डायबिटीज एक आम बीमारी बन गई है. बच्चे, वयस्क और बुजुर्ग सभी इस बीमारी का सामना कर रहे हैं. खराब जीवनशैली, खानपान और तनाव को डायबिटीज का मुख्य कारण माना जाता है. कुछ लोग टाइप 1 डायबिटीज, तो कुछ लोग टाइप 2 डायबिटीज से परेशान हैं. टाइप 2 डायबिटीज को अधिक गंभीर माना जाता है. टाइप 2 डायबिटीज कई जटिलताएं पैदा कर सकती हैं, जिसमें लिवर रोग भी शामिल है. जब किसी व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज होती है और उसका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है, तो उसे लिवर रोग होने का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. इसलिए टाइप 2 डायबिटीज वाले रोगियों को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है.

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आज इस लेख में आप टाइप 2 डायबिटीज की वजह से होने वाले लिवर रोग के जोखिम को कम करने के उपायों के बारे में जानेंगे -

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण)

  1. टाइप 2 डायबिटीज में होने वाला लिवर रोग
  2. टाइप 2 डायबिटीज में लिवर रोग के जोखिम कम करने के उपाय
  3. सारांश
टाइप 2 डायबिटीज में लिवर रोग से बचने के तरीके के डॉक्टर

टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर बीमारी मानी जाती है. यह किडनी व हृदय समेत लिवर को भी प्रभावित कर सकती है. टाइप 2 डायबिटीज नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकती है.

नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज ऐसी स्थिति होती है, जिसमें लिवर में एक्सट्रा फैट का उत्पादन हो जाता है. शराब न पीने वाले टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को भी फैटी लिवर की समस्या हो सकती है.

अध्ययन के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज वाले 50 फीसदी लोगों में फैटी लिवर की समस्या देखने को मिलती है. इसके अलावा, टाइप 2 डायबिटीज की वजह से फैटी लिवर के साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर जैसे हृदय रोगों का जोखिम भी बढ़ सकता है.

अगर फैटी लिवर लंबे समय तक रहता है, तो इसकी वजह से लिवर में सूजन आ सकती है. साथ ही लिवर कैंसरसिरोसिस और लिवर फेलियर का जोखिम भी बढ़ जाता है. इन स्थितियों में लिवर सही तरीके से काम नहीं कर पाता है और व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अनुमान कैसे लगाएं)

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अगर किसी को टाइप 2 डायबिटीज है, तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उसे लिवर रोग जरूर होगा. अगर टाइप 2 डायबिटीज के रोगी सही लाइफस्टाइल को फॉलो करते हैं, तो इससे लिवर को सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देना जरूरी है -

ब्लड शुगर को कंट्रोल करें

टाइप 2 डायबिटीज में व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. ऐसे में टाइप 2 डायबिटीज की वजह से होने वाले लिवर रोग के जोखिम को कम करने के लिए ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना जरूरी होता है. जब ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रण में रहेगा, तो फैटी लिवर से काफी हद तक बचा जा सकता है.

(और पढ़ें - क्या ज्यादा फल खाने से टाइप 2 डायबिटीज होती है)

वजन कम करें

मोटापा टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में फैटी लिवर रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है. इसलिए, अगर किसी को टाइप 2 डायबिटीज है, तो लिवर रोग से बचने के लिए अपने वजन को कंट्रोल में रखने की कोशिश करें. वजन कम करने से लिवर में जमा एक्सट्रा फैट को भी कम करने में मदद मिल सकती है. वजन को कम करके आप ब्लड शुगर को नियंत्रित रख सकते हैं और लिवर रोग के जोखिम को भी कम कर सकते हैं.

(और पढ़ें - लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज)

बैलेंस डाइट लें

डायबिटीज रोगियों के लिए बैलेंस डाइट लेना जरूरी होता है. बैलेंस डाइट लेने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखा जा सकता है. इसके लिए आप अपनी डाइट में फाइबर और प्रोटीन को शामिल करें. वहीं शुगरकार्ब्स और कैलोरी का सेवन करने से परहेज करें. टाइप 2 डायबिटीज में आप ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए सब्जियों और साबुत अनाज का अधिक मात्रा में सेवन कर सकते हैं. डायबिटीज में ओवरइटिंग करने से भी बचना चाहिए. साथ ही कोई भी मील स्किप नहीं करना चाहिए.

(और पढ़ें - लिवर की बीमारी के लिए व्यायाम)

रेगुलर एक्सरसाइज करें

रेगुलर एक्सरसाइज से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रख सकता है. दरअसल, रेगुलर एक्सरसाइज करने से फैट बर्न करने में मदद मिलती है. इससे वेट लॉस होता है और ट्राइग्लिसराइड्स को जलाने में भी मदद मिलती है. इससे लिवर में जमा एक्स्ट्रा फैट भी बर्न होने लगता है. इसलिए, टाइप 2 डायबिटीज में होने वाले लिवर रोग से बचाव के लिए सप्ताह में कम से कम 5 दिन एक्सरसाइज जरूर करें. वहीं, खाना खाने के बाद वॉक की हैबिट भी अपनाएं.

(और पढ़ें - लिवर को मजबूत करने के लिए क्या खाएं)

शराब पीने से बचें

शराब लिवर रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है. शराब पीने से लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है और वे नष्ट हो सकती हैं. अगर किसी को टाइप 2 डायबिटीज है, तो उसे शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि शराब लिवर रोग को ट्रिगर कर सकती है. 

(और पढ़ें - लिवर रोग का होम्योपैथिक इलाज)

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें

टाइप 2 डायबिटीज के कारण कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है. जब ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई हो जाता है, तो यह स्थिति लिवर रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है. इसलिए, ब्लड शुगर के साथ ही कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखने की कोशिश करनी चाहिए. 

(और पढ़ें - लिवर इन्फेक्शन का इलाज)

टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर बीमारी होती है. यह हृदय, किडनी और लिवर समेत कई बीमारियों का कारण बन सकती है. अगर लिवर की बात करें, तो टाइप 2 डायबिटीज की वजह से फैटी लिवर की समस्या हो सकती है. फैटी लिवर होने पर लिवर में एक्सट्रा चर्बी जमा हो जाती है, जो लिवर फेलियर और लिवर कैंसर का कारण बन सकती है. वहीं, अगर टाइप 2 डायबिटीज होने पर अच्छी जीवनशैली अपनायी जाए और ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखा जाए, तो फैटी लिवर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

(और पढ़ें - लिवर में दर्द का इलाज)

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