आयुर्वेद में गोनोरिया का प्राकृतिक, व्यापक और प्रभावकारी उपचार बताया गया है. आयुर्वेद में गोनोरिया का उपचार तीन स्तरों पर होता है. सबसे पहले स्तर पर आयुर्वेदिक थेरेपी के माध्यम से शरीर का शुद्धिकरण किया जाता है.

दूसरे स्तर पर आयुर्वेदिक दवाइयों के माध्यम से गोनोरिया बैक्टीरिया की रोकथाम की जाती है और उसे जड़ से नष्ट किया जाता है. अंतिम स्तर में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के माध्यम से उपचार के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने के लिए और किसी संभावित साइड इफेक्ट्स को दूर किया जाता है.

इस लेख में गोनोरिया का आयुर्वेदिक उपचार, दवा व जड़ी-बूटी के बारे में विस्तार से जानेंगे-

  1. क्या है गोरोनिया
  2. सारांश
  3. गोनोरिया के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां
  4. गोनोरिया के लिए आयुर्वेदिक दवा
  5. गोनोरिया के लिए आयुर्वेदिक उपचार
गोनोरिया का आयुर्वेदिक उपचार व दवा के डॉक्टर

गोनोरिया या सूजाक एक यौन बीमारी है, जो नीसेरिया गानोरिआ नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है. यह एक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन है, जो असुरक्षित यौन संबंध, ओरल सेक्स, सेक्स टॉय का असुरक्षित इस्तेमाल या फिर गंदा टॉयलेट इस्तेमाल करने से होता है. यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है.

गोनोरिया के लक्षणों में सेक्स ऑर्गन्स से हरे रंग का द्रव्य निकलना, पेशाब करते समय जलन और दर्द महसूस होना, योनि से खून निकलना, गुदा में दर्द होना आदि शामिल है. अगर समय रहते इसका सही इलाज न हो, तो इससे बांझपन और होने वाले बच्चों में बीमारी पहुंचने का खतरा रहता है.

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गोनोरिया एक आम यौन रोग है, जो सही जांच और उपचार के अभाव में खतरनाक रूप ले सकता है. आयुर्वेद में गोनोरिया का व्यापक और प्रभावकारी उपचार मौजूद है जो कि तीन स्तरों- थेरेपी, दवा और जड़ी-बूटियों पर होता है. इस बात पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है कि गोनोरिया के पूर्ण इलाज के लिए आपको इन तीनों स्तरों पर उपचार करवाना चाहिए. किसी भी दवा, थेरेपी या जड़ी-बूटी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें, ताकि आपके शरीर को कोई नुकसान न पहुंचे.

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गोनोरिया के उपचार में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का अपना विशेष महत्व है. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से संभावित साइड इफेक्ट्स दूर हो सकते हैं और उपचार के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने में सहायता मिलती है. जानिए गोनोरिया के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां के बारे में -

सहजन

सहजन गोनोरिया को जड़ से समाप्त करने वाली एक प्रभावी जड़ी-बूटी मानी जाती है. पीसी हुई सहजन को एक पाव दही में मिलाकर लेने से गोनोरिया रोगियों को तुरंत राहत मिल सकती है. आप सहजन की सब्जी भी खा सकते है, जिससे शरीर में तंदुरुस्ती बढ़ती है और गोनोरिया ग्रसित अंगों में जलन भी कम हो सकती है.

कतीरा

कतीरा जड़ी-बूटी को गोनोरिया के लक्षणों को बढ़ने से रोकने में काफी प्रभावी माना जाता है. कतीरा में थोड़ी-सी चीनी मिलाकर खाने से गोनोरिया का बैक्टीरिया तेजी से नष्ट हो सकता है. इसे गाय के दूध के साथ पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी भी होती है.

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आंवला

आंवला भी गोनोरिया की बीमारी से राहत देने वाली असरदार आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है. हरे आंवलों का रस निकाल कर उसमें पीसी हुई हल्दी और शहद मिला कर पीने से गोलोरिया बैक्टीरिया को बढ़ने से रोका जा सकता है. हरे आंवलें न मिलें, तो आप सूखे आंवलों का रस भी ले सकते हैं.

गिलोय

गोनोरिया रोगियों के लिए गिलोय भी असरदार जड़ी-बूटी है. भोजन करने के बाद गिलोय की 5-6 गोलियों को 2 चम्मच शहद में मिलाकर पीने से गोनोरिया का बैक्टीरिया नष्ट हो जाता है और पेशाब की जलन भी दूर हो सकती है.

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नीम

नीम भी गोनोरिया बीमारी से राहत देने में मददगार हो सकता है. नीम की गौंद और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर खाएं. इसका सेवन करीब 2-3 हफ्ते तक करें, ताकि गोनोरिया बीमारी से जल्द राहत मिल सकें.

बेल

बेल फल गोनोरिया से राहत देने वाली महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है. बेल की जड़ को कूट कर रात के समय जल में भिगो दें और सवेरे उसे छानकर चीनी के साथ मिलाकर पिएं. ऐसा लगातार एक हफ्ते तक करने से गोरोनिया से ग्रसित अंग में जलन और दर्द से आराम मिल सकता है.

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गोनोरिया के लिए नवकार्षिक चूर्ण, गंधक रसायन, नीम कैप्सूल्स, करक्यूमिन कैप्सूल्स जैसी असरदार आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध हैं. विशेष बात यह है कि ये पूरी तरह शुद्ध, प्राकृतिक और शाकाहारी है. जानें गोनोरिया के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में -

नवकार्षिक चूर्ण

यह गोनोरिया के लिए सबसे असरदार आयुर्वेदिक दवा मानी जाती है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फेक्शनल प्रॉपर्टीज है, जो गोनोरिया बैक्टीरिया का जड़ से नाश करता है. इसे गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार लेने से गोनोरिया बीमारी को दूर करने में मदद मिलती है.

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करक्यूमिन कैप्सूल्स

करक्यूमिन कैप्सूल्स हरिद्रा औषधि से बनी आयुर्वेदिक दवा है, जो गोनोरिया रोगियों के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है. इसमें एंटी माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज मौजूद होती है, जो गोनोरिया बैक्टीरिया को दोबारा बढ़ने से रोकने में असरदार माना जाती है. दिन में करक्यूमिन के 2 कैप्सूल्स लेने से गोनोरिया बीमारी से कम समय में राहत मिल सकती है.

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नीम कैप्सूल्स

यह असरदार एंटीऑक्सीडेंट और इम्युनिटी बूस्टर है, जो गोनोरिया से ग्रसित शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और खोई हुई ताकत को वापस लाता है. दिन में भोजन करने के बाद सादे पानी के साथ 2 नीम कैप्सूल्स लेने से गोनोरिया में काफी मदद मिल सकती है.

गंधक रसायन

गंधक रसायन गोनोरिया से ग्रसित पुरुषों और महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. यह शरीर से विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिन्स को बाहर करता है और संक्रमण के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है. दिन में गंधक रसायन की 2-3 टेबलेट्स लेने से गोनोरिया से ग्रसित अंगों में दर्द और जलन से राहत मिलती है.

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आयुर्वेद में गोनोरिया के प्राकृतिक उपचार के लिए स्नेहन, उपनाह स्वेद व विरेचन जैसी कई प्रभावकारी आयुर्वेदिक थेरेपी मौजूद है, जो गोनोरिया बीमारी के खिलाफ शरीर को तैयार करने का काम करती है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि गोनोरिया के लिए कौन-कौन से आयुर्वेदिक उपचार किए जाते हैं-

वमन

वमन एक विशेष आयुर्वेदिक थेरेपी है, जिसका गोनोरिया बीमारी के गंभीर मामलों में उपयोग किया जाता है. वमन में मुंह से उल्टी करवाकर दूषित पदार्थों को बाहर निकाला जाता है. इसमें रोगी को बैठाकर वमन द्रव्य वचा चूर्ण और अन्य द्रव्य का घोल पिलाया जाता है, जिसे लेने के 10-15 मिनट बाद उल्टी होना शुरू हो जाती है. अंत में रोगी की छाती और पीठ की मालिश कर उसे आराम दिया जाता है. वमन थेरेपी एक सप्ताह तक लगातार होनी चाहिए, जिससे गोनोरिया को बढ़ने से रोकने में मदद होती है.

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विरेचन

गोनोरिया से ग्रसित व्यक्तियों के लिए विरेचन बेहद असरदार आयुर्वेदिक थेरेपी है. इसमें रोगी को इच्छाभेदी रस, अभ्यादि जैसे औषधियों से बना विरेचन द्रव्य दिया जाता है, जिससे उसे पतले दस्त शुरू होते हैं. यह पित्त को साफ करता है और रक्त को शुद्ध करता है. विरेचन जिगर और पित्ताशय में गोनोरिया बैक्टीरिया द्वारा बने विषाक्त पदार्थों को भी मलाशय के माध्यम से साफ करता है.

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उपनाह स्वेद

इसमें शरीर के रोगग्रस्त अंग पर औषधीय मिश्रण लगाकर उसे लंबे समय तक बिना स्पर्श किए छोड़ दिया जाता है. संक्रमित अंग की गर्म हर्बल आयल और औषधीय मिश्रण से सावधानीपूर्वक मालिश की जाती है और उसे पत्तियों से ढक दिया जाता है, फिर इसे जड़ी-बूटियों और गुनगुने पानी से धो दिया जाता है. इस थेरेपी को कम से कम दो से तीन दिन तक करना चाहिए, जिससे गोनोरिया बैक्टीरिया के रोकथाम में मदद मिलती है.

स्नेहन

गोनोरिया के लिए स्नेहन सबसे महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक थेरेपी में से एक है, जो शरीर को गोनोरिया बीमारी से लड़ने के लिए तैयार करता है. इसमें औषधीय तेल, घी और जड़ी-बूटियों को तीन से सात दिन तक शरीर पर लगाया जाता है, जो टॉक्सिन्स यानी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर के शुद्धिकरण को प्रभावी बनाता है.

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