दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है. इस बीच मंकीपॉक्स ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. मंकीपॉक्स जूनोटिक बीमारी है यानी ये जानवरों से इंसानों में फैलती है. साथ ही संक्रमित व्यक्ति से अन्य में भी फैल सकती है. मंकीपॉक्स ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का एक हिस्सा है. इस वायरस के संपर्क में आने पर 2-4 सप्ताह तक लक्षण रह सकते हैं. कुछ मामलों में ये लक्षण सामान्य, तो कुछ में गंभीर हो सकते हैं. गंभीर मामलों में मंकीपॉक्स जानलेवा भी हो सकता है. कोरोना की तरह इस बीमारी का भी काेई इलाज नहीं है, लेकिन JYNNEOS वैक्सीन व ACAM2000 वैक्सीन के जरिए इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है.

आज इस लेख में आप उन वैक्सीन के बारे में जानेंगे, जो मंकीपॉक्स के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती हैं -

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  1. मंकीपॉक्स वायरस में कौन-सी वैक्सीन कारगर है?
  2. सारांश
मंकीपॉक्स के लिए टीका के डॉक्टर

सबसे पहले हम यहां स्पष्ट कर दें अभी भारत में मंकीपॉक्स का एक भी केस दर्ज नहीं हुआ है. वहीं, पूरे विश्व में इस समय मंकीपॉक्स इंफेक्शन के लिए अलग से कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन चेचक में इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन से मंकीपॉक्स आउटब्रेक को कंट्रोल जरूर किया जा सकता है. इसके लिए इम्वेनेक्स, सिडोफोविर व एसटी-246 आदि वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है. इनमें से भी अधिकतर वैक्सीन की प्रभावशीलता पर शोध कम है.

मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद जितनी जल्दी वैक्सीन लग जाए बेहतर है. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, संक्रमित होन के 4 दिन के अंदर वैक्सीन दे दी जानी चाहिए, ताकि रोग को बढ़ने से रोका जा सके. आइए, इन वैक्सीन के बारे में विस्तार से जानते हैं -

इम्वेनेक्स - Imvanex

इसे JYNNEOS के नाम से भी जाना जाता है. इसे स्मॉलपॉक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, मंकीपॉक्स वायरस को स्मॉलपॉक्स वायरस से संबंधित जाना जाता है, इसलिए मंकीपॉक्स में ये वैक्सीन इस्तेमाल हो सकती है. एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि मंकीपॉक्स एक्सपोजर के बाद वैक्सीन मिलने से इस रोग की गंभीरता को कम किया जा सकता है. इसके दो इंजेक्शन लगते हैं, जो चार सप्ताह के अंतर में लगाए जाते हैं. दो डोज लगने के बाद ही व्यक्ति को पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है.

(और पढ़ें - चेचक होने पर क्या करना चाहिए)

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इस वैक्सीन में लाइव वैक्सिनिया वायरस होता है. इसे उन लोगों को दिया जाता है, जिनकी उम्र कम से कम 18 साल है, क्योंकि इन्हें स्मॉलपॉक्स इंफेक्शन होने का जोखिम ज्यादा रहता है.

सिडोफोविर - Cidofovir

मंकीपॉक्स वायरस के मामलों को ठीक करने में सिडोफोविर की प्रभावशीलता को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन पॉक्स वायरस के खिलाफ यह प्रभावशाली है. इसलिए, कुछ मामलों में इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है.

ब्रिनसीडोफोविर - Brincidofovir

सिडोफोविर की तुलना में ब्रिनसीडोफोविर को ज्यादा प्रभावशाली माना गया है.

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एसटी-246 - ST-246

इसका दूसरा नाम टेकोविरिमैट (Tecovirimat) भी है. कुछ ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल में माना गया है, ये वैक्सीन हल्के साइड इफेक्ट के साथ सुरक्षित है.

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वैक्सिनिया इम्यून ग्लोबुलिन - Vaccinia Immune Globulin

इसे मुख्य रूप से वीआईजी (VIG) बुलाया जाता है. इसके बारे में भी कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं है कि यह मंकीपॉक्स वायरस पर कितनी लाभकारी है. यह भी नहीं कहा जा सकता है कि गंभीर मंकीपॉक्स इंफेक्शन के मामले में इससे कितना लाभ पहुंचेगा, लेकिन मंकीपॉक्स होने पर इसका इस्तेमाल जरूर किया जा सकता है.

दुनियाभर में मंकीपॉक्स की रोकथाम करने के लिए प्रभावी वैक्सीन पर कई अध्ययन चल रहे हैं. कुछ देशों में ऐसे लोगों को टीका देने की नीतियां बनाई हैं, जिनमें मंकीपॉक्स होने का जोखिम अधिक हो सकता है. वैसे तो इस समय मंकीपॉक्स धीमी गति से बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी खुद को इससे बचाने के पूरे प्रयास किए जाने जरूरी है. मंकीपॉक्स से बचाव के लिए ऐसे देशों में जाने से बचें, जहां इसके मामले अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं. साथ ही संक्रमित व्यक्ति या जानवरों के संपर्क में आने से भी बचें.

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