अस्थमा और ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित बच्चों की सेहत को लेकर एक रिसर्च के माध्यम से शोधकर्ताओं ने बड़ा दावा किया है। अमेरिका में रटगर्स रॉबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में बताया कि जो बच्चे अस्थमा या ऑटोइम्यून बीमारियों का इलाज करने के लिए ओरल स्टेरॉयड्स (ये गोली या लिक्विड के फॉर्म में हो सकते हैं) का सेवन करते हैं उनमें डायबिटीज (शुगर), हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) और ब्लड क्लॉट (खून के थक्कों) का खतरा बढ़ जाता है।

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  1. ऑटोइम्यून डिजीज (स्वप्रतिरक्षित रोग) क्या है?
  2. क्या कहती है रिसर्च?
  3. वयस्कों और बच्चों के बीच निष्कर्ष अलग-अलग
  4. स्टेरॉयड के सेवन से हाई बीपी का जोखिम अधिक

स्वप्रतिरक्षित रोग में हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के किसी स्वस्थ हिस्से को हानिकारक विषाक्त या फिर कोई बाहरी पदार्थ समझ लेती है। इसके परिणामस्वरूप उसे क्षति पहुंचाने लगती है। इस स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण की बजाए शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडीज बनाने लग जाती है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली को लगता है कि शरीर के किसी हिस्से में कोई विषाक्त पदार्थ या बैक्टीरिया है तो वह प्रतिक्रिया के रूप में ऑटोएंटीबॉडीज बनाने लगती है और उन्हें प्रभावित हिस्से में मौजूद कोशिकाओं या बैक्टीरिया आदि को नष्ट करने के लिए भेज देती है।

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स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका “अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी” में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययनकर्ताओं ने 1 साल से लेकर 18 साल तक की आयु के 9 लाख 33 हजार से अधिक अमेरिकी बच्चों के रिकॉर्ड पर शोध किया। इनमें से कुछ बच्चों को ऑटोइम्यून बीमारी जैसे- इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (पाचन तंत्र में दीर्घकालिक सूजन से संबंधित रोग), कम उम्र में होने वाली आर्थराइटिस की समस्या या सोरायसिस (त्वचा संबंधी विकार) था जबकि बाकी बच्चों को कोई बीमारी नहीं थी। बिना ऑटोइम्यून बीमारी वाले बच्चे जिन्हें प्रिस्क्रिप्शन में दवा के तौर पर स्टेरॉयड्स दिया जा रहा था उनमें से लगभग 3 में से 2 बच्चों में अस्थमा होने के सबूत मिले।

रटगर्स रॉबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल स्कूल में पीडियाट्रिक्स और महामारी विज्ञान के सहायक प्रोफेसर और इस स्टडी के लीड ऑथर डैनियल हॉर्टन ने इस विषय पर गहनता से जांच की। हॉर्टन के मुताबिक, "ओरल स्टेरॉयड्स लेने पर वयस्कों की एक बड़ी आबादी में डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और खून के थक्के जमने की दरों का पहले अध्ययन किया गया है। हालांकि, यह सोचने के कई कारण हो सकते हैं कि वयस्कों के मुकाबले ये निष्कर्ष बच्चों में अलग हो सकते हैं क्योंकि वयस्कों की तुलना में बच्चे न केवल अलग तरह से स्टेरॉयड लेते हैं, बल्कि बच्चों में हृदय और चयापचय संबंधी इन स्थितियों के विकसित होने का आधारभूत जोखिम भी कम होता है। इस अध्ययन के जरिए हमने यह जाना कि ओरल स्टेरॉयड्स और बच्चों में होने वाली दुर्लभ, लेकिन संभावित रूप से गंभीर जटिलताओं के बीच क्या संबंध है।"

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शोधकर्ताओं ने पाया कि जो बच्चे स्टेरॉयड की अधिक खुराक का सेवन कर रहे थे उन्होंने कम खुराक लेने वाले या पहले स्टेरॉयड लेने वाले बच्चों की तुलना में बहुत अधिक परेशानियों या जटिलताओं का अनुभव किया। स्टडी के दौरान जिन जटिलताओं का अध्ययन किया गया उसमें स्टेरॉयड से किए गए उपचार में हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) सबसे कॉमन था। रिसर्च में पता चला कि ये सारी जटिलताएं ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित बच्चों में बेहद कॉमन थीं और उन पर स्टेरॉयड का कोई असर नहीं था। 

हॉर्टन के मुताबिक “जो बच्चे स्टेरॉयड दवाओं का सेवन नहीं कर रहे थे उनकी तुलना में वे बच्चे जो इसकी अधिक खुराक ले रहे थे उनमें डायबिटीज होने का खतरा अधिक था। साथ ही उच्च रक्तचाप या खून के थक्कों (ब्लड क्लॉट) का भी अधिक जोखिम था। हालांकि इन जटिलताओं से जुड़े खतरे अब भी थोड़े कम थे। बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जो अस्थमा के इलाज के लिए सिर्फ कुछ समय तक या संक्षिप्त कोर्स के तौर पर स्टेरॉयड्स लेते हैं वे बच्चे इस तरह की गंभीर जटिलताओं का अनुभव नहीं करते।”

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