अनिद्रा यानी रात को नींद न आने की समस्या किसी को भी हो सकती है. दुनिया भर में लाखों लोग इसे समस्या से पीड़ित हैं. अनिद्रा की समस्या होने पर व्यक्तियों को रात में सोने में कठिनाई या रात को बार-बार नींद खुलती है, जिससे दिन में थकान, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है. वैसे, तो अनिद्रा की समस्या के लिए कई तरह के इलाज उपलब्ध हैं, लेकिन प्राकृतिक तरीका सबसे बेहतर होता है. इसी के तहत योग सबसे सुरक्षित, आसान और असरकारक तरीका है. नींद न आने की समस्या के लिए बालासन, सुप्त बद्ध कोणासन व शवासन आदि करने से फायदा हो सकता है.

आज इस लेख में आप उन योगासनों के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो अनिद्रा की समस्या में फायदेमंद हो सकते हैं -

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  1. अच्छी नींद के लिए फायदेमंद योगासन
  2. सारांश
अनिद्रा के लिए योग के डॉक्टर

अगर कोई रात को नींद न आने की समस्या से जूझ रहा है, तो उसे यहां बताए गए योगासन करने से फायदा हो सकता है. आइए, इन योगासन के फायदे और करने के तरीके बारे में विस्तार से जानते हैं -

बालासन

बालासन से मन शांत होता है और तनाव व चिंता को दूर करने में मदद मिल सकती है. इन सभी समस्याओं को अनिद्रा का कारण माना गया है. आइए, जानते हैं कि बालासन को कैसे करना है -

  • समतल जगह पर योग मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं.
  • अब सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं और कान से सटाकर रखें. ध्यान रहे कि हाथों को आपस में जोड़ना नहीं है.
  • अब सांस छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें और सिर व हाथों को जमीन के साथ सटा लें.
  • कुछ देर इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें.
  • अब सांस लेते हुए ऊपर उठें और हाथों को भी ऊपर ले जाएं.
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आएं और आराम करें.

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उत्तानासन

उत्तानासन को करने से हैमस्ट्रिंग बेहतर होता है और पीठ, गर्दन व कंधों में तनाव दूर हो सकता है -

  • किसी भी समतल जगह पर योग मैट बिछाकर ताड़ासन में यानी सीधे खड़े हो जाएं.
  • अब सांस लेते हुए हाथों को ऊपर ले जाएं और फिर सांस छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें.
  • कोशिश करें कि पूरा नीचे तक झुकें और सिर को घुटनों के साथ स्पर्श करें. ध्यान रहे कि आप घुटनों को न मोड़ें.
  • साथ ही हथेलियों को पैरों के पास जमीन पर सटा दें.
  • कुछ देर इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें.
  • फिर सांस लेते हुए ऊपर उठें और हाथों को भी ऊपर ले जाएं.
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आएं.

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सुप्त बद्ध कोणासन

सुप्त बद्ध कोणासन से मन शांत होता है और शरीर रिलैक्स होता है -

  • समतल जगह पर योग मैट बिछाकर शवासन यानी पीठ के बल लेट जाएं.
  • अब घुटनों को मोड़कर पैर कूल्हों के पास ले आएं.
  • दोनों तलवों को आपस में जोड़ लें और घुटनों को जमीन से सटा लें.
  • दोनों हथेलियों को हिप्स के पास रखकर नीचे की तरफ दबाएं.
  • फिर गर्दन और रीढ़ की हड्डी का ऊपरी हिस्सा जमीन से उठाएं.
  • अब सांस छोड़ते हुए पेट की निचली मांसपेशियों को अंदर की ओर खींचें.
  • कुछ देर ऐसे ही रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें.
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं.

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विपरीत करनी

विपरीत करनी से तनाव व चिंता में कमी आती है. साथ ही शरीर रिलैक्स होता है और सर्कुलेशन में सुधार होता है -

  • इस आसन को करने के लिए योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं.
  • अब दोनों टांगों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाएं.
  • जब टांगे 45 डिग्री के एंगल तक आ जाएं, तो हाथों के जरिए कमर को सहारा दें.
  • फिर टांगों को और ऊपर उठाकर बिल्कुल सीधा कर दें.
  • इस मुद्रा में कोहनियां बिल्कुल सीधी रहेंगी और शरीर का पूरा भार उन पर रहेगा.
  • कुछ देर इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें.
  • इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं.

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शवासन

शवासन एक क्लासिक योगासन है, जिससे तनाव व चिंता को कम करने में मदद मिलती है -

  • इस योगासन को करने के लिए याेग मैट बिछाकर पीठ के बल ले जाएं.
  • हाथों को शरीर से थोड़ा दूर रखें व पैरों के बीच भी कुछ दूरी बनाए रखें.
  • अब अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें और आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें.
  • कुछ मिनट तक इसी अवस्था में रहें और दिमाग व मन को शांत करने का प्रयास करें. बस अपना ध्यान अपनी सांसों पर ही रखें.

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नींद न आने की समस्या के लिए योगासन सबसे बेहतर तरीका है. यह तन और मन दोनों के लिए कई प्रकार के लाभ प्रदान करता है. योग से पूरा शरीर रिलैक्स होता है, तनाव कम होता है, स्वास्थ्य में सुधार होता है और रात को अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है. अगर कोई पहली बार योगासन कर रहा है, तो उसे योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करना चाहिए. साथ ही अगर कोई अन्य शारीरिक समस्या है, तो पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.

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Dr. Smriti Sharma

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