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लार्ज हाइटल हर्निया या गैस्ट्रिक वॉल्‍वुलस (इसमें पेट के सभी हिस्‍से अपनी जगह से असामान्‍य रूप से 180 डिग्री से भी ज्‍यादा घूम जाते हैं) के इलाज के लिए पेट की सर्जरी है, जिसे गैस्ट्रोपेक्सी कहते हैं।

इस सर्जरी में टांकों की मदद से पेट को उदर की दीवारों से जोड़ा जाता है। इस दौरान मरीज को जनरल एनेस्‍थीसिया (सर्जरी के समय नींद आने के लिए) दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में 60 से 90 मिनट का समय लग सकता है और एक दिन के अंदर ही मरीज को अस्‍पताल से छुट्टी मिल जाती है।

यह सर्जरी करवाने वाले ज्‍यादातर मरीजों के लक्षणों में कमी आती है। सर्जरी के एक से दो हफ्ते के बाद एक बार चेकअप करवाने जाना पड़ता है।

  1. गैस्ट्रोपेक्सी क्या है - What is Gastropexy in Hindi
  2. गैस्ट्रोपेक्सी क्यों की जाती है - Why Gastropexy is done in Hindi
  3. गैस्ट्रोपेक्सी कब नहीं करवानी चाहिए - When Gastropexy is not done in Hindi
  4. गैस्ट्रोपेक्सी से पहले की तैयारी - Preparations before Gastropexy in Hindi
  5. गैस्ट्रोपेक्सी कैसे की जाती है - How Gastropexy is done in Hindi
  6. गैस्ट्रोपेक्सी के बाद देखभाल - Gastropexy after care in Hindi
  7. गैस्ट्रोपेक्सी की जटिलताएं - Gastropexy Complications in Hindi
गैस्ट्रोपेक्सी के डॉक्टर

पेट और फेफड़ों को डायफ्राम नाम की एक पतली सी मस्‍कुलर दीवार अलग करती है। हाइटस से भोजन नली होकर गुजरती है। यह डायफ्राम के अंदर एक छोटी-सी ओपनिंग होती है जो पेट में जाती है।

सामान्‍य लोगों को पेट का पूरा हिस्‍सा डायफ्राम के नीचे होता है। हालांकि, अगर हाइटस के अंदर के और आसपास के ऊतक कमजोर हो जाएं, तो डायफ्राम के अंदर ही हाइटल ओपनिंग के जरिए पेट छाती की ओर गिरने लगता है। इसके कारण हाइटल हर्निया की स्थिति पैदा होती है। इस स्थिति की वजह से पेट में मौजूद पाचक रस वासि भोजन नली में चले जाते हैं और गैस्‍ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्‍स डिजीज जैसे लक्षण पैदा करते हैं।

लार्ज हाइटल हर्निया में पेट को वापिस अपनी जगह पर लाने के लिए गैस्‍ट्रोपेक्‍सी की सलाह दी जाती है। इसके बाद पेट को अपनी जगह पर रखने के लिए इसे उदर की दीवारों से टांकों के जरिए जोड़ दिया जाता है। गैस्ट्रिक वॉल्‍वुलस में भी यह सर्जरी की जाती है। इसमें पेट का पूरा हिस्‍सा 180 डिग्री से भी ज्‍यादा घूम जाता है जिससे मल त्‍याग में रुकावट आती है।

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निम्‍न स्थितियों में डॉक्‍टर गैस्‍ट्रोपेक्‍सी की सलाह देते हैं :

  • लार्ज हाइटल हर्निया : इसमें नीचे बताए गए लक्षण दिख सकते हैं :
  • गैस्ट्रिक वॉल्‍वुलस : इसमें नीचे बताए गए लक्षण दिख सकते हैं :
    • पेट दर्द
    • उल्‍टी
    • उल्‍टी करने का मन करना लेकिन उल्‍टी न आना

मरीज को जनरल एनेस्‍थीसिया देने के बाद सर्जरी की जाती है इसलिए ऑपरेशन से पहले निम्‍न जांच की जाती हैं :

  • हार्ट, किडनी और फेफड़ों की जांच
  • मरीज को कोई अन्‍य बीमारी हो
  • सिगरेट पीता है
  • प्रेग्‍नेंसी तो नहीं है
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सर्जरी से पहले मरीज को एक बार अस्‍पताल जाना होता है। इस दौरान डॉक्‍टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और कुछ टेस्‍ट करवाते हैं, जैसे कि :

  • ब्‍लड टेस्‍ट
  • प्रेग्‍नेंसी टेस्‍ट
  • यूरिन टेस्‍ट
  • बेरियम स्‍वैलो टेस्‍ट (पेट और भोजन नली में दिक्‍कत देखने के लिए किया जाने वाला एक्‍स-रे)
  • एंडोस्‍कोपी (एंडोस्‍कोप की मदद से जठरांत्र मार्ग के ऊपरी हिस्‍से को देखा जाता है
  • गैस्‍ट्रिक एंप्‍टिंग स्‍टडीज (पेट से खाने के मार्ग की जांच के लिए)

इसके अलावा सर्जरी के लिए मरीज को कुछ निर्देश भी दिए जाते हैं, जैसे कि :

  • विटामिन, सप्‍लीमेंट या कोई ओवर द काउंटर दवा (डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवाइयां) ले रहे हैं।
  • एस्प्रिन, वारफारिन या आइबूप्रोफेन जैसी खून पतला करने वाली दवाओं का सर्जरी से एक हफ्ते पहले सेवन बंद करना।
  • अगर आप प्रेगनेंट हैं, कोई एलर्जी या बीमारी है तो डॉक्‍टर को जरूर बताएं।
  • सिगरेट पीने की आदत है तो डॉक्‍टर इसे बंद कर सकते हैं।
  • सर्जरी वाले दिन नहाना, कान और नाक की ज्‍वेलरी, नेल पॉलिश और मेकअप वगैरह निकाल दिया जाता है।
  • अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज के बाद घर ले जाने के लिए कोई परिवार का सदस्‍य या दोस्‍त।
  • सर्जरी के दिन या इससे पहले जुकाम, फ्लू या बुखार है, तो बताएं।
  • सर्जरी से एक रात पहले से मरीज को कुछ भी न खाने और पीने की सलाह दी जाती है। इससे सर्जरी के दौरान पेट खाली होता है और उल्‍टी नहीं होती जो कि एनेस्‍थीसिया का एक साइड इफेक्‍ट है।
  • डॉक्‍टर आपको सर्जरी की प्रक्रिया और इसके जोखिमों के बारे में बताएं। आपके हां करने के बाद ही सर्जरी शुरू होती है।

सर्जरी वाले दिन अस्‍पताल पहुंचने के बाद मरीज को हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाती है। हाथ की नस में ड्रिप चढ़ाई जाती है जिससे मरीज को ऑपरेशन के दौरान जरूरी फ्लूइड्स और दवाएं दी जाती हैं। जिन मरीजों की पहली बार गैस्‍ट्रोपेक्‍सी हो रही है, उनकी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी रइस तरह की जाती है :

  • इसमें मरीज को मेडिकल टेबल या बैड पर सीधा लिटाया जाता है। चेहरे या टांगों को ऊपर उठाकर रखा जा सकता है।
  • एनेस्‍थीसिस्‍ट मरीज को फिर नींद में जाने के लिए एनेस्‍थीसिया देते हैं।
  • इसके बाद नाक या मुंह के श्‍वसन मार्ग में एक ट्यूब डाली जाती है जिससे मरीज सर्जरी के दौरान सांस लेता है।
  • अब सर्जन पेट के ऊपर एक छोटा-सा कट यानि चीरा लगाते हैं।
  • इसके बाद पेट में गैस भर दी जाती है जिससे पेट फूल जाता है। अब कट के अंदर से प्‍लास्टिक या मेटल की ट्यूबें डाली जाती हैं जो कुछ पोर्ट बनाते हैं। इन पोर्ट से पेटट पर टांके लगाए जा सकते हैं।
  • अब सर्जन आराम से पेट को उदर में दबाते हैं।
  • वो एक एक पोर्ट से दूसरे पोर्ट को जोड़ने के लिए धागे से जुड़ी एक सुईं डालते हैं। सुईं को देखने के लिए सर्जन पोर्ट के जरिए कर्व्‍ड क्‍लैंप का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।
  • फिर पेट के ऊपरी हिस्‍से के उस प्‍वाइंट की सेरोमस्‍कुलर परत क जरिए सुईं डाली जाती है जो पेट को अपनी जगह पर रख सकता है। सर्जन पोर्ट के जरिए धागे के दूसरे हिस्‍से को बाहर निकालते हैं ताकि धागे के दोनों सिरे उदर के बाहर आ जाएं।
  • इसके बाद दूसरे पोर्ट से भी यही क्रिया की जाती है।
  • अब सर्जन ट्यूबों को निकाल देते हैं और पेट से गैस को निकाल देते हैं।
  • पोर्ट से बाहर निकाले गए धागों की मदद से सर्जन पेट के ऊपरी हिस्‍से को ऊपर की ओर खींचते हैं और उदर की दीवार से जोड़कर टांका लगा देते हैं।
  • इसके बाद कट यानि चीरे वाली जगह को बंद कर दिया जाता है।

इस सर्जरी में 60 से 90 मिनट का समय लगता है।

ओपन सर्जरी से भी गैस्‍ट्रोपेक्‍सी की जा सकती है। इसमें पेट के ऊपर बड़ा कट लगाया जाता है। ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में ऑपरेशन के बाद कम दर्द होता है और रिकवरी भी जल्‍दी हो जाती है।

सर्जरी के बाद जब मरीज को होश आता है, तब उसे थकान, बेसुध या बेचैनी और गले में खराश या सूखापन महसूस हो सकता है। आमतौर पर एनेस्‍थीसिया के बाद ऐसे साइड इफेक्‍ट्स दिखते हैं जो कुछ घंटों में चले जाते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद ज्‍यादातर मरीजों को अस्‍पताल में एक रात रूकने के बाद ही छुट्टी दे दी जाती है।

सर्जरी के बाद घर पहुंचने पर निम्‍न बातों का ध्‍यान रखना होता है :

  • ऑपरेशन के बाद होने वाले दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा डॉक्‍टर मल पतला करने वाली दवा और एंटीबायोटिक भी दे सकते हैं। ये सभी दवाएं डॉक्‍टर के बताए अनुसार ही लें।
  • ऑपरेशन वाली जगह पर टाइट कपड़े न पहनें। टांके वाली जगह को मलें नहीं, स्विमिंग, टब बाथ या हॉट टब में न नहाएं।
  • 6 हफ्ते तक 4.5 किलोग्राम से ज्‍यादा भारी सामान उठाने से बचें।
  • सर्जन ने जितना बताया है, उतना चलने की कोशिश करें।
  • अस्‍पताल का स्‍टाफ आपको डिस्‍चार्ज से पहले ब्रीदिंग (सांस लेने) या कफिंग (खांसने) की एक्‍सरसाइज बताएंगे। इनका अभ्‍यास करें।
  • सर्जरी के दो से तीन हफ्ते बाद आप काम पर लौट सकते हैं।
  • सर्जरी के 10 दिन बार या डॉक्‍टर के बताए अनुसार आप गाड़ी चला सकते हैं।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं

सर्जरी के बाद अगर निम्‍न समस्‍याएं महसूस हो रही हैं, तो तुरंत डॉक्‍टर को बताएं :

  • 101 डिग्री फारेनहाइट से ज्‍यादा बुखार
  • सांस लेने में दिक्‍कत
  • छाती में दर्द
  • मतली
  • उल्‍टी
  • टांके वाली जगह से खून आना या बदबूदार स्राव होना
  • ऑपरेशन वाली जगह के आसपास दर्द या सूजन होना
  • पेशाब या मल में खून आना
  • मूत्राशय खाली करने में दिक्‍कत आना
  • तीन से ज्‍यादा दिनों तक दस्‍त, गैस न निकल पाना या कब्‍ज होना
  • टांके खुल जाना
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इस सर्जरी के साथ कुछ जोखिम और जटिलताएं भी जुड़ी हैं, जैसे कि :

गैस्‍ट्रोपेक्‍सी के बाद डॉक्‍टर के पास कब जाएं

सर्जरी के एक से दो हफ्ते के बाद आपको डॉक्‍टर को दिखाने जाना होगा।

नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।

Dr. Paramjeet Singh

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गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Nikhil Bhangale

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Dr Jagdish Singh

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गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
12 वर्षों का अनुभव

Dr. Deepak Sharma

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संदर्भ

  1. Chesterfield Royal Hospital [Internet]. NHS Foundation Trust. National Health Service. UK; Laparoscopic Antireflux
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  5. Morelli U, Bravetti M, Ronca P, Cirocchi R, De Sol A, Spizzirri A, et al. Laparoscopic anterior gastropexy for chronic recurrent gastric volvulus: a case report. J Med Case Reports. 2008;2:244
  6. Smith G, D'Cruz JR, Rondeau B, et al. General Anesthesia for Surgeons. [Updated 2020 Aug 25]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan
  7. Hernandez A, Sherwood ER. Anesthesiology principles, pain management, and conscious sedation. In: Townsend CM Jr, Beauchamp RD, Evers BM, Mattox KL, eds. Sabiston Textbook of Surgery. 20th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2017:chap 14
  8. Michigan Medicine [internet]. University of Michigan. US; Instructions following abdominal surgery
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