चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों को कम या खत्म करने के लिए बोटोक्स इन्जेक्शन का इस्तेमाल आम बात है। ये टीके गर्दन की ऐंठन के इलाज में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। साथ ही, बहुत ज्यादा पसीना आने (हाइडरहाइड्रोसिस), ओवरएक्टिव ब्लेडर और मंददृष्टि (लेजी आई) जैसी कंडीशन में भी इस टीके का इस्तेमाल होता रहा है। इसके अलावा, माइग्रेन की रोकथाम में भी बोटोक्स इन्जेक्शन लगाए जाते हैं। लेकिन इन टीकों का ज्यादा इस्तेमाल हड्डियों की कमजोरी या बोन लॉस की वजह भी बन सकता है।

दरअसल, जबड़े की मांसपेशी और हड्डी में होने वाले दर्द के लिए भी बोटोक्स टीके का इस्तेमाल होता है। अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री के वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में जाना है कि जबड़े और मुख संबंधी दर्द को ठीक करने के लिए इस्तेमाल होने वाले बोटोक्स इन्जेक्शन अल्पकाल में कम डोज के साथ लगाए जाने पर अपेक्षित परिणाम नहीं देते, हालांकि डोज बढ़ाने पर ये इन्जेक्शन बोन लॉस की वजह बन सकते हैं। शोधकर्ताओं ने क्लिनिकल टेस्ट में मिले सीमित परिणामों और जानवरों पर आधारित अध्ययनों के आधार पर यह जानकारी दी है।

(और पढ़ें - गर्म वातावरण और गट माइक्रोबायोटा से मजबूत रहती हैं हड्डियां, कमजोरी में आती है कमी: शोध)

यह जानकारी मुंह के स्वास्थ्य से जुड़े विषयों की जानी-मानी मेडिकल पत्रिका 'जर्नल ऑफ ओरल हेल्थ रिहैबिलिटेशन' में प्रकाशित हुई है। इसमें मिले परिणामों के बाद शोधकर्ता अब यह जानने की कोशिश करेंगे कि टेंपोरोमैंडिब्युलर मसल एंड जॉइंट डिसफंक्शन या टीएमजेडी (मुंह से जुड़ी एक मेडिकल कंडीशन) के इलाज के लिए बोटोक्स इन्जेक्शन के हाई डोज देने से हड्डी और मांसपेशी में किस प्रकार के बदलाव आते हैं। यहां बता दें कि टीएमजेडी जबड़े और उसके आसपास की मांसपेशियों में होने वाले सामान्य दर्द से जुड़ी मेडिकल कंडीशंस के समूह का नाम है। 

टीएमजेडी से पीड़ित कई लोग जबड़े से जुड़ी एक्सरसाइज, उपकरणों, आहार में बदलाव और दर्दनिवारक दवाओं का इस्तेमाल करके इस समस्या को दूर कर लेते हैं। लेकिन कुछ पीड़ितों को इनमें से किसी भी तरीके से राहत नहीं मिलती। ऐसे में ये लोग बोटोक्स (या बोट्यूलिनम टॉक्सिक) का इस्तेमाल करते हैं, जो एफडीए से मान्यता प्राप्त एक इन्जेक्टेबल ड्रग है। आमतौर पर इसे चेहरे की झुर्रियां कम करने के लिए ज्यादा जाना जाता है। लेकिन कुछ विशेष मसल्स और पेन डिसऑर्डरों - जैसे माइग्रेन - के इलाज में भी बोटोक्स का इस्तेमाल किया जाता है।

(और पढ़ें - ज्यादा समय तक आइसोलेट रहने से कमजोर हो सकती हैं हड्डियां: अध्ययन)

अमेरिका में टीएमजेडी के इलाज में बोटोक्स इन्जेक्शन के इस्तेमाल की संभावनाओं को लेकर तीसरे चरण के ट्रायल किए जा रहे हैं। छोटे स्तर के क्लिनिकल अध्ययनों से अभी तक मिश्रित परिणाम मिले हैं। वहीं, जानवरों पर आधारित अध्ययनों में यह पता चला है कि जबड़े की मांसपेशी में बोटोक्स इन्जेक्शन लगाने पर बड़े स्तर पर बोन लॉस की समस्या हो सकती है। पहले यह माना गया था कि ऐसा शायद हड्डी को रीमॉडल करने के लिए जरूरी फोर्स नहीं मिलने के कारण होता है, जिसके लिए मांसपेशी का इस्तेमाल जरूरी है। लेकिन अध्ययन में साफ हुआ है कि बोटोक्स से हड्डी पर सीधा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे हड्डी के ऊतक टूटना शुरू हो जाते हैं। 

जानवरों पर किए गए परीक्षणों से मिले इन नतीजों ने शोधकर्ताओं को चिंतित किया है। इस बारे में बताते हुए अध्ययन में शामिल शोधकर्ता और एनवाईयू कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री की प्रोफेसर कैरन रेफल कहती हैं, 'जानवरों पर किए परीक्षणों से मिले ये परिणाम और क्लिनिकल अध्ययनों से प्राप्त सीमित परिणामों से यह साफ होता है कि जबड़े की मांसपेशी और हड्डियों की सुरक्षा के मद्देनजर बोटोक्स पर और शोध करने की जरूरत है।'

ऐप पर पढ़ें