मिर्गी की समस्या ज्यादातर बच्चों व अधिक उम्र के लोगों को होती है. मिर्गी के चलते मरीज को दौरे पड़ते हैं, जो कुछ मामलों में गंभीर रूप भी ले सकते हैं. जहां तक मिर्गी के इलाज की बात है, तो इसे पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं है, लेकिन उचित देखभाल के जरिए इससे होने वाले दौरों को पूरी तरह से रोका जा सकता है. दौरों को रोकने के लिए इलाज के तौर पर दवा, अच्छी लाइफस्टाइल, सर्जरी व थेरेपी आदि है.

आज इस लेख में आप विस्तार से समझेंगे कि क्यों मिर्गी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन दौरे कैसे रोके जा सकते हैं -

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  1. क्या मिर्गी का इलाज किया जा सकता है?
  2. क्या मिर्गी के दौरे रोके जा सकते हैं?
  3. मिर्गी का इलाज
  4. सारांश
क्या मिर्गी का इलाज संभव है? के डॉक्टर

हाई बीपीअस्थमा और डायबिटीज की तरह मिर्गी भी ऐसी बीमारी है, जिसे सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है. इससे जुड़ी सबसे अच्छी बात यह है कि मिर्गी के 75% मामलों में दौरे को पूरी तरह से कंट्रोल किया जा सकता है. एंटी एपिलेप्टिक ट्रीटमेंट लेने के बाद दौरे बंद हो जाते हैं और बच्चों के मामले में तो आगे चलकर किसी भी तरह के इलाज की जरूरत ही नहीं होती है. इसलिए, मिर्गी से परेशान होने की जरूरत नहीं है, इसे बेहतर तरीके कंट्रोल कर सामान्य जीवन जिया जा सकता है.

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सही इलाज शुरू करने के कुछ वर्षों के अंदर ही मिर्गी से पीड़ित 10 में से 6 व्यक्ति दौरे पड़ने की समस्या से मुक्त हो जाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों को फिर कभी मिर्गी के दौरे का अनुभव नहीं होता है. मिर्गी से पीड़ित लगभग 66% लोग एंटी एपिलेप्टिक दवा का उपयोग करके अपनी स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं. जिन्हें दवा से आराम नहीं मिलता उनके लिए सर्जरी बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. सर्जरी के बाद लगभग 70% लोग दौरे से मुक्त हो सकते हैं.

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जैसा कि स्पष्ट हो गया है कि मिर्गी का इलाज संभव नहीं है, लेकिन बेहतर इलाज की मदद से दौरे जरूर रोके जा सकते हैं. दौरे रोकने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. यह प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है कि उसके लिए कौन-सा इलाज बेहतर रहेगा -

दवाएं

मिर्गी के इलाज की शुरुआत हमेशा दवा से की जाती है. डॉक्टर कोशिश करते हैं कि दवा से दौरे रोके जा सकें. इसके लिए एंटीसीजर दवाएं दी जाती हैं, जो मस्तिष्क में दौरे को फैलने से रोकने का काम करती हैं. मरीज की स्थिति, उम्र व दौरे पड़ने की अवधि को देखने के बाद ही डॉक्टर दवा की डोज तय करते हैं.

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सर्जरी

2018 में किए गए शोध के अनुसार, मिर्गी से पीड़ित 1% से भी कम लोगों की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सर्जरी की जाती है. सर्जरी में मस्तिष्क के उस हिस्से को हटा दिया जाता है, जिससे दौरे पड़ते हैं. जब दवा का असर नहीं होता है, तभी सर्जरी की जाती है. इसके अलावा, निम्न स्थितियों में भी सर्जरी की जाती है - 

  • अगर दौरे की वजह से मरीज की रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो रहा हो.
  • दौरे हर बार मस्तिष्क के एक ही क्षेत्र से आएं, जैसा कि फोकल मिर्गी के मामले में होता है और दवा का भी असर न हो रहा हो.
  • मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में असामान्यता, जहां से दौरे शुरू होते हैं.
  • एटोनिक या टॉनिक प्रकार की मिर्गी के कारण मरीज को दौरे आ रहे हों.
  • दौरे के चलते लोग खुद को चोट पहुंचाने लगें.

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थेरेपी

मिर्गी के चलते आने वाले दौरे को कंट्रोल करने के लिए इम्प्लांटेबल डिवाइज, वेगस नर्व स्टिमुलेशन और सीजर अलर्ट सिस्टम बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. करीब 30% लोगों में दौरे को नियंत्रित करने वाली दवाएं काम नहीं कर पाती हैं या साइड इफेक्ट का कारण बनती हैं. अगर इस मामले में सर्जरी भी संभव नहीं है, तो डिवाइज बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं. इन डिवाइज को न्यूरोमॉड्यूलेशन के रूप में भी जाना जाता है. इन्हें मस्तिष्क में लगाया जाता है. इन डिवाइज से हल्का इलेक्ट्रिक करंट निकलता है, जिससे मस्तिष्क के सेल्स बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं.

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डाइट व लाइफस्टाइल

मिर्गी के चलते आने वाले दौरे को रोकने के लिए डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव लाना भी जरूरी है. दवाओं के साथ-साथ कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट लेने से स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि ये डाइट मिर्गी में कैसे फायदेमंद साबित होती है. डाइट के साथ-साथ लाइफस्टाइल में निम्न बदलाव करने से भी फायदा हो सकता है -

  • पर्याप्त नींद लें.
  • शराब और नशीली दवाओं के सेवन से बचें.
  • तनाव से दूर रहने का प्रयास करें.
  • रोज एक्सरसाइज जरूर करें.

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मिर्गी का कोई इलाज नहीं है और इस समस्या से ग्रस्त लोगों की औसत आयु 10-12 साल कम हो जाती है. फिर भी मिर्गी से प्रभावित लोग सही उपचार के जरिए बेहतर जीवन जी सकते हैं. डॉक्टर की सलाह पर दवा लेने, अच्छी डाइट लेने व बेहतर लाइफस्टाइल को फॉलो करने से मिर्गी के चलते आने वाले दौरे को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है. अगर दवा से फायदा न हो, तो डॉक्टर की सलाह पर सर्जरी या फिर मस्तिष्क में डिवाइज लगवाने से भी जीवन में सुधार हो सकता है.

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