कोविड-19 महामारी के बीच दुनियाभर के ज्यादातर लोग वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इंग्लैंड, अमेरिका और रूस समेत कई देशों में तो वैक्सीन लगने का काम शुरू भी हो गया है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी कि भारत में कोविड-19 का टीकाकरण अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक होगा यानी अगर आप वैक्सीन लगवाना चाहते हैं तभी आपको वैक्सीन दी जाएगी। हालांकि, टीकाकरण को स्वैच्छिक बताने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को यह भी सलाह दी है कि यदि वे कोरोना वायरस से सुरक्षित रहना चाहते हैं तो उन्हें टीका लगवाना चाहिए।

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया, "कोविड-19 के लिए टीकाकरण स्वैच्छिक है। हालांकि, खुद को इस बीमारी से बचाने और इस बीमारी को अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों, रिश्तेदारों और साथ काम करने वालों तक फैलने से रोकने के लिए उचित यही रहेगा कि एंटी-कोरोना वायरस वैक्सीन का कम्प्लीट शेड्यूल प्राप्त किया जाए। किसी व्यक्ति का कोविड-19 इंफेक्शन का पिछला इतिहास क्या रहा है इस बात की परवाह किए बिना वैक्सीन लेनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से बीमारी के खिलाफ एक मजबूत इम्यून प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद मिलेगी।"

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दूसरा डोज लेने के 2 हफ्ते बाद विकसित होती हैं एंटीबॉडीज
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि कोई भी व्यक्ति जो कैंसर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के लिए दवा का सेवन कर रहे हैं उन्हें हाई रिस्क कैटिगरी में रखा जाता है और उनका टीकाकरण किए जाने की जरूरत है। सामान्यतौर पर वैक्सीन का दूसरा डोज लेने के करीब 2 हफ्ते बाद एंटीबॉडीज का सुरक्षात्मक लेवल शरीर में विकसित होता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल (faqs)की एक लिस्ट तैयार की थी जैसे- क्या वैक्सीन लेना अनिवार्य है? एंटीबॉडीज को विकसित होने में कितना समय लगता है? और क्या कोविड के रिकवर हो चुके व्यक्ति के लिए वैक्सीन लेना जरूरी है? और फिर इन सवालों के जवाब भी दिए।

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देश में 6 वैक्सीन का चल रहा है ट्रायल
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी वैक्सीन ट्रायल, फाइनल टीका बनकर तैयार होने के अलग-अलग स्टेज में हैं और सरकार बहुत जल्द कोविड-19 के लिए वैक्सीन को लॉन्च करेगी। 6 वैक्सीन हैं जिनमें से पहली- आईसीएमआर के साथ मिलकर भारत बायोटेक विकसित कर रहा है, दूसरी- जाइडस कैडिला द्वारा बनाई बनायी जा रही है, तीसरी वैक्सीन जेनोवा की है, चौथी- ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन जिसका ट्रायल सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है, पांचवी- स्पूतनिक 5 वैक्सीन जिसे हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज लैब रूस के गामालेया नैशनल सेंटर के साथ मिलकर तैयार कर रहा है और छठी वैक्सीन को हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई लिमिटेड एमआईटी यूएसए के साथ मिलकर तैयार कर रहा है। इन सभी वैक्सीन्स के क्लिनिकल ट्रायल भारत में हो रहे हैं।

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वैक्सीन से जुड़े साइड इफेक्ट से निपटने की भी है तैयारी
वैक्सीन के बारे में बात करते हुए मंत्रालय ने कहा कि भारत में बन रही वैक्सीन भी उतनी ही असरदार होगी जितनी किसी और देश द्वारा विकसित की गई वैक्सीन। क्या कम समय में वैक्सीन को टेस्ट करके इन्ट्रोड्यूस करना सुरक्षित होगा और इसके संभावित दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं, इस सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा- कोई भी वैक्सीन भारत में तब ही शुरू की जाएगी जब रेग्युलेटरी बॉडीज उन्हें उनकी सेफ्टी और प्रभावकारिता के आधार पर पास कर देंगी। हालांकि बाकी के वैक्सीन्स के साथ कॉमन साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं जैसे- इंजेक्शन लगने वाली जगह पर हल्का दर्द होना या हल्का बुखार आना। मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन की सेफ डिलिवरी के ऐहतियाति कदम के तौर पर राज्यों को वैक्सीन से जुड़े साइड इफेक्ट्स के लिए भी तैयार रहने को कहा गया है।

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि शुरुआती फेज में कोविड-19 वैक्सीन प्राथमिकता समूह वाले लोगों की दी जाएगी जिसमें हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स शामिल हैं। वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन जल्दी दिया जाना शुरू किया जाएगा।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 टीकाकरण भारत में स्वैच्छिक होगा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी जानकारी है

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