सेक्स ड्राइव का कम हो जाना, इजैक्युलेट करने में सक्षम न हो पाना और इरेक्टाइल डिसफंक्शन क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुषों में होने वाले आम यौन रोग हैं. क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुष रोगियों को यौन रोग होने के कारण में ब्लड सप्लाई में कमी व कमजोर रक्त वाहिकाएं शामिल हैं. इसके निदान के लिए शारीरिक जांच और ब्लड टेस्ट जरूरी हैं और इलाज के लिए वियाग्रा, हार्मोन इंजेक्शन और पेनाइल इंजेक्शन थेरेपी की मदद ली जा सकती है.

आज इस लेख में पुरुष यौन रोग और क्रोनिक किडनी रोग के बीच संबंध के बारे में जानेंगे -

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  1. क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुषों में यौन रोग के कारण
  2. क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुषों में यौन रोग का निदान
  3. क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुष में यौन रोग का इलाज
  4. सारांश
क्रोनिक किडनी रोग व पुरुष यौन रोग के डॉक्टर

क्रोनिक किडनी रोग वाले रोगियों की सेक्स लाइफ में समस्या आना आम बात है. इसमें इरेक्टाइल डिसफंक्शन व सेक्स ड्राइव का कम होना आदि शामिल है. इसके कई कारण हो सकते हैं, जिसमें कम ब्लड सप्लाई, नसों का क्षतिग्रस्त होना व एनीमिया शामिल है. आइए, पुरुष यौन रोग और क्रोनिक किडनी रोग के कारण के बारे में विस्तार से जानते हैं -

मानसिक अवस्था

क्रोनिक किडनी रोग होने की स्थिति में किडनी रोगी का दिमाग तनाव और एंग्जायटी से जूझ रहा होता है. ऐसी स्थिति में सेक्स की ओर ध्यान न के बराबर ही जाता है.

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एनीमिया

अगर किसी पुरुष को किडनी रोग के साथ डायबिटीजहृदय रोगहाई ब्लड प्रेशर या ब्लड लॉस की समस्या होती है, तो एनीमिया होने की आशंका बढ़ जाती है. एनीमिया होने का मतलब है कि व्यक्ति का शरीर पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल का निर्माण नहीं कर पा रहा है. इससे भी पेनिस को इरेक्ट होने में दिक्कत आ सकती है.

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दवाइयां

कुछ दवाइयां ऐसी होती हैं, जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन और अन्य सेक्सुअल समस्याओं का कारण बनती है. इसमें बीटा ब्लॉकर्स नामक रक्तचाप की गोलियां हैं, जैसे - एटेनोलोल, प्रोपेनोलोल, मेटोप्रोलोल व बिसोप्रोलोल आदि.

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हार्मोनल दिक्कत

शरीर में कुछ हार्मोन ऐसे होते हैं, जो विशेष तौर पर सेक्सुअल इच्छा को नियंत्रित करने के लिए होते हैं. जिन पुरुषों को क्रोनिक किडनी रोग होता है, उनमें ये सेक्स हार्मोन बहुत ज्यादा या बहुत कम हो सकता है.

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क्षतिग्रस्त नसें

पेनिस में कसाव लाने में नसों का भी अहम योगदान है, लेकिन क्रोनिक किडनी रोग में नसों के डैमेज होने की पूरी आशंका रहती है. इसकी वजह से पेनिस को इरेक्ट होने में दिक्कत होती है.

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ब्लड सप्लाई में कमी

जिस तरह से पूरे शरीर में ब्लड सप्लाई होती रहती है, उसी तरह से पेनिस में भी ब्लड सप्लाई होती है. वहीं, क्रोनिक किडनी रोग होने पर शरीर में मौजूद रक्त वाहिकाएं संकरी व कमजोर हो जाती हैं, जिसकी वजह से पेनिस में ब्लड सप्लाई कम हो सकती है. ब्लड सप्लाई कम होने से पेनिस में कसाव आने में दिक्कत हो सकती है.

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यदि क्रोनिक किडनी रोग से ग्रस्त मरीज में यौन रोग की पुष्टि के लिए निम्न प्रकार की जांच की जा सकती हैं -

मानसिक व सेक्सुअल समस्याएं

रोगी से यह पूछा जा सकता है कि उसे किसी प्रकार का तनाव तो नहीं है. रोगी के तनाव में रहने की वजह से भी सेक्स करने की इच्छा कम हो सकती है.

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दवाइयों को चेक करना

डॉक्टर उन सभी दवाइयों को भी देखता है, जो रोगी द्वारा लिए जा रहे हैं. यदि उनमें से किसी दवा की वजह से रोगी को सेक्सुअल समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो उसके विकल्प के तौर पर दूसरी दवा दी जा सकती है.

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ब्लड टेस्ट

हार्मोन के स्तर को मापने के लिए ब्लड टेस्ट किए जाते हैं. इसमें टेस्टोस्टेरोन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन, फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन और प्रोलैक्टिन शामिल है. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्टिकल को रेगुलेट करते हैं.

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शारीरिक जांच

डॉक्टर पुरुष के जननांगों की जांच करने के साथ ही हाथ और पैरों की पल्स को भी चेक करते हैं. अगर मरीज की पल्स कमजोर है, तो इसका मतलब यह है कि रक्त वाहिकाएं संकरी हो गई हैं, जिससे ब्लड सप्लाई कम हो जाती है. यह समस्या पेनिस में भी हो सकती है.

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किडनी रोग की वजह से यौन रोग होने पर डॉक्टर पहले कारणों को ठीक करने पर काम करता है. हार्मोन इंजेक्शन, वियाग्रा, वैक्यूम डिवाइस की मदद से क्रोनिक किडनी रोग की वजह से होने वाले पुरुष यौन रोग का इलाज किया जा सकता है. आइए, क्रोनिक किडनी रोग की वजह से पुरुषों को होने वाले यौन रोग के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

पेनाइल इन्सर्शन थेरेपी

इस थेरेपी के तहत रोगी के पेनिस के अंत में एक एप्लिकेटर इन्सर्ट किया जाता है. इस एप्लिकेटर में एक बटन होता है, जिसे दबाने से दवा अंदर जाती है. इसके बाद करीब 10 से 30 मिनट तक इरेक्शन रह सकता है.

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पेनाइल इंजेक्शन थेरेपी

यह एक नॉन सर्जिकल तकनीक है. इसमें व्यक्ति पेनिस के निचले हिस्से में दवा इंजेक्ट कर सकता है. इससे पेनिस में कसाव आ जाता है और इरेक्शन एक-दो घंटे तक रह सकता है. शोध के अनुसार, डायलिसिस वाले रोगियों में इस इंजेक्शन के फायदे देखे गए हैं. फिर भी इसके कुछ साइड इफेक्ट हैं, जिसके बारे में डॉक्टर ही ज्यादा बेहतर तरीके से बता सकते हैं.

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हार्मोन इंजेक्शन

क्रोनिक किडनी रोग के चलते टेस्टोस्टेरोन स्तर कम हो सकता है. इस वजह से कई सेक्सुअल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में हर तीसरे या चौथे हफ्ते में टेस्टोस्टेरोन का इंजेक्शन देकर इस कमी को ठीक किया जा सकता है.

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वियाग्रा

इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज के तौर पर वियाग्रा दिया जाता रहा है, जो पेनिस की संकरी हो चुकी रक्त कोशिकाओं को खोलता है. शोध भी बताते हैं कि क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुषों द्वारा वियाग्रा के इस्तेमाल से इरेक्शन होने में मदद मिल सकती है. अब यह दवा लेनी है या नहीं, इस संबंध में डॉक्टर ही बता सकते हैं, क्योंकि इस दवा के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं.

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क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुषों में यौन रोग होना आम बात है. इसमें सेक्स ड्राइव का कम होना और इन्टरकोर्स की फ्रीक्वन्सी में कमी आना शामिल है. इसके कारणों में एनीमिया, नसों में डैमेज, ब्लड सप्लाई की कमी और कुछ खास दवाओं का सेवन शामिल है. क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुषों के शारीरिक जांच और ब्लड टेस्ट करके यौन रोगों का पता लगाया जा सकता है. इसके इलाज के तौर पर वियाग्रा और हार्मोन इंजेक्शन मददगार हो सकते हैं. क्रोनिक किडनी रोग वाले पुरुषों को यौन रोग का इलाज डॉक्टर की सलाह पर ही करवाना चाहिए.

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