मौसम बदलते समय कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। आप सभी ने देखा ही होगा कि मौसम बदलते ही कई लोगों को फ्लू व अन्य कई रोग हो जाते हैं। वायरस की वजह से होने वाला फ्लू एक तरह का वायरल संक्रमण होता है, जो कि नाक और फेफड़ो से निकलने वाले द्रव (जैसे छींकने) के कारण फैलता है। चिकित्सीय जगत में फ्लू को इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। यह एक श्वसन तंत्र का इंफेक्शन है, जो प्राथमिक रूप से फेफड़ों में विकसित होता है। वयस्कों की अपेक्षा बच्चों को फ्लू होने की संभावना अधिक होती है। फ्लू से बच्चों और व्यस्कों के बचाव के लिए इन्फ्लूएंजा टीके का इस्तेमाल किया जाता है।

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फ्लू की गंभीरता को देखते हुए इस लेख आपको इन्फ्लूएंजा टीका के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको इन्फ्लूएंजा टीके की खुराक, इन्फ्लूएंजा टीके को लगवाने की उम्र, इन्फ्लूएंजा टीके की कीमत, इन्फ्लूएंजा टीके के साइड इफेक्ट और इन्फ्लूएंजा टीका किसे नहीं देनी चाहिए, आदि के बारे में भी बताने का प्रयास किया गया है। 

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  1. इन्फ्लूएंजा टीकाकरण क्या है - Influenza tikakaran kya hai
  2. इन्फ्लूएंजा टीके की खुराक और उम्र - Influenza tike ki khurak aur umar
  3. इन्फ्लूएंजा के टीके की कीमत - Influenza ke tike ki kimat
  4. इन्फ्लूएंजा टीके के साइड इफेक्ट - Influenza tike ke side effects
  5. इन्फ्लूएंजा का टीका किसे नहीं दिया जाना चाहिए - Influenza ka tika kise nahi diya jana chahiye

हर वर्ष लाखों लोग और बच्चे फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में फ्लू से बच्चों और वयस्कों का बचाव के लिए इन्फ्लूएंजा के टीके को लगाया जाता है। अधिकतर लोगों में फ्लू के हल्के लक्षण होते हैं, जबकि कुछ मामलों में व्यक्ति को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं समय से इलाज न होने के कारण फ्लू की वजह से कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। शिशुओं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, अधिक आयु के लोगों के साथ ही अस्थमा, डायबिटीज व अन्य समस्या से ग्रसित व्यक्तियों में फ्लू के गंभीर लक्षण होने की संभावना काफी अधिक होती है। यह एक संक्रामक रोग होता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे तक आसानी से फैलता है। फ्लू से संक्रमित व्यक्ति द्वारा छींकने, खांसने या आसपास होने से अन्य व्यक्तियों को भी फ्लू होने का खतरा बना रहता है। इसके साथ ही किसी के द्वारा फ्लू के मरीज की नाक, मुंह और आंख को छूने से भी फ्लू का वायरस आसानी से संक्रमित हो जाता है।

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इन्फ्लूएंजा के वायरस को ए, बी और सी तीन भागों में बांटा जाता है। इन्फ्लूएंजा के प्रकार ए और बी मुख्य रूप से सर्दियों में श्वसन तंत्र संबंधी समस्या का कारण होते हैं। जबकि इन्फ्लूएंजा के प्रकार "सी" की वजह से श्वसन तंत्र की समस्या के हल्के लक्षण होते हैं या तो इसमें कोई लक्षण नहीं देखें जाते हैं। इन्फ्लूएंजा का प्रकार "सी" ना तो संक्रमण का कारण होता है और ना ही यह ए और बी की तरह स्वास्थ्य पर गंभीर समस्या का कारण बनता है।

फ्लू में होने वाले सामान्य लक्षणों को नीचे विस्तार से बताया गया है।

ऐसा जरूरी नहीं है कि फ्लू होने पर व्यक्ति को बुखार आए। सामान्य सर्दी जुकाम के मुकाबले फ्लू अधिक गंभीर होता है। फ्लू कान का संक्रमण और साइनस जैसे रोग का आम कारण होता है। फ्लू में होने वाले अन्य गंभीर लक्षणों को आगे जानें –

हर वर्ष इन्फ्लूएंजा का टीका लेने से फ्लू से बचाव किया जा सकता है। इन्फ्लूएंजा का टीका फ्लू होने का कारण नहीं होता है। इन्फ्लूएंजा के टीके से आप फ्लू से सुरक्षित रहते हैं और आपको फ्लू ना होने से आपके आसपास के लोग भी इस रोग के संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं। आपको फ्लू से बचाने से अपने बच्चे और घर के बुजुर्गों को भी इस वैक्सीन को देना चाहिए।

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इन्फ्लूएंजा टीका 6 माह के शिशु व उससे अधिक आयु के बच्चों, किशोरों और वयस्कों को दिया जाता है। हर साल वैक्सीन को लगाने की आवश्यकता होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए व फ्लू के बदलते वायरस से लड़ने के लिए टीके की जरूरत होती है। इसके साथ ही जिन लोगों को फ्लू होने की संभावना काफी अधिक होती है उनको भी इन्फ्लूएंजा का टीका नियमित रूप से लेना होता है। गर्भवती महिला, 65 साल या उससे अधिक आयु के बुजुर्ग, 5 से कम आयु के बच्चों व डायबिटीज, अस्थमा व कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को इन्फ्लूएंजा का टीका नियमित लेने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही जिन लोगों को फ्लू होने की संभावना अधिक होती है उनके साथ रहने वाले या उनकी देखभाल करने वालों को भी इन्फ्लूएंजा का टीका लगाना चाहिए।

इन्फ्लूएंजा का टीका दो प्रकार का होता है।

इन्फ्लूएंजा का टीका संयोजन में भी मिलता है। उदाहरण के तौर पर एक्टहिब वैक्सीन (ActHIB vaccine) चार खुराक में दी जाती है। इसे शिशु को 2 माह, 4 माह, 6 माह और 15 से 18 माह में बूस्टर डोज के रूप में देनी होती है।

वहीं पेंटाक्सिम वैक्सीन (Pentaxim vaccine) में पांच तत्व का संयोजन होता है। इस टीके को तीन बार दिया जाता है। इसको सबसे पहले शिशु के बाद 2 महीने में, 4 महीने में और 11वें महीने में बूस्टर डोज के रूप में दिया जाता है।

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इस तरह से इन्फ्लूएंजा के टीके के संयोजन के आधार पर उसकी खुराक अलग अलग हो सकती है।

फ्लू का टीका व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को तैयार करने में कम से कम दो सप्ताह का समय लेता है, ऐसे में जब भी फ्लू को सीजन शुरू हो तो आप उससे दो सप्ताह पहले ही इन्फ्लूएंजा के टीके को लगा लें। अगर आप फ्लू शुरू होने से पहले इस टीके को नहीं लगवा पाए हैं तो आप किसी भी समय इसे लगवा सकते हैं। फ्लू का टीका किसी भी समय लगाया जाए, यह फ्लू से एक सामान सुरक्षा प्रदान करता है।

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फ्लू के वायरस से बचाव के लिए देश में इन्फ्लूएंजा का टीका कई ब्रांड में उपलब्ध है। ब्रांड के आधार पर इस वैक्सीन की मात्रा और कीमत अलग-अलग हो सकती है। देश में मिलने वाले कुछ इन्फ्लूएंजा का टीके और उनकी कीमतों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

इन्फ्लूएंजा का टीका  अनुमानित कीमत
एक्टहिब वैक्सीन (ActHIB vaccine) 345
पेंटाक्सिम वैक्सीन (Pentaxim Vaccine)   2740
कॉम्बीफाइव इंजेक्शन (Combefive Injection)  635
क्वाड्रोवैक्स एसडी (QUADROVAX SD) 489.34


 

सामान्यतः इन्फ्लूएंजा के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं और यह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट बेहद कम मामलों में देखने को मिलते हैं। इस वैक्सीन को लगाना सुरक्षित होता है, लेकिन कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिसमें इस वैक्सीन की प्रतिक्रियाएं गंभीर हो सकती हैं।

इन्फ्लूएंजा के टीके से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट को निम्न तरह से बताया गया है-

नेजल स्प्रे से होन वाले साइड इफेक्ट

वैक्सीन की वजह से होने वाली एलर्जिक प्रतिक्रिया के लक्षण -  

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कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों में इन्फ्लूएंजा के टीका को लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को शिशु या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते हैं। आगे जानते हैं कि किन लोगों को इन्फ्लूएंजा का टीका नहीं दिया चाहिए।

  • यदि किसी व्यक्ति को इन्फ्लूएंजा के टीके की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हो, तो ऐसे में व्यक्ति को वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या करें
     
  • 65 साल से कम आयु के लोगों को टीके की उच्च खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - बच्चों को सिखाएं अच्छी सेहत के लिए अच्छी आदतें)
     
  • वैक्सीन लेते समय यदि बच्चे या व्यक्ति को तेज बुखार हो तो ऐसे में वैक्सीन की खुराक लेने से पहले ठीक होने तक का इंतजार करना चाहिए। साथ ही इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। (और पढ़ें - टीकाकरण क्यों करवाना चाहिए)
     
  • इन्फ्लूएंजा के टीके में मौजूद तत्व (जैसे अंडे या गिलाटीन) से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए। (और पढ़ें - डायपर रैश का उपचार)
     
  • जीबीएस (GBS: Guillain-Barre Syndrome: रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी विकार) होने की संभावना होती है। (और पढ़ें - जापानी इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण)
     
  • 6 माह से कम आयु के शिशु को वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए।

नेजल स्प्रे वैक्सीन किसे नहीं लेनी चाहिए-

  • गर्भवती महिला को वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
     
  • 50 साल या उससे अधकि आयु के व्यक्ति। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टीका कब लगाएं)
     
  • 2 से 4 साल तक के जिन बच्चों को अस्थमा या पिछले 12 महिनों में घरघराहट की समस्या हो, (और पढ़ें - शिशु का वजन कैसे बढ़ाएं)
     
  • 2 साल से कम आयु के शिशु को नेजल स्प्रे नहीं दिया जाना चाहिये। 

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