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प्रदूषित वातावरण व काम के बोझ के चलते महिलाओं के शरीर में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होने लगी हैं। इन समस्याओं में से एक है प्रेग्नेंट न हो पाना। जहां एक ओर प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्या बढ़ गयी हैं, वहीं खुशकिस्मती से दूसरी ओर इनके समाधान के लिए नए विकल्पों का अविष्कार हुआ है। इनमें से एक है इन विट्रो फर्टीलाइजेशन या आईवीएफ (In Vitro Fertilization/ IVF)। जो महिलाऐं गर्भधारण नहीं कर पा रहीं हैं, उनके लिए टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक कारगर सिद्ध हुई है। इसके चलते बड़े शहरों में आईवीएफ केंद्र तेजी से खुलते जा रहें हैं।

इस प्रक्रिया में महिला के अंडाशय से अंडों को निकाला जाता है, जिसके बाद उन्हें प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। निषेचन अंडे और शुक्राणु के मिलने के बाद बच्चा बनने का पहला चरण होता है, जिससे भ्रूण (एम्ब्रीओ; Embryo) बनता है। फिर इस भ्रूण को बढ़ने और विकसित होने के लिए महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है।

(और पढ़ें - गर्भवती होने का तरीका)

इस प्रक्रिया में पत्नी के अंडे और पति के शुक्राणु का इस्तेमाल किया जाता है। अगर इन दोनों में से किसी के भी अंडे या शुक्राणु में कोई प्रॉब्लम हो तो एक डोनर के अंडों या शुक्राणु का उपयोग किया जा सकता है।

आगे इस तकनीक के बारे में आपको विस्तार से बतााय जा रहा है, जिसमें आप जानेंगे कि आईवीएफ क्या है, अाईवीएफ क्यों, कब व कैसे की जाती है, अाईवीएफ से पहले की तैयारी, अाईवीएफ के बाद क्या खाएं, अाईवीएफ के सफलता दर, अाईवीएफ के साइड इफेक्ट्स, अाईवीएफ की लागत और अाईवीएफ केंद्र के बारे में।

(और पढ़ें - गर्भ में बच्चे का विकास)

  1. आईवीएफ क्यों और कब करवानी चाहिए, फायदे - IVF benefits in Hindi
  2. टेस्ट ट्यूब बेबी से पहले की तैयारी - Preparation for IVF in Hindi
  3. आईवीएफ की तकनीक, उपचार और कैसे की जाती है - IVF procedure in Hindi
  4. आईवीएफ के बाद प्रेगनेंसी में कितना समय लगता है - How long does it take to get pregnant via IVF in Hindi
  5. टेस्ट ट्यूब बेबी के बाद देखभाल और सावधानियां - Post-IVF care and precautions in Hindi
  6. क्या आईवीएफ सफल होती है? - IVF success rate in Hindi
  7. आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स और जोखिम - IVF risks and side effects in Hindi
  8. टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्च और केंद्र - IVF cost and best centers in Hindi
  9. टेस्ट ट्यूब बेबी के प्रकार - IVF types in Hindi
  10. आईवीएफ वीडियो - Test tube baby video in hindi
आईवीएफ के डॉक्टर

आपको निम्न स्थितियों में आईवीएफ (ivf) प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है:

  • महिला बांझपन (जिसका कारण स्पष्ट न हो पा रहा हो)। (और पढ़ें – बांझपन का घरेलू इलाज)
  • अगर महिला के फैलोपियन ट्यूब में रुकावट हो (फैलोपियन ट्यूब अंडाशय से गर्भाशय को जोड़ती है)। 
  • प्रजनन दवाएं या "इन्ट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन" (आईयूआई; Intrauterine Insemination, IUI) जैसी अन्य तकनीक असफल रहीं हों। इसमें टेस्ट ट्यूब बेबी की तरह गर्भाशय से अंडे बाहर नहीं निकाले जाते हैं। आईयूआई में सीधा शुक्राणु को गर्भाशय में डाला जाता है।
  • पुरुष बांझपन की समस्या हो, लेकिन इतनी गंभीर नहीं कि "इंट्रा-साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन" (आईसीएसआई; Intra-Cytoplasmic Sperm Injection; ICSI) की आवश्यकता हो।
  • अगर पति के फ्रोज़न (जमे हुए) शुक्राणु इस्तेमाल किये जा रहे हों लेकिन आईयूआई (IUI) तकनीक आपके लिए उपयुक्त नहीं है। (और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय)​
  • अगर आप अपने उपचार में डोनेट किये हुए अंडे या अपने ही फ्रोज़न (जमे हुए) अंडे का उपयोग कर रहें हैं। 
  • आप अपने बच्चे को अपनी किसी आनुवंशिक विकार से बचाने के लिए भ्रूण परीक्षण (Embryo Testing) का उपयोग कर रहें हैं।
  • प्री-मैच्योर ओवेरियन फेलियर (उम्र से पहले ही मासिक धर्म चक्र बंद हो जाना)।
  • यदि किसी कारण से महिला के अंडाशय में अंडे न बन पा रहे हों, जैसे कि पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (PCOS) की वजह से।
  • यदि आप बहुत ज़्यादा उम्र में या मेनोपॉज़ के बाद (50 साल की उम्र के बाद) गर्भधारण करने का प्रयास कर रही हों।  ऐसे में अगर अन्य कोई प्रजनन तकनीक सहायता करने में असफल हो तो इसका प्रयोग किया जा सकता है। 

(और पढ़ें - Pregnancy in Hindi)

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आईवीएफ साईकल (चक्र) शुरू करने से पहले पति) और महिला (पत्नी) के कई मेडिकल टेस्ट्स और परीक्षण किये जाते हैं। 

आईवीएफ ​से पहले पुरुषों के टेस्ट

पुरुषों के लिए केवल वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis; सीमेन की जांच) की जाती है, जिससे शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकार की जांच की जा सके।

  • अगर इसका परिणाम नॉर्मल आये तो आईवीएफ किया जा सकता है।
  • अगर परिणाम नॉर्मल न आये तो ऐसे में "इंट्रा-साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन" (आईसीएसआई; ICSI) की जा सकती है, क्योंकि अगर शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम होती है, तो ऐसे में ये एक सुरक्षित विकल्प होता है।
  • अगर परिणाम शून्य आये तो कुछ खास प्रक्रिया से वृषण (टेस्टिस) से शुक्राणु निकाले जाते हैं। यह प्रक्रिया हैं -
    • "टेस्टिस स्पर्म एक्सट्रैक्शन" (Testicular Sperm Extraction, TESE)
    • "परक्यूटेनियस एपीडीडीमल स्पर्म एस्पिरेशन" (Percutaneous Epididymal Sperm Aspiration, PESA) 

(और पढ़ें - शुक्राणुओं की जांच)

आईवीएफ ​से पहले महिलाओं के टेस्ट

महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले थोड़े ज़्यादा टेस्ट्स से गुजरना होता है:

  1. अंडाशय में अंडो की जांच (Ovarian Reserve Testing) -
    आपके अंडों की संख्या और गुणवत्ता को जानने के लिए आपके मासिक धर्म चक्र के पहले कुछ दिनों के दौरान आपके चिकित्सक आपके रक्त में इन हॉर्मोन की मात्रा की जांच करेंगे -
  2. अंडाशय का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound Of Ovaries)
    प्रजनन दवाओं के प्रभाव की जांच करने के लिए डॉक्टर आपके अंडाशय का अल्ट्रासाउंड करते हैं। 
     
  3. भ्रूण स्थानांतरण का अभ्यास (Mock Embryo Transfer) -
    आपके चिकित्सक भ्रूण को आपके गर्भाशय में डालने से पहले एक नकली भ्रूण गर्भाशय में डाल सकते हैं। ऐसा करने से डॉक्टर को गर्भाशय की गुहा की गहराई का पता लगाने के लिए और भ्रूण को आपके गर्भाशय में सफलतापूर्वक जगह देने के लिए सही तकनीक का पता चल सकता है।​ (और पढ़ें - गर्भावस्था के महीने)
     
  4. गर्भाशय की जांच (Uterine Cavity Exam) -
    आईवीएफ शुरू करने से पहले डॉक्टर आपके गर्भाशय के गुहा की जांच करेंगे। इसमें सोनोहिस्टोग्राफ़ी (Sonohystography; इसमें सर्विक्स (cervix) के माध्यम से गर्भाशय में तरल पदार्थ डाला जाता है) और गर्भाशय की गुहा का अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसमें हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) भी की जा सकती है।  हिस्टेरोस्कोपी में योनि और सर्विक्स के माध्यम से एक पतली, लचीली, लाइटेड दूरबीन (हिस्टेरोस्कोप; Hysteroscope) डाली जाती है। (और पढ़ें - pregnancy week by week in hindi)
     
  5. संक्रमण न होने की पुष्टि (Infectious Disease Screening) - 
    पुरुष और महिला दोनों के टेस्ट किये जाएंगे या जानने के लिए कि उनमें से किसी को कोई संक्रमण तो नहीं है (जैसे कि एचआईवी)।

आपकी स्थिति के अनुसार आईवीएफ के द्वारा गर्भाधारण करने के लिए ऊपर लिखे टेस्ट के अतिरिक्त भी टेस्ट करवाए जा सकते हैं।

आईवीएफ शुरू करने से पहले कुछ जरूरी सवाल

पुरुष और महिला दोनों साथियों की एचआईवी सहित अन्य संक्रामक रोगों की जांच की जाएगी।

आईवीएफ साईकल शुरू करने से पहले आपको निम्न महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर ध्यान देना चाहिए और इनपर विचार करना चाहिए -

  1. ​कितने भ्रूण स्थानांतरित किए जाएंगे?
    स्थानांतरित किये जाने वाले भ्रूण (Embryo, एम्ब्रीओ) की संख्या आमतौर पर उम्र और पुनर्प्राप्त अंडों की संख्या पर आधारित होती है। ज्यादा उम्र की महिलाएं जब आईवीएफ करवाती हैं, तो उनके लिए ज्यादा भ्रूण स्थानांतरित किये जाते हैं क्योंकि उनमें आरोपण दर (Implantation Rate) कम होता है। अगर वे किसी कम अन्य उम्र की महिला के अंडे का उपयोग कर रही हों (यानी, डोनर अंडे इस्तेमाल कर रहीं हों), तो ज्यादा अंडे स्थानांतरित करने की जरूरत नहीं होती है।

    अधिकतर डॉक्टर मल्टीप्ल प्रेगनेंसी (दो या दो से अधिक बच्चे को जन्म देना) रोकने के लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन करते हैं और एक सीमित संख्या में ही भ्रूण स्थानांतरित करते हैं। कुछ देशों में, भ्रूण के स्थानांतरण की संख्या पर कानून द्वारा सीमा लगायी गयी है। सुनिश्चित करें कि आप और आपके डॉक्टर स्थानांतरण प्रक्रिया से पहले भ्रूण की संख्या पर सहमत हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में वजन बढ़ाने के उपाय)
     
  2. अगर अतिरिक्त भ्रूण रह जाएँ तो उनके साथ क्या करेंगे?
    अतिरिक्त भ्रूण को भविष्य में उपयोग किये जाने के लिए फ्रीज़ करके कई वर्षों तक रखा जा सकता है। क्रिओप्रिजर्वेशन (Cryopreservation) कहा जाता है। हालांकि फ्रीज़ करने पर भी सभी भ्रूण इस प्रक्रिया में जीवित नहीं रह पाएंगे, लेकिन अधिकतम जीवित रहेंगे।
    • क्रिओप्रिजर्वेशन का फायदा है कि अगर दुबारा आईवीएफ करवानी पड़े तो उसमें यही भ्रूण इस्तेमाल किये जा सकते हैं जिससे खर्च कम होता हैं और दुबारा महिला के गर्भाशय से अंडे नहीं निकालने पड़ते।
    • इसका नुकसान ये है कि फ्रोज़न भ्रूण से जन्म का दर नए भ्रूण से कम होता है।
    • आप फ्रोज़न भ्रूण को किसी अन्य ज़रूरतमंद जोड़े की सहायता करने के लिए या अध्ययन के लिए भी दान कर सकते हैं।
    • आप उनका इस्तेमाल न करने का भी निर्णय ले सकते हैं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में क्या करें और क्या ना करें)
       
  3. अगर मल्टीप्ल प्रेगनेंसी (एक ही प्रेगनेंसी में दो या उससे अधिक बच्चों का जन्म) हो तो आप क्या करेंगे?
    आईवीएफ में यदि एक से अधिक भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है, तो एक से अधिक बच्चे हो सकते हैं (इसे चिकित्सीय भाषा में "मल्टीप्ल प्रेगनेंसी" कहते हैं)। इससे आपके और आपके बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं। अगर मल्टीप्ल प्रेगनेंसी हो जाए तो कुछ मामलों में, "फीटल रिडक्शन" (Fetal Reduction) नामक सर्जरी से गर्भाशय के अंदर पल रहे भ्रूण की संख्या कम की जा सकती है।  लेकिन ये सर्जरी नैतिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से एक बड़ा निर्णय होता है। (और पढ़ें - जुड़वा बच्चे कैसे होते हैं)
     
  4. क्या आपने डोनर के अंडों, शुक्राणु या भ्रूण के उपयोग से जुड़ी संभावित जटिलताओं पर विचार किया है?
    एक प्रशिक्षित काउंसलर, जो डोनर सम्बन्धी मुद्दों का विशेषज्ञ हो, आपको डोनर के कानूनी अधिकार जैसी बातों को समझने में मदद कर सकता है। आपको प्रत्यारोपित भ्रूण के कानूनी माता-पिता बनने में मदद करने के लिए अदालत में कागजात दाखिल करने के लिए एक वकील की भी आवश्यकता हो सकती है।

(और पढ़ें - गर्भ में पल रहा बच्चा क्यों मारता है किक)

आईवीएफ प्रक्रिया निम्न क्रम में की जाती है। हालांकि स्थिति के अनुसार इसमें कुछ फरक भी किया जा सकता है, जिसका फैसला आप और अप्पके डॉक्टर मिलकर ले सकते हैं।

महिलाओं में

  1. प्राकृतिक मासिक धर्म चक्र को रोकना  
    आपको एक दवा दी जाएगी जो आपके प्राकृतिक माहवारी चक्र को रोकेगी। इससे उपचार के अगले चरण में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं अधिक प्रभावी हो सकती हैं। 
    यह दवा या तो इंजेक्शन के रूप में रोज़ दी जाती है  या नेसल स्प्रे (नाक का स्प्रे) के रूप में। ये दवा लगभग दो सप्ताह तक जारी रखनी होती है। (और पढ़ें -  मासिक धर्म को जल्दी रोकने के उपाय)
     
  2. अंडे की आपूर्ति को बढ़ाना
    मासिक धर्म चक्र को रोकने के बाद, एक प्रजनन हॉर्मोन दिया जाता है जिसका नाम है  "फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन" (Follicle Stimulating Hormone, FSH)। यह भी प्रतिदिन लिया जाने वाला इंजेक्शन है जिसे लगभग 10-12 दिन लेना होता है। यह हॉर्मोन अंडों की संख्या बढ़ाता है। इसका मतलब है कि अधिक अंडे इकट्ठे करके निषेचित किए जा सकते हैं। अधिक अंडे निषेचित होने से डॉक्टर के पास आईवीएफ  में उपयोग करने के लिए अधिक भ्रूण होते हैं। (और पढ़ें - गोरा बच्चा पैदा करने के उपाय से जुड़े मिथक)
     
  3. प्रगति की जांच
    डॉक्टर पूरी आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान आप पर करीबी नजर रखेंगे। आपके अंडाशय को मॉनिटर करने के लिए योनि का अल्ट्रासाउंड स्कैन होगा, और कुछ स्थितियों में, रक्त परीक्षण भी किया जा सकता है। आपके अंडों को एकत्र करने के करीब 34-38 घंटे पहले आपको आखिरी हॉर्मोन इंजेक्शन दिया जायेगा जो आपके अंडे को निषेचन के लिए तैयार करता है।
     
  4. गर्भाशय से अंडे निकलना
    गर्भाशय से अंडे एक सुईं की मदद से निकाले जाते हैं। इस प्रक्रिया में महिला को बेहोश कर दिया जाता है। यह एक छोटी सी प्रक्रिया है जिसमें 15 से 20 मिनट लगते हैं।
    कुछ महिलाएं इस प्रक्रिया के बाद दर्द का अनुभव कर सकती हैं। कुछ मामलों में योनि से ब्लीडिंग (रक्तस्राव) भी हो सकती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए)
     
  5. अंडों और शुक्राणु का निषेचन
    गर्भाशय से निकाले गए अण्डों को प्रयोगशाला में आपके साथी के शुक्राणुओं के साथ मिलाया किया जाता है। 16-20 घंटों के बाद इस बात की जांच की जाती है कि कोई अंडा निषेचित हुआ है या नहीं।

    कुछ स्थितियों में, प्रत्येक अंडे में इंजेक्शन से शुक्राणु डालने की आवश्यकता हो सकती है। इसे इंट्रा-साइोप्लास्मेक स्पर्म इंजेक्शन या आईसीएसआई (ICSI) कहा जाता है।

    निषेचित अंडे (भ्रूण) गर्भ में स्थानांतरित किये जाने से पहले छह दिनों तक प्रयोगशाला में बढ़ने के लिए रखे जाते हैं। स्थानांतरण के लिए सर्वश्रेष्ठ एक या दो भ्रूणों को चुना जाता है। (और पढ़ें - ओवुलेशन से जुड़े मिथक और तथ्य)
     
  6. भ्रूण स्थानांतरण
    अंडे इकट्ठा करने के कुछ दिन बाद, भ्रूण को गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
    यह एक पतली ट्यूब (जिसे डॉक्टर "कैथेटर" कहते हैं, Cathetar) का उपयोग करके किया जाता है। यह प्रक्रिया अंडे एकत्रित करने से सरल है और एक सर्वाइकल टेस्ट के समान है, इसलिए आपको  बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होगी।

पुरुषों में

जिस समय महिला से अंडे निकाले जा रहे होंगे, उस समय पुरुष से शुक्राणु लिये जाते हैं। उनमें से सबसे स्वस्थ और सबसे सक्रिय शुक्राणु का चुनाव किया जाता है। 

भ्रूण को गर्भ में स्थानांतरित करने के बाद, यह देखने के लिए कि उपचार ने काम किया है या नहीं, आपको गर्भावस्था का परीक्षण (प्रेगनेंसी टेस्ट) करने से पहले लगभग दो सप्ताह इंतजार करना होगा। 

प्रेग्नेंसी टेस्ट घर पर एक सामान्य मूत्र गर्भावस्था परीक्षण से भी किया जा सकता है और रक्त परीक्षण से भी किया जा सकता है, जैसा आपका डॉक्टर कहे। उसका परिणाम आपके डॉक्टर को बताएं। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण)

यह "दो सप्ताह का इंतजार" एक कठिन समय हो सकता है, क्योंकि इलाज ने काम किया है या नहीं यह जाने की चिंता आपको परेशान कर सकती है। कुछ लोगों को यह उपचार प्रक्रिया का सबसे कठिन हिस्सा लगता है।

अगर आप गर्भवती हो जाती हैं, तो आने वाले हफ़्तों में यह जानने के लिए सब कुछ नार्मल है कि नहीं आपके अल्ट्रासाउंड स्कैन किये जाएंगे। 

दुर्भाग्य से, कई मामलों में आईवीएफ असफल हो जाता है और आपको इस संभावना के लिए खुद को पहले से ही तैयार करने की कोशिश करनी चाहिए। आप ऐसे में काउंसलर की सहायता भी ले सकते हैं।

(और पढ़ें - बच्चों के नाम)

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भ्रूण के स्थानांतरित होने के बाद आप गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। इस बात पर कोई प्रमाण मौजूद नहीं है कि आईवीएफ की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद आराम या काम करने या न करने से गर्भधारण होने की संभावना पर क्या असर पड़ता है।

कुछ डॉक्टर टेस्ट ट्यूब बेबी के बाद महिला को चौबीस घंटे आराम करने का सुझाव देते हैं, जबकि कुछ डॉक्टर आईवीएफ के बाद अपनी नियमित दिनचर्या को बनाए रखने का सुझाव देते हैं।

दूसरी तरफ कुछ महिलाएं आराम करना पसंद करती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से आईवीएफ सफल होगा, और कुछ अपनी नार्मल जिंदगी वापिस शुरू कर देती हैं। 

(और पढ़ें - लड़का पैदा करने के तरीके से जुड़े मिथक)

आपको एक बार फिर बता दें कि आपकी रोजमर्रा की शारीरिक गतिविधियों का भ्रूण के गर्भ में स्थापित होने या न होने से संबंधित चिकित्सीय जगत में कोई तथ्य मौजूद नहीं हैं। आईवीएफ के बाद भी गर्भधारण होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो मुख्य रूप से अंडों की अनुवांशिक गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

लेकिन फिर भी, आप चाहें तो आईवीएफ के बाद यहाँ बताई सावधानियां बरत सकती हैं। इनसे आप और आपके बच्चे के स्वास्थ्य को लाभ होगा -

पूरे देश के स्तर पर टेस्ट ट्यूब बेबी के सफल होने पर आंकड़े मौजूद नहीं हैं। लेकिंन 2010 में किये गए एक अध्ययन में आईवीएफ की सफलता के ये आंकड़े सामने आये थे - 

  • 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए 32.2%
  • 35-37 आयु वर्ग की महिलाओं के लिए 27.7%
  • 38-39 आयु वर्ग की महिलाओं के लिए 20.8%
  • 40-42 आयु वर्ग की महिलाओं के लिए 13.6%
  • 43-44 आयु वर्ग की महिलाओं के लिए 5.0%
  • 45 वर्ष और उससे अधिक की आयु की महिलाओं के लिए 1.9%

उपर्लिखित आंकड़े सिर्फ उन मामलों के हैं जिनमें डोनर अण्डों का नहीं बल्कि महिला के खुद के अंडों का  इस्तेमाल किया गया था।

आईवीएफ साईकल शुरू करने से पहले आपको इससे जुड़े जोखिम और जटिलताओं के बारे में पता होना चाहिए।

  1. दवाओं के दुष्प्रभाव
    आईवीएफ के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं से कई स्त्रियों में प्रतिक्रिया होने का जोखिम रहता है। ज्यादातर, दुष्प्रभाव इतने गंभीर नहीं होते हैं। कोई भी दुष्प्रभाव होने पर अपने चिकित्सक को सूचित करें।

    कुछ दुष्प्रभाव हैं:
    • हॉट फ्लैशेस (Hot Flashes; चेहरे, गर्दन, कान और बाकी शारीर में गर्मी महसूस होना)
    • चिड़चिड़ा महसूस करना
    • सिर दर्द
    • बेचैनी
    • अण्डाशयी हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (Ovarian Hyperstimulation Syndrome) - अण्डों की संख्या को बढ़ाने के लिए दवाएं लेने पर अंडाशय पर होने वाली मेडिकल प्रतिक्रिया। इसके बारे में आगे और अबताया गया है। (और पढ़ें – ​​गर्भावस्था में सिरदर्द का इलाज)
       
  2. मल्टीप्ल प्रेगनेंसी (एक से अधिक बच्चों को जन्म देना)
    यदि टेस्ट ट्यूब बेबी उपचार में एक से अधिक भ्रूण को गर्भ में डाल दिया जाता है, तो जुड़वा या तीन बच्चे (ट्रिप्लेट्स) होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 

    एक से ज्यादा बच्चे होना गलत नहीं है परन्तु इससे शिशुओं और माँ दोनों के स्वास्थ्य से सम्बन्धी जटिलताएं हो सकतीं हैं, जैसे
    आपके शिशुओं के समय से पहले होने की या जन्म के समय वज़न कम होने की अधिक संभावना हो जाती है, और नवजात शिशु को जानलेवा जटिलताएं हो सकती हैं।
     
  3. अण्डाशयी हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (Ovarian Hyperstimulation Syndrome, OHSS)
    यह आईवीएफ की एक दुर्लभ जटिलता है, यानी ऐसा बहुत कम होता है। यह उन महिलाओं में होता है जो अंडे का उत्पादन बढ़ाने के लिए ली गई प्रजनन दवाओं के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं। अंडाशय में बहुत सारे अंडे विकसित हो जाते हैं, जो बहुत बड़े हो जाते हैं और यह स्थिति दर्दनाक हो सकती है।

    यह आम तौर पर गर्भाशय से अंडे निकालने के एक सप्ताह में विकसित होता है। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
    इनमें से कोई भी लक्षण दिखने अपर अपने डॉक्टर को सूचित करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में पेल्विक दर्द का इलाज)
     
  4. अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic Pregnancy)
    यदि आप आईवीएफ कर रहे हैं, तो आपको अस्थानिक गर्भावस्था का थोड़ा अधिक जोखिम रहता है। इसमें भ्रूण गर्भ के बजाय फैलोपियन ट्यूब में प्रत्यारोपित हो जाता है। इससे पेट में दर्द हो सकता है जिसके बाद योनि रक्तस्राव या योनि से गहरे रंग का स्राव हो सकता है। (और पढ़ें - योनि स्राव)

    अगर आईवीएफ के बाद आपका प्रेगनेंसी टेस्ट सफल होता है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी गर्भावस्था सामान्य है, आपको छह सप्ताह में एक स्कैन करवाना होगा। अगर आपको आईवीएफ के बाद सफल गर्भावस्था परीक्षण के बाद भी योनि से रक्तस्त्राव होता है, तो अपने डॉक्टर को बताएं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याएं)
     
  5. ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए जोखिम
    जितनी ज्यादा महिला की उम्र होती है, उतना आईवीएफ की सफलता का दर कम होता चला जाता है। इसके अलावा, जैसे जैसे महिला की उम्र बढ़ती है आईवीएफ उपचार में गर्भपात और जन्म दोष का खतरा भी बढ़ जाता है। अपने डॉक्टर के साथ उम्र और आईवीएफ की जोखि पर अवश्य चर्चा करें।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में फोलिक एसिड)

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महिलाओं में प्रेग्नेंसी को लेकर बढ़ती समस्याओं के कारण आज के दौर में कई आईवीएफ केंद्र खुल चुके हैं। आईवीएफ केंद्रों की भीड़ में आपको समझ ही नहीं आता कि कौन सा आईवीएफ केंद्र सही है और कौन सा नहीं। साथ ही इन केंद्रों पर इलाज की लागत भी अलग-अलग होती है। टेस्ट ट्यूब बेबी केंद्र के चुनाव और लागत को लेकर आपको नीचे कुछ उपयोगी सुझाव दिए गए हैं।

  • आईवीएफ केंद्र में इलाज कराने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह टेस्ट ट्यूब बेबी केंद्र, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद से पंजीकृत है या नहीं।
  • प्रजनन के सभी मामले एक सामान नहीं होते हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आपकी मौजूदा स्थिति को लेकर सही टेस्ट किए जा रहें हैं या नहीं।
  • आईवीएफ केंद्र कई बार इलाज की लागत को बताते समय इससे संबंधित अन्य खर्चों पर बात नहीं करते हैं। जिससे आपको बाद में परेशानी हो सकती है। ऐसा में आपको इलाज कराने से पहले ही सभी अतिरिक्त खर्चों पर बात कर लेनी चाहिए। (और पढ़ें - गर्भावस्था में सर्दी-जुकाम और खांसी का इलाज)
  • इलाज के लिए बेहद जरूरी होता है कि आप डॉक्टर के साथ बिना किसी झिझक खुल कर बात कर सकें। ऐसे ही डॉक्टर को भी आपको इलाज की पूरी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझाना चाहिए। डॉक्टर और मरीज के बीच जुड़ाव से ही आप इलाज की प्रक्रिया में सहज हो पाते हैं।
  • अपने इलाज की पूरी प्रक्रिया के बारे में आपको जानकारी लेनी चाहिए। इससे आपको सभी तरह के बदलावों को अपनाने में मदद मिलती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में बवासीर का इलाज)
  • आईवीएफ प्रक्रिया के लिए निश्चित और प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता होती है। इसलिए आईवीएफ केंद्र को चुनते समय इस बात की पुष्टि कर लें कि केंद्र में डॉक्टर, नर्स, काउंसलर और अन्य स्टाफ की संख्या पूरी हो।
  • क्या आपकी जांच के रिपोर्ट और जानकारी किसी अन्य के साथ सांझा नहीं की जाएगी। इस बात की पुष्टि भी आपको पहले ही कर लेनी चाहिए। (और पढ़ें - मोलर प्रेग्नेंसी का इलाज)
  • साथ ही आपको यह भी जान लेना जरूरी होता है कि आईवीएफ सेंटर में महिला के अंडों को निषेचित करने की प्रक्रिया के सभी चरण पारदर्शी हों, इससे महिला के गर्भ में स्थापित होने वाले निषेचित अंडों के बारे में आपको पूरी जानकारी होती है।
  • केंद्र से पहले इलाज करवा चुके किसी दंपत्ति से इलाज के दौरान की सभी प्रक्रियाओं के साथ ही केंद्र के भूमिका के बारे में भी पूरी जानकारी प्राप्त करें।
  • इलाज के दौरान किसी तरह की समस्या होने पर टेस्ट ट्यूब बेबी केंद्र के द्वारा क्या किया जाएगा, इस बात को भी पहले से जान लेना बेहद जरूरी होता है।
  • विभिन्न आईवीएफ केंद्रों पर इलाज का खर्चा भी अलग-अलग होता है। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में बीपी लो का इलाज)

आईवीएफ की लागत कितनी होती है?

भारत के कुछ बड़े शहरों में मौजूद टेस्ट ट्यूब बेबी केंद्रों की अनुमानित लगात को ग्राफ के द्वारा समझाया जा रहा है।

शहर आईवीएफ की अनुमानित लागत
मुंबई 2 से 3 लाख
बैंगलोर 1.60 से 1.75 लाख
चेन्नई 1.45 से 1.60 लाख
दिल्ली 90 हजार से 1.25 लाख
नागपुर 75 से 90 हजार
हैदराबाद 70 से 90 हजार
पुणे 65 से 85 हजार
कोलकाता 65 से 80 हजार

आईवीएफ प्रक्रिया के विभिन्न प्रकार हैं -

  • प्राकृतिक मासिक चक्र आईवीएफ (Natural Cycle IVF)
    इस तकनीक में महिला के सामान्य मासिक चक्र के दौरान बनने वाले अण्डों को इकट्ठा लिया जाता है और निषेचित किया जाता है। इस उपचार में प्रजनन दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता। (और पढ़ें – मासिक धर्म जल्दी लाने की दवा)
     
  • माइल्ड स्टिमुलेशन आईवीएफ (Mild Stimulation IVF)
    इस तकनीक में महिला को या तो प्रजनन दवाओं की कम खुराक दी जाती है या ये दवाएं सामान्य टेस्ट ट्यूब बेबी की तुलना में कम अवधि के लिए दी जाती हैं।
     
  • इन विट्रो मैत्यूरेशन या आईवीएम​ (In Vitro Maturation, IVM)
    आईवीएम प्रक्रिया में, अंडाशय से अंडे निषेचन के लिए तैयार होने से पहले ही निकाल लिए जाते हैं। उन्हें निषेचन के लिए प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है।
     
  • भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer)
    प्रयोगशाला में अंडे निषेचित करने के बाद भ्रूण स्थानांतरण किया जाता है। सर्वोत्तम गुणवत्ता के एक से तीन भ्रूण चुने जाते हैं। चयन के बाद फिर उन्हें महिला के गर्भ में डाला जाता है। (और पढ़ें - पीरियड्स के लिए हाइजीन टिप्स)
     
  • असिस्टेड हैचिंग (Assisted Hatching)
    भ्रूण बढ़ने की सम्भावना बढ़ाने के लिए उसकी बाहरी परत पर छेद या उसे पतला किया जाता है।  इससे गर्भधारण का संयोग बढ़ जाता है। ​(और पढ़ें - प्रसव पीड़ा कम करने के उपाय और नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है)
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संदर्भ

  1. Indian Council of Medical Research [Internet]. Department of Health Research. New Delhi. India.
  2. National Health Service [Internet]. UK; IVF
  3. American Pregnancy Association [Internet]. Irving, Texas, USA; In Vitro Fertilization: IVF
  4. Stanford Children's Health: Lucile Packard Children's Hospital [Internet], Stanford. USA; What Is In Vitro Fertilization?
  5. Stanford Health Care [Internet]. Stanford Medicine, Stanford University; In Vitro Fertilization (IVF)
  6. Wang, Jeff and Sauer, Mark V. In vitro fertilization (IVF): a review of 3 decades of clinical innovation and technological advancement. Ther Clin Risk Manag. 2006 Dec; 2(4): 355–364. PMID: 18360648
  7. Human Fertilisation and Embryology Authority [Internet]. Department of Health and Social Care. London. United Kingdom; In vitro fertilisation (IVF)
  8. National Collaborating Centre for Women’s and Children’s Health (UK). Procedures used during in vitro fertilisation treatment. Fertility: Assessment and Treatment for People with Fertility Problems. London: Royal College of Obstetricians & Gynaecologists; 2013 Feb. (NICE Clinical Guidelines, No. 156.)
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