आंखों से जुड़ी समस्याओं के उपचार और रोकथाम से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था 'फाइट फॉर साइट' के शोधकर्ताओं ने क्षतिग्रस्त ऑप्टिक नर्व को रिपेयर करने का एक नया और कारगर मेथड विकसित करने का दावा किया है। उन्होंने बकायदा डेमोन्स्ट्रेशन कर साबित किया है कि यह नया मेथड उन लोगों की आंखों की रोशनी वापस ला सकता है, जिन्होंने ऑप्टिक नर्व के डैमेज होने के कारण अपनी देखने की क्षमता खो दी है। आंखों को होने वाली इस क्षति के लिए काला मोतियाबंद (ग्लूकोमा) और अन्य प्रकार की कंडीशन जिम्मेदार होती हैं।

इस महीने की शुरुआत में मेडिकल पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज स्थित फाइट फॉर साइट संस्था के शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस नए आई रिपेयरिंग मेथड पर काम किया है। इन विशेषज्ञों ने इस विषय पर किए शोधकार्य के तहत यह पता लगाने की कोशिश की थी कि क्या शरीर में प्रोट्रुडिन नामक प्रोटीन पैदा करने के लिए जिम्मेदार एक वंशाणु (जीन) ग्लूकोमा के कारण रेटिनल सेल्स को होने वाली क्षति को रोक अथवा उसे रिपेयर कर सकता है?

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इस वैज्ञानिक प्रयोग का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर केथ मार्टिन, डॉ. रिचर्ड ईवा, डॉ. वेसेलिना पेट्रोवा और प्रोफेसर जेम्स फॉसेट ने अपने सहयोगी शोधकर्ताओं के साथ मिलकर सेल कल्चर (लैब में नियंत्रित तरीके से कोशिकाओं का निर्माण करने से जुड़ी प्रक्रिया) सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए ब्रेन सेल्स विकसित कीं। फिर उन्होंने लेजर की मदद से उन सेल्स के नर्व फाइबर्स को डैमेज किया। बाद में टाइम लैप्स माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल कर इस इंजरी के रेस्पॉन्स का विश्लेषण किया गया। इसमें पता चला कि इन नर्व सेल्स में प्रोट्रुडिन की मात्रा बढ़ाने से इनकी स्वयं को रिपेयर करने की क्षमता में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई थी। यहां बता दें कि क्षतिग्रस्त कोशिकाओं में प्रोट्रुडिन का इस्तेमाल जीन थेरेपी तकनीक के जरिये किया गया था।

नेचर कम्युनिकेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन में सकारात्मक परिणामों पर बात करते हुए प्रोफेसर केथ मार्टिन ने कहा है, '(साइट लॉस से जुड़े) सभी मौजूदा ट्रीटमेंट के होने के बाद भी ग्लूकोमा के दस से 15 प्रतिशत मरीज कम से कम एक आंख से हमेशा के लिए अंधे हो जाते हैं। हमारा रिसर्च न सिर्फ ग्लूकोमा के कारण होने वाले आई डैमेज को रोकने या रिवर्स करने में प्रभावी हो सकता है, बल्कि यह आंखों के ट्रांसप्लांट (ऑप्टिक नर्व के जरिये नर्व फाइबर्स की ग्रोथ कर ट्रांसप्लांट की गई आंख को ब्रेन से कनेक्ट करके) की सफलता की दर को भी सुधारने में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।'

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वहीं, फाइट फॉर साइड की रिसर्च डायरेक्टर डॉ. नेहा इसर-ब्राउन का शोधकार्य को लेकर कहना है, 'इस शोध के परिणाम बहुत ज्यादा उम्मीद जगाने वाले हैं, न सिर्फ उन लोगों के लिए जो ग्लूकोमा से संबंधित साइट लॉस के साथ जी रहे हैं, बल्कि (अन्य कारणों से भी) ऑप्टिक नर्व के क्षतिग्रस्त होने के चलते आंखों की रोशनी खोने के मामलों में भी ये काफी मददगार हो सकते हैं।' डॉ. नेहा ने आगे कहा, 'प्रोफेसर मार्टिन और उनकी टीम ने आंखों के शोध में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। इससे साइट लॉस की रोकथाम के साथ-साथ इसे वापस लाने के लिए नए ट्रीटमेंट की खोज के तहत रीजेनरेटिव मेडिसिन बनने की संभावना भी पैदा हुई है।'

उधर, परिणामों से उत्साहित वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनके रिसर्च का इस्तेमाल आने वाले सालों में होने वाले क्लिनिकल ट्रायलों में किया जाएगा। ये ट्रायल अगर सफल रहे तो शोधकर्ताओं उम्मीद है कि यह ट्रीटमेंट अप्रोच आने वाले दशक में गंभीर ग्लूकोमा में ऑप्टिक नर्व को रिपेयर करने के लिए नई उपचार रणनीति का हिस्सा बन सकती है।

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