आज 'नो स्मोकिंग डे' है। धूम्रपान की लत को छुड़ाने और लोगों में जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल मार्च महीने के दूसरे बुधवार को यह दिवस मनाया जाता है। इस साल यह दिवस 11 मार्च यानी आज मनाया जा रहा है। नो स्मोकिंग डे का उद्देश्य धूम्रपान से होने वाली बीमारियों को कम करना है।

तंबाकू पीना या चबाना स्वास्थ्य खराब करने वाली सबसे बुरी आदतों में से एक है। सभी इसके जोखिमों के बारे में जानते हैं। बावजूद इसके कई लोग इनका सेवन करना शुरू कर देते हैं। नेशनल हेल्थ पोर्टल (एनएचपी) के मुताबिक, धूम्रपान कई तरह से शरीर के लिए घातक है। इससे खांसी, गले में जलन, सांस लेने में परेशानी आदि समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा त्वचा पर धब्बे और दांतों में पीलापन आ जाता है।

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हालांकि धूम्रपान के सेवन से जुड़ी ये परेशानियां सामान्य हैं। समय के साथ-साथ धूम्रपान से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं आती हैं। जैसे कि हृदयरोगब्रोंकाइटिसनिमोनियास्ट्रोक।  इसके अलावा कई प्रकार के कैंसर में से एक मुंह के कैंसर का अधिक खतरा होता है।

एनएचपी के मुताबिक, धूम्रपान अकाल मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक है। यह गंभीर और अक्सर घातक स्थितियों जैसे कि हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर की वजह बनता है। ध्यान देने वाली बात है कि इन जोखिमों या बीमारियों का उम्र से कोई ताल्लुक नहीं है।

भारत में क्या है धूम्रपान से जुड़ी स्थिति?
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने साल 2015 में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया था कि भारत दुनिया के उन पांच देशों में शामिल है, जहां सबसे अधिक धूम्रपान किया जाता है। ‘द ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे’ (जीएटीएस) इंडिया 2009–2010 के अनुसार, भारत में 14 प्रतिशत लोग (केवल वयस्क) कई प्रकार का धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का) करते हैं। इनमें 75 प्रतिशत से ज्यादा पुरुष और 24 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं।

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विश्व में सबसे अधिक स्मोकलेस टोबैको (एसएलटी) यानी चबाने वाले तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या भारत में है। आंकड़े बताते हैं कि यहां दो करोड़ से ज्यादा लोग एसएलटी का उपयोग करते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या ज्यादा है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, साल 2008 में सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके लोग पब्लिक प्लेस में धूम्रपान करते हैं। रिपोर्ट बताती है कि भारत में लगभग 1 करोड़ 20 लाख लोग सिगरेट, बीड़ा या अन्य प्रकार से धूम्रपान करते हैं। दुनिया भर में धूम्रपान करने वाले लोगों में 12 प्रतिशत भारतीय हैं।

तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारी के चलते हमारे देश में हर साल दस लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। साल 2015 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 1998 से 2015 के बीच भारत में तंबाकू का सेवन करने वाले पुरुषों की संख्या 36 प्रतिशत बढ़कर एक करोड़ आठ लाख हो गई थी। वहीं, साल 2016-17 में भारत पर आधारित ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे की एक रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 11 प्रतिशत भारतीय नियमित रूप से धूम्रमान करते हैं। इसमें पुरुषों और महिलाओं दोनों की भागेदारी है।

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आंकड़ों में सुधार, फिर भी हालात चिंताजनक
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में धूम्रपान की स्थिति चिंताजनक है। हालांकि अब लोगों में जागरूकता के बाद कुछ सुधार हो रहा है। जीएटीएस की मानें तो धूम्रपान को लेकर अपनाई गई नीतियों के चलते बीते कुछ सालों (2009-10 से 2016-17) में बदलाव देखने को मिला है। जानकार बताते हैं कि इन सालों धूम्रपान की लत से जुड़े लोगों की संख्या 14 प्रतिशत गिरकर 11 प्रतिशत रह गई है। हालांकि इसी दौरान भारतीयों में सेकंड-हैंड स्मोक (एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति का धूम्रपान करना) का स्तर बढ़ा है।

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ध्रूमपान की लत का उपचार
नो स्मोकिंग डे के अवसर पर हर वह व्यक्ति धूम्रपान की लत छोड़ने की शपथ ले सकता है। धूप्रमान की लत से छुटकारा पाने के लिए एफडीए द्वारा स्‍वीकृत कई उपचार उपलब्‍ध हैं। इसकेलिए डॉक्‍टर निकोटीन रिप्‍लेसमेंट थेरेपी जैसे कि च्युइंग गम या पैचेज (इसमें पैचेज स्किन पर लगाए जाते हैं जिससे निकोटीन शरीर के अंदर चला जाता है) की सलाह देते हैं।

दवाओं के अलावा ऐसे और भी कई तरीके हैं जिनकी मदद से धूम्रपान की लत को दूर किया जाता है, जैसे कि बिहेवरियल थेरेपी। नशे की लत से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को दवाओं के साथ ये थेरेपी दी जाती है। खुद को व्‍यस्‍त रख कर भी व्‍यक्‍ति सिगरेट पीने से बच सकता है। तनाव से बेहतर तरीके से निपटने के लिए काउंसलिंग की मदद भी ले सकते हैं।

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