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यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से पेशाब के मार्ग में कुछ विशेष बदलाव किए जाते हैं। यह सर्जरी आमतौर पर उन लोगों के लिए की जाती है, जिनका किसी कारण से मूत्राशय क्षतिग्रस्त हो गया है या फिर पहले मूत्राशय निकालने की सर्जरी (ब्लैडर रिमूवल सर्जरी) हो चुकी है। मूत्र प्रणाली में कई अंग आते हैं जैसे गुर्दे, मूत्राशय, मूत्रवाहिनी और मूत्र मार्ग। किडनी रक्त को फिल्टर करके व्यर्थ द्रव (मूत्र) को मूत्रवाहिनी की मदद से मूत्राशय तक पहुंचाती है। इसके बाद मूत्राशय से मूत्रमार्ग की मदद से इसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। ब्लैडर कैंसर से ग्रस्त कुछ लोगों को मूत्राशय निकालने की सर्जरी करवानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में पेशाब की नली को आंत के अंतिम हिस्से (सिग्मॉइड कॉलन) से जोड़ दिया जाता है, जिसकी सर्जरी प्रोसीजर को यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी कहा जाता है।

इस सर्जरी प्रोसीजर को पूरा करने में एक से तीन घंटे का समय लग सकता है। इस सर्जरी से कॉलन कैंसर और किडनी स्टोन होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके होने वाले जोखिमों को देखते हुए आजकल इस सर्जरी को बहुत ही दुर्लभ मामलों में किया जाता है। हालांकि, इसकी वैकल्पिक सर्जिकल प्रोसीजरों के मुकाबले, इसमें न तो कोई छिद्र किया जाता है और न ही जीवनभर पेशाब की थैली लगाकर रखनी पड़ती है। इस सर्जरी से जीवन स्तर में सुधार होता है और इसे अच्छी तरह से स्वीकार भी किया जाता है।

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  1. यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी क्या है - What is Ureterosigmoidostomy in Hindi
  2. यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी किसलिए की जाती है - Why is Ureterosigmoidostomy done in Hindi
  3. यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी से पहले - Before Ureterosigmoidostomy in Hindi
  4. यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी के दौरान - During Ureterosigmoidostomy in Hindi
  5. यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी के बाद - After Ureterosigmoidostomy in Hindi
  6. यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी की जटिलताएं - Complications of Ureterosigmoidostomy in Hindi

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी क्या है?

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसकी मदद से पेशाब को शरीर से निकालने का एक वैकल्पिक मार्ग बनाया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर उन लोगों के लिए की जाती है, जिनकी ब्लैडर रिमूवल सर्जरी की जा चुकी है। यदि किसी कारण से मूत्राशय क्षतिग्रस्त हो गया है, तो भी यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी की जा सकती है।

गुर्दे, मूत्राशय, मूत्रवाहिनी और मूत्रमार्ग जैसे अंग मिलकर मूत्रप्रणाली बनाते हैं। गुर्दे रक्त को फिल्टर करके पेशाब को अलग निकाल देते हैं, जो मूत्रवाहिनी के माध्यम से मूत्राशय में जमा होता है। मूत्राशय में जमा पेशाब मूत्रमार्ग की मदद से शरीर से बाहर निकल जाती है। मूत्राशय तब तक पेशाब को जमा रखता है, जब तक आप मूत्रमार्ग की मदद से उसे शरीर से बाहर नहीं निकाल देते।

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी के दौरान मूत्रवाहिनियों को मूत्राशय से हटाकर सिग्मॉइड (बड़ी आंत का अंतिम हिस्सा) से जोड़ दिया जाता है। जिन लोगों की ब्लैडर रिमूवल सर्जरी की जा चुकी है या फिर जिनका ब्लैडर क्षतिग्रस्त हो गया है, वे लोग इस सर्जरी के बाद गुदा के माध्यम से मल व पेशाब दोनों को निकाल देते हैं।

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यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी क्यों की जाती है?

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी को आमतौर पर निम्न स्थितियों से परेशान लोगों के लिए किया जाता है -

  • ब्लैडर कैंसर से ग्रस्त लोग जिनकी ब्लैडर रिमूवल सर्जरी की जा चुकी है।
  • चोट लगने के दौरान मूत्राशय क्षतिग्रस्त होना
  • ब्लैडर एक्स्ट्रोफी (एक जन्म दोष जिसमें मूत्राशय के ऊपर त्वचा विकसित नहीं होती है।)
  • मूत्राशय और योनि को जोड़ने वाला फिस्टुला (लार्ज वेसिकोवेजाइनल फिस्टुला)
  • ब्लैडर फाइब्रोसिस
  • रेडिएशन थेरेपी या कैंसर के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली उपचार प्रक्रियाओं से मूत्राशय क्षतिग्रस्त होना

यह सर्जरी आमतौर पर उस व्यक्ति के लिए की जाती है, जिसका सिग्मॉइड कॉलन, गुदा के स्फिंक्टर, मूत्रवाहिनी और गुर्दे अच्छी तरह से काम करते हों।

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यह सर्जरी निम्न स्थितियों से ग्रस्त लोगों में नहीं की जाती है -

  • पहले से ही आंत संबंधी कोई रोग होना
  • रेडिएशन आदि के कारण मलाशय के अंदरूनी हिस्से में सूजन व लालिमा होना
  • मूत्रवाहिनी की चौड़ाई 1 सेमी से भी ज्यादा होना
  • डायवर्टिकुलाइटिस

हालांकि, कुछ स्थितियां हैं जिनमें यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी को विशेष ध्यान रखते हुए किया जा सकता है जैसे -

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यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी से पहले क्या तैयारी की जाती है?

आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले अस्पताल बुलाया जाता है, जहां पर कुछ आवश्यक परीक्षण किए जाते हैं। इस दौरान आपका शारीरिक परीक्षण किया जाएगा और साथ ही कुछ विशेष टेस्ट किए जाएंगे जैसे -

इसके अलावा सर्जरी से पहले कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं -

  • यदि आप किसी भी प्रकार की कोई दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या अन्य कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे मे बता दें। डॉक्टर आपको इनमें से कुछ दवाएं एक निश्चित समय के लिए छोड़ने को कह सकते हैं, इनमें आमतौर पर रक्त पतला करने वाली दवाएं शामिल हैं जैसे एस्पिरिन, वारफेरिन, क्लोपिडोग्रेल और विटामिन ई आदि।
  • यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो सर्जरी से कुछ दिन पहले और बाद तक इसे छोड़ने की सलाह जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि धूम्रपान या शराब का सेवन करने से सर्जरी के बाद जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • ऑपरेशन वाले दिन अस्पताल जाने से पहले नहा लें और मेकअप न करें। यदि आपने कोई आभूषण या गैजेट (घड़ी आदि) पहना है तो उसे घर पर ही उतार दें।
  • आपको अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाने की सलाह दी जाती है, ताकि सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके।
  • यदि आपको सर्जरी से एक या दो दिन पहले बुखार या फ्लू के लक्षण हो रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें ऐसे में डॉक्टर ऑपरेशन की तारीख को कुछ दिन के लिए टाल सकते हैं।
  • सर्जरी वाले दिन खाली पेट रहने को कहा जाता है, जिसके लिए आपको सर्जरी वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी खाना व पीना नहीं चाहिए।
  • आपको सर्जरी से पहले अपनी आंत पूरी तरह से साफ करने के लिए भी कुछ विशेष सुझाव दिए जाएंगे। हालांकि, यदि आपको कब्ज आदि की शिकायत है, तो आपको सर्जरी से कम से कम दो दिन पहले लेक्सेटिव दवाएं दी जाती हैं।
  • आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले नरम खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, ताकि पाचन प्रणाली ठीक से काम करती रहे और कब्ज या दस्त जैसी कोई समस्या न हो।
  • अंत में आपको एक सहमति पत्र दिया जाता है, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं।

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यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी कैसे की जाती है?

जब आप ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो स्टाफ का व्यक्ति आपको एक विशेष ड्रेस पहनने को देता है जिसे “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है। इसके बाद आपकी बांह या हाथ की नस में सुई लगाकर एक इंट्रावेनस लाइन शुरू की जाती है। इंट्रावेनस लाइन की मदद से आपको सर्जरी के दौरान दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव दिए जाते हैं। यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको कुछ महसूस नहीं होता है। कुछ दवाएं दी जा सकती हैं, जिनमें दर्द निवारक व थक्का जमने से रोकने वाली दवाएं शामिल हैं। यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी की सर्जिकल प्रक्रिया आमतौर पर कुछ इस प्रकार है -

  • सर्जन कूल्हे की हड्डी से नाभि तक का एक चीरा लगाते हैं, जिसकी मदद से बड़ी आंत तक पहुंचा जाता है।
  • इसके बाद सिग्मॉइड कॉलन में कट लगाकर इसे U आकृति में मोड़ लिया जाता है और इसके सिरों को सील दिया जाता है। ऐसा करने पर उसकी थैली जैसी आकृति बन जाती है, जो पेशाब व मल को रोक पाता है।
  • इसके बाद सर्जन कॉलन की एक सतह में चीरा लगाते हैं, जिससे एक विशेष नलिका बन जाती है। इसका एक सिरा कॉलन के अंदर खुलता है।
  • इसके बाद एक मूत्रवाहिनी को इस छिद्र की मदद से कॉलन में डाल दिया जाता है और सिलाई करके उसे स्थिर बना दिया जाता है।
  • यूरेटर में एक पतली व खोखली ट्यूब डाली जाती है, जिससे मूत्रवाहिनी चौड़ी हो जाती है और पेशाब का बहाव बढ़ जाता है।
  • यही प्रक्रिया दूसरी मूत्रवाहिनी के लिए भी की जाती है।
  • इसके बाद सर्जन सभी चीरों को टांके, गोंद व टेप आदि की मदद से बंद कर देते हैं।
  • इसके बाद गुदा में एक ट्यूब लगाई जाती है, ताकि जब तक घाव ठीक न हो मल व पेशाब निकलता रहे।

इस सर्जिकल प्रोसीजर को पूरा करने में तीन से चार घंटों का समय लगता है। सर्जरी के बाद आपको एक से तीन रातों तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है, जिस दौरान निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -

  • सर्जरी के बाद आपको कुछ समय तक दर्द रह सकता है, जिसके लिए आपको पेनकिलर दवाएं दी जाती हैं। संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं भी दी जाती हैं।
  • आपको सांस लेने और खांसने की कुछ तकनीक सिखाई जाती हैं, ताकि सर्जरी के घावों पर दबाव न पड़े। ये सभी तकनीक फेफड़ों को साफ रखने और निमोनिया होने से बचाता है।
  • सर्जरी के बाद शुरुआत में आपको नरम खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं और धीरे-धीरे ठोस पदार्थ देना शुरू किया जाता है।
  • सर्जरी के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही गुदा में लगाई गई ट्यूब को निकाल दिया जाता है।

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यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी के बाद क्या देखभाल की जाती है?

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी के बाद देखभाल करने के लिए आपको विशेष सुझाव दिए जाते हैं -

  • डॉक्टर के द्वारा बताई गई सभी दवाओं को समय पर लेते रहें।
  • सर्जरी वाले हिस्से को सूखा व साफ रखें। आपको घाव की पट्टी बदलने संबंधी कुछ सुझाव भी दिए जा सकते हैं।
  • आपको 48 घंटों बाद पट्टी बदलने की सलाह दी जाती है, यदि यह गीली हो जाती है तो तुरंत बदल दें।
  • घाव को समय-समय पर साबुन व पानी से धोने को कहा जाता है और धोते ही उसे साफ कपड़े से हल्के-हल्के सुखा लें।
  • जब तक सर्जरी के घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं, तब तक बाथटब या पूल में न नहाएं और न ही लंबे समय तक घाव को गीला रहने दें।
  • खांसते व छींकते समय सर्जरी वाले घाव के ऊपर तकिये से दबाव बनाए रखें, ताकि टांके न हिल पाएं।
  • रोजाना थोड़ा-बहुत चलें और रोज थोड़ी-थोड़ी गति व दूरी को बढ़ाते रहें।
  • जब तक सर्जन अनुमति न दें, कोई भारी वस्तु न उठाएं और न ही कोई अधिक मेहनत वाली शारीरिक गतिविधि करें।
  • शरीर में पानी की कमी होने से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें
  • डॉक्टर की अनुमति के बिना ड्राइविंग या किसी मशीन को ऑपरेट करना शुरू न करें। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं से आपको कुछ समय तक उनींदापन महसूस हो सकता है।

आजकल यह सर्जरी बहुत ही दुर्लभ मामलों में की जाती है, क्योंकि इससे कई जोखिम जुड़े हैं। हालांकि, अन्य सर्जरी प्रोसीजर की तरह यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी में पेशाब निकालने के लिए नया छिद्र बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और न ही कोई स्थायी थैली या ट्यूब आदि लगाने की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी से जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार होता है।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी के बाद यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या होती है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें -

(और पढ़ें - उल्टी को रोकने के घरेलू उपाय)

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यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -

  • संक्रमण
  • रक्तस्राव
  • रक्त के थक्के जमना
  • किडनी के अंदर पेशाब जमा होना
  • कॉलन कैंसर का खतरा बढ़ना
  • पेशाब आंत में रिसना
  • किडनी या मूत्रवाहिनी में पथरी बनना
  • मूत्रप्रणाली के अंग क्षतिग्रस्त होना
  • रक्त में मिनरल का स्तर असामान्य होना

इसके अलावा सर्जरी के दौरान इस्तेमाल की गई एनेस्थीसिया से भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे उलझन महूसस होना, फेफड़ों में संक्रमण या हार्ट अटैक आदि।

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)

संदर्भ

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  2. Nemours Children’s Health System [Internet]. Jacksonville (FL): The Nemours Foundation; c2017; Your Urinary System
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  5. Przydacz M, Corcos J. Revisiting ureterosigmoidostomy, a useful technique of urinary diversion in functional urology. Urology. 2018 May 1;115;14–20. PMID: 29355572.
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  9. Cohen NH. Perioperative management. In: Miller RD, ed. Miller's Anesthesia. 8th ed. Philadelphia, PA: Elsevier Saunders; 2015:chap 3
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