लकवा की होम्योपैथिक दवा और इलाज

लकवा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक या एक से अधिक मांसपेशियों के कार्य प्रभावित हो सकते हैं। वास्तव में, व्यक्ति के जिस हिस्से में लकवा मारता है, उस अंग से कंट्रोल खत्म हो जाता है, यही नहीं उस हिस्से पर छूने से कुछ महसूस भी नहीं होता है। लकवा को पक्षाघात नाम से भी पढ़ा या लिखा जाता है। यह अस्थायी रूप से भी प्रभावित कर सकता है और स्थायी रूप से भी।

अस्थायी का मतलब है कि कुछ लोग प्रभावित हिस्से की मांसपेशियों पर थोड़ा कंट्रोल कर सकते हैं, जबकि स्थायी का मतलब है कि आप प्रभावित हिस्से का इस्तेमाल करने में पूरी तरह से असमर्थ हो जाते हैं। इससे ग्रस्त व्यक्ति को झुनझुनी, सुन्नता या ऐंठन का अनुभव हो सकता है। लकवा के अन्य लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि इसने शरीर के किस हिस्से को प्रभावित किया है। आमतौर पर इनमें सांस लेने में कठिनाई, पेशाब रोकने में दिक्कत, यौन संबंधित समस्याएं, बात करने, चबाने या निगलने में कठिनाई, त्वचा मांसपेशियों और हड्डी में बदलाव, व्यवहार में बदलाव और रक्त प्रवाह के साथ-साथ हृदय गति से संबंधित समस्याएं शामिल हैं।

लकवा के कारणों में दिमाग या रीढ़ की हड्डी में चोट शामिल हो सकती है। स्ट्रोक, मल्टीपल स्केलेरोसिस, सेरेब्रल पाल्सी, जीबीएस, टॉक्सिन्स / पॉइजन, न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस, पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम, जन्म दोष और ट्यूमर भी इसके कुछ अन्य कारणों में शामिल हैं।

हालां​कि, इस स्थिति का आसानी से निदान किया जाता है, जबकि आकलन करने और कारण की पहचान करने के लिए एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे, इलेक्ट्रोमोग्राफी और मायलोग्राफी जैसे टेस्ट किए जाते हैं। उपचार की बात करें तो, इसमें मुख्य रूप से फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी (शारीरिक, संवेदी या संज्ञानात्मक समस्याओं में मदद करने वाली चिकित्सा) शामिल हैं। कुछ मामलों में चलने-फिरने में मदद करने के लिए सहाय​क चिकित्सा दी जा सकती है, जिससे शरीर के कार्यों को बहाल (पहले जैसी स्थिति) किया जा सकता है। लंबे समय तक ट्रीटमेंट करने से तंत्रिका और मांसपेशियों की ताकत में सुधार किया जा सकता है।

लकवा के उपचार के लिए जिन होम्योपैथिक उपचारों का उपयोग किया जाता है, उनमें से कुछ एगारिकस मस्कैरियस, कास्टिकम, क्यूरेयर, जेल्सियम, लैथिरस सैटिवस, नक्स वोमिका, प्लंबम मेटालिकम, फॉस्फोरस और जिंकम मेटालिकम शामिल हैं।

हालांकि, हर होम्योपैथिक उपचार हर व्यक्ति को समान रूप से सूट नहीं करता है। होम्योपैथिक डॉक्टर रोगी के लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री व कुछ अन्य बातों को  देखकर खुराक निर्धारित करते हैं।

(और पढ़ें - लकवा का आयुर्वेदिक इलाज)

  1. लकवा की होम्योपैथिक दवा - Homeopathic medicine for paralysis in Hindi
  2. होम्योपैथी के अनुसार लकवा के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव - Dietary and lifestyle changes for paralysis as per homeopathy in Hindi
  3. लकवा के लिए होम्योपैथिक दवाएं और इलाज कितने असरदार हैं - How effective is homeopathic medicine for paralysis in Hindi
  4. लकवा की होम्योपैथिक दवा और इलाज के दुष्प्रभाव - Side effects and risks of homeopathic medicine and treatment for paralysis in Hindi
  5. लकवा के होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Tips related to homeopathic treatment for paralysis in Hindi
लकवा की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

लकवा के उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ सबसे महत्वपूर्ण होम्योपैथिक उपचार नीचे बताए गए हैं।

एगारिकस मस्कैरियस
सामान्य नाम :
टॉडस्टूल-फंगी
लक्षण : ठोकर खाकर गिर जाना

  • हाथों में ऐंठन के साथ पैरों की मांसपेशियों पर से कंट्रोल कम होना
  • तलवों में ऐंठन
  • पैर पर पैर रखने के दौरान पैर सुन्न होना
  • शरीर में किसी तरह की गतिविधि करने के बाद रीढ़ की हड्डी में दर्द होना
  • ऐसा एहसास होना जैसे शरीर में पियर्सिंग या ठंडी सुई चुभोई जा रही हो
  • प्रभावित हिस्से का संवेदनशील होना, खासकर सुबह के समय

यह लक्षण ठंड के मौसम में या ठंडी हवा के संपर्क में आने और खाना खाने के बाद बढ़ जाते हैं, जबकि धीरे-धीरे चलने पर बेहतर महसूस होता है।

कास्टिकम
सामान्य नाम :
टिंक्चुरा एक्रिस साइन केलि
लक्षण : निम्नलिखित लक्षणों के मामलों में कास्टिकम असरदार होता है :

  • पलकें, जीभ, वोकल कॉर्ड, चेहरा, हाथ, पैर या मूत्राशय जैसे भागों में लकवा
  • शरीर के दाएं हिस्से का ज्यादा प्रभावित होना
  • ऊपरी पलकों का लटकना और उन्हें खुला रखने में असमर्थता (और पढ़ें : पलकें लटकने का कारण)
  • धीरे-धीरे मांसपेशियों की कमजोरी और लकवा होना
  • हाथों की मांसपेशियों में अस्थिरता
  • हाथों का सुन्न होना
  • शरीर के कार्यों का असंतुलित होना और व्यक्ति का आसानी से गिर जाना

ठंडी हवा में, ठंडे पानी से नहाने, गर्म वातावरण व उमसभरे महौल में रहने से लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि गर्म हवा में ये ठीक हो जाते हैं।

क्यूरेयर
सामान्य नाम :
एरो-पॉइजन
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के प्रबंधन में मदद करता है :

  • प्रतिक्रिया करने की क्षमता में कमी
  • बाहों में भारीपन लगना और उंगलियों को हिलाने में समर्थ न होना
  • दर्द जो रीढ़ की हड्डी के ऊपर और नीचे जाता है
  • सांस लेने से जुड़ी मां​सपेशियों में लकवा
  • वृद्ध लोगों में कमजोरी

यह लक्षण दाहिनी ओर लेटने और नम व ठंडे मौसम में बढ़ जाते हैं।

जेल्सीमियम सेम्परविरेंस
सामान्य नाम :
येलो जैस्मिन
लक्षण : जेल्सियम मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र पर असर करता है और यह निम्नलिखित लक्षणों के लिए एक प्रभावी उपाय है :

  • आंख, गला, हाथ-पैर, वायस बॉक्स, छाती जैसी विभिन्न मांसपेशियों में लकवा
  • डिप्थीरिया के बाद लकवा
  • मांसपेशियों की कमजोरी, थकान और तालमेल में कमी
  • सुस्ती, चक्कर आना, कांपना और भ्रम
  • पलकों का भारीपन और आंखें खोलने में परेशानी
  • नसों में दर्द के साथ आंख की मांसपेशियों का फड़कना
  • चेहरे की मांसपेशियां सिकुड़ना, विशेष रूप से मुंह के आसपास का हिस्सा लटकना
  • निगलने में कठिनाई, विशेष रूप से गर्म खाने में परेशानी
  • आवाज निकालने में दिक्कत
  • हाथ और पैर की मांसपेशियों पर नियंत्रण कम होना या पूरी तरह से न होना

जब रोगी लक्षणों के बारे में सोचता है, तंबाकू का सेवन करता है या भावनात्मक रूप से प्रभावित होता है, तो लक्षण बदतर हो जाते हैं। कोहरा और नम मौसम भी लक्षणों को और खराब कर देता है, जबकि लगातार मूवमेंट करने और खुली हवा में समय बिताने से इनमें सुधार होता है।

लैथिरस सैटिवस
सामान्य नाम :
चिकपी
लक्षण : लैथिरस सैटिवस निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करने वालों के लिए एक प्रभावी उपाय है :

  • लकवा जिसमें रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है
  • पोलियो
  • इन्फ्लूएंजा के बाद कमजोरी और नसों के स्वास्थ्य में धीमी रिकवरी
  • पैरों में लकवा
  • पैर के अंगूठे के बल चलना
  • बार-बार घुटने के बल होना
  • टखनों और घुटनों में अकड़न
  • बैठने के दौरान पैर पर पैर रखने या पैर स्ट्रेच करने में असमर्थता
  • पैरों में ऐंठन जो ठंड से बढ़ जाती है
  • नितंबों और पैरों की मांसपेशियों का कमजोर होना

नक्स वोमिका
सामान्य नाम :
पॉइजन नट
लक्षण : नक्स वोमिका ऐसे दुबले-पतले व्यक्तियों में अच्छी तरह से काम करती है जो चिड़चिड़े, क्रोधित, घबराए हुए और गैस्ट्रिक समस्याओं व बवासीर से ग्रस्त हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करता है :

  • नर्व सिस्टम में गड़बड़ी के साथ अतिसंवेदनशीलता
  • हाथ और पैर की कमजोरी और लकवाग्रस्त महसूस करना
  • ऐसा महसूस होना जैसे हाथ-पैर सुन्न हो गए हों
  • पैरों का लकवाग्रस्त और सुन्न होना व साथ में पिंडली और तलवों में ऐंठन
  • चलते समय पैर घसीटना
  • ऐसा महसूस होना जैसे कि हाथ पैर में ताकत कम हो गई है, ऐसा खासकर सुबह के समय में होता है
  • अत्यधिक थकान की वजह से आंशिक रूप से लकवाग्रस्त होना

यह लक्षण आमतौर पर अत्यधिक चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू और मसालेदार भोजन, नींद की कमी, अधिक थकान, दवा की अधिक मात्रा या दुरुपयोग से उत्पन्न होते हैं। हालांकि, शाम को और नम मौसम में रोगी बेहतर महसूस करता है।

फास्फोरस
सामान्य नाम :
फास्फोरस
लक्षण : फॉस्फोरस निम्नलिखित लक्षणों वाले व्यक्तियों के लिए अच्छा उपाय है :

  • नसों की सूजन के साथ मांसपेशियां बढ़ना
  • पैरों में जलन
  • थकान की वजह से हाथ-पैर में कंपन
  • चीजों को पकड़ने में कठिनाई
  • हाथ और पैर का सुन्न होना
  • डिप्थीरिया के बाद लकवा व ऐसा अनुभव होना जैसे त्वचा के अंदर छोटे कीड़े रेंग रहे हों
  • पूरे शरीर में कमजोरी

यह​ लक्षण शाम के समय, गर्म भोजन और पेय पदार्थों का सेवन करने, प्रभावित हिस्से को छूने, थकान और दर्द वाले हिस्से के बल करवट लेने से बढ़ जाते हैं। जबकि सोने के बाद, अंधेरे में, ठंडा भोजन करने, खुली हवा में समय बिताने और दाहिनी ओर लेटने से व्यक्ति बेहतर महसूस करता है।

प्लंबम मेटैलिकम
सामान्य नाम :
लेड
लक्षण : प्लंबम मेटैलिकम नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों पर बहुत असरदार है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षण वाले रोगियों में भी अच्छी प्रतिक्रिया देता है।

  • लेड पॉइजनिंग के लक्षण
  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस
  • रीढ़ की हड्डी के रोगों के कारण मांसपेशियों का खराब होना
  • लोकलाइज्ड न्यूरैल्जिक पेन; नसों की सूजन (न्यूराइटिस)
  • पोलियो
  • किसी एक नस की मांसपेशियों में लकवा
  • हाथ से कुछ भी उठाने में दिक्कत
  • जांघों की मांसपेशियों में दर्द
  • पिंडली में दर्द व ऐंठन
  • हाथ पैर में मरोड़, कंपकंपी, सुन्न हो जाना और मांसपेशी फटने जैसा दर्द
  • हाथ-पैर स्ट्रेच करने में कठिनाई
  • प्रतिक्रिया कम करना
  • हाथ पैरों में ठंडक का एहसास
  • मांसपेशियों में दर्द या लकवा के कारण सूखे, ढेलेदार, काले मल के साथ कब्ज होना
    (और पढ़ें - कब्ज का घरेलू उपाय)

दर्द सहित यह सभी लक्षण रात में बदतर होते हैं और रगड़ व दबाव से बेहतर होते हैं।

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क्या करना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

ऐसा आहार जो दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है, उससे बचा जाना चाहिए। इसमे शामिल है :

  • तेज महक वाले खाद्य पदार्थ और पेय जैसे कॉफी, जड़ी-बूटी वाली चाय, औषधीय मसाले, शराब या अल्कोहल और मसालेदार चॉकलेट
  • ऐसे दंत पाउडर और माउथवॉश जिनमें औषधीय गुण मौजूद हों
  • सुगंध या खुशबू वाली चीजें जैसे रूम फ्रेशनर, बॉडी स्प्रे, परफ्यूम
  • तेज महक वाले फूल
  • सॉस
  • आइस क्रीम या फ्रोजन फूड
  • सूप जिसमें कच्ची जड़ी-बूटियां हों
  • अजवाइन, अजमोद, बासी पनीर और मीट
  • दोपहर में लंबी झपकी लेना हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है, इसलिए इससे बचा जाना चाहिए।
  • ऐसे कार्य जो मानसिक तनाव दें।
  • ऐसे किसी भी कार्य से बचें, जिससे अत्यधिक थकान हो सकती है, उदाहरण के लिए दुख और क्रोध जैसी भावनाएं न लाएं।
  • किसी भी खाद्य पदार्थ में अत्यधिक मसाले, नमक या चीनी का प्रयोग न करें।

लकवा का उपचार इसके प्रकार और लक्षणों पर निर्भर करता है। इसमें फिजिकल थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, व्हीलचेयर और ब्रेसिज जैसी सहायक चीजों का इस्तेमाल, दवाएं और सर्जरी शामिल हैं।

आमतौर पर दवाएं रीढ़ की हड्डी की सूजन को कम करने में सहायता करती हैं, लेकिन लकवा के रोगियों को बार-बार इनका प्रयोग करना होता है, ऐसे में यह दवाएं अक्सर महंगी साबित होती हैं और कई बार दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं।

होम्योपैथी मेडिकल कंडीशन को गहराई से या यूं कहें कि जड़ से ठीक करना शुरू करती है। इसे लेना भी बेहद सरल है और स्वाद में यह मीठी होती है। होम्योपैथिक डॉक्टर किसी व्यक्ति को कोई उपाय बताने से पहले उसके स्वास्थ्य और लक्षणों के साथ-साथ उसके सभी लक्षणों पर विचार करते हैं और इसी के आधार पर दवाइयां दी जाती हैं। यही वजह है कि भले किन्हीं दो व्यक्तियों में एक ही समस्या हो, लेकिन उनकी दवाइयां अलग-अलग हो सकती हैं। चूंकि इनकी खुराक भी बेहद कम मात्रा में होती है, इन्हें प्राकृतिक चीजों से बनाया जाता है और यह दवाएं घुलनशील होती हैं, इसलिए इन्हें दुष्प्रभावमुक्त भी माना गया है।

इसके प्रभावों को लेकर एक ओपन-लेबल पायलट अध्ययन किया गया। बता दें, पायलट स्टडी छोटे पैमाने पर किया गया अध्ययन है, जिसमें मुख्य अध्ययन के महत्वपूर्ण घटकों की जांच की जाती है। इसमें पता चला कि जिन लोगों को स्टैंडर्ड पारंपरिक देखभाल के साथ साथ होम्योपैथी दवाएं दी गई, उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। अध्ययन के दौरान, रोगियों में कोई बिगड़ते हालात नहीं नोटिस किए गए।

हालांकि, लकवा के लक्षणों के प्रबंधन में होम्योपैथिक उपचार की प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए पर्याप्त अध्ययन मौजूद नहीं हैं।

(और पढ़ें - चेहरे के लकवे का इलाज)

होम्योपैथिक दवाएं पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक उत्पादों से बनाई जाती हैं। इसके अलावा इन्हें घुलनशील रूप में तैयार किया जाता है, जिससे इन्हें कोई भी ले सकता है जैसे - बच्चा, जवान या बूढ़ा व्यक्ति।

ये सुरक्षित हैं और इनका दुष्प्रभाव नहीं होता है, लेकिन ध्यान रहे इन्हें हमेशा किसी मान्यताप्राप्त, अनुभवी डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए, क्योंकि सिर्फ वही जान सकेंगे कि आपके लक्षण, आयु, मानसिक व शारीरिक लक्षण के ​हिसाब से कितनी मात्रा में दवाएं दी जानी चाहिए।

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लकवा किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। ऐसे मामले में पारंपरिक उपचार आमतौर पर स्थायी इलाज या लंबे समय तक राहत देने में असमर्थ होते हैं। होम्योपैथी दवा बिना किसी दुष्प्रभाव के एक बहुत ही सुरक्षित माध्यम है, जिसे दर्द को दूर करने और शरीर के प्रभावित हिस्से के कामकाज में सुधार के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसके अलावा यदि दवाओं के निर्धारण से पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, शारीरिक व मानसिक स्थिति, आयु को ध्यान में रखा जाता है, तो इनका असर तेज व सटीक तरीके से होता है। आमतौर पर होम्योपैथी ट्रीटमेंट के साथ-साथ फिजिकल थेरेपी लकवा के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

(और पढ़ें - थेरेपी क्या होता है)

Dr. Rupali Mendhe

Dr. Rupali Mendhe

होमियोपैथ
21 वर्षों का अनुभव

Dr. Rubina Tamboli

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होमियोपैथ
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Anas Kaladiya

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होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Aaron Saguil. Evaluation of the Patient with Muscle Weakness. Am Fam Physician. 2005 Apr 1;71(7):1327-1336. USA; [internet]
  2. Christopher and Dana Reeve Foundation. Stats about paralysis. New Jersey; [internet]
  3. Aslam Abbas et al. An open-label pilot study to identify the usefulness of adjuvant homoeopathic medicines in the treatment of cerebral stroke patients. Year 2018, Volume 12, Issue 4, Page 194-201
  4. PC Kent. Abrotanum.H.C. Allen; [internet]
  5. Organon of the Medical art by Wenda Brewster O’Reilly

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