यदि आपके गार्डन में सिंहपर्णी का पौधा है तो आप सच मानिये बहुत ही भाग्यशाली हैं। क्योंकि यह पीले रंग का दिखने वाला पौधा केवल आपके बगीचे के सौंदर्य को ही नहीं बढ़ाता अपितु यह आपके स्वास्थ्य में भी चार-चाँद लगा देता है। सिंहपर्णी वास्तव में कई सौ सालों से शुगर, लिवर, किडनी एवं पेट के विकारों के उपचार के लिए एक औषधि के रूप में इस्तेमाल होता आ रहा है। सिंहपर्णी की जड़ें, पत्तियां एवं फूल सभी खाद्य हैं और अत्यधिक पौष्टिक गुणों से युक्त हैं। यह जड़ी बूटी विटामिन ए, सी, डी और बी कॉम्प्लेक्स का एक समृद्ध स्रोत है। यह जस्ता, लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे खनिज में भी समृद्ध है।

यह औषधि सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी होती है और इसे अपने दैनिक आहार में शामिल कर आप अपने समग्र स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं। आप चाहें तो रोजाना इसकी बनी हुई चाय पी सकते हैं या फिर आप इसे सलाद-सूप में भी शामिल कर सकते हैं।

  1. सिंहपर्णी के फायदे - Dandelion Root Benefits in Hindi
  2. सिंहपर्णी के नुकसान - Dandelion Root Side Effects in Hindi
  3. सिंहपर्णी की चाय बनाने का तरीका - How to make Dandelion tea in Hindi

सिंहपर्णी की जड़ है लिवर की दवा - Dandelion for Liver in Hindi

सिंहपर्णी की जड़ के लिवर के लिए स्वास्थ्य लाभ विश्व-भर में प्रचलित हैं। यह औषधि एक बहुत ही प्रभावशाली लिवर-टॉनिक है। सिंहपर्णी की जड़ लिवर में एकत्रित वसा का चयापचय कर लिवर के कार्यों को उत्तेजित करती है। यह लीवर से निकलने वाला बाइल यानी कि पीले रंग के रस के प्रवाह को बढाती है और लिवर को डिटाक्सफाय भी करती है। 2010 में एथनोफ्रमकोलोज़ी के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि सिंहपर्णी की जड़ लिवर के विकारों पर उपचारात्मक प्रभाव डालती है।

सिंहपर्णी की जड़ की चाय बनाकर उसे पीना लिवर के स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है।

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सिंहपर्णी के लाभ स्वस्थ एवं सुन्दर त्वचा के लिए - Dandelion for Skin in Hindi

सिंहपर्णी में ऐसे अनेक तत्व निहित हैं जो त्वचा को पोषित कर उसे एक नया सुनहरा रूप देने में सक्षम हैं। यदि आप सिंहपर्णी के तने को बीच में से तोड़ेंगे तो आपको एक दूधिया सफेद जैसा रस नज़र आएगा। यह तत्व त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बहुमूल्य है। यह रस स्वाभाविक रूप से एक बहुत ही प्रभावी क्षार (alkali) है। यह गुण इसे त्वचा के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम बनाते हैं। आप इसका रस अपनी त्वचा पर खुजली, दाद, एक्जिमा और अन्य त्वचा के विकारों का उपचार करने के लिए लगा सकते हैं। 2012 में प्रकाशित पेप्टाइड्स की रिपोर्ट के अनुसार सिंहपर्णी के फूलों में तीन प्रभावी पेप्टाइड्स (Peptides) होते हैं जो शरीर में हो रही माइक्रोबियल और फंगल गतिविधियों पर रोक लगाते हैं। और चूँकि यह एक अच्छा एंटी-ऑक्सीडेंट और डिटाक्सफायर भी है, इसलिए यह मुहांसों का भी एक सफल उपचार है। 

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नोट -  सिंहपर्णी का चेहरे पर इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतें और इसका इस्तेमाल आँख के आस-पास वाले क्षेत्र पर ना करें।

सिंहपर्णी की जड़ें हैं कैंसर में उपयोगी - Dandelion Root for Cancer in Hindi

आधुनिक शोधों के अनुसार, सिंहपर्णी एक प्रभावी कैंसर विरोधी है। यह एक अच्छा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो शरीर की कोशिकाओं को कैंसर की वजह से पहुँचने वाली क्षति का जम कर विरोध करता है। वास्तव में यह अपनी फ्री-रेडिकल लड़ने की क्षमता की वजह से, विभिन्न प्रकार के कैंसरों को मात देने में सक्षम है।

2008 में कैंसर विज्ञान के इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्य्यन में पाया गया कि सिंहपर्णी की जड़ों में ऐसे तत्व निहित हैं जो उत्तम एंटी-कैंसर एजेंट हैं। 2011 में साक्ष्य आधारित पूरक और वैकल्पिक दवाओं में हुए एक शोध के अनुसार सिंहपर्णी की जड़ कैंसर से लड़ने के लिए कीमोथेरेपी जितनी सक्षम है। 

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सिंहपर्णी जड़ की चाय सूजन में है उपयोगी - Dandelion Root Tea for Inflammation in Hindi

चूँकि यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, सिंहपर्णी की जड़ें शरीर में उपस्थित अधिक तरल पदार्थ के उपापचय में सहायता कर, शरीर में हो रही सूजन व जलन को समाप्त करती है। विशेष रूप से यह शरीर के निचले भाग जैसे की पैर में सूजन कम करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। इसमें अच्छी मात्रा में पोटैशियम निहित है जो शरीर में सोडियम के स्तर को संतुलित कर सूजन एवं जलन से छुटकारा दिलाने में सहायक है।

सूजन व जलन से राहत पाने के लिए रोजाना जब तक सूजन ठीक ना हो जाए, दिन में दो से तीन बार सिंहपर्णी की चाय पिएं।
नोट - यदि आप पित्ताशय की किसी भी बीमारी से ग्रस्त है तो इसका सेवन ना करें।

सिंहपर्णी का पौधा फायदेमंद है मूत्र सम्बंधित विकारों से बचाव में - Dandelion for Urinary Tract Infection in Hindi

सिंहपर्णी बहुत ही सक्षम मूत्रवर्धक होते हैं जो किडनी एवं मूत्र पथ में उपस्थित एवं एकत्रित विषाक्त प्रदार्थों का नाश कर, मूत्र सम्बंधित विकारों से बचाव करते हैं। 2009 में वैकल्पिक और पूरक दवाओं के पदार्थ जर्नल में प्रकाशित एक अध्य्यन के अनुसार सिंहपर्णी की जड़ें मूत्र की मात्रा के उत्पादन को नियमित कर किडनी को स्वच्छ एवं स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। यह मूत्र पथ में विकसित हो रहे हानिकारक जीवाणुओं का नाश कर मूत्र-सम्बंधित विकारो को शरीर में आने से रोकती हैं। यह मूत्राशय सम्बंधित विकारों का भी एक सफल उपचार हैं।

सिंहपर्णी के फायदे मधुमेह के लिए - Dandelion Root for Diabetes in Hindi

सिंहपर्णी की जड़ें शुगर के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। यह पैंक्रियास (Pancreas) को उत्तेजित कर इन्सुलिन के उत्पादन में मदद करती हैं और रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखती हैं। इसकी जड़ें मूत्रवर्धक होती हैं और अधिकतम शुगर को शरीर से मूत्र द्वारा निकास करवा रक्त को अधिक शुगर से छुटकारा दिलवाती हैं। मधुमेह के रोगी बहुत ही जल्दी लिवर एवं किडनी के विकारों से ग्रस्त हो जाते हैं और सिंहपर्णी किडनी एवं लिवर दोनों के लिए ही स्वास्थ्यवर्धक हैं। परंतु इसका किसी भी प्रकार से सेवन डॉक्टर से परामर्श के बाद ही किया जाना चाहिए।

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सिंहपर्णी की चाय वजन को घटाने में सहायक - Dandelion Tea for Weight Loss in Hindi

यदि आप अपने अधिकतम वजन को अलविदा कहना चाहते हैं तो बिना देरी किये जल्दी से सिंहपर्णी की जड़ों का हाथ थाम लें। सिंहपर्णी की जड़ अत्यंत प्रभावी रेचक और मूत्रवर्धक होती है जो आपके मूत्र की आवृत्ति एवं मात्रा में बढ़ोतरी लाती हैं। इससे आपको शरीर में उपस्थित अधिकतम तरल पदार्थ जो आपका वजन बढ़ाते हैं, उनसे छुटकारा मिलता है। 2011 में पदार्थ साक्ष्य आधारित पूरक और वैकल्पिक दवाओं में हुए एक शोध के अनुसार सिंहपर्णी के सेवन के पांच घंटे पश्चात, मूत्र की मात्रा में वृद्धि होती है और इससे पानी सम्बंधित मोटापा कम हो जाता है। 

(और पढ़ें - मोटापा घटाने के लिए व्यायाम)

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इसके अलावा सिंहपर्णी में भूख को कम करने की और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने की क्षमता भी है। और साथ ही में इससे कैलोरीज भी कम होती है।
वजन कम करने के उपाय के लिए -

  • दिन में दो से तीन बार सिंहपर्णी की चाय पिएं।
  • इसके अतिरिक्त आप सिंहपर्णी को अपने सलाद में भी शामिल कर सकते हैं। सिंहपर्णी की पत्तियां खाद्य हैं और सलाद के रूप में ली जा सकती हैं या किसी भी अन्य पत्तेदार-हरी सब्जी के जैसे पकाई जा सकती हैं।

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सिंहपर्णी के औषधीय गुण रक्तचाप को कम करें - Dandelion Root for Blood Pressure in Hindi

चूँकि यह एक प्रभावी मूत्रवर्धक है, यह शरीर में मूत्र की मात्रा को बढ़ाकर सोडियम से छुटकारा पाने में सहायता करता है। यह शरीर को अतिरिक्त सोडियम से छुटकारा पोटैशियम की मात्रा से समझौता किए बिना दिलाता है जो उच्च रक्त-चाप को कम करने में मदद करता है। उच्च रक्त-चाप के पीछे कोलेस्ट्रॉल भी एक बहुत बड़ा कारण होता है और चूँकि सिंहपर्णी पोटैशियम और फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर रक्त-चाप को नियंत्रित करने में सहायता करता है। और जब कोलेस्ट्रॉल और ब्लड-प्रेशर दोनों ही नियंत्रण में हो तो हृदय रोग के होने का खतरा भी कम हो जाता है। 

(और पढ़ें – उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ)

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सिंहपर्णी के गुण पाचन प्रणाली के लिए - Dandelion Root for Digestion in Hindi

सिंहपर्णी की जड़ एवं पुष्प दोनों ही खाद्य हैं और पाचन शक्ति में बढ़ोतरी लाने के लिए योग्य हैं। सिंहपर्णी एक रेचक के रूप में कार्य करता है और पाचन शक्ति को उत्तेजित करने के साथ साथ भूख में भी सुधार लाता है। यह पेट में हानिकारक कीटाणुओं का नाश करता है और अच्छे बैक्टीरिया के उत्पादन को बढ़ावा देता है। यह फाइबर का भी एक प्रचुर स्रोत है जो कब्ज़ से छुटकारा दिलाने में सहायक है।

सिंहपर्णी जड़ हड्डियों को मजबूत बनाये - Dandelion Root for Bones in Hindi

सिंहपर्णी की जड़ें एंटी-ऑक्सीडेंट का एक बहुत ही अच्छा स्रोत होती हैं जो शरीर की हड्डियों को पोषित कर उन्हें उम्र सम्बंधित विकारों से छुटकारा दिलाती हैं। सिंहपर्णी की जड़ों में उच्च मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों के विकास एवं मजबूती के लिए अनिवार्य है। सिंहपर्णी की जड़ें विटामिन K से भी निहित होती हैं जो हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाये रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह हड्डियों में खनिज के अवशोषण (Absorption) को बढ़ावा देतीं हैं और उन्हें टूटने से भी बचाती हैं। इसकी वजह से महिलाओं में रजोनिवृत्ति के पश्चात होने वाली हड्डियों की समस्याएं भी कम हो जाती हैं। विशेष रूप से यह ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचाव करने में अत्यंत सक्षम हैं।

सिंहपर्णी की जड़ों की चाय पीना "एक पंत दो काज" के समान है क्योंकि इसकी चाय पीने से हड्डियों को मजबूती तो मिलती ही है परंतु साथ ही में दांतों में लगने वाले कीटाणुओं का भी नाश होता है और वे सड़ने से बच जाते हैं।

सिंहपर्णी के नुकसान निम्म हैं - 

  • पित्त नली में रुकावट, दस्त, गैस्ट्रिक एसिडिटी और पेप्टिक अल्सर से पीड़ित लोगों के लिए, साथ ही गर्भवती महिलाओं और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सिंहपर्णी लेने की सलाह नही दी जाती है।
  • बहुत ही दुर्लभ मामलों में कुछ लोगों में, सिंहपर्णी का फूल गंभीर एलर्जी का कारण बन सकता है इसलिए यदि आपको इससे एलर्जी की समस्या है तो सिंहपर्णी की जड़ लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।
  • ज्यादा लंबे समय तक सिंहपर्णी का सेवन नहीं करना चाहिए। सिंहपर्णी लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें, विशेष रूप से जब आप पहले से कोई दवाई ले रहे हैं क्योंकि यह दवाई के प्रभाव को बेअसर कर सकता है। जैसे बाइपोलार बीमारी के लिए दी जाने वाली लिथियम नामक दवा के साइड एफेक्ट को यह और भी खराब कर सकता है।

सिंहपर्णी की चाय बनाने की विधि - 

  • एक सॉस पैन में 1 से 2 चम्मच कटी हुई सूखी सिंहपर्णी की जड़ को डालें।
  • इसमें दो कप पानी मिलाएं और उबलने के लिए 5 से 10 मिनट के लिए गैस पर चढ़ा दें।
  • इसे छान लें।
  • इस चाय को दिन में 2 या 3 बार रोजाना पियें।
  • आप सिंहपर्णी के टी-बैग का इस्तेमाल करके भी सिंहपर्णी की चाय बना सकते हैं।

उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें सिंहपर्णी है

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