाहिए।

प्राथमिक चिकित्सा कैसे करते हैं - Prathmik chikitsa kaise karte hain

आपातकालीन स्थिति में सही फर्स्ट ऐड करने से आप किसी की जान बचा सकते हैं। हालांकि, इसकी ट्रेनिंग लेने के बाद भी प्राथमिक चिकित्सा का तरीका याद रखना मुश्किल हो सकता है। प्राथमिक चिकित्सा करने का सही तरीका निम्नलिखित है -

  • घायल या बीमार व्यक्ति को चिकित्सा देने से पहले पूरी स्थिति और व्यक्ति की जांच कर लें व नीचे दी गई बातों का ध्यान रखें -
  1. क्या स्थिति व माहौल सुरक्षित है?
  2. दुर्घटना या समस्या क्या है व कैसे हुई है?
  3. इसमें कितने लोग शामिल हैं?
  4. घायल व्यक्ति की चोट या बीमारी की स्थिति क्या है?
  5. क्या व्यक्ति किसी ऐसी स्थिति में है जिससे उसकी जान को खतरा है?
  6. क्या मदद के लिए कोई और उपस्थित है?
  • अगर व्यक्ति होश में है और जवाब दे रहा है, तो -
  1. व्यक्ति तो अपना नाम बताएं, अपने हिसाब से समस्या का कारण व उसके लिए चिकित्सा समझाएं और चिकित्सा करने के लिए उसकी अनुमति लें।
  2. पास खड़े किसी व्यक्ति को डिफिब्रिलेटर (Defibrillator: हृदय की अनियमित धड़कन को सही करने वाला एक उपकरण) और फर्स्ट ऐड बॉक्स लाने को कहें।
  3. अगर उपलब्ध हो तो दस्ताने व अन्य सुरक्षा करने वाले उपकरण पहनें।
  4. व्यक्ति से उसके लक्षण, एलर्जी, दवाएं, अन्य चिकित्सा समस्याएं, आखिरी आहार और घटना की वजह के बारे में पूछें।
  5. व्यक्ति के पूरे शरीर पर चोट के लिए जांच करें।
  6. पूरी समझदारी और सूझ-बूझ के साथ समस्या के मुताबिक प्राथमिक चिकित्सा करें।
  • अगर व्यक्ति जवाब नहीं दे रहा है, तो -
    व्यक्ति का नाम लेकर उसे बुलाने का प्रयास करें। अगर व्यक्ति जवाब नहीं देता है, तो उसके कंधे को हिलाकर (अगर पीड़ित बच्चा या व्यस्क है) या पैर को हिलाकर (अगर पीड़ित बहुत छोटा बच्चा है) फिर से उसे बुलाएं और उसकी साँस की जांच करें। 5 से 10 सेकंड से ज़्यादा यह जांच न करें।
  • अगर व्यक्ति सांस ले रहा है, तो -
  1. किसी को एम्बुलेंस बुलाने के लिए कहें और फर्स्ट ऐड किट मांगें।
  2. अास-पास खड़े लोगों से घटना के बारे में पूछताछ करें।
  3. व्यक्ति के पूरे शरीर की जांच करें।
  4. अगर व्यक्ति को चोट नहीं लगी है, तो उसे रिकवरी पोजीशन (Recovery position) में रखें।
  • ​अगर व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है, तो -
  1. ​किसी को एम्बुलेंस बुलाने के लिए कहें और फर्स्ट ऐड किट मांगें।
  2. यह सुनिश्चित करें कि घायल व्यक्ति एक समतल जगह पर सीधा लेटा हो।
  3. व्यक्ति को सीपीआर (CPR) देना शुरू करें या अगर उपलब्ध है तो डिफिब्रिलेटर का उपयोग करें। ऐसा तभी करें जब आपको सीपीआर देना आता हो या डिफिब्रिलेटर का उपयोग करना आता हो।
  4. सीपीआर तब तक दें जब तक व्यक्ति सांस न लेने लगे या मदद न मिल जाए। 

नोट - अगर माहौल सुरक्षित न रहे या आप थक जाएं, तो सीपीआर देना बंद कर दें।

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