दुनियाभर में मच्छरों से फैलने वाली घातक और जानलेवा बीमारियों के खतरे को देखते हुए एक अमेरिकन-ब्रिटिश कंपनी ऑक्जीटेक ने जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से मोडिफाइड (संशोधित) मच्छर विकसित किए हैं, जो उन मच्छरों को रिप्लेस कर सकते हैं जिनके जरिये अलग-अलग बीमारियां संक्रमण के रूप में फैलती हैं। इन डिजाइनर मच्छरों को ऑक्जीटेक ने ओएक्स5034 नाम दिया है। रिपोर्टों के मुताबिक, कंपनी ने इन मच्छरों को इस तरह से डिजाइन किया है कि वे केवल मादा मच्छर ही पैदा कर सकते हैं और वयस्क होने से पहले ही लारवा की स्टेज में इनकी मौत हो जाएगी। दावा है कि इस तरह आनुवंशिक रूप से अपनाई गई तकनीक से तैयार किए गए ये मच्छर कोई बीमारी नहीं फैला पाएंगे।

इस प्रोसेस को अपनाने का मकसद मादा मच्छरों को टार्गेट करना है, क्योंकि अपने अंडों को मैच्योर करने के लिए उन्हें खून की जरूरत होती है, जो उन्हें दूसरे जीवों से मिलता है। नर मच्छर काटते नहीं हैं या कहें संक्रमण नहीं फैलाते और जीवित रहने के लिए पेड़-पौधों के रस पर निर्भर करते हैं। इसलिए इन्हें हानिकारक नहीं माना जाता।

(और पढ़ें - डेंगू के खिलाफ नई रिसर्च ने जगाई उम्मीद, मच्छरों की आएगी शामत)

मोडिफाई मच्छरों के जरिये जानलेवा बीमारियों के फैलने के खतरे को कम करने के लिए इस प्रोजेक्ट की शुरुआत इस साल मई में हुई थी। ऑक्जीटेक कंपनी के वैज्ञानिकों ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत एडीज इजप्टाई प्रजाति के मच्छरों में जेनेटिक बदलाव किए गए और उनका टेस्ट किया गया था। संक्रमण को फैलने से रोकने के मकसद से किए गए जेनेटिक बदलावों की क्षमता जानने के लिए मच्छरों की तुलना छिड़काव में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों से की गई थी। इससे यह जानने की कोशिश की गई कि मोडिफिकेशन के बाद ये मच्छर जीका, डेंगू, चिकनगुनिया और पीला बुखार जैसे संक्रमण फैला सकते हैं या नहीं। यहां बता दें कि एडीज इजप्टाई मच्छर पीला बुखार फैलाने के लिए जाने जाते हैं।

ऑक्सीटेक ने संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख एजेंसी एन्वायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी से इन मच्छरों को साल 2021 में अमेरिका के टेक्सास शहर में रिलीज करने का आवेदन किया था, जिसे ईपीए ने मंजूर कर लिया है। बताया गया है कि उसने इस प्रयोग से इन्सानों और स्वास्थ्य वातावरण पर पड़ने वाले इसके प्रभावों पर विचार करने के बाद ही यह मंजूरी दी है। कंपनी के सीईओ ग्रे फ्रैंडसन ने इसे डेंगू, जीका, पीला बुखार और मच्छरों के जरिये फैलने वाली कई बीमारियों को रोकने के प्रयासों के मद्देनजर महत्वपूर्ण और उत्साहजनक कदम बताया है।

खबर यह भी है कि अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के सरकारी अधिकारियों ने ऑक्जीटेक को ऐसे 75 करोड़ मच्छरों को रिलीज करने की मंजूरी दे दी है। कंपनी 2021 और 2022 में राज्य के प्रमुख इलाकों में इन मच्छरों को रिलीज करेगी। राज्य और अमेरिका की फेडरल सरकार ने इसकी अनुमति पहले ही दे दी थी। गौरतलब है कि साल 2009 और 2010 में फ्लोरिडा में डेंगू मच्छर से बड़ा स्वास्थ्य संकट पैदा हुआ था, जिसके बाद प्रशासन ने राज्य में मच्छरों पर नियंत्रण करने के विकल्प पर काम करने का सुझाव दिया था। तब से कई तरह के प्रयास किए गए हैं, लेकिन कोई भी लंबे समय तक प्रभावी साबित नहीं हुआ है।

(और पढ़ें - नर से अधिक खतरनाक होती हैं मादा मच्छर)

बाद में साल 2012 में ऑक्जीटेक ने अधिकारियों से संपर्क किया और मदद करने का सुझाव दिया। उस समय तक कंपनी ने ओएक्स513ए नाम के नर मच्छर डेवलेप कर लिए थे, जो वयस्क होने से पहले ही मर जाते थे। बताया गया है कि कंपनी ने उन्हें सफलतापूर्वक स्टेराइल कर दिया था जिससे वे और मच्छर पैदा करने में सक्षम नहीं रह गए थे। कंपनी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि यही काम मादा मच्छरों के संबंध में करने की कोशिश की गई है। उन्हें इस तरह तैयार किया गया है कि वे लारवा स्टेज में ही मर जाएंगे, जिससे मच्छरों की तादाद ज्यादा नहीं बढ़ेगी। उन्होंने यह भी बताया कि ओएक्स513ए मच्छरों का कैमन आइसलैंड, पनामा और ब्राजील में टेस्ट किया जा चुका है, जिसके सफल परिणाम मिले हैं।

ब्राजील में हुआ प्रयोग फेल होने का दावा
हालांकि मच्छरों की तादाद को कंट्रोल करने का यह यूनीक तरीका विवादों में भी है। पिछले साल साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राजील में मोडिफाई नर मच्छरों को रिलीज कर बीमारियों को नियंत्रित करने में सफल परिणाम हासिल करने का ऑक्जीटेक का दावा सही नहीं है। अध्ययन के मुताबिक, ब्राजील के जैकोबीना इलाके में लाखों की संख्या में जेनेटिकली मोडिफाई मच्छरों को रिलीज किया गया था। दावा किया गया था कि ये मच्छर प्रजनन नहीं कर पाएंगे, जिससे इलाके में मच्छरों की तादाद नहीं बढ़ेगी। लेकिन साइंस पत्रिका ने दावा किया कि जब इन मोडिफाई मच्छरों का पता लगाया गया तो मालूम चला कि वे जैकोबीना में प्राकृतिक जनसंख्या के साथ मौजूद थे, जबकि ऐसा नहीं होने की बात कही गई थी।

इसका मतलब है कि ब्राजील में ये नर मच्छर मादा मच्छरों के साथ प्रजनन कर अपने वंशजों को जन्म दे पा रहे थे। यह जानकारी जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिये मच्छरों की तादाद पर नियंत्रण करने की योजना पर सवाल उठाती है। अगर 75 करोड़ की संख्या वाले मादा मच्छरों पर भी इस तकनीक का असर नहीं हुआ तो फ्लोरिडा में बहुत बड़ी संख्या में मच्छर पैदा हो सकते हैं, जो बीमारियों को रोकने के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।

ऐप पर पढ़ें