हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है?

जब भी हम हेल्थ इन्शुरन्स की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में उठने वाले तमाम सवालों में सबसे अहम प्रश्न आता है कि इसमें क्या-क्या कवर होगा। बता दें, हेल्थ इंश्योरेंस में कवर किए जाने वाले जरूरी व सामान्य सुविधाओं के बारे में नीचे बताया गया है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि यह सभी प्वॉइंट्स हर पॉलिसी में कवर किए जाएं। इसलिए हेल्थ इन्शुरन्स लेने से पहले अपनी आवश्यकता को जरूर ध्यान रखें।

  1. मेडिकल खर्चे - Health insurance cover Medical expenses in Hindi
  2. कोविड-19 कवर - Health insurance cover Covid-19 cover in Hindi
  3. गंभीर बीमारियां - Health insurance cover Critical Illnesses in Hindi
  4. कैशलेस क्लेम - Health insurance cover Cashless claim benefit in Hindi
  5. हॉस्पिटल कैश - Health insurance cover Hospital Cash in Hindi
  6. हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा कवर की जाने वाली अन्य सुविधाएं - Other facilities covered by Health Insurance Companies in Hindi
  7. ध्यान रखने योग्य बातें - Things to consider before buying health insurance in Hindi

हेल्थ इन्शुरन्स लेने से सबसे जरूरी चीज - मेडिकल इमर्जेंसी पड़ने पर पैसों के इंतेजाम को लेकर कोई परेशानी नहीं होती है। हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के तहत आप न सिर्फ बड़े खर्चे से बच सकते हैं, बल्कि अच्छे से अच्छा ट्रीटमेंट भी ले सकते हैं। myUpchar बीमा प्लस हेल्थ इन्शुरन्स में अस्पताल में भर्ती होने का खर्च, अस्पताल में भर्ती से पहले व बाद का खर्च, घरेलू खर्च, एम्बुलेंस शुल्क, कैशलेस सुविधा, डे केयर प्रक्रिया (24 घंटे से कम समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता होने पर डे-केयर टर्म का इस्तेमाल किया जाता है) इत्यादि शामिल होता है। आमतौर पर सभी हेल्थ इन्शुरन्स में ये सुविधाएं कवर होती हैं। इसके अलावा यदि आपकी मेडिकल कंडीशन कम गंभीर है, जो कि एक-दो दिन में ठीक हो सकती है, तो यह ओपीडी में आएगा जो कि आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स कवर नहीं करती हैं।

अस्पताल के खर्च - Health insurance cover Hospital Expenses in Hindi

यदि किसी व्यक्ति ने हेल्थ इन्शुरन्स कराया है और उसे 24 घंटे से अधिक समय के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है, तो ऐसे में बीमा कंपनी तय नियम व शर्तों के तहत उसका खर्चा उठाएगी। हालांकि, खर्च का प्रतिशत अलग-अलग पॉलिसी पर निर्भर करता है। इसके अलावा इसमें आईसीयू का खर्च भी कवर किया जाता है।

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ऑटोमेटिक रिचार्ज या ऑटो री-फिल - Health insurance cover Automatic Recharge in Hindi

ऑटोमेटिक रिचार्ज या ऑटो री-फिल पॉलिसी हमेशा आकर्षक लगती है। इन्शुरन्स एजेंट इसके फायदों के बारे में इतना बखान करते हैं कि ग्राहक कुछ जरूरी बातों को भूल ही जाते हैं। ऑटो री-फिल पॉलिसी में आपकी पॉलिसी के बीमित राशि (सम-इनश्योर्ड) के बराबर राशि को एक ही पॉलिसी वर्ष में दोबारा री-फिल कर दिया जाता है। इसके लिए भी कुछ नियम व शर्तें होती हैं, जिन्हें आपके लिए समझना बेहद जरूरी है।

  • यदि आपका सम-इनश्योर्ड पहले ही खत्म हो चुका है तो आपको उतना ही सम-इनश्योर्ड फिर से मिल जाता है। यानी आपको एक ही साल में डबल सम-इनश्योर्ड मिल सकता है।
  • पहली बार अस्पताल में भर्ती होने पर ही यदि डबल सम-इनश्योर्ड के बराबर बिल आएगा तो कंपनी डबल सम-इनश्योर्ड नहीं देगी।
  • कुछ कंपनियां पहला सम-इनश्योर्ड पूरी तरह खत्म होने के बाद ही ऑटो री-चार्ज की सुविधा देती हैं।
  • कुछ कंपनियां दूसरे या उसके बाद के किसी भी क्लेम में ऑटो री-चार्ज की सुविधा दे देती हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आपका सम इनश्योर्ड 5 लाख रुपये का है और आप 10 हजार रुपये का एक क्लेम कर चुके हैं तो दूसरी बार के क्लेम में यदि आपके अस्पताल का बिल 9 लाख 90 हजार भी आएगा तो कुछ कंपनियां यह क्लेम देती हैं।

एम्बुलेंस फीस - Health insurance cover Ambulance fee in Hindi

आपातकालीन सेवाओं की कीमत अक्सर ज्यादा होती है। ऐसे में सड़क या हवाई एम्बुलेंस के साथ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों का चयन करना समझदारी भरा निर्णय हो सकता है। बाजार में कई ऐसे हेल्थ इन्शुरन्स मौजूद हैं जो इस तरह की सेवाओं का खर्चा कवर करती हैं। हालांकि, आपकी नॉर्मल हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में भी 1500 या 2000 रुपये तक की एम्बुलेंस फीस कवर होती है, लेकिन एयर एम्बुलेंस आमतौर पर कवर नहीं होती। myUpchar बीमा प्लस इन्शुरन्स में 1500 रुपये तक का मेडिकल कवर मिलता है। इसमें शर्त यह है कि इमरजेंसी के स्थान से नजदीकी अस्पताल तक ही क्लेम किया जा सकता है।

प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन - Health insurance cover Pre and Post Hospitalization in Hindi

व्यक्ति की बीमारी के संकेत से लेकर ट्रीटमेंट के बाद तक के खर्चे 'प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन' के अंतर्गत आते हैं, जो कि हेल्थ इन्शुरन्स में कवर हो जाता है। इसमें डॉक्टर से परामर्श, बीमारी का निदान, अस्पताल में भर्ती होना व अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद कुछ दिन तक के मेडिकल खर्चे शामिल हैं।

ज्यादातर हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी के अनुसार अस्पताल में भर्ती होने से पहले 30 दिन और अस्पताल से छुट्टी मिलने के 60 दिनों बाद तक के समय को प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन में शामिल किया जाता है। आजकल कुछ हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां भर्ती होने से 60 दिन पहले और अस्पताल से छुट्टी मिलने के 120 दिन बाद तक भी उस बीमारी से जुड़े खर्चों को कवर करती हैं।

ऑर्गन डोनर कवर - Health insurance cover Organ Donor Cover in Hindi

यदि पॉलिसी धारक के किसी अंग में समस्या है और उसे ट्रांसप्लांट की जरूरत है तो अंग दान करने वाले व्यक्ति के मेडिकल और सर्जिकल खर्चों को पॉलिसी में कवर किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि बीमित व्यक्ति को वह अंग समय पर मिले, जिसकी उसे आवश्यकता है।

सेकेंड ओपिनियन - Health insurance cover Second Opinion in Hindi

भारत में, लोग आमतौर पर अपने डॉक्टरों के साथ इतना सहज हो जाते हैं कि वे विश्वास नहीं अंध विश्वास कर लेते हैं और दूसरी राय के बारे में विचार तक भी नहीं करते हैं। हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि दो डॉक्टरों के विचार अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए, दूसरी राय प्राप्त करने से आपको अपनी स्थिति के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है, जिससे अगला कदम बेहतर ढंग से उठाया जा सकता है। वास्तव में यह सुनिश्चित करता है कि आप सही रास्ते पर हैं। ऐसे में हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी सेकेंड ओपिनियन यानी दूसरी राय के खर्चे को भी कवर करती है।

सलाना चेकअप - Health insurance cover Annual Checkup in Hindi

यदि आप वार्षिक रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते हैं, तो आपको अपनी मौजूदा मेडिकल कंडीशन के बारे में जानने में मदद मिल सकती है। यदि हेल्थ इन्शुरन्स में सलाना चेकअप कवर है, और आपको किसी बीमारी का खतरा है तो निश्चित रूप से आप समय रहते इस बारे में जान पाएंगे और उचित ट्रीटमेंट के लिए कदम उठा पाएंगे। यह जीवन शैली को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमि​का निभाता है।

डे-केयर - Health insurance cover Day-care in Hindi

डे-केयर' एक टर्म है जिसका उपयोग ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है, जिनके लिए 24 घंटे से कम समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता होती है।

वर्तमान में कोरोना के हालात को देखते हुए सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या हमारे हेल्थ इन्शुरन्स में कोविड का इलाज कवर होगा? ज्यादातर हेल्थ पॉलिसी में कोविड का इलाज कवर होता है। यही नहीं कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए कुछ इन्शुरन्स कंपनियां वैक्सीनेशन को भी कवर कर रही हैं। myUpchar बीमा प्लस हेल्थ इन्शुरन्स में कोरोना का इलाज तो कवर है ही, साथ ही 24x7 फ्री ऑनलाइन कंसल्टेशन की सुविधा भी मिलती है।

(और पढ़ें -  कोरोना वायरस टेस्ट क्या है)

फॉलोअप टेस्ट - Health insurance cover Follow-up tests in Hindi

ज्यादातर रोगियों को केवल तभी कोविड-19 वायरस से मुक्त माना जाता है, जब 24 घंटों के अंदर उनके कोविड टेस्ट रिजल्ट निगेटिव आते हैं। इसके अलावा, रिपोर्टों से पता चला है कि रोगी के पूरी तरह से ठीक होने के बाद दोबारा कोविड-19 का जोखिम रहता है। इस मामले में, रोगियों के लिए फॉलोअप टेस्ट कवर करने की आवश्यकता हो सकती है।

ध्यान रहे, फॉलोअप टेस्ट में केवल वे टेस्ट ही आते हैं, जो नेटवर्क हॉस्पिटल से कराए जाने के लिए कहे जाते हैं। इसके अलावा आप जिस निर्धारित बीमारी या मेडिकल कंडीशन के लिए नेटवर्क हॉस्पिटल जाते हैं केवल उसी बीमारी से संबंधित टेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस के अंतर्गत आएंगे।

टीकाकरण - Health insurance cover Vaccination cover in Hindi

आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां टीकाकरण को कवर नहीं करती हैं, लेकिन वर्तमान में दुनियाभर में तेजी से बढ़ते कोरोना केसेज को देखते हुए कई हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां टीकाकरण को कवर करने का ऑफर देती हैं। कई कंपनियों ने इसके लिए अलग से पॉलिसी डिजाइन की है, जिसका उद्देश्य अस्पताल में भर्ती होने वाले खर्च, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और अस्पताल से छुट्टी होने के बाद के खर्चों और कोविड-19 के इलाज के कारण होने वाले अन्य मेडिकल एक्सपेंसेज (चिकित्सा से जुड़े खर्चे) को कवर करना है। चूंकि कोविड-19 एक नई बीमारी है, इसलिए यह पहले से मौजूद बीमारियों की श्रेणी में नहीं आती है।

एक्सटेंडेड हॉस्पिटलाइजेशन कवर - Health insurance cover Extended hospitalization cover in Hindi

कोविड​​​-19 जैसे वायरल रोगों के लिए रोगी को कुछ दिनों या हफ्तों तक डॉक्टर की निगरानी में रखने की आवश्यकता हो सकती है। एक्सटेंडेड हॉस्पिटलाइजेशन कवर की मदद से इमर्जेंसी में इस तरह के मेडिकल बिलों से बचा सकता है।

बीमा कंपनी किडनी फेलियर, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, स्ट्रोक, हाथ-पैर खो देना इत्यादि स्थितियों को कवर करती हैं। जिस मेडिकल स्थिति से आप गुजर रहे हैं, यदि वह बीमा कंपनी की लिस्ट में शामिल है तो बीमारी का निदान होने पर बीमा कंपनी की ओर से आपको एकमुश्त रकम की मदद की जा सकती है। इन पैसों का उपयोग बीमारी से जुड़े खर्चों, दैनिक खर्चों व पैसों से जुड़े अन्य दायित्वों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, किस पॉलिसी में कौन सी बीमारियां कवर की गई हैं, यह आपको इन्शुरन्स लेने से पहले ही बता दिया जाता है या आप पॉलिसी वर्डिंग्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

(और पढ़ें - ब्रेन स्ट्रोक होने पर क्या करें)

क्रिटिकल इलनेस में कौन सी बीमारियां आती हैं - Examples of Serious Diseases in Hindi

क्रिटिकल इलनेस यानी गंभीर बीमारियों के कुछ उदाहरण में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं :

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
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बीमा कंपनियां अपने नेटवर्क अस्पतालों में कैशलेस क्लेम की सुविधा देती हैं। यह ऐसी व्यवस्था है, जिसमें आपको नकद या यूं कहें कि जेब से पैसे निकालकर भुगतान नहीं करना होता है। अस्पताल में भर्ती होने का खर्च आपकी इन्शुरन्स कपंनी और अस्पताल के बीच तय किया जाता है, लेकिन इस सुविधा लाभ का लाभ उठाने के लिए आपको बीमा कंपनी के नेटवर्क में आने वाले अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है। कैशलेस सुविधा लेने के लिए आपको एक प्री-आथराइजेशन फॉर्म भरना होता है और काउंटर पर अपने हेल्थ इन्शुरन्स कार्ड को दिखाना होता है। यदि इमरजेंसी में भर्ती नहीं हैं और कोई सर्जरी पहले से प्लान कर रहे हैं तो अस्पताल में भर्ती होने से 2-3 दिन पहले ही कंपनी से ऑथराइजेशन लेना जरूरी होता है।

डेली हॉस्पिटल कैश प्लान यानी अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में प्रतिदिन के आधार पर एक निश्चित राशि बीमित व्यक्ति को दी जाती है। इस राशि का उपयोग बीमित व्यक्ति अपने अनुसार कर सकता है। कई बार अस्पताल से जुड़े एक्सट्रा खर्च सामने आ जाते हैं, यदि आपके हेल्थ इन्शुरन्स में हॉस्पिटल कैश सुविधा शामिल है तो अस्पताल में भर्ती होने के दौरान पॉलिसी बॉन्ड के तहत आप इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

ध्यान रहे, समय के साथ हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों में प्रतियोगिता बढ़ रही है, ऐसे में सभी नए-नए कवरेज देकर ग्राहकों को लुभाना चाहती हैं। हेल्थ इन्शुरन्स निम्नलिखित चीजों को भी कवर करती हैं। यदि आप रिन्यू के दौरान प्रीमियम की राशि बढ़ाते हैं तो आप अतिरिक्त लाभ भी उठा सकते हैं।

मैटरनिटी कवर - Health insurance cover Maternity Cover in Hindi

आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स में मैटरनिटी यानी गर्भावस्था को कवर नहीं किया जाता है। लेकिन राइडर के तौर पर आप इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। हालांकि, कुछ कॉरपोरेट अपने यहां की महिला कर्मचारियों को एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ मैटरनिटी कवर का लाभ देते हैं। एक और बात, आप इस तरह का इन्शुरन्स लेते ही मैटरनिटी कवर का लाभ नहीं ले सकते हैं, इसके लिए हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों द्वारा कुछ वेटिंग पीरियड निर्धारित किया जाता है। जो आमतौर पर 24 माह यानी दो साल का होता है।

लेजर आई सर्जरी - Health insurance cover Laser Eye Surgery in Hindi

आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स में इस तरह के खर्चे कवर नहीं किए जाते हैं, लेकिन कुछ कंपनियां कुछ मानदंडों को पूरा करने पर इस तरह की सर्जरी के लिए भी कवर मुहैया कराती हैं। कुछ बीमा कंपनियां 'विजन प्लान' देती हैं, जो लेजर आई सर्जरी को भी कवर करता है।

दवाइयां - Health insurance cover Medical Bills in Hindi

यदि आपके पास हेल्थ इन्शुरन्स है, तो इन्शुरन्स कंपनी कुछ नियम व शर्तों के तहत आपकी दवाइयों जैसे स्वास्थ्य संबंधी खर्चों का निपटान करती हैं। इसके लिए आपको ओपीडी कवर का अतिरिक्त राइडर लेना होगा, जो एक निश्चित राशि तक सालाना आपके ओपीडी खर्चों को कवर करेगा।

एक्सीडेंट - Health insurance cover Accidents in Hindi

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यदि आपने हेल्थ इन्शुरन्स लिया है तो उसमें 'प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन' शामिल होता है। साथ ही किसी भी सामान्य हेल्थ इन्शुरन्स में एक्सीडेंट की वजह से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खर्च शामिल होते ही हैं।

(और पढ़ें - रोड एक्सीडेंट में प्राथमिक उपचार)

ध्यान रहे, किसी भी मेडिकल स्थिति के लिए जब लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है, तो ऐसे में तेजी से पैसा खत्म हो सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि पैसों के बेहिसाब खर्चे की ​वजह से परिवार के किसी अन्य सदस्य पर कोई परेशानी न आने पाए। आप चाहें तो फैमिली हेल्थ इन्शुरन्स के साथ-साथ पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बारे में भी विचार कर सकते हैं, जो किफायती प्रीमियम पर बड़ा कवरेज दे सकता है।

दूसरी तरफ, समय के साथ हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों में प्रतियोगिता बढ़ रही है, ऐसे में सभी नए-नए कवरेज देकर ग्राहकों को लुभाना चाहती हैं। बहुत सी ऐसे भी सुविधाएं होती हैं, जिन्हें पाने के लिए आपको रिन्यू के दौरान प्रीमियम की राशि को बढ़ानी होती है। बहरहाल, आपको अपनी जरूरत के अनुसार हेल्थ इन्शुरन्स प्लान का चुनाव करना चाहिए और किसी भी प्लान को लेने में जल्दबाजी करने की बजाय उसके नियम व शर्तों को अच्छे से समझ लेना चाहिए।

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