देश के आजाद होने के बाद विकास को रफ्तार देने के लिए इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन की जरूरत थी। ऐसे में अलग-अलग उद्योगों में काम करने वाले कामगारों की समाजिक सुरक्षा भी जरूरी थी। भारत सरकार ने एमप्लॉईज स्टेट इन्शुरन्स एक्ट 1948 के तहत यह व्यवस्था की। 1950 के दशक में जब भारत में औद्योगिक क्रांति को बल मिला तो तमाम उद्योगों में बड़ी संख्या में कामगारों की आवश्यकता महसूस हुई और इस दौरान ईएसआईसी यानी कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम के जरिए मजदूरों को समाजिक सुरक्षा का भरोसा दिया गया।

साल 1952 में ईएसआई योजना के शुरू होने के बाद से ही ईएसआई निगम ने कई अस्पताल और मेडिकल सुविधाओं की स्थापना की है। पिछले 7 दशक में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क और सेवाओं के माध्यम से ईएसआई ने मजदूरों और कर्मचारियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं।

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  1. ईएसआई स्कीम क्या है - What Is Employees State Insurance Scheme in Hindi?
  2. ईएसआई के लिए क्या पात्रता है - What is esic eligibility in Hindi?
  3. ईएसआई स्कीम में क्या कवर होता है - What is Covered Under Employees State Insurance Scheme in Hindi?
  4. ईएसआई स्कीम में क्या कवर नहीं होता - What Is Not Covered Under Employees State Insurance Scheme in Hindi?
  5. ईएसआई योजना की विशेषताएं और लाभ - Features And Benefits of Employees State Insurance Scheme in Hindi
  6. ईएसआई पहचान कार्ड के लिए आवेदन कैसे करें - How To Apply an ESI Card in Hindi?
  7. दूसरी जेनरेशन के रिफॉर्म्स यानी ईएसआईसी 2.0 - Progress of 2nd Generation Reforms of ESIC in Hindi
  8. ईएसआई योजना में क्या करें क्या न करें - Dos and Donts of ESI Scheme in Hindi
  9. ईएसआई का लाभ कैसे ले सकते हैं - How To Claim ESI Benefits in Hindi?
  10. ऑनलाइन ईएसआई क्लेम का स्टेट कैसे चैक करें - How To Check Claim Status of ESIC Online in Hindi?
  11. क्या मैं किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवा सकता हूं - Criteria for getting Health Services directly in nearby Private Hospital in Hindi
  12. ईएसआईसी नंबर को कैसे एक्टीवेट करें - How To Activate Esic Number in Hindi?
  13. ईएसआई योजना में शामिल अस्पतालों की लिस्ट - Employees State Insurance Scheme Hospital List in Hindi

ईएसआई स्कीम को शुरू करने के पीछे भारत सरकार का प्रमुख उद्देश्य मजदूरों को स्थायी या अस्थायी विकलांगता, बीमारी, कार्य के दौरान चोट लगने या मौत होने और व्यवसाय से जुड़ी बीमारियों जैसी स्वास्थ्य संबंधी इमरजेंसी में मदद करना रहा है। क्योंकि इन सभी कारणों से मजदूर को न सिर्फ परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बल्कि उसकी कमाई पर भी व्यापक असर पड़ता है, कई बार तो ऐसी स्थितियों के कारण उनकी नौकरी भी छूट जाती है। इस स्कीम में मजदूर और उसके परिवार को इन्शुरन्स कवरेज मिलती है और इसमें मैटरनिटी को भी कवर किया जाता है। ईएसआई स्कीम के तहत मजदूरों और उनके परिवारजनों को न सिर्फ स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं, बल्कि विकलांगता या आमदनी का नुकसान होने पर कैश लाभ भी दिया जाता है। यही नहीं यदि कार्य के दौरान मजदूर की मौत या चोट लगने पर परिवार को पेंशन का भी भुगतान किया जाता है।

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किसी फैक्टरी, व्यावसायिक प्रतिष्ठान जैसे होटल, रोड ट्रांस्पोर्ट, सिनेमा, न्यूजपेपर, एजुकेशनल और चिकित्सा संस्थाओं, दुकानों में काम करने वाले मजदूरों को यह सुविधा दी जाती है। इसके लिए उस संस्थान में कम से कम 10 व्यक्ति कार्यरत होने चाहिए। फिलहाल में जिन मजदूरों या कर्मचारियों की मासिक मजदूरी या वेतन 21 हजार रुपये प्रतिमाह तक है, उन्हें और उनके परिवार को ईएसआई स्कीम का लाभ दिया जाता है। दिव्यांग कर्मचारी के लिए यह सीमा 25 हजार रुपये रखी गई है। इस स्कीम के लिए कर्मचारी की मजदूरी या वेतन का 1.75 फीसद और कंपनी या फैक्टरी 4.75 फीसद देती है। यह कॉन्ट्रीब्यूशन समय-समय पर बदलता रहता है। ऐसे मजदूर जिनकी दैनिक मजदूरी 50 रुपये तक है उन्हें किसी भी तरह के अंशदान से अलग रखा गया है। हालांकि, नियोक्ता को अपना अंशदान करना होता है।

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ऐतिहासिक तौर पर देखें तो शुरुआत में साल 1952 में देश के दो बड़े औद्योगिक केंद्र दिल्ली और कानपुर में ईएसआई स्कीम को शुरू किया गया था। जैसे-जैसे देशभर में औद्योगिक क्रांति फैली, वैसे-वैसे ईएसआई का विस्तार भी होता गया। औद्योगिक विकास आगे बढ़ता गया और ईएसआई ने समाजिक सुरक्षा के अपने दायित्वों को बखूबी निभाया। 31 मार्च 2019 तक देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ईएसआई स्कीम लागू हो चुकी है। इस समय ईएसआई के अंतर्गत 12 लाख फैक्टरियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के 3 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और उनके परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। इस तरह से इस स्कीम के तहत मौजूदा दौर में कुल मिलाकर 13 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं।

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ईएसआई योजना के अंतर्गत वर्तमान में 21 हजार रुपये प्रतिमाह से ज्यादा कमाने वाले मजदूरों या कर्मचारियों को शामिल नहीं किया जाता है। यदि मजदूर या कर्मचारी दिव्यांग है तो 25 हजार रुपये प्रति माह तक कमाने वाले कर्मचारी भी ईएसआई योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र और चंड़ीगढ़ में ईएसआई योजना के तहत कवरेज के लिए फैक्टरी या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में मजदूरों या कर्मचारियों की वर्तमान संख्या 20 है, जबकि अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 10 है।

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ईएसआई योजना अपने लाभार्थियों को बहुत सी सेवाएं प्रदान करती है। इसके तहत मिलने वाली कुछ सुविधाओं के बारे में नीचे बताया गया है -

मेडिकल - इस योजना के तहत बीमित व्यक्ति के स्वास्थ्य खर्च को एफोर्डेबल और उचित हेल्थ केयर फैसिलिटी के माध्यम से कवर किया जाता है। मजदूर या कर्मचारी इस योजना के तहत पहले ही दिन से इस कवरेज का लाभ ले सकता है।

मैटरनिटी - इस स्कीम के तहत लाभार्थी महिला 26 हफ्तों तक अपनी दैनिक मजदूरी का 100 फीसद लाभ पाने की हकदार होती है और इसे चिकित्सीय सलाह पर एक महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है। मिसकैरेज के मामले में 6 हफ्तों तक यह लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जबकि बच्चा गोद लेने पर 12 हफ्तों का मैटरनिटी लाभ मिल सकता है।

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दिव्यांगता - अस्थायी दिव्यांगता के मामले में कर्मचारी पूरी तरह से ठीक होने तक अपने मासिक वेतन का 90 फीसद पाने का हकदार होता है। यदि दिव्यांगता स्थायी है तो उसे जीवनभर 90 फीसद मासिक वेतन दिया जा सकता है।

बीमारी - यदि कर्मचारी बीमार हो जाता है तो उसके दैनिक खर्चों के लिए कैश की सुविधा भी ईएसआई योजना में है। ऐसे में कर्मचारी को अधिकतम 91 दिनों तक उसकी दैनिक मजदूरी का 70 फीसद तक देने का प्रावधान है। इसे दो बार तक लिया जा सकता है।

बेरोजगारी - यदि किसी कारण से कर्मचारी बेरोजगार हो जाता है तो 24 माह तक उसे उसके मासिक वेतन का अधिकतम 50 फीसद तक सहायता राशि के रूप में दिया जा सकता है। इसमें किसी चोट के कारण  स्थायी रूप से अपाहिज होना भी शामिल है।

आश्रित - कार्य के दौरान चोट लगने या बीमार होने पर कर्मचारी के आश्रितों को वित्तीय लाभ दिया जाता है। ऐसी स्थिति में आश्रित मासिक आय के हकदार होते हैं और सभी आश्रितों को बराबर राशि का भुगतान किया जाता है।

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कवरेज - इस स्कीम के तहत कर्मचारी और मजदूर को उनके रोजगार के पहले ही दिन से कवर किया जाता है। इसमें कर्मचारी और उसके आश्रित भी शामिल होते हैं।

अंतिम संस्कार की लागत - ईएसआईसी अंतिम संस्कार की लागत के रूप में 15 हजार रुपये की राशि प्रदान करती है। यह राशि उनके आश्रित या उस व्यक्ति को दी जाती है तो अंतिम संस्कार से जुड़े सभी कार्य करता है।

वोकेशनल रिहैब्लिटेशन - बीमाधारक की जरूरत के आधार पर ईएसआईसी यह सुविधा उपलब्ध करवाता है। यह सुविधा उन लोगों के लिए है जो स्थायी रूप दिव्यांग हो चुके हैं, ताकि वे वोकेशनल रिहैब्लिटेशन की प्रक्रिया से गुजर सकें।

फिजिकल रिहैब्लिटेशन - रोजगार से संबंधित चोट के कारण होने वाली किसी भी दिव्यांगता के मामले में बीमित व्यक्ति को यह लाभ दिया जाता है।

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ईएसआई कार्ड को पहचान कार्ड भी कहा जाता है। दरअसल यह ईएसआई स्कीम के तहत कर्मचारी का पहचान पत्र है, जिसकी मदद से वह ईएसआई के पैनल में शामिल अस्पतालों और डिस्पेंसरी में लाभ प्राप्त कर सकता है। इस कार्ड में कार्डधारक का नाम, पिता का नाम, घर का पता और एक यूनीक ईएसआई इन्शुरन्स नंबर भी होता है। इसमें उस व्यक्ति की फोटो और आश्रितों के बारे में भी जानकारी होती है।

अपना ईएसआई पहचान पत्र डाउनलोड करने के लिए कर्मचारी को ईएसआईसी के पोर्टल पर जाना होता है और यहां अपने अकाउंट में निजी जानकारी व कार्य से संबंधित जानकारी देकर लॉगइन करना होता है। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो ईएसआईसी एक मैग्नेटिक स्मार्ट कार्ड कर्मचारी के पते पर भेज देती है या कई बार उन्हें ईएसआईसी ब्रांच में जाकर भी इस कार्ड को प्राप्त करना पड़ सकता है। ईएसआईसी ने अपने पोर्टल पर ईएसआई ई-पहचान कार्ड डाउनलोड करने के लिए एक नया विकल्प भी दिया है।

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साल  2015 में केंद्र सरकार ने ईएसआईएस में कई स्वास्थ्य सुधार पहल की शुरुआत की। ईएसआईसी 2.0 की कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं -

  • ईएसआई धारकों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड की ऑनलाइन उपलब्धता
  • मेडिकल हेल्पलाइन
  • विबग्योर - ऑपरेशन इंद्रधनुष
  • स्पेशल ओपीडी (और पढ़ें - इन्शुरन्स में ओपडी कवर के क्या फायदे हैं)
  • दवाओं की क्वालिटी कंट्रोल
  • पीपीपी मॉडल के तहत पैथोलॉजिकल और एक्स-रे टेस्ट
  • ईएसआईसी अस्पताल या डिस्पेंसरी में सदस्य की नियमित जांच
  • सीटी स्कैन, आईसीयू, एमआरआई, कैट-लैब, डायलिसिस जैसी स्पेशलिटीज का निर्माण
  • डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ, योग, आयुष, स्पेशल चाइल्ड एंड मदर केयर हॉस्पिटल, मदद काउंटर काउंटर आदि में बिहैविरल ट्रेनिंग

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एक ईएसआई लाभार्थी होने के नाते आपको कई बातों का ध्यान रखना होता है। नीचे कुछ बातें बताई जा रही हैं, जिनका आपको पालन करना होगा -

  • अगर आप नौकरी बदलकर किसी दूसरी कंपनी या फैक्टरी में जाते हैं तो नए नियोक्ता को अपने ईएसआई रजिस्ट्रेशन नंबर के बारे में जानकारी दें
  • जब भी किसी ईएसआई अस्पताल या डिस्पेंसरी जाएं दो अपना ईएसआई कार्ड (पहचान कार्ड) या ई-पहचान जरूर लेकर जाएं, क्योंकि सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए इसकी आवश्यकता पड़ती है।
  • डॉक्टर की बात का पूरी तरह से अनुसरण करें।
  • अपने ईएसआई स्मार्ट कार्ड को हमेशा संभालकर रखें। हालांकि, आपको ई-पहचान कार्ड मिल सकता है, लेकिन इसे प्राप्त करने के लिए भी काफी मेहनत करनी पड़ती है। कार्ड खो जाने पर ईएसाई ब्रांच दफ्तर या डिस्पेंसरी में जरूर सूचना दें।

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ईएसआई योजना के लाभार्थी के रूप में आप दो तरह के लाभ प्राप्त कर सकते हैं -

  • चिकित्सा लाभ  : आप और आपके आश्रित चिकित्सा देखभाल का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए आपको किसी भी ईएसआई पैनल के अस्पताल में जाना होगा।
  • कैश लाभ : ईएसआई योजना के लाभार्थी मजदूर और कर्मचारी को किसी बीमारी, स्थायी या अस्थायी दिव्यांगता, मैटरनिटी, बेरोजगारी जैसी स्थितियों में, आश्रित को, अंतिम संस्कार की लागत के साथ ही वोकेशनल और फिजिकल रिहैब्लिटेशन के लिए कैश लाभ भी मिलता है।

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अपने ईएसआई क्लेम का स्टेटस ऑनलाइन कैसे चैक करें, इसके लिए नीचे दिए गए चरणों को फॉलो करें -

चरण 1: अगर आपके स्मार्टफोन में उमंग ऐप है तो उसे खोलें, अगर नहीं है तो डाउनलोड कर लें।

चरण 2: आईपी नंबर या ईएसआईसी नंबर डालें और 'गेट ओटीपी' पर क्लिक करें

चरण 3: फोन पर आए ओटीपी को दर्ज करें और सबमिट पर क्लिक करें

चरण 4: सर्विस मैन्यू में जाकर क्लेम स्टेटस को सिलेक्ट करें

चरण 5: यदि आपने कोई क्लेम आवेदन किया है तो आपको यहां अपने क्लेम का स्टेटस दिख जाएगा, इसके अलावा आप एडवांस सर्च का इस्तेमाल कर क्लेम के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में नेटवर्क और नॉन नेटवर्क अस्पताल की क्या भूमिका होती है)

ईएसआईसी लाभार्थी इमरजेंसी में इलाज के लिए सूचिबद्ध और गैर-सूचिबद्ध प्राइवेट अस्पतालों में जा सकते हैं। इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि सूचिबद्ध अस्पताल में जाने पर इलाज कैशलेस होगा, यानी आपको अपनी जेब से कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। जबकि गैर-सूचिबद्ध अस्पताल में आपको सभी बिल चुकाने होंगे और बाद में आप बिल को सीजीएचएस रेट पर रिइम्बर्स करवा सकते हैं। यदि आपके निवास स्थान के 10 किमी की रेंज में कोई भी सूचिबद्ध अस्पताल, ईएसआई अस्पताल, डिस्पेंसरी और इनश्योर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर नहीं है तो आप स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए किसी गैर-सूचिबद्ध प्राइवेट अस्पताल में जा सकते हैं। इसके लिए आपको ईएसआई डिस्पेंसरी या अस्पताल से रेफरल की भी आवश्यकता नहीं होती।

(और पढ़ें - कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स क्या है?)

सबसे पहले आप ईएसआईसी के आधिकारिक पोर्टल पर जाएं और सर्विसेस टैब के अंतर्गत, एमप्लॉईज सेक्शन में आईपी पोर्टल पर क्लिक करें। इस तरह से आप एमप्लॉई लॉगइन पोर्टल पर पहुंच जाएंगे। यहां पहुंचकर सबसे पहले आप साइनअप बटन पर क्लिक करें। ऐसा करने से यूजर साइनअप पेज खुल जाएगा। जहां 'इन्शुरन्स नंबर हेयर' लिखा होगा, वहां अपना ईएसआईसी नंबर दर्ज करें। अपनी जन्मतिथि दर्ज करें, काप्चा कोड़ की एंट्री करें और नीचे अपना मोबाइल नंबर भी डाल दें। अब साइनअप बटन पर क्लिक कर दें। इसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा। वैरिफाइ मोबाइल नंबर पेज पर ओटीपी नंबर को दर्ज करें और वैरिफाई बटन पर क्लिक करें।

(और पढ़ें - क्या हर हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में फ्री हेल्थ चेकअप की सुविधा मिलती है)

ईएसआईसी के अपने अस्पताल और डिस्पेंसरियां तो हैं ही, साथ ही अपने बीमाधारकों की सुविधा के लिए ईएसआईसी ने देशभर में विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों के साथ टाइअप किया हुआ है। आपके नजदीक में ईएसआईसी के साथ जुड़े ऐसे अस्पतालों की लिस्ट देखने के लिए इस (www.esic.nic.in/ssts) लिंक पर जाएं।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में वेटिंग पीरियड का क्या नियम है)

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