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नस्स प्रोसीजर एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसे पेक्टस एक्सकैवेटम (Pectus Excavatum) का इलाज करने के लिए किया जाता है। पेक्टस एक्सकैवेटम ऐसी स्थिति है, जिसमें सीने की हड्डी अंदर की तरफ घुस जाती है और छाती में गड्ढे जैसा प्रतीत होता है। यह स्थिति फेफड़ों व हृदय को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में दिक्कतथकान जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। इस सर्जरी प्रोसीजर में धातु की मुड़ी हुई छड़ों को छाती की हड्डी के नीचे रखा जाता है। ये छड़ें कुछ साल तक हड्डी के नीचे रखी जाती हैं, ताकि छाती की हड्डी अपनी सामान्य आकृति में आ जाए। जब छाती अपनी सामान्य आकृति में आ जाती है, तो इन धातु छड़ों को निकाल दिया जाता है।

नस्स प्रोसीजर छाती को सामान्य आकृति में लाने में मदद करती है, लेकिन सभी मामलों में इससे लक्षणों से राहत नहीं मिल पाती है। सर्जरी के बाद आपको पांच से सात दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। साथ ही सर्जरी के बाद जल्दी स्वस्थ होने के लिए आपको सांस लेने की तकनीक और कुछ कंधे की एक्सरसाइज सिखाई जाती हैं।

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  1. नस्स प्रोसीजर क्या है - What is Nuss procedure in Hindi
  2. नस्स प्रोसीजर किसलिए की जाती है - Why is Nuss procedure done in Hindi
  3. नस्स प्रोसीजर से पहले - Before Nuss procedure in Hindi
  4. नस्स प्रोसीजर के दौरान - During Nuss procedure in Hindi
  5. नस्स प्रोसीजर के बाद - After Nuss procedure in Hindi
  6. नस्स प्रोसीजर की जटिलताएं - Complications of Nuss procedure in Hindi

नस्स प्रोसीजर किसे कहते हैं?

नस्स प्रोसीजर एक मिनीमली इवसेविस सर्जरी है, जिसे पेक्टस एक्सकैवेटम नामक समस्या का इलाज करने के लिए किया जाता है। इसे “मिनीमली इनवेसिव रिपेयर ऑफ पेक्टस एक्सकैवेटम” (MIRPE) के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस प्रोसीजर में सिर्फ तीन से पांच छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं।

पेक्टस एक्सकैवेटम एक ऐसी स्थिति है, छाती की हड्डी अंदर की तरफ धंस जाती है और परिणामस्वरूप छाती के बीच वाले हिस्से में गड्ढा प्रतीत होता है। इसके सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, यह परिवार में एक से अधिक सदस्यों को हो सकती है, इसलिए इसे आनुवंशिक कारकों से संबंधित माना गया है। यह 1000 में से 1 बच्चे में पाई जाती है और लड़कियों से ज्यादा लड़कों में इसे देखा गया है। पेक्टस एक्सकैवेटम शिशु के पैदा होते ही दिख जाता है, लेकिन उस समय यह बच्चे के अंदरूनी अंगों (हृदय व फेफड़े) को प्रभावित नहीं करता है। हालांकि, जब बच्चा बड़ा हो जाता है, तो इससे जटिलताएं भी पैदा होने लगती हैं, जैसे सांस लेने में दिक्कत, थकान व ऊर्जा की कमी आदि।

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नस प्रोसीजर में सर्जन छाती की हड्डी के नीचे मुड़ी हुई छड़ें लगाते हैं, जिससे धीरे-धीरे छाती की मुड़ी हुई हड्डी सीधी हो जाती है। जब धीरे-धीरे छाती की हड्डी सीधी हो जाती है, तो इन छड़ों को निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी को किसी भी उम्र में किया जा सकता है। यदि सर्जरी छोटे बच्चों या किशोरों के लिए की गई है, तो इन छड़ों को लगभग 10 साल बाद निकाला जाता है। यदि सर्जरी किसी वयस्क व्यक्ति की छाती में की गई है, तो इन धातु की छड़ों को 3 से 5 साल बाद निकाल दिया जाता है।

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नस्स प्रोसीजर क्यों की जाती है?

नस्स प्रोसीजर को मुख्य रूप से पेक्टस एक्सकैवेटम का इलाज करने के लिए किया जाता है। पेक्टस एक्सकैवेटम से होने वाले आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं -

  • छाती अंदर की तरफ धंसना
  • सांस लेने में दिक्कत
  • सीने में दर्द
  • खांसी
  • घरघराहट
  • बार-बार श्वसन संबंधी संक्रमण होना
  • दिल की धड़कन असामान्य होना
  • कुछ एक्सरसाइज न कर पाना (ठीक से सांस न ले पाने के कारण)

नस्स प्रोसीजर किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या है, तो सर्जन नस्स प्रोसीजर न करवाने की सलाह दे सकते हैं -

  • हृदय रोग (जो पेक्टस एक्सकैवेटम से संबंधित न हो)
  • न्यूरोलॉजिकल या मानसिक रोग
  • जन्मजात असामान्यताएं
  • पहले कभी छाती की सर्जरी हुई होना

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नस्स प्रोसीजर से पहले की तैयारी?

आपको सर्जरी से एक या दो दिन पहले अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान आपका करीब से शारीरिक परीक्षण किया जाता है और आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली सभी जानकारियों के बारे में पूछा जाता है। इस दौरान कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं -

इसके अलावा आपको सर्जरी से पहले कुछ विशेष देखभाल करने का सुझाव दिया जाता है, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • यदि आप सिगरेट या शराब पीते हैं, तो आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले या बाद तक इनका सेवन न करने की सलाह दी जाती है। धूम्रपान करने से सर्जरी के बाद फेफड़ों में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • यदि आपने किसी भी प्रकार के आभूषण, गैजेट या अन्य कोई मेकअप लगाया है, तो सर्जरी के लिए अस्पताल जाने से पहले उन्हें उतार दें। यदि आपने नकली दांत लगाए हुए हैं, तो उन्हें भी अस्पताल जाते समय घर पर ही निकाल कर रख दें।
  • आपको ऑपरेशन के लिए खाली पेट अस्पताल आने की सलाह दी जाती है। इसके लिए आपको सर्जरी वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है। हालांकि, आपको सर्जरी से दो घंटे पहले थोड़ा बहुत पानी पीने की अनुमति दी जा सकती है।
  • आपको अपने किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को अपने साथ अस्पताल में लाने की सलाह दी जाती है, ताकि सर्जरी से पहले व बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके।

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नस्स प्रोसीजर कैसे की जाती है?

जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो सर्जरी शुरू करने के लिए निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -

  • आपको एक विशेष ड्रेस पहनने के लिए दी जाती है, जिसे “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है।
  • जिस हिस्से की सर्जरी की जानी है, उसे एंटीसेप्टिक व एंटीबैक्टीरियल सॉल्यूशन से साफ किया जाता है।
  • आपको विशेष स्टॉकिन्ग दी जाती हैं, जो आपकी टांगों में रक्त के थक्के बनने से रोकती है
  • सर्जरी से पहले आपको कुछ दवाएं दी जा सकती हैं, उनमें दर्द निवारक व संक्रमण की रोकथाम करने वाली दवाएं होती हैं। इनमें से कुछ दवाओं से आपको नींद आने जैसा महसूस हो सकता है, उन्हें लेने के बाद बेड पर ही रहना चाहिए। (और पढ़ें - पेन किलर खाने के नुकसान)

आपको ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाएगा, जहां पर सर्जरी की प्रोसीजर शुरू की जाती है -

  • आपके शरीर से हार्ट व पल्स मॉनिटर जोड़े जाते हैं, जिनसे हृदय की गतिविधियों को निरंतर नजरों के सामने रखा जाता है।
  • आपकी बांह या हाथ की नस में सुई लगाकर उसे इंट्रावेनस ड्रिप से जोड़ दिया जाता है, जिसकी मदद से आपको सर्जरी के दौरान आवश्यक दवाएं व द्रव दिए जाते हैं।
  • इसके बाद आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे आप गहरी नींद में सो जाते हैं और सर्जरी के दौरान आपको कुछ महसूस नहीं होता है।
  • आपके गले में ब्रीथिंग ट्यूब लगा दी जाती है, जो सर्जरी के दौरान आपको सांस लेने में मदद करती है।
  • विशेष सर्जिकल उपकरणों की मदद से छाती के एक तरफ छोटा सा चीरा लगाया जाता है।
  • कैमरा व अन्य उपकरणों की मदद से इस चीरे में एक या अधिक मुड़ी हुई छड़ें डाली जाती हैं।
  • इन छड़ों को मुड़ी हुई छाती की हड्डी के नीचे इस प्रकार एडजस्ट कर दिया जाता है, ताकि ये छाती की मुड़ी हुई हड्डी को बाहर की तरफ धकेल कर रखें।
  • इसके बाद मेटल प्लेट, तार व टांके आदि लगाकर इन छड़ों को एक जगह पर स्थिर कर दिया जाता है, ताकि ये हिलें नहीं।
  • छड़ें स्थिर होने के बाद चीरे को बंद करके टांके लगा दिए जाते हैं।

ऑपरेशन होने के बाद आपको रिकवरी रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। आपको सर्जरी के बाद पांच से सात दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान निम्न प्रक्रियाएं हो सकती हैं -

  • अस्पताल में रहने के दौरान लगातार आपके शारीरिक संकेतों पर नजर रखी जाएगी, जैसे बीपी, हार्ट रेट और पल्स रेट आदि। (और पढ़ें - नार्मल पल्स रेट कितनी होती है)
  • पेशाब निकालने के लिए आपके ब्लैडर में एक ट्यूब लगाई जा सकती है, जिसे कैथेटर कहा जाता है
  • छाती में भी एक ड्रेनेज ट्यूब लगाई जा सकती है, जिससे सर्जरी वाले घाव में बनने वाला द्रव साथ ही साथ निकलता रहता है।
  • इंट्रावेनस ड्रिप को आपकी बांह से जोड़ कर रखा जाता है, जिसकी मदद से लगातार आपको आवश्यक द्रव व दवाएं दी जाती हैं।
  • यदि डॉक्टर को लगता है कि आपका स्वास्थ्य स्थिर है, तो वे आपको अपने किसी करीबी की मदद से अस्पताल में ही थोड़ा बहुत चलने-फिरने और कुछ देर कुर्सी पर बैठने की सलाह दे सकते हैं।
  • आपको कुछ सांस लेने की तकनीक व कंधे की एक्सरसाइज सिखाई जाती हैं, जिनकी मदद से आपकी सर्जरी के घावों के ठीक होने की गति बढ़ जाती है। सांस लेने की तकनीक से सांस संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं और फेफड़ों में संक्रमण होने का खतरा भी कम हो जाता है।

जब आपको अस्पताल से छुट्टी दी जा रही होती है, तो आपके शरीर से सभी नलियों जैसे ब्रीथिंग ट्यूब, कैथेटर या ड्रेनेज ट्यूब आदि को निकाल दिया जाता है।

(और पढ़ें - घाव भरने के घरेलू तरीके)

नस्स प्रोसीजर के बाद क्या देखभाल की जानी चाहिए?

सर्जरी के बाद जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल रही होती है, तो डॉक्टर आपको घर पर कुछ विशेष देखभाल रखने की सलाह देते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी दवाओं को समय पर लेते रहें और किसी भी दवा को निर्धारित मात्रा से कम या ज्यादा खुराक में न लें
  • सर्जरी के बाद पहले एक महीने तक कोई भी ऐसी शारीरिक गतिविधि न करें, जिसमें छाती पर दबाव पड़ता हो जैसे -
    • रीढ़ की हड्डी को मोड़ना
    • धड़ को मोड़ना (या घूमाना)
    • करवट पर लेटना
    • असमतल सतह पर लेटना
  • आपको सर्जरी के बाद पहले दो महीनों तक भारी वस्तुएं न उठाने को कहा जाता है
  • जब तक डॉक्टर अनुमति न दें तब तक कोई ऐसी शारीरिक गतिविधि न करें, जिनसे शरीर पर जोर पड़ता हो जैसे खेल-कूद, जिम करना और स्विमिंग आदि।
  • सर्जरी के बाद पहले तीन महीने तक आपको कार या अन्य किसी वाहन में यात्रा न करने की सलाह दी जाती है। ड्राइविंग शुरू करने से पहले भी डॉक्टर से अनुमति अवश्य लें।
  • यदि किसी बच्चे की नस्स प्रोसीजर हुई है, तो सर्जरी के बाद कम से कम तीन महीने तक उसे स्कूल नहीं भेजना चाहिए और न ही उसे किसी अधिक मेहनत वाली शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने देना चाहिए।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि नस्स प्रोसीजर के बाद आपको निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए -

  • सर्जरी के बाद तेज बुखार होना
  • सर्जरी वाले स्थान पर लालिमा होना
  • सर्जरी के घाव से द्रव का रिसाव या रक्तस्राव होना
  • सीने में दर्द रहना, जो लगातार बढ़ रहा हो या दी गई दवाओं से कम न हो रहा हो

(और पढे़ं - सीने में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)

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नस्स प्रोसीजर से क्या जोखिम हो सकते हैं?

वैसे तो नस्स प्रोसीजर को एक सुरक्षित सर्जरी प्रोसीजर की श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि, एक सर्जरी प्रोसीजर होने के नाते इससे भी कुछ सामान्य जोखिम व जटिलताएं विकसित हो सकती हैं -

  • सर्जरी वाले हिस्से के आसपास संक्रमण होना
  • अत्यधिक रक्तस्राव होना
  • हृदय में क्षति होना
  • त्वचा में लाल व खुजलीदार निशान बन जाना
  • एक या दोनों फेफड़ों में द्रव जमा होना
  • एक या दोनों फेफड़ों से हवा का रिसाव होना
  • सीने में धातु की छड़ें होने के कारण दिक्कत होना
  • लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता पड़ना

(और पढ़ें - फेफड़ों में पानी भरने का इलाज)

संदर्भ

  1. Royal Brompton and Harefield: NHS Foundation Trust [Internet]. National Health Service. UK; Pectus anomaly treatments
  2. Great Ormond Street Hospital for Children [Internet]. NHS Foundation Trust. National Health Service. UK; Pectus correction surgery
  3. Oxford University Hospitals [internet]: NHS Foundation Trust. National Health Service. U.K.; Pectus correction surgery
  4. Nemours Children’s Health System [Internet]. Jacksonville (FL): The Nemours Foundation; c2017; Chest Wall Disorder: Pectus Excavatum
  5. Lo PC, Tzeng IS, Hsieh MS, Yang MC, Wei BC, Cheng YL. The Nuss procedure for pectus excavatum: An effective and safe approach using bilateral thoracoscopy and a selective approach to use multiple bars in 296 adolescent and adult patients. PLoS One. 2020;15(5):e0233547
  6. Stanford Healthcare [Internet]. University of Stanford. California. US; General Surgery Preparation
  7. National Health Service [Internet]. UK; Having an operation (surgery)
  8. UCSF Department of Surgery [Internet]. University of California San Francisco. California. US; Nuss Procedure
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