चक्‍कर आने पर अधिकतर लोगों को सिर चकराने या संतुलन खोने का अहसास होता है। कभी-कभी चक्‍कर आने को वर्टिगो भी कहा जाता है। हालांकि, इन दोनों के लक्षण अलग-अलग होते हैं। चक्‍कर आने से पहले व्‍यक्‍ति को कुछ चीजों का एहसास होता है जैसे कि आंखों के सामने अंधेरा छाना, जी मितली, उल्‍टी, कमजोरी और बहुत ज्‍यादा पसीना आना। गर्दन घुमाने पर ये सब ट्रिगर हो सकते हैं। कई बार चक्‍कर आने का संबंध कान बजने यानी टिनि‍टस से होता है।

चक्‍कर आना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि ये किसी बीमारी का लक्षण है। चक्‍कर आने के सामान्‍य कारणों में मेनिएर डिजीज (अंदरूनी कान में सूजन), कान में संक्रमण, सिरदर्द (वेस्टिबुलर माइग्रेन), मानसिक तनाव, दवाएं (तनाव-रोधी), रक्‍त प्रवाह से संबंधित विकार (लो ब्‍लड प्रेशर), हृदय के कार्य में दिक्‍कत (दिल की अनियमित धड़कन), मेटाबोलिक विकार और मस्तिष्‍क में कैंसर या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में अन्‍य विकार शामिल हैं। व‍र्टिगो को नियंत्रित करने में कारण का उपचार करना ही सबसे महत्‍वपूर्ण होता है। इसके अलावा चक्‍कर आने के इलाज में एंटी-हिस्‍टामाइन (एलर्जी रोकने वाली) और एंटी-इमेटिक (उल्‍टी के लिए) दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है।

यदि किसी अंग की संरचना को नुकसान न पहुंचा हो या चक्‍कर आने की वजह कोई संरचनात्‍मक असामान्‍यता न हो तो होम्‍योपैथी दवाओं से चक्‍कर आने से राहत पाने में मदद मिल सकती है। होम्‍योपैथी दवाएं कान में सूजन और चिंता जैसी स्थितियों के कारण आने वाले चक्‍कर की तीव्रता और आवृत्ति (बार-बार) को भी कम करने में मदद कर सकती हैं। चक्‍कर आने के इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली सामान्‍य होम्‍योपैथी दवाओं में अर्जेन्‍टम नाइट्रिकम, जेलसीमियम, कोनियम मैकुलेटम, ब्रायोनिया एल्‍ब, पल्‍सटिला, काक्‍कूलस इंडिकस, अंब्रा ग्रिसिया और पेट्रोलियम शामिल हैं।

  1. चक्कर आने की होम्योपैथिक दवा - Chakkar aane ki homeopathic dawa
  2. होम्योपैथी में चक्कर आने के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Diziness ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
  3. चक्कर आने पर होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है - Chakkar aane ki Homeopathy medicine kitni faydemand hai
  4. चक्कर आने के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Chakkar aane ki homeopathic dawa ke nuksan aur jokhim karak
  5. चक्कर आने के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Dizziness ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
  • काक्‍कूलस इंडिकस (Cocculus Indicus)
    सामान्‍य नाम :
    इंडियन कोकल (Indian cockle)
    लक्षण : संवेदनशील प्रकृति वाले लोगों पर ये दवा बेहतर असर करती है। शारीरिक और मानसिक थकान से ग्रस्‍त गोरी रंगत और हल्‍के बालों वाली महिलाओं को इस दवा को लेने की सलाह दी जाती है। नीचे बताए गए लक्षणों के इलाज में इंडियन कोकल का इस्‍तेमाल किया जाता है :
    • मोशन सिकनेस (सफर में उल्टी आना), चिंता या मानसिक तनाव और प्रेगनेंसी के कारण वर्टिगो हो
    • कई दिनों तक बार-बार वर्टिगो के अटैक आना
    • खाने के बाद, खड़े होने के दौरान और लेटने की पोजीशन से उठने पर अचानक उलझन होना
    • चक्‍कर आने और सिरदर्द के साथ कानों में घंटी बजना
    • सिर में खाली और खोखलापन महसूस होना
    • खुली हवा, खाने के दौरान, नींद में परेशान होने के साथ, गतिविधि करने (जैसे कि तैराकी), माहवारी के दौरान, शोर में, छूने पर और मानसिक तनाव होने पर ये लक्षण और बढ़ जाते हैं।
    • बिस्‍तर पर लेटने और गरमाई में रहने पर लक्षणों में सुधार आता है।

एक अध्‍ययन में सामने आया है कि अन्‍य होम्‍योपैथी दवाओं के साथ कोक्‍कुलस इंडिकस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकारों से जुड़े वर्टिगो के इलाज में असरकारी है। ये दवा चक्‍कर आने से संबंधित जी मितली को भी कम करने में मदद करती है।

अन्‍य रिसर्च में पाया गया कि अन्‍य होम्‍योपैथी दवाओं के साथ कोक्‍कुलस इंडिकस कानों में वेस्टिबुलर सिस्टम (शरीर के संतुलन को बनाए रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाला) में विकार के कारण चक्कर आने के इलाज में मददगार होती है। इस स्‍टडी में पता चला कि कोक्‍कुलस इंडिकस वेस्टिबुलर सिस्‍टम में खून की आपूर्ति को बढ़ाने में मदद करती है और इस प्रकार चक्‍कर आने की समस्‍या में कमी आती है।

  • अंब्रा ग्रिसिया (Ambra Grisea)
    सामान्‍य नाम :
    एंबरग्रिस (Ambergris)
    लक्षण : संवेदनशील और जल्‍दी घबरा जाने वाले लोगों के लिए ये दवा बहुत फायदेमंद है। ये दवा पतली और शारीरिक रूप से कमजोर महिलाओं एवं बच्‍चों तथा वृद्ध लोगों पर अच्‍छी तरह से काम करती है। ये दवा नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक करती है:
    • सिर में भारीपन और कमजोरी महसूस होन के साथ वर्टिगो
    • चक्‍कर आने के साथ पेट में कमजोरी
    • वर्टिगो के कारण चक्‍कर आना जो कि लेटने के बाद ठीक हो जाए
    • सोने के बाद वर्टिगो का और गंभीर हो जाना
    • संगीत सुनने पर ये सभी लक्षण और बढ़ जाते हैं
    • गर्मी और सुबह के समय भी लक्षण खराब रहते हैं
    • खुली और ताजा हवा में धीरे-धीरे चलने से लक्षणों में सुधार आता है

रिसर्च में सामने आया है कि अंब्रा ग्रिसिया केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य करती है और चक्‍कर आने एवं वर्टिगो के अन्‍य लक्षणों को कम करने में मदद करती है।

अन्‍य अध्‍ययन के अनुसार अंब्रा ग्रिसिया कानों के अंदर वेस्टिबुलर सिस्‍टम में रक्‍त प्रवाह पर कार्य करती है और चक्‍कर आने की तीव्रता में कमी लाने में मदद मिलती है।

  • कोनियम मैकुलेटम (Conium Maculatum)
    सामान्‍य नाम :
     पॉइजन हेमलॉक (Poison hemlock)
    लक्षण : ये दवा वृद्ध, मजबूत मांसपेशियों वाले और संवेदनशील महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। यह उन लोगों को भी दी जाती है, जिनमें ग्रंथियों में सूजन, कैंसर और तंत्रिका तंत्र के विकारों (लकवा) की प्रवृत्ति होती है। कोनियम मैकुलेटम से निम्‍न लक्षणों के इलाज में भी मदद मिलती है :
    • गर्दन या सिर घुमाने या हिलाने पर वर्टिगो या चक्‍कर आना
    • वर्टिगो के कारण गर्दन और आंखों को हल्‍का-सा भी न घुमा पाना
    • चक्‍कर आने जैसा महसूस होने से बचने के लिए सिर को एक दम सीधा रखना
    • वर्टिगो या चक्‍कर आने के साथ गोल-गोल घूमने जैसा एहसास होना
    • आगे झुकने, बिस्‍तर पर लेटने, नींद के दौरान या उठने पर करवट बदलने पर चक्‍कर आना

झुकने, गर्दन और सिर को हल्‍का-सा भी हिलाने, बिस्‍तर पर लेटने के दौरान करवट बदलने, शराब पीने (थोड़ी मात्रा में भी) और माहवारी के दौरान चक्‍कर और बढ़ जाते हैं। खुली हवा में लक्षणों में सुधार आता है।

एक रिसर्च में सामने आया है कि कोनियम मैकुलेटम केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य करती है इसलिए ये वर्टिगो या चक्‍कर को कम करने में असरकारी है।

  • पेट्रोलियम (Petroleum)
    सामान्‍य नाम :
    क्रूड रॉक ऑयल, मिनरल ऑयल (Crude rock oil, mineral oil)
    लक्षण : ये दवा पतले और गोरी रंगत वाले लोगों पर ज्‍यादा असर करती है। इससे नीचे बताए गए लक्षणों का भी इलाज किया जा सकता है :
    • मोशन सिकनेस के कारण वर्टिगो या चक्‍कर आना
    • जी मितली और उल्‍टी के कारण वर्टिगो या चक्‍कर आना
    • सिर के पीछे वर्टिगो या चक्‍कर महसूस होना, खासतौर पर बैठे या लेटे हुई स्थिति से उठने पर, आगे गिरने जैसा महसूस होने के साथ
    • पूरे शरीर में सुन्‍नता और अकड़न के साथ चक्‍कर आना
    • खाना खाने के बाद उलझन और चक्‍कर आने जैसा महसूस होना

शोर में, खाने पर, आगे झुकने पर, कार में बैठने पर और धीरे चलने पर ऊपर बताए गए लक्षण और खराब हो जाते हैं। गर्म हवा या सिर उठाकर जमीन पर लेटने से लक्षणों से आराम मिलता है।

अध्‍ययनों की श्रृंखला में सामने आया है कि अन्‍य होम्‍योपैथी दवाओं के साथ पेट्रोलियम लेने से चक्‍कर आने या वर्टिगो और अन्‍य संबंधित लक्षणों जैसे कि जी मितली को कम करने में मदद मिलती है।

  • वर्टिगोहील (Vertigoheel)
    • इस दवा को कोनियम मैकुलेटम, अंब्रा ग्रिसिया, पेट्रोलियम और कोक्‍कुलस इंडिकस से बनाया गया है। इसका इस्‍तेमाल वर्टिगो (चक्‍कर आने) के इलाज में किया जाता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि वर्टिगोहील डिमेनहाइड्रिनेट (वर्टिगो के इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली एलोपैथी दवा) की तरह ही असरकारी है। डिमेनहाइड्रिनेट, वर्टिगो या चक्‍कर आने के विभिन्‍न कारणों के इलाज में असरकारी है।

अध्‍ययनों के अनुसार हाई ब्‍लड प्रेशर से ग्रस्‍त वृद्ध मरीजों में वर्टिगो/चक्‍कर आने के इलाज में विशेष रूप से वर्टिगोहील प्रभावशाली है।

  • जेलसीमियम (Gelsemium)
    सामान्‍य नाम :
    यैलो जास्‍मीन (Yellow jasmine)
    लक्षण : ये दवा उन युवा लोगों पर ज्‍यादा असर करती है जो संवेदनशील होते हैं, आसानी से परेशान हो जाते हैं और जल्‍दी घबरा जाते हैं। इस दवा से निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
    • धुंधला दिखने के साथ वर्टिगो या चक्‍कर आना
    • अचानक सिर घुमाने पर चक्‍कर आना
    • सिर के पीछे से वर्टिगो का फैलना
    • पूरे शरीर पर गर्म महसूस होने साथ चक्‍कर आने का एहसास
    • चक्‍कर आने पर सिर में भारीपन महसूस होना जो कि पेशाब करने के बाद ठीक हो जाए
    • अचानक बुरी खबर सुनने, किसी की बीमारी के बारे में सोचने और धूम्रपान करने पर चक्‍कर और बढ़ जाते हैं।

खुली हवा, लगातार धीरे-धीरे चलने और पेशाब करने से लक्षणों में सुधार आता है। अध्‍ययन में सामने आया है कि तनाव के कारण होने वाली चिंता के इलाज में जेलसीमियम असरकारी है।

  • अर्जेन्‍टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)
    सामान्‍य नाम :
    नाइट्रेट ऑफ सिल्‍वर (Nitrate of silver)
    लक्षण : ये दवा पतले और हमेशा घबराने वाले लोगों पर सबसे ज्‍यादा असर करती है। इन्‍हें बार-बार सिरदर्द के साथ सिर में हल्का दर्द महसूस होता है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है:
    • वर्टिगो या चक्‍कर आने के साथ सिरदर्द और मोशन सिकनेस के कारण
    • उलझन में रहने के साथ चक्‍कर आना
    • अंधेरे में चलने पर वर्टिगो या चक्‍कर आना
    • गोल घूमने पर सिर चकराने जैसा एहसास होना
    • वर्टिगो या चक्‍कर आने के साथ कान बजना
    • मीठा खाने के बाद लक्षण और बढ़ जाते हैं।

गर्म वातावरण या मानसिक तनाव होने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं जबकि डकार आने के बाद और खुली हवा में जाने पर लक्षणों में सुधार आता है।

  • फेरम पिक्रिकम (Ferrum Picricum)
    सामान्‍य नाम :
    पिक्रेट ऑफ आयरन (Picrate of iron)
    लक्षण : ये दवा उन लोगों पर बेहतर असर करती है जिनमें खून ज्‍यादा होता है और जिनका रंग सांवला होता है। इस दवा से निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है:
    • चक्‍कर आने के साथ ऐसा महसूस होना कि आसपास सब कुछ घूम रहा है
    • ऐसा एहसास होना कि किसी ने सिर को धक्‍का दिया और व्‍यक्‍ति गिर जाएगा
    • मस्तिष्‍क के विभिन्‍न हिस्‍सों में जमाव के कारण वर्टिगो

वैज्ञानिक रूप से ये साबित हो चुका है कि फेरम पिक्रिकम चक्‍कर आने या वर्टिगो और कान में घंटी बजने के इलाज में मददगार है।

अध्‍ययनों से संकेत मिलता है कि लाइकोपोडियम क्‍लेवेटम के साथ चिनिनम सल्‍फ्यूरिकम ब्रेन ट्यूमर से जुड़े लक्षणों जैसे कि कान में घंटी बजने, सिरदर्द और जी मितली एवं उल्‍टी के साथ वर्टिगो के इलाज में मदद कर सकती है। मरीज के मानसिक लक्षणों के आधार पर ही लाइकोपोडियम क्‍लेवेटम की सलाह दी जाती है।

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जीवनशैली से संबंधित कुछ आदतें होम्‍योपैथी दवाओं के कार्य को प्रभावित कर सकती हैं। चक्‍कर आने पर होम्‍योपैथी दवाएं लेने के दौरान निम्‍न बातों का ध्‍यान रखना चाहिए:

क्‍या करें

  • संतुलित और पौष्टिक आहार लें
  • ज्ञानवर्द्धक किताबें और लेख पढ़कर अपने दिमाग को व्‍यस्‍त रखें
  • हल्‍के व्‍यायाम करें जैसे कि रोज खुली और ताजी हवा में चलना

क्‍या न करें

  • तेज उत्तेजक जैसे कि कॉफी, मसालों और औषधीय जड़ी बूटियों से बने सूप एवं औषधीय प्रभावों से युक्‍त वेजिटेबल सूप न पिएं
  • खराब या बासी सब्जियां और मीट न खाएं
  • आर्टिफिशियल फ्लेवर या रंग से युक्‍त खाद्य और पेय पदार्थ न पिएं
  • तेज खुशबू वाले परफ्यूम या एयर फ्रेशनर का इस्‍तेमाल करने से बचें
  • गंदगी और उमस वाली जगहों पर जाने से बचें

मरीज के शारीरिक और मानसिक लक्षणों के आधार पर ही होम्‍योपैथी दवाओं का चयन किया जाता है। होम्‍योपैथी दवाएं शरीर की प्राकृतिक हीलिंग पॉवर (ठीक होने की शक्‍ति) को उत्तेजित करती हैं और इस प्रकार चक्‍कर आने के लक्षण से राहत पाने में मदद मिलती है। अगर मरीज के लिए सही होम्‍योपैथी दवा चुनी जाए तो ये न सिर्फ चक्‍कर आने से राहत दिलाने में मदद करती है बल्कि उपचार ले रहे मरीज के स्‍वास्‍थ्‍य को भी बेहतर करती है।

(और पढ़ें - चक्कर आने के घरेलू उपाय)

बच्‍चों, गर्भवती महिलाओं और वृद्ध लोगों के लिए होम्‍योपैथी दवाएं बिलकुल सुरक्षित होती हैं और इनके कोई हानिकारक प्रभाव भी नहीं होते हैं।

चक्‍कर आने के इलाज में उपयोगी होम्‍योपैथी दवाओं के कोई जोखिम या हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं। इन दवाओं को इस तरह तैयार किया जाता है कि तरल की मात्रा ज्‍यादा होती है जबकि दवाओं की मात्रा कम रखी जाती है। इस वजह से होम्‍योपैथी दवाओं का शरीर पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, अगर होम्‍योपैथी दवाओं की उचित खुराक न ली जाए तो इनकी वजह से ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं जिनका संबंध बीमारी से नहीं होता है।

(और पढ़ें - चक्कर आने पर क्या करें)

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चक्‍कर या वर्टिगो के इलाज में अनुभवी होम्‍योपैथी चिकित्‍सक से ही दवा एवं उपचार लेना फायदेमंद रहता है। होम्‍योपैथिक दवाएं चक्‍कर आने से जुड़े अन्‍य लक्षणों जैसे कि जी मितली, उल्‍टी और सिरदर्द को भी कम करने में मदद करती हैं। हालांकि, अगर किसी अंग की संरचना में किसी बदलाव या असामान्‍यता (जैसे कि मस्तिष्‍क में कैंसर) के कारण चक्‍कर आ रहे हैं तो इस मामले में होम्‍योपैथी दवाएं कम असरकारी होती हैं।

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