कई बार लोग प्री डायबिटीज या डायबिटीज की स्थिति को हल्के में लेकर अनदेखा कर देते हैं. जब तक स्थिति बिगड़ नहीं जाती, तब तक लोगों का मधुमेह की बीमारी पर ध्यान ही नहीं जाता है. अगर वक्त रहते मधुमेह पर ध्यान न दिया जाए और इसका उपचार न किया जाए, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. इसमें हृदय रोग व किडनी का खराब होना आदि शामिल है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि डायबिटीज का उपचार न करने पर क्या-क्या जोखिम हो सकते हैं -

(और पढ़ें - डायबिटीज के लिए व्यायाम)

  1. अनुपचारित डायबिटीज का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर
  2. सारांश
अनुपचारित डायबिटीज कैसे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है? के डॉक्टर

अगर वक्त रहते डायबिटीज का इलाज न किया जाए, तो इससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं -

हृदय रोग

सामान्य व्यक्ति की तुलना में डायबिटीज से ग्रस्त मरीज को हृदय रोग होने का जोखिम दोगुना होता है. दरअसल, मधुमेह में जैसे-जैसे वक्त बितता है, हाई ब्लड शुगर का स्तर रक्त वाहिकाओं और हृदय को नियंत्रित करने वाली नसों को नुकसान पहुंचाने लगता है. वहीं, अगर मधुमेह के साथ हाई ब्लड प्रेशर हो, तो यह जोखिम और ज्यादा बढ़ जाता है. 

(और पढ़ें - बच्चों में डायबिटीज का इलाज)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Sugar Tablet
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें

किडनी खराब होना

डायबिटीज होने पर किडनी की फिल्टर करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. इससे मधुमेह में किडनी से जुड़ी समस्या या किडनी डैमेज होने का जोखिम अधिक होता है. इसलिए, अगर मधुमेह के दौरान पेशाब के रंग या टेक्सचर में किसी तरह का बदलाव दिखे, तो इसे अनदेखा न करें. डायबिटीज में होने वाले किडनी की समस्या को डायबिटिक न्यूरोपैथी भी कहा जाता है. 

(और पढ़ें - क्या शुगर के मरीज अंडा खा सकते हैं)

आंखों से जुड़ी समस्या

टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह की सामान्य जटिलताओं में से एक आंखों से संबंधित समस्या है. डायबिटीज की स्थिति रेटिना की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकती है. ऐसे में डायबिटीज में मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी आंखों से संबंधित अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती है.

(और पढ़ें - डायबिटीज के लिए अच्छी दवा)

नर्व डैमेज

डायबिटीज से पीड़ित कई लोग नर्व डैमेज यानी तंत्रिका क्षति से पीड़ित होते हैं, जिसे न्यूरोपैथी भी कहा जाता है. इस अवस्था में ज्यादातर पैर की नसें प्रभावित हो सकती हैं, जिससे पैरों में झुनझुनी व सुन्नपन जैसा महसूस हो सकता है. हो सकता ही घंटों तक प्रभावित अंग में कुछ भी महसूस न हो.

(और पढ़ें - डायबिटीज की दवा लेने का सही समय)

संक्रमण

हाई ब्लड शुगर लेवल ड्राई स्किन का कारण भी बन सकता है. ऐसे में इस दौरान शरीर का बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण से लड़ना मुश्किल हो जाता है. बेहतर है इस दौरान अपनी त्वचा को अच्छी तरह से मॉइश्चराइज किया जाए. सिर्फ त्वचा संक्रमण ही नहीं, बल्कि अन्य संक्रमण भी हो सकते हैं, क्योंकि डायबिटीज से ग्रस्त रोगी की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. ऐसे में उन्हें किसी भी तरह का बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण होने का जोखिम हो सकता है.

(और पढ़ें - डायबिटीज में मुर्गा खाना चाहिए या नहीं)

पैरों की समस्या

मधुमेह पैरों के नर्व को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में आपके पैरों के आकार में परिवर्तन हो सकता है या पैरों में ब्लड फ्लो प्रभावित हो सकता है. ऐसे में पैरों से जुड़ी समस्या हो सकती है. अगर इन समस्याओं का जल्द उपचार न किया जाए, तो यह गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है. कई बार परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि गंभीर अवस्था में मरीज का पैर काटना तक पड़ सकता है.

(और पढ़ें - डायबिटीज में पैर फूलने का इलाज)

मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं

मधुमेह को संज्ञानात्मक समस्याओं और मस्तिष्क या मानसिक स्वास्थ्य में होने वाले बदलाव का भी कारण माना गया है. मधुमेह के मरीजों में अल्जाइमर रोग का जोखिम भी हो सकता है. अल्जाइमर रोग में मरीज को भूलने की बीमारी हो जाती है. वक्त के साथ-साथ यह स्थिति और गंभीर होती चली जाती है.

(और पढ़ें - शुगर में पनीर खाना चाहिए या नहीं)

ये सब बताकर हम आपको डराना नहीं चाहते हैं. ये जटिलताएं बताकर हम आपको सतर्क करना चाहते हैं, ताकि आप वक्त रहते डायबिटीज पर ध्यान दें. ये सिर्फ प्री डायबिटीज और डायबिटीज से ग्रस्त मरीज के लिए ही नहीं, बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी है. हर किसी को जैसे नियमित ब्लड प्रेशर चेक करना आवश्यक है, वैसे ही नियमित ब्लड शुगर चेक करना भी आवश्यक है. अगर ब्लड शुगर लेवल के स्तर में किसी भी तरह का उतार-चढ़ाव दिखे, चाहे कम हो या ज्यादा तो दोनों ही स्थिति में डॉक्टर या एक्सपर्ट से बात करें. याद रखें कि ब्लड शुगर कम होना भी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.

(और पढ़ें - डायबिटीज में खाई जाने वाली सब्जियां)

Dr. Narayanan N K

Dr. Narayanan N K

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Tanmay Bharani

Dr. Tanmay Bharani

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Sunil Kumar Mishra

Dr. Sunil Kumar Mishra

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव

Dr. Parjeet Kaur

Dr. Parjeet Kaur

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
19 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें