हर व्यक्ति के लिए सस्ते और महंगे की सीमा अलग-अलग होती है। आप अपनी कुल कमाई में से जितनी रकम असानी से निकालकर अपने लिए हेल्थ इन्शुरन्स खरीद सकते हैं, वही आपके लिए सस्ते हेल्थ इन्शुरन्स की परिभाषा है। इसे उदाहरण से समझते हैं - मान लीजिए आप 20000 हजार रुपये प्रति माह कमाते हैं और उसमें से 2000 रुपये तक की मासिक किश्त चुका सकते हैं, तो रेशियो होगा 1/10, और यदि आप 10000 रुपये प्रति माह कमाते हैं और उसमें से 2000 रुपये बीमा कंपनी को देना पड़ जाए तो रेशियो होगा 1/5, और यह प्रतिशत आपकी जेब को खासा प्रभावित करेगा।

सस्ते का मतलब सिर्फ और सिर्फ उस राशि से है, जिसका आप बिना किसी तनाव के आसानी से प्रबंधन कर सकते हैं और उस राशि के जाने के बाद आपके बाकी खर्चों पर विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। तीन लाख सम-इनश्योर्ड के myUpchar बीमा प्लस हेल्थ इन्शुरन्स के लिए आपको सालाना 6541 रुपये जितना कम प्रीमियम चुकाना होता है। इतने कम प्रीमियम में कोई भी हेल्थ प्लान मिलना काफी मुश्किल है। नीचे आपको सस्ते स्वास्थ्य बीमा से जुड़ी ऐसी जानकारियां दी गई हैं जो न सिर्फ पॉलिसी के चुनाव में आपकी मदद करेंगी, बल्कि आपके बजट पर भी फर्क नहीं आने देंगी।

  1. सबसे सस्ता हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है? - Cheapest Health Insurance policy in Hindi
  2. सस्ते हेल्थ इन्शुरन्स के लिए टिप्स - Tips for best health insurance in Hindi?
  3. बैंक से मिलने वाला ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स - Group Health Insurance by Bank in Hindi
  4. बैंक द्वारा कवर किए जाने वाले इन्शुरन्स के फायदे - Benefits of Health Insurance covered by the bank in Hindi
  5. फैमिली फ्लोटर हेल्थ इन्शुरन्स में है फायदा - Family Floater Health Insurance in Hindi
  6. हेल्थ इन्श्यूरेंस कितने का होता है? - How much is health insurance in Hindi

भारत में सैकड़ों तरह की हेल्थ इन्शुरन्स प्लान मौजूद हैं और कोरोना महामारी के बाद कई नए उत्पाद व सेवाओं में जबरदस्त उछाल आया है। ऐसे में हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों के बीच की प्रतियोगिता बढ़ गई है। ग्राहकों के लिए अच्छे के साथ-साथ सस्ते प्लान के बारे में जानकारी इकट्ठा करना थोड़ा मुश्किल भरा हो गया है, क्योंकि हर पॉलिसी के अलग-अलग फायदे हैं। ऐसे में आपको बस इतना ध्यान रखना है कि जो भी पॉलिसी लें, उसमें आपकी आवश्यकतानुसार सभी लाभ मौजूद होने चाहिए। मान लीजिए किसी के लिए किफायती का मतलब कम प्रीमियम देना हो सकता है, जबकि दूसरे के लिए ज्यादा से ज्यादा कवर/लाभ मिलना किफायती की परिभाषा हो सकती है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ इन्शुरन्स में क्या अंतर होता है)

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सस्ता हेल्थ इन्शुरन्स लेने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है :

बजट फ्रेंडली पर दें ध्यान

यदि आप हेल्थ इन्शुरन्स लेने का मन बना रहे हैं तो कवरेज देखने के बाद सबसे पहले यह देखना चाहिए कि उसका प्रीमियम क्या होगा, कैसे जमा (मासिक/ अर्धवार्षिक/ सलाना) कर सकते हैं, क्या समय पर प्रीमियम दे सकते हैं, प्रीमियम स्किप हो जाने पर क्या होगा और सबसे जरूरी चीज - जो भी राशि आप प्री​मियम के रूप में देंगे वह आपके लिए बजट फ्रेंडली है या नहीं। आमतौर पर प्रीमियम की राशि ऐसी होनी चाहिए, जो आपके नियमित बजट को प्रभावित न करे।

किस्तों की सुविधा

हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों के बीच बढ़ती प्रतियोगिता का एक फायदा यह भी है कि कुछ पॉलिसियों में किस्तों में प्रीमियम पे किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर - यदि आपका सलाना प्रीमियम 12000 रुपये का है तो इसे मासिक किस्तों में बदलकर 1000 रुपये प्रति माह किया जा सकता है, लेकिन ध्यान दें ऐसा करने पर सलाना प्रीमियम की राशि में कुछ इजाफा हो सकता है। आजकल ज्यादातर कंपनियां दो साल या तीन साल तक का प्रीमियम एक साथ भरने की सुविधा भी देते हैं। इस सुविधा का फायदा उठाकर आप कुल प्रीमियम राशि पर 10-25 फीसद तक की छूट भी पा सकते हैं।

कंपेयर करें

जब भी आप हेल्थ इन्शुरन्स लेने वाले हों, एक-दो या इससे अधिक कंपनियों के ऑफर जरूर जान लें। कंपेयर करने से न सिर्फ आपका पैसा बचेगा, बल्कि आप यह भी समझ पाएंगे कि वास्तव में आपके लिए क्या-क्या सेवाएं जरूरी हैं।

(और पढ़ें - सबसे अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है)

कई लोग सोचते हैं कि क्या उन्हें बैंक से हेल्थ इन्शुरन्स लेना चाहिए। बता दें, खाताधारकों (जिनका बैंक में खाता है) के लिए बैंकों की तरफ से दिया जाने वाला हेल्थ इन्शुरन्स सामान्य स्वास्थ्य योजनाओं से सस्ता पड़ सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि पॉलिसीधारक की उम्र बढ़ने पर उनमें बीमारियों, चोटों का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए स्वास्थ्य बीमा कंपनी प्रीमियम को उम्र के अनुसार महंगा कर देती हैं। जबकि बैंकों द्वारा बेची जाने वाली पॉलिसी सीनियर सिटीजन के लिए सस्ती पड़ती है, क्योंकि वे ज्यादातर मामलों में पॉलिसीधारक की उम्र को ध्यान में नहीं रखते हैं।

ग्रुप इन्शुरन्स केवल आपके नियोक्ताओं (employers) द्वारा ही नहीं दिया जाता है, बल्कि ज्यादातर निजी और पब्लिक सेक्टर बैंक भी अपने खाताधारकों के लिए ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स की सुविधा दे रहे हैं। ये योजनाएं आमतौर पर किसी विशेष कवरेज के लिए होती हैं, लेकिन इनका प्रीमियम निश्चित रूप से सस्ता होता है।

हाल ही में, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बैंकों द्वारा दी जाने वाली ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स योजनाओं में पोर्टेबिलिटी की सुविधा दी है। यह खाताधारकों के लिए बेहद फायदेमंद है क्योंकि पोर्टेबिलिटी की सुविधा होने से वे बैंक से जुड़ी विभिन्न बीमा कंपनियों द्वारा दी जाने वाली योजनाओं के बीच तुलना करके किसी एक पॉलिसी का चुनाव कर सकेंगे। ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स की कुछ सामान्य विशेषताओं पर एक नजर –

पब्लिक और निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा दी जाने वाली ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स की विशेषताएं निम्नलिखित हैं -

  • कवरेज केवल बैंक के मौजूदा खाताधारकों के लिए उपलब्ध होता है और जब तक आप बैंक में अपना खाता एक्टिव रखते हैं, तब तक आप कवरेज का आनंद ले सकते हैं।
  • व्यक्तिगत स्वास्थ्य योजनाओं की तुलना में प्रीमियम दरें काफी कम होती हैं।
  • आश्रितों के लिए अतिरिक्त प्रीमियम पर कवरेज बढ़ाया जा सकता है।
  • पहले से मौजूद मेडिकल कंडीशन आमतौर पर, पहले दिन से ही बिना किसी वेटिंग पीरियड के कवर की जाती है। हालांकि, कुछ योजनाओं में वेटिंग पीरियड हो सकता है, जो आमतौर पर कम होता है।
  • पॉलिसी लेने से पहले मेडिकल चेकअप नहीं होता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं होता)

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बैंक द्वारा कवर किए जाने वाले हेल्थ इन्शुरन्स के फायदे निम्नलिखित हैं-

मैटेरनिटी एक्सपेंसेज

आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां गर्भावस्था के समय को कवर नहीं करती हैं। यदि आप चाहते हैं कि गर्भावस्था को भी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में कवर किया जाए, तो आपको एडिशनल सर्विस लेने की जरूरत पड़ सकती है। इस सर्विस को राइडर नाम से भी जाना जाता है, जिसमें प्रीमियम की राशि में बढ़ोतरी करके, मैटरनिटी को कवर कर लिया जाता है। लेकिन मौजूदा समय में कई बैंक अपने यहां की महिला कर्मचारियों व ग्राहकों को दिए जाने वाले हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में गर्भावस्था से जुड़े खर्चों को भी कवर करते हैं। ध्यान रहे, इस तरह के हेल्थ इन्शुरन्स का लाभ आप तुरंत नहीं ले सकते हैं, इसके लिए बैंक कुछ वेटिंग पीरियड तय करते हैं, जो कि आमतौर पर 24 माह तक का हो सकता है।

ज्यादा सदस्यों को लाभ

जब आप किसी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी से पूरे परिवार को ध्यान में रखकर बीमा करवाते हैं, तो सामान्य तौर पर बीमित व्यक्ति के साथ उसके आश्रितों (जैसे पत्नी व बच्चे) को कवरेज मिलता है। लेकन कई बैंक इसमें माता-पिता सहित परिवार के 7 सदस्यों को बीमा कवरेज में शामिल करते हैं।

अन्य लाभ

  • टैक्स बेनिफिट : आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80डी के तहत हेल्थ इन्शुरन्स के प्रीमियम भुगतान पर टैक्स में छूट का लाभ प्राप्‍त किया जा सकता है।
  • रिफंड : जब ​कोई व्यक्ति कोई हेल्थ पॉलिसी लेता है तो पॉलिसी लेने के कुछ दिनों के अंदर नियम व शर्तों के तहत उस पॉलिसी को वापस भी कर सकता है, जिसके लिए उसे रिफंड मिल सकता है।
  • आयुष ट्रीटमेंट
  • सस्ता कवरेज
  • प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन
  • डे-केयर प्रोसीजर
  • एम्बुलेंस शुल्क इत्यादि

(और पढ़ें - हेल्थ इंश्योरेंस में क्या-क्या कवर होता है?)

यह एक ऐसा बीमा है जो पूरे परिवार को कवर करता है। इसमें परिवार के सभी सदस्यों के लिए अलग-अलग प्रीमियम भरने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि एक ही प्रीमियम पूरे परिवार के लिए पर्याप्त है। इसमें सम-इनश्योर्ड की राशि का लाभ परिवार के सभी सदस्यों को मिलता है। उदाहरण के तौर पर मान लें किसी व्यक्ति ने 5 लाख का फैमिली फ्लोटर हेल्थ इन्शुरन्स लिया है और उसके परिवार के किसी सदस्य को मेडिकल कंडीशन से जूझना पड़ रहा है, तो ऐसे में बीमा कंपनी उस व्यक्ति के लिए पूरे 5 लाख रुपये तक का मेडिकल खर्च उठाएगी। इसके विपरीत, यदि आप पांच लोगों के परिवार में सभी के लिए एक-एक लाख का हेल्थ इन्शुरन्स लेते हैं तो ऐसे में एक व्यक्ति केवल एक लाख तक के सम-इनश्योर्ड का फायदा उठा पाएगा। कुल मिलाकर देखा जाए, तो चूंकि फैमिली फ्लोटर में ज्यादा बड़ा कवरेज मिलता है, ऐसे में ओवरऑल यह कहा जा सकता है कि यह पैसों को बचाने वाला एक प्लान है।

(और पढ़ें - फैमिली फ्लोटर हेल्थ इन्शुरन्स के फायदे)

कई बार लोगों में मन में सस्ते हेल्थ इन्श्यूरेंस के अलावा इस तरह के प्रश्न आते हैं कि हेल्थ इन्श्यूरेंस कितने का होता है? कितने का हेल्थ इन्श्यूरेंस मेरे लिए पर्याप्त रहेगा? तो बता दें, कि हेल्थ इन्श्यूरेंस बीमा या किसी अन्य बीमा में एक स्कीम नहीं होती है। ऐसी कंपनियां हर तरह के ग्राहकों को ध्यान में रखकर स्कीम डिजाइन करती है। चलिए उदाहरण से समझें - बाजार में 2 रु, 3 रु, 5 रु वाले शैम्पू आते हैं। इसके ऊपर यदि आप लेना चाहते हैं तो आपको छोटी शीशी, मध्यम आकार की शीशी और उसके बाद बड़े आकार की शीशी में शैम्पू उपलब्ध हो जाएगा।

अब यदि आप इससे भी बड़ा चाहते हैं तो शैम्पू कंपनी आपको डबल या ट्रिपल पैक वाले ऑफर देती हैं। यानी जैसा आपका बजट वैसा आप माल या सेवा ले सकते हैं। यही नहीं, यदि आप बड़े से बड़ा ऑफर वाला प्रोडक्ट लेते हैं तो आपको कुछ डिस्काउंट भी मिल जाता है। ऐसे में कंपनी भी ज्यादा से ज्यादा माल या सेवा बेच रही है और ग्रहकों को भी कुछ न कुछ डिस्काउंट मिल रहा है।

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