फास्फोरस स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक पोषक तत्व है। फास्फोरस के कई लाभ हैं, जैसे हड्डियाँ बनना, पाचन तंत्र में सुधार, प्रोटीन बनाना और हार्मोनल संतुलन । 

इस लेख में फास्फोरस के महत्त्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। आगे आप पढ़ सकते हैं फास्फोरस क्या है, फास्फोरस के प्रकार, फास्फोरस के फायदे, फास्फोरस की अधिकता और फास्फोरस के स्त्रोत के बारे में।

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  1. फास्फोरस क्या है - Phosphorus kya hai
  2. फास्फोरस कितनी मात्रा में लेना जरूरी - Phosphorus kitne matra me lena jaroori
  3. फोस्फोरस की अधिकता - Phosphorus ki adhikta
  4. फास्फोरस के फायदे - Phosphorus ke fayde
  5. फास्फोरस के स्त्रोत - Phosphorus ke srot

फास्फोरस हड्डियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा के बिना शरीर का सामान्य रूप से काम करना असंभव होता है। मानव शरीर में फॉस्फोरस सबसे ज्यादा पाए जाने वाले खनिजों में है, और हड्डियों के स्वस्थ रहने के लिए कैल्शियम के बाद फास्फोरस महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है।

मस्तिष्क, गुर्दे, हृदय और रक्त आदि शारीरिक अंगों के सुचारू रूप से कार्य के लिए फास्फोरस आवश्यक होता हैं। आपको रोजाना फास्फोरस युक्त आहार लेना चाहिए। खासकर बच्चों के स्वास्थ्य के लिए यह जरूरी होता है क्योंकि बचपन में शरीर का सबसे ज्यादा विकास होता है।

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फास्फोरस को लेने की मात्रा आपकी उम्र पर निर्भर करती है। व्यस्कों को बच्चों के मुकाबले कम मात्रा में फास्फोरस लेने की आवश्यकता होती है। किस उम्र के लोगों को कितनी मात्रा में फास्फोरस लेने की जरूरत होती है, इसको नीचे एक स्वास्थ्य संस्था से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बताया गया है -

 उम्र  मात्रा
0 से 6 महीने का शिशु 100 मिलीग्राम
7 से 12 महीने का शिशु 275 मिलीग्राम
1 से 3 साल का बच्चा 460 मिलीग्राम
4 से 8 साल का बच्चा 500 मिलीग्राम
9 से 18 वर्ष का बच्चा 1,250 मिलीग्राम
19 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति 700 मिलीग्राम

फास्फोरस कम मात्रा में लेने से आपको कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

फास्फोरस की कमी के कारण

रक्त में फास्फोरस के स्तर का कम होना हाइपोफास्फोटेमिया (Hypophosphatemia) कहा जाता है। यह दो स्थिति के कारण होता है। पहली स्थिति में फास्फोरस तुरंत कम हो जाता हैं, जबकि दूसरी स्थिति में यह लंबे समय तक धीरे-धीरे कम होता है और निरंतर बना रहता है।

पहली स्थिति में फोस्फेट के अचानक कम होने से रक्त मेे इसकी मात्रा कम हो जाती है। शरीर का निम्न तरह के विकारों से ग्रस्त होने पर ऐसी स्थिति बनती है।

कई बार अचानक फास्फोरस कम होने से हृदय अतालता और मृत्यु का भी कारण बनाता है।

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दीर्घकालिक हाइपोफास्फोटेमिया में फास्फेट का स्तर धीरे-धीरे करके कम होता चला जाता है। फास्फेट का अत्यधिक मात्रा में मल के साथ शरीर से बाहर निकलने से यह स्थिति उत्पन्न होती है। इसके मुख्य कारण निम्न हैं -

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फास्फोरस की कमी के लक्षण

फास्फोरस की कमी के लक्षण रक्त में फॉस्फोरस का स्तर बहुत कम होने पर ही महसूस होते हैं। इसकी वजह से मांसपेशियों में कमजोरी होने लगती है। फॉस्फोरस की और अधिक कमी होने पर व्यक्ति को बेहोशी को जोखिम पैदा हो जाता है। कुछ मामलों में बेहोशी के बाद व्यक्ति कोमा की स्थिति में जा सकता है या उसकी मृत्यु हो सकती है।

कम गंभीर दीर्घकालिक हाइपोफास्फोटेमिया में हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जिसके कारण हड्डी में दर्द और फ्रैक्चर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। कई लोगों को फॉस्फोरस की कमी की वजह से भूख लगनी बंद हो जाती है और वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं।

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फास्फोरस की अधिकता शरीर में विषैले तत्व पैदा करती है। इस खनिज (फास्फोरस) की अधिक मात्रा होने से आपको दस्त की समस्या हो सकती है। इसके अलावा आपके ऊतक व अंगों में कठोरपन आ सकता है।

फास्फोरस का उच्च स्तर आपके शरीर में लोहे (आयरन), कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक आदि खनिजों को प्रभावित करता है। इससे शरीर के द्वारा खनिजों के उपयोग करने की क्षमता में गड़ब़ड़ी आ सकती है। 

सामान्यतः रक्त में बहुत अधिक मात्रा में फास्फोरस होना दुर्लभ मामलों में गिना जाता है। आमतौर पर जिन लोगों को गुर्दे की समस्या होती है या जिनके शरीर में कैल्शियम को नियंत्रण करने में समस्या आती है, उनमें फोस्फोरस की अधिकता हो सकती है।

फास्फोरस की अधिकता होने पर आपको निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

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फोस्फोरस से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं। इससे होने वाले फायदों के बारे में यहाँ विस्तार से बताया जा रहा है -

  1. हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए जरूरी –
    फास्फोरस शरीर के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है, साथ ही साथ यह हड्डियों और दांतों के रखरखाव में भी अहम भूमिका निभाता है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए फास्फोरस कैल्शियम के साथ मिलकर कार्य करता है। इसके अलावा यह मसूड़ों और दांतों की बाहरी परत को भी स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक होता है। ऑस्टियोपोरोसिस में होने वाले हड्डियों के नुकसान को कम करने में मदद करता है। हाल ही में फास्फोरस पर हुई रिसर्च में पता चला है कि यह हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी होता है। इसके नियमित रूप से सेवन से आप हृदय की धमनियों से संबंधित बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं। (और पढ़ें - दांत में कीड़ा का इलाज)
     
  2. पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है -
    फास्फोरस पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रिबोफ्लेविन (riboflavin) और नियासिन (niacin) को पाचने में मदद करता है। रिबोफ्लेविन और नियासिन विटामिन बी के दो प्रकार हैं, जो शारीरिक ऊर्जा, चयापचय (मेटाबॉलिज्म), तंत्रिका और भावनात्मक प्रणाली के सही तरीके से काम करने के लिए जरूरी होते हैं। (और पढ़ें - विटामिन बी12 के स्रोत)
     
  3. गुर्दे को स्वस्थ रखना -
    गुर्दे को स्वस्थ रखने में फास्फोरस जरूरी माना जाता है। फास्फोरस पेशाब और मलत्याग की प्रक्रिया के माध्यम से गुर्दे से विषैले तत्वों को बाहर करने में मदद करता है। पेशाब की मात्रा और बारंबारता से आपके शरीर का यूरिक एसिड, नमक, पानी और वसा का स्तर संतुलित रहता है। फास्फोरस  पेशाब की मात्रा और बारंबारता को नियमित करके शरीर के सभी तरल पदार्थों को संतुलित कर आपको विषैले तत्वों से मुक्त रखता है। (और पढ़ें - किडनी रोग का इलाज)
     
  4. कमजोरी को दूर करने में सहायक -
    फास्फोरस से मांसपेशियों की कमजोरी, किसी अंग के सुन्न होने, थकान और अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं को दूर किया जा सकता है। शरीर में फास्फोरस का संतुलित स्तर आपको फिट और सक्रिय रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है। फास्फोरस शरीर में होने वाली यौन कमजोरी को भी ठीक करता है। कामेच्छा में कमी,  नपुंसकता और शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए फास्फोरस उपयोगी होता है। (और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के उपाय)
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फास्फोरस को आप खाद्य पदार्थों से ग्रहण कर सकते हैं। जिन भारतीय आहार से आप फास्फोरस को ले सकते हैं उनको निम्नतः बताया जा रहा है।

  1. सोयाबीन -
    सोयाबीन फास्फोरस और प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही इसमें विटामिन बी भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सोयाबीन में पाए जाने वाले तत्व रजोनिवृत्ति के लक्षण को कम करने में सक्षम होते हैं। अगर आप थायराइड से ग्रसित हैं तो आपको सोयाबीन खाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह थायराइड में आपके लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है। एक कप सोयाबीन का सेवन करने से आपको करीब 1309 मिलीग्राम फास्फोरस मिलता है, जो आपकी फास्फोरस की रोजाना जरूरत का 131 प्रतिशत होता है। (और पढ़ें - सोया मिल्क के फायदे)
     
  2. अलसी के बीज-
    अलसी के बीज में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। फोस्फोरस के साथ ही अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है। ओमेगा -3 दिल और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद हैं। एक चम्मच अलसी के बीजों से करीब 65.8 मिलीग्राम फास्फोरस प्राप्त होता है, जो फास्फोरस की प्रतिदिन की आवश्यकता का 7% होता है। (और पढ़ें - अलसी के तेल के फायदे)
     
  3. दालें-
    दालों में फास्फोरस के अलावा उच्च मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, पोटेशियम और फोलेट पाया जाता है। यह सभी तत्व आपको और आपके हृदय को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। फोलेट गर्भवती महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। एक कप दाल का सेवन करने से आपको करीब 886 मिलीग्राम फोस्फोरस मिलता है, जो आपकी दैनिक जरूरत का 87 प्रतिशत होता है। (और पढ़ें - गर्भवती महिलाओं को क्या खाना चाहिए)
     
  4. ओट्स-
    स्वस्थ रहने के लिए आप ओट्स का सेवन कर सकते हैं। इससे दस्त की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही ओट्स से रक्तचाप और शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। यह त्वचा के लिए भी जरूरी माना जाता है। एक कप ओट्स का सेवन करने से करीब 816 मिलीग्राम फोस्फोरस मिलता है। यह फोस्फोरस की रोजाना जरूरत का 82 प्रतिशत हिस्सा पूरा करती है। (और पढ़ें - बीपी कम करने के उपाय)
     
  5. राई –
    राई लगभग हर घर में होती है। राई का प्रयोग कई व्यंजनों में किया जाता है। इसमें फास्फोरस के अलावा मैग्नीशियम और आयरन होता है, जो थकान को दूर करने में सहायक होता है। इसके अलावा राई में मौजूद जिंक प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। एक कप राई से करीब 632 मिलीग्राम फास्फोरस ग्रहण किया जा सकता है। यह फास्फोरस की दैनिक आवश्यकता का 63 प्रतिशत भाग होता है। (और पढ़ें - प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के उपाय)
     
  6. मूंगफली –
    मूंगफली में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। यह न सिर्फ सस्ती होती है, ब्लकि हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी काफी उपयोगी होती है। एक कप मंगूफली से करीब 523 मिलीग्राम फास्फोरस मिलता है. जो रोजाना जरूरत का करीब 52 प्रतिशत हिस्सा पूरा करता है। (और पढ़ें - मूंगफली तेल के फायदे)
     
  7. अंडे –
    अंडे में फास्फोरस के साथ ही विटामिन बी2, प्रोटीन व अन्य पोषक तत्व होते हैं। यह सभी पोषक तत्व शरीर की कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक होते हैं। एक अंडे के सेवन से आपको करीब 84 मिलीग्राम फास्फोरस प्राप्त होता है। यह आपकी दैनिक आवश्यकता का 8 प्रतिशत हिस्सा होता है। (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के उपाय)

फास्फोरस के स्त्रोत में शामिन अन्य खाद्य पदार्थ

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