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न्यूमोनेक्टॉमी एक प्रकार की लंग सर्जरी है, जिसकी मदद से फेफड़ों के रोगग्रस्त हिस्से को निकाला जाता है। सर्जरी से पहले सर्जन यह सुनिश्चित कर करते हैं कि दूसरा फेफड़ा (जो रोगग्रस्त नहीं है) काम करने के लिए पूरी तरह से स्वस्थ है या नहीं। यदि बचा हुआ फेफड़ा ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइऑक्साइड को सफलतापूर्वक निकालने में सक्षम है, तो न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी करने पर विचार किया जा सकता है।

सर्जरी से पहले आपको जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिसका असर होने के बाद आपको सर्जरी के दौरान किसी प्रकार का दर्द या तकलीफ महसूस नहीं होती है। इस सर्जरी के बाद मरीज को लगभग सात से नौ दिनों तक अस्पताल में ही भर्ती रहना पड़ता है और आपको पूरी तरह से स्वस्थ होने में कई हफ्तों से महीनें लग सकते हैं।

(और पढ़ें - फेफड़ों के कैंसर का ऑपरेशन)

  1. न्यूमोनेक्टॉमी क्या है - What is Pneumonectomy in Hindi
  2. न्यूमोनेक्टॉमी क्यों की जाती है - Why is Pneumonectomy recommended in Hindi
  3. न्यूमोनेक्टॉमी से पहले - Before Pneumonectomy in Hindi
  4. न्यूमोनेक्टॉमी कैसे की जाती है - How is Pneumonectomy done?
  5. न्यूमोनेक्टॉमी के बाद देखभाल - After Pneumonectomy in Hindi
  6. न्यूमोनेक्टॉमी की जटिलताएं - Complications of Pneumonectomy in Hindi
न्यूमोनेक्टॉमी के डॉक्टर

न्यूमोनेक्टॉमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से पूरे फेफड़े को ही शरीर से निकाला जा सकता है। इस सर्जरी को आमतौर पर कैंसर या किसी ऐसी स्वास्थ्य समस्या के कारण किया जाता है, जिससे एक फेफड़ा पूरी तरह के क्षतिग्रस्त हो जाता है और काम करना बंद कर देता है।

मुंह या नाक द्वारा ली गई हवा श्वासनली में जाती है, जो आगे जाकर इसे दो अलग-अलग नलियों में बांट देती हैं। इन नलियों की मदद से हवा फेफड़ों तक पहुंच पाती हैं। फेफड़े इस हवा से ऑक्सीजन निकाल लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को वापस सांस द्वारा शरीर से बाहर छोड़ दिया जाता है।

जब इनमें से कोई भी फेफड़ा चोट, कैंसर या किसी अन्य रोग के कारण पूरी तरह से खराब हो जाता है, तो उसे शरीर से बाहर निकालने के लिए न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी करनी पड़ती है। अधिकतर लोग एक फेफड़े के साथ ही जीवित रह लेते हैं, क्योंकि एक स्वस्थ फेफड़ा हवा से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन निकाल लेता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकाल देता है।

(और पढ़ें - फेफड़ों के रोग के लक्षण)

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यह सर्जरी आमतौर पर लंग कैंसर से ग्रस्त लोगों के लिए की जाती है, जिनका इलाज विशेष रूप से छोटी सर्जरी से नहीं किया जा सकता है। लंग कैंसर के मुख्य लक्षणों में सांस फूलना जो लंबे समय तक रहता है, खांसी के साथ खून आना, भूख न लगना, खांसते व सांस लेते समय दर्द महसूस होना। इसके अलावा कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं जिनके लक्षण महसूस होने पर सर्जन न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी करने पर विचार कर सकते हैं। इनमें निम्न रोग व उनसे होने वाले लक्षण शामिल हैं -

पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस -

  • रात के समय पसीने आना
  • भूख न लगना
  • अत्यधिक थकान होना
  • शरीर का तापमान अधिक बढ़ जाना (तेज बुखार)

ब्रोंकिइक्टेसिस -

  • खांसी के दौरान हल्के पीले या हरे रंग का बलगम निकलना
  • थकान
  • सीने में दर्द के साथ-साथ सांस लेने में दिक्कत होना
  • ठंड लगना और तेज बुखार होना
  • श्वसन मार्गों में रुकावट और फेफड़े क्षतिग्रस्त होना -
  • त्वचा का रंग हल्का नीला पड़ जाना
  • सांस लेने में दिक्कत होना
  • तेजी से गहरी सांस लेना

चोट लगना -

  • सांस फूलना
  • हृदय की धड़कनें तेज होना
  • सीने मे दर्द
  • खांसी

न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ स्थितियां हैं, जिनके कारण सर्जन व डॉक्टर आपको न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी न करवाने की सलाह दे सकते हैं इनमें निम्न शामिल हैं -

  • लंग फंक्शन टेस्ट और हार्ट टेस्ट में आए रिजल्ट के अनुसार आप सर्जरी के लिए पूरी तरह से फिट न मिलना
  • इमेजिंग टेस्ट कराने पर पता चलना कि फेफड़ों में हुआ ट्यूमर पसलियों या पेट तक फैल चुका है
  • इसके अलावा यदि आपको हृदय संबंधी कोई समस्या या हाई बीपी रहता है जो फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है। ऐसी स्थितियों में भी सर्जरी करने से मना किया जा सकता है या फिर विशेष ध्यान रखते हुए यह प्रोसीजर की जाती है।

(और पढ़ें - फेफड़ों में पानी के लक्षण)

सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है और साथ ही आपके द्वारा हाल ही में ली जाने वाली दवाओं के बारे में जानकारी ली जाती है। इसके बाद आपके फेफड़ों का टेस्ट किया जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आपका स्वस्थ फेफड़ा अच्छी तरह से काम कर पा रहा है या नहीं। साथ ही आपके कुछ हार्ट टेस्ट भी किए जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका हृदय सर्जरी के प्रभाव को सहन कर सकता है या नहीं। न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी से पहले आमतौर पर निम्न टेस्ट व इमेजिंग स्कैन किए जा सकते हैं -

  • शारीरिक फिटनेस का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट
  • सीने के अंदरूनी अंगों की स्थिति का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्स रे
  • हार्ट व मांसपेशियों की कार्यक्षमता का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
  • फेफड़ो की कार्य क्षमता की जांच करने के लिए लंग फंक्शन टेस्ट
  • आप सांस के दौरान कितनी हवा खींच पाते हैं और साथ ही आपके सांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया पर स्टडी करने के लिए स्पिरोमेट्री
  • फेफड़ों में रक्त के बहाव की मात्रा का पता लगाने के लिए और सांस लेने की क्षमता की जांच करने के लिए लंग परफ्यूजन टेस्ट
  • फेफड़ों में किसी भी प्रकार के द्रव का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड
  • लंग कैंसर या आसपास के हिस्सों में कैंसर का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई
  • शरीर के किसी भी हिस्से में सक्रिया कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी स्कैन (PET Scan)

सर्जरी से पहले आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होगा -

  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद या कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्टर को पहले ही इस बारे में बता दें। क्योंकि रक्त पतला करने वाली व अन्य कुछ दवाएं हैं, जिन्हें डॉक्टर ऑपरेशन से कुछ दिन पहले ही बंद कर देते हैं या फिर उनकी खुराक में कुछ बदलाव कर देते हैं।
  • यदि आपको किसी प्रकार की कोई बीमारी, एलर्जी या अन्य स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर को पहले ही बता दें।
  • सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको विशेष व्यायाम करने की सलाह दी जा सकती है, जिनका निश्चित रूप से पालन करें।
  • ब्रीथिंग एक्सरसाइज करने के लिए आपको स्पाइरोमीटर दिया जा सकता है, जिसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।
  • सर्जरी के दौरान आपका खाली पेट होना जरूरी है, इसलिए ऑपरेशन शुरू होने से कम से कम 8 घंटे पहले आपको कुछ भी खाने या पीने को नहीं दिया जाता है।

(और पढ़ें - गहरी सांस लेने के फायदे)

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न्यूमोनेक्टॉमी को आमतौर पर दो सर्जरी प्रोसीजरों की मदद से किया जा सकता है, इन्हें ट्रेडिशनल न्यूमोनेक्टॉमी और एक्सट्रापल्यूरल के नाम से जाना जाता है। ट्रेडिशनल न्यूमोनेक्टॉमी को आमतौर पर निम्न स्टेप्स के रूप में किया जाता है -

  • आपको टेबल पर एक करवट के बल लेटने को कहा जाएगा और जिस तरफ सर्जरी करनी है उस बांह को सिर के ऊपर किया जाता है।
  • बांह या हाथ की नस में सुई लगाई जाती हैं, जिसकी मदद से आपको सर्जरी के दौरान आवश्यक द्रव व दवाएं दी जाती हैं।
  • इसके बाद आपको एनेस्थीसिया दवा इंजेक्शन या इंट्रावेनस की मदद से दी जाती है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको कुछ महसूस नहीं होता है।
  • जब एनेस्थीसिया का असर शुरू हो जाता है, तो रोगग्रस्त फेफड़े के ऊपर की दो पसलियों के बीच चीरा लगाया जाता है।
  • चीरा लगने के बाद इन पसलियों के एक दूसरे से हटा दिया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर पसली का कोई छोटा टुकड़ा निकाला भी जा सकता है।
  • उपकरणों की मदद से ब्रोंकाई को बंद कर दिया जाता है, ताकि रोगग्रस्त फेफड़े में रक्त की सप्लाई बंद हो जाए।
  • अंत में विशेष उपकरणों व तकनीकों की मदद से फेफड़े को निकाल दिया जाता है।
  • लंग निकालने के बाद पसलियों की फिर से उनके स्थान पर लाया जाता है और फिर त्वचा को बंद करके टांके लगा दिए जाते हैं।

सर्जरी के चीरे को बंद करते समय उसमें एक विशेष ट्यूब भी लगाई जाती है, जिसकी मदद से सर्जरी वाले घाव में बनने वाला द्रव बाहर निकलता रहता है। घाव ठीक होने के बाद इस ट्यूब को निकाल दिया जाता है।

न्यूमोनेक्टॉमी को मिनीमली इनवेसिव सर्जरी तकनीक से भी किया जा सकता है, जिसे वीडियो एसिस्टेड थोराकोस्कोपिक सर्जरी कहा जाता है। इस प्रोसीजर में सर्जन एक बड़ा चीरा लगाने की बजाय कई छोटे-छोटे कट लगाते हैं। इन सभी चीरों में अलग-अलग उपकरण डाले जाते हैं जैसे कैमरा, लाइट व सर्जरी के अन्य उपकरण डाले जाते हैं। इन उपकरणों की मदद से ही रोगग्रस्त अंग को बाहर निकाला जाता है।

न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी के बाद आपको पूरी तरह से स्वस्थ होने के लिए कई हफ्तों से महीनों का समय लग सकता है। आपको कम से कम एक से दो महीनों तक पूरी तरह से बेडरेस्ट करने की सलाह दी जाती है। रिकवरी के समय आपको निम्न देखभाल करने की सलाह दी जाती है -

  • दर्द की रोकथाम -
    सर्जरी के बाद होने वाले दर्द की रोकथाम करने के लिए आपको कुछ दर्दनिवारक दवाएं दी जा सकती हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेते रहना चाहिए। दर्दनिवारक दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में कब्ज की शिकायत हो सकती है, जिसके लिए डॉक्टर अलग से लेक्सेटिव दवाएं दे सकते हैं।
     
  • धूम्रपान -
    यदि आप सिगरेट आदि पीते हैं, तो सर्जरी के बाद आपको इसे पूरी तरह से छोड़ने की सलाह दी जा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि धूम्रपान करना आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
     
  • आहार में बदलाव -
    सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको खाने-पीने संबंधी कुछ विशेष सलाह देते हैं, जिनका ध्यानपूर्वक पालन करना जरूरी है। आपको आमतौर पर अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, ताकि सर्जरी के घावों को जल्द से जल्द ठीक होने में मदद मिले।
     
  • घाव की देखभाल -
    नहाते समय घाव को ढक लें और गीला होने पर तुरंत साफ कपड़े के साथ हल्के-हल्के साफ कर लें। इसके अलावा आपको डॉक्टर से पूछे बगैर किसी भी प्रकार की दवा, क्रीम या पाउडर का इस्तेमाल करने से मना किया जाता है।
     
  • शारीरिक गतिविधि व आराम -
    सर्जरी के बाद आपको कुछ समय तक व्यायाम या किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि न करने को कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्जरी के बाद लंबे समय तक आपको शारीरिक व्यायाम करने को कहा जाता है, ताकि सर्जरी के घावों को ठीक होने के लिए पर्याप्त समय मिल पाए।

इसके अलावा यदि आपको किसी भी प्रकार का कोई प्रशन या संदेह हो तो अस्पताल से छुट्टी लेते समय इस बारे में पूछ लेना चाहिए। यह सर्जरी विशेष रूप से कैंसर को फैलने से रोकने के लिए है, ताकि आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके। 

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी समस्या हो रही है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए -

  • तेज बुखार
  • खांसी
  • सीने में दर्द
  • सांस लेने में दिक्कत
  • सांस पूलना
  • घाव में सूजन या लालिमा बढ़ जाना
  • घाव से रक्त या अन्य द्रव निकलना

(और पढ़ें - सूजन कम करने के घरेलू उपाय)

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वैसे तो न्यूमोनेक्टॉमी सर्जरी काफी जोखिम भरी है, लेकिन फिर अधिक लोगों को इससे सकारात्मक परिणाम ही मिलते हैं। इस सर्जरी से संबंधी जटिलताओं में निम्न शामिल हो सकती हैं -

  • फेफड़ों में रक्त का थक्का बनना
  • शॉक
  • घाव में संक्रमण होना
  • फेफड़ों में रक्त जमा होना
  • सीने में पस जमा होना
  • सांस फूलना
  • श्वसन प्रणाली काम करना बंद कर देना
  • घाव से अत्यधिक रक्तस्राव होना
  • निमोनिया
  • हृदय की धड़कनें असामान्य हो जाना
  • हृदय में रक्त का बहाव कम हो जाना

इसके अलावा आपको सर्जरी के दौरान दी गई जनरल एनेस्थीसिया से भी कुछ जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे उलझन, दवा से एलर्जी और हार्ट अटैक आदि।

(और पढ़ें - कम उम्र में हार्ट अटैक के कारण)

Dr Viresh Mariholannanavar

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संदर्भ

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