आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) - Conjunctivitis in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

November 21, 2017

August 23, 2023

आँख आना
आँख आना

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस, पिंक आई, नेत्र शोथ, नेत्रश्लेष्मलाशोथ) आँख के सफेद भाग की बाहरी सतह और पलक की आंतरिक सतह की सूजन होती है। इसमें आँख गुलाबी या लाल दिखाई देती है और आँख में दर्द, जलन, खुरदरापन या खुजली भी हो सकती है। प्रभावित आँख में ज़्यादा आंसू आना या सुबह के समय आँख को खोलने में परेशानी भी हो सकती है।

एलर्जी के कारण हुए कंजंक्टिवाइटिस में आमतौर पर खुजली होती है। यह एक या दोनों आँखों को प्रभावित कर सकता है।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) के प्रकार - Types of Conjunctivitis in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस के मुख्य पांच प्रकार हैं -

  1. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस (Allergic conjunctivitis)
  2. जायंट पैपिलरी कंजंक्टिवाइटिस (Giant papillary conjunctivitis)
  3. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस (Bacterial conjunctivitis)
  4. वायरल कंजंक्टिवाइटिस (Viral conjunctivitis)
  5. निओनेटल कंजंक्टिवाइटिस (Neonatal conjunctivitis)

कंजंक्टिवाइटिस के इन पांच प्रकार को उनके होने के कारण के हिसाब से वर्गीकृत किया गया है। उदाहरण के लिए बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस एक बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से होता है और वायरल कंजंक्टिवाइटिस उस वायरस से होता है जिसकि वजह से साधारण ज़ुकाम होता है। इन सभी प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस के होने के कारण के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

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आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) के चरण - Stages of Conjunctivitis in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस के तीन चरण हैं -

  1. पहला चरण
    इस चरण में लक्षण तीन सप्ताह तक रह सकते हैं। पहले हफ्ते में, वायरस संक्रामक कोशिकाओं में बढ़ता है। इस स्तर पर, आँख लाल हो जाती है और पलकें सूज जाती हैं। इसमें आँखों से लगातार पानी आना, आँखों में कुछ बहरी पदार्थ महसूस होना, सोने के बाद आँखों से एक चिपचिपा रिसाव होना अदि लक्षण होते हैं। कभी-कभी पलकों की सूजन इतनी गंभीर हो जाती है कि रोगी पलकें नहीं खोल पाता।
     
  2. दूसरा चरण
    कंजंक्टिवाइटिस धीरे-धीरे दूसरे सप्ताह तक कम हो जाता है। दूसरे सप्ताह में, कॉर्निया (आँख का काला भाग) प्रभावित होता है। इस चरण में वायरस बाहरी कॉर्नियल कोशिकाओं को प्रभावित करता है इसलिए, इस परत में छोटे भूरे धब्बे दिखाई देते हैं, जलन बढ़ जाती है, मरीज को प्रकाश में देखना मुश्किल हो सकता है और कॉर्निया पर सिक्के जैसे दिखने वाले घाव उत्पन्न होते हैं।
     
  3. तीसरा चरण
    यह सबसे समस्याग्रस्त चरण है। अगर घाव कॉर्निया के केंद्र में हैं और ज़्यादा संख्या में हैं, वे चमक पैदा कर सकते हैं जो रात में रोशनी को देखने में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। कुछ मामलों में साफ़ देखने की क्षमता में कमी आ सकती है। कुछ लोगों को लगातार जलन महसूस हो सकती है। उपचार न लेने पर भी यह चरण खुद समाप्त हो जाता है परन्तु इसके रहने का समय हर रोगी में भिन्न हो सकता है।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) के लक्षण - Conjunctivitis Symptoms in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस के कुछ आम लक्षण हैं। जैसे -

  1. आँखों के सफेद भाग में का गुलाबी या लाल होना।
  2. कंजंक्टिवा (नेत्रश्लेष्मला: आँखों के सफेद भाग और पलकों के अंदरूनी हिस्से को रेखांकित करने वाली पतली पारदर्शी झिल्ली) की सूजन।
  3. आंसू के उत्पादन में वृद्धि।
  4. आँखों में बाहरी वस्तु का महसूस होना या आँखों को रगड़ने की तीव्र इच्छा।
  5. खुजली या जलन होना। (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू उपाय)
  6. आँखों से एक चिपचिपे पदार्थ (मवाद) का रिसाव।
  7. पलकों में पपड़ी का जमाव होना (विशेष रूप से सुबह के समय)।
  8. कॉन्टैक्ट लेंस का सही जगह न रहना या असुविधाजनक महसूस होना।

 

कंजंक्टिवाइटिस होने के कारण के आधार पर अन्य लक्षण हो सकते हैं। जैसे -

  1. वायरल कंजंक्टिवाइटिस
    वायरल कंजंक्टिवाइटिस में उपरोक्त लक्षणों के साथ ठंड, फ्लू या अन्य श्वसन संक्रमण के लक्षण भी हो सकते हैं। आमतौर पर यह एक आँख से शुरू होता है और कुछ दिनों में दूसरी आँख में भी फैल सकता है। इसमें आँख से रिसाव गाढ़ा होने की जगह पतला होता है।
     
  2. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
    बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर एक आँख में शुरू होता है और कभी-कभी दूसरी आंख में फैलता है। इसमें आंख में से ज़्यादातर पीले-हरे रंग का रिसाव होता है। यह कभी-कभी कान के संक्रमण के साथ भी होता है।
     
  3. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
    एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर दोनों आँखों में होता है। इसमें आँखों में खुजली, आंसू आना और सूजन हो सकते हैं। यह एलर्जी के लक्षणों के साथ भी हो सकता है जैसे नाक में खुजली, छींकें आना, गले में खराश या अस्थमा
     
  4. उत्तेजक पदार्थों की वजह से हुआ कंजंक्टिवाइटिस
    इस प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस में आँखों से पानी आना और चिपचिपे पदार्थ का रिसाव हो सकता है।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) के कारण - Conjunctivitis Causes in Hindi

हर प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस के होने का कारण अलग होता है -

  1. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस (Allergic conjunctivitis)
    जिन लोगों को पहले से ही मौसम के अनुसार एलर्जी होती है उन्हें एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है। वे लोग जब किसी ऐसे पदार्थ के संपर्क में आते हैं जो उनकी आँखों में एलर्जी की प्रतिक्रिया पैदा करता है तो उन्हें एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है।
     
  2. जायंट पैपिलरी कंजंक्टिवाइटिस (Giant papillary conjunctivitis)
    जायंट पैपिलरी कंजंक्टिवाइटिस आँखों में एक विदेशी पदार्थ की पुरानी उपस्थिति की वजह से होता है। जो लोग हार्ड कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं और उन्हें अक्सर नहीं बदलते, जिनकी आँख की सतह पर खुला टांका है या एक कृत्रिम आँख है, उन्हें यह होने की अधिक सम्भावना है।
     
  3. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस (Bacterial conjunctivitis)
    बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस एक संक्रमण है जो आपकी ही त्वचा या श्वसन प्रणाली से स्टेफिलोकोकल या स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया से होता है। कीड़े, अन्य लोगों के साथ शारीरिक संपर्क, अस्वच्छता (अशुद्ध हाथों से आँखों को छूना), या दूषित आँखों के मेकअप और चेहरे के लोशन का उपयोग करने से भी यह संक्रमण हो सकता है।
     
  4. वायरल कंजंक्टिवाइटिस (Viral conjunctivitis)
    वायरल कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर आम ज़ुकाम से जुड़े संक्रामक वायरस के कारण होता है। यह ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण वाले किसी व्यक्ति के खाँसी या छींकने के संपर्क से हो सकता है।
     
  5. निओनेटल कंजंक्टिवाइटिस (Neonatal conjunctivitis)
    निओनेटल कंजंक्टिवाइटिस, बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का एक गंभीर रूप है जो नवजात शिशुओं में होता है। यह एक गंभीर स्थिति है जो तुरंत इलाज नहीं होने पर आँखों का स्थायी नुकसान कर सकती है। यह बच्चों में अश्रु नलिका के बंद होने के कारण होता है।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) से बचाव - Prevention of Conjunctivitis in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस से बचने के लिए - 

  1. अपने तौलिए या टिशूज़ को किसी को उपयोग न करने दें।
  2. खांसने या छींकने पर अपने नाक और मुंह को कवर करें और अपनी आँखों को छुएं या रगड़े नहीं।
  3. कभी भी अपने कॉन्टैक्ट लेंस किसी को इस्तेमाल न करने दें।
  4. अपने हाथों को बार-बार धोएं (खासकर जब आप स्कूल या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हों)।
  5. नल के हैंडल अन्य छूने की वस्तुओं को एक एंटीसेप्टिक क्लीनर से साफ़ करें।
  6. यदि आपको पता है कि आपको मौसमी एलर्जी होती है तो अपने डॉक्टर से पूछें कि आपके लक्षणों को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है।
  7. यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करते हैं तो लेंस की देखभाल के लिए आपने आँखों के चिकित्सक के निर्देशों का पालन करें।
  8. तैराकी करते समय पानी में बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों (जिनसे कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है) से स्वयं को बचाने के लिए तैराकी करने वाले चश्मे पहनें।
  9. नहाने से पहले या किसी भी तरह से पानी के संपर्क में आने से पहले अपने कॉन्टैक्ट लेंसों को उतर लें ताकि कोई भी बैक्टीरिया आपकी आँख और लेंस के बीच फंस न सके। 

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) का परीक्षण - Diagnosis of Conjunctivitis in Hindi

अक्सर डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर और आपकी आँख की जाँच करके कंजंक्टिवाइटिस का निदान कर लेते हैं। हालांकि, कभी-कभी संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस और अन्य प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस के निदान में भ्रम हो सकता है।

संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस में डॉक्टर इसके लक्षणों और उपस्थिति से इसका निदान करते हैं। इसमें आंख को आमतौर पर एक स्लिट लैंप (एक उपकरण जिससे चिकित्सक आंखों की जांच कर करते हैं) से देखा जाता है। संक्रमित रिसाव के नमूने को एकत्रित करके जाँच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है ताकि संक्रमण करने वाले जीव का पता लगाया जा सके।
हालांकि, आमतौर पर डॉक्टर कुछ ही स्थितियों में प्रयोगशाला में नमूने भेजते हैं -

  1. जब लक्षण गंभीर या बारम्बार होते हैं।
  2. जब संक्रमण की वजह क्लैमाइडिया ट्रैस्कोमैटिस (Chlamydia Trachomatis) या नेइसेरिया गानोरिआ (Neisseria Gonorrhea) को माना जाता है।
  3. जब व्यक्ति को प्रतिरक्षा प्रणाली का एक नुक्स होता है (जैसे कि एचआईवी/एड्स)।
  4. जब व्यक्ति को कोई आंख की समस्या होती है जैसे कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट या ग्रेव्स रोग के कारण आंख में फुलाव।

स्वैब टेस्ट
इस टेस्ट में स्वैब (रुई के फोहे जैसा दिखने वाला पदार्थ) के द्वारा आपकी संक्रमित आँख से चिपचिपे पदार्थ (म्यूकस) के एक छोटे से नमूने को इकट्ठा करके परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है ताकि कंजंक्टिवाइटिस के प्रकार की पुष्टि हो सके।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) का इलाज - Conjunctivitis Treatment in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस का उपचार उसकी होने की वजह पर निर्भर करता है। यदि आपको यह एक रासायनिक पदार्थ की वजह से हुआ है तो शायद कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाएं लेकिन यदि यह एक जीवाणु, वायरस, या एलर्जी से हुआ है, तो कुछ उपचार विकल्प हैं -

  1. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
    बैक्टीरियल संक्रमण के लिए, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। एंटीबायोटिक दवा से लक्षण कुछ ही दिनों में चले जाते हैं।
     
  2. वायरल कंजंक्टिवाइटिस
    वायरल संक्रमण के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। यह संक्रमण सात से दस दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। तब तक, सिकाई करने से आपके लक्षणों में सुधर आ सकता है।
     
  3. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
    एलर्जी के कारण हुए कंजंक्टिवाइटिस के इलाज के लिए आपके डॉक्टर शायद सूजन को रोकने के लिए आपको एंटीहिस्टामाइन देंगे। लोराटाडिन [Loratadine] और डिफेनहाइडरामाइन (जैसे, बैनेड्रिल) [Diphenhydramine (e.g., Benadryl)]  एंटीहिस्टामाइन होते हैं जो केमिस्ट के पास आसानी से उपलब्ध हैं। वे एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस सहित एलर्जी के लक्षणों को ठीक करने में मदद करते हैं। इसके अलावा आपके डॉक्टर आपको एंटीहिस्टामाइन आईड्रॉप्स या एंटी-इंफ्लेमटरी आईड्रॉप्स भी दे सकते हैं।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) के जोखिम और जटिलताएं - Conjunctivitis Risks & Complications in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस के जोखिम हैं -

  1. कोई ऐसे पदार्थ के संपर्क में आना जिससे आपको एलर्जी है (एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस)।
  2. वायरल या बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क में आना।
  3. ज़्यदा समय तक कॉन्टैक्ट लेन्स का उपयोग करना।

कंजंक्टिवाइटिस की जटिलताएं कम होती हैं लेकिन जब होती हैं तो गंभीर हो सकती हैं जैसे -

  1. गंभीर कंजंक्टिवाइटिस से आँखों में धब्बा पड़ सकता है।
  2. संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में, संक्रमण शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल सकता है जिससे अधिक गंभीर और कई संक्रमण हो सकते हैं, जैसे मैनिन्जाइटिस। 

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) में परहेज़ - What to avoid during Conjunctivitis in Hindi?

कंजंक्टिवाइटिस होने के बाद -

  1. जब तक आपकी आंखें बेहतर नहीं हों तब तक कॉन्टैक्ट लेंस न पहनें।
  2. अपने तौलिए और तकिए किसी को उपयोग के लिए न दें।
  3. अपनी आँखें न रगड़ें।
  4. स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड और जंक फूड, मसालों और चीनी से उन्नत खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Conjunctivitis in Hindi?

कंजंक्टिवाइटिस में -

  1. प्रतिरक्षा को बढ़ाने और संक्रमण को रोकने वाले आहार लेने चाहिए जैसे पालक; नारंगी रंग के फल या सब्ज़ियां जैसे कद्दू, स्क्वैश, संतरे, गाजर, पपीता और आम। इन फलों और सब्जियों में बीटा कैरोटीन होता है जो प्रतिरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करता है और आपको संक्रमित होने से रोकता है।
     
  2. गाजर और पालक के रस कंजंक्टिवाइटिस के उपचार के लिए बहुत लाभकारी हैं। विटामिन ए और विटामिन बी2 में बढ़ोतरी भी बहुत अधिक लाभकारी होती है। विटामिन ए के स्रोत हैं डेयरी उत्पाद, टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां, आम और पपीता। आप दूध, खट्टे फल, बादाम और केले से विटामिन बी2 प्राप्त कर सकते हैं। आप शहद के साथ आमले के रस को भी ले सकते हैं जो कि विटामिन सी से भरपूर होता है और इसमें बैक्टीरिया को मरने की क्षमता होती है।


संदर्भ

  1. Prashant V Solanke, Preeti Pawde, Valli P. Prevalence of Conjunctivitis among the Population of Kanyakumari District. Volume 4, Issue 7; July 2017. ISSN: 2393-915X.
  2. Indian journal of medical microbiology. Infections of the ocular adnexa, ocular surface, and orbit. Indian Association of Medical Microbiologist. [internet].
  3. American Optometric Association. Conjunctivitis. St. Louis, Missouri. [internet].
  4. Centre for Health Informatics. [Internet]. National Institute of Health and Family Welfare About Conjunctivitis (Pink Eye)
  5. National Health Portal. Seasonal Allergic Conjunctivitis. Centre for Health Informatics; National Institute of Health and Family Welfare

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Conjunctivitis in Hindi

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।