प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस को प्राइमरी बिलियरी कोलेंजाइटिस (Cholangitis) भी कहा जाता है. यह एक क्रोनिक रोग है, जिसमें लिवर में मौजूद बाइल डक्ट (bile duct) यानी पित्त नलिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह लिवर फेलियर का रूप ले सकता है. इसके लक्षण में हड्डियों और जोड़ों में दर्द, हमेशा थकान महसूस होना, स्किन में खुजली होना, आंखों और मुंह का सूखना शामिल है. वहीं, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस क्यों होता है.

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आज इस लेख में आप प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे -

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  1. प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के लक्षण
  2. प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के कारण
  3. प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस का इलाज
  4. सारांश
प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस वाले आधे से अधिक लोगों को कोई लक्षण नहीं होता है. इस रोग का पता ब्लड टेस्ट के जरिए ही चलता है. लक्षणों को विकसित होने में 5 से 20 साल लग जाते हैं. हालांकि, कुछ आम लक्षण जरूर हैं, जिसमें हड्डियों और जोड़ों में दर्द, हमेशा थकान महसूस होना व स्किन में खुजली होना शामिल है. आइए, प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के लक्षण के बारे में जानते हैं -

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प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के कारण के बारे में अब तक कुछ भी स्पष्ट पता नहीं चल पाया है, लेकिन शोध के अनुसार, इसे ऑटोइम्यून रोग माना गया है. इसमें शरीर अपनी ही कोशिकाओं के खिलाफ हो जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह ऑटोइम्यून रिस्पॉन्स पर्यावरण और आनुवंशिक कारकों की वजह से ट्रिगर होता है. 

प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस में लिवर इंफ्लेमेशन तब शुरू होता है, जब कुछ खास तरह के व्हाइट ब्लड सेल्स लिवर में जमा होने शुरू हो जाते हैं. इन व्हाइट ब्लड सेल्स को टी सेल्स भी कहा जाता है. अमूमन ये इम्यून सेल्स बैक्टीरिया और वायरस का पता लगाकर उसके खिलाफ हो जाते हैं, लेकिन प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस की स्थिति में ये गलती से उन हेल्दी सेल्स को नष्ट कर देते हैं, जो लिवर के छोटे बाइल डक्ट्स की परत पर होते हैं. 

छोटे डक्ट्स में सूजन होती है और अंततः लिवर की अन्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. कोशियकों के नष्ट होते ही इनकी जगह स्कार टिश्यू यानी फाइब्रोसिस (fibrosis) आ जाते हैं, जिससे सिरोसिस हो जाता है. सिरोसिस में लिवर टिश्यू खराब हो जाता है और परिणामस्वरूप लिवर ठीक से काम करना बंद कर देता है. 

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प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुछ दवाइयों की मदद से इस रोग के और गंभीर होने की प्रक्रिया को धीमा जरूर किया जा सकता है. आइए, प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

उर्सोडॉक्सिकोलिक एसिड

इस दवा को उर्सोडिओल (ursodiol) भी कहा जाता है. यह लिवर से बाइल को हटाने में मदद करता है. यह प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस को ठीक नहीं करता है, लेकिन लिवर की कार्यप्रणाली में सुधार जरूर लाता है और लिवर के खराब होने की प्रक्रिया को कम करता है. इसके नुकसान में वजन का बढ़ना, बालों का झड़ना और डायरिया है.

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ओबेटिकोलिक एसिड

शोध के अनुसार, जब इस दवा का सेवन अकेले या उर्सोडिओल के साथ लगातार 12 महीने तक किया जाता है, तो यह लिवर की कार्यप्रणाली में सुधार लाकर लिवर फाइब्रोसिस को धीमा कर सकता है. इसके साइड इफेक्ट में खुजली हो सकती है.

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फाइब्रेट्स

जब इस दवा को उर्सोडिओल के साथ लिया जाता है, तो यह लिवर इंफ्लेमेशन और खुजली को कम कर सकता है.

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बुडेसोनाइड

उर्सोडिओल के साथ इस दवा के सेवन से लाभ मिल सकता है, लेकिन यह स्टेरॉइड संबंधित साइड इफेक्ट ला सकता है. 

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लिवर ट्रांसप्लांट

जब दवाइयां बिल्कुल भी असर नहीं करती हैं और लिवर फेल होना शुरू हो जाता है, तो लंबे जीवन के लिए लिवर ट्रांसप्लांट की मदद ली जाती है. लिवर ट्रांसप्लांट में खराब लिवर को डोनर के हेल्दी लिवर से बदल दिया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में ट्रांसप्लांट के कई वर्षों बाद इस रोग के वापस लौट आने की आशंका रहती है. 

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थकान के लिए डाइट और एक्सरसाइज

प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस से थकान होने की आशंका रहती है, इसे दूर करने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई डाइट और एक्सरसाइज करने से मदद मिल सकती है. 

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खुजली के लिए दवाइयां

स्किन में होने वाली खुजली को दूर करने के लिए एंटीहिस्टामाइन (antihistamine), कोलिस्टिरामाइन (cholestyramine), रिफैम्पिन (rifampin), सेर्ट्रालीन (sertraline), ओपीओइड एंटागोनिस्ट्स (opioid antagonists) जैसी दवाइयों के सेवन से मदद मिल सकती है.

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प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस एक लिवर रोग है, जिसमें स्थिति समय के साथ और खराब होती जाती है. इसके लक्षण में हड्डियों और जोड़ों में दर्द, पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द, आंखों और मुंह का सूखना शामिल है. इसके कारण के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन शोध के अनुसार यह एक ऑटो इम्यून रोग है. प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के इलाज के लिए डॉक्टर लक्षणों के आधार पर दवा देने के साथ ही फाइब्रेट्स, उर्सोडॉक्सिकोलिक एसिड व बुडेसोनाइड जैसी दवाइयों के सेवन की सलाह भी देता है. जब लिवर काम करना बंद कर देता है, तो लिवर ट्रांसप्लांट करवाने के लिए कहा जाता है.

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