हर साल 12 अक्टूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे (विश्व गठिया दिवस) मनाया जाता है और इस दिन का मकसद सभी उम्र, लिंग और जाति के लोगों को रुमेटाइड और मस्क्युलोस्केलेटल बीमारियों (आरएमडी) के बारे में जागरूक करना है। आर्थराइटिस यानी गठिया एक अकेली बीमारी नहीं है बल्कि 100 से भी अधिक विभिन्न स्थितियों का एक संग्रह है जो जोड़ों को, जोड़ों के आसपास मौजूद ऊत्तकों को और अन्य संयोजी ऊत्तकों को प्रभावित करता है। इन स्थितियों में आमतौर पर जोड़ों में अकड़न या कठोरता हो जाती है, दर्द और इन्फ्लेमेशन (सूजन) होने लगता है और आमतौर पर यह समस्या वयस्कों में अधिक देखी जाती है।

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गठिया सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं है
हालांकि, ज्यादातर लोगों की सोच के विपरीत, गठिया केवल बुजुर्गों में देखी जाने वाली बीमारी नहीं है। गठिया के कुछ प्रकार ऐसे भी हैं जो किसी भी उम्र में आपको प्रभावित कर सकते हैं, यहां तक की बचपन में भी। यहां पर अच्छी बात ये है कि उचित इलाज और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाककर गठिया जैसी बीमारी को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। विश्व गठिया दिवस पर, हम आपको गठिया के कुछ ऐसे प्रकारों के बारे में बता रहे हैं जो आपको कम उम्र में भी प्रभावित कर सकता है:

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1. जुवेनाइल या किशोर गठिया : जुवेनाइल या किशोर गठिया जिसे जुवेनाइल रूमेटाइड आर्थराइटिस भी कहा जाता है, गठिया का एक ऐसा प्रकार है जो 6 महीने से लेकेर 16 वर्ष की आयु के बच्चों में हो सकता है। किशोर गठिया के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें से अधिकांश या तो ऑटोइम्यून होते हैं या फिर ऑटोइन्फ्लेमेटरी। ये तब होते हैं जब आपके शरीर का इम्यून सिस्टम, धीरे-धीरे जोड़ों में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाने लगता है। किशोर गठिया के लक्षणों की बात करें तो इसमें प्रभावित जोड़ों में दर्द और सूजन शामिल है। जिन लोगों को सोरियाटिक गठिया होता है उन लोगों में त्वचा पर चकत्ते भी देखने को मिलते हैं। जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस, जोड़ों में दिखने वाले लक्षण के बिना, आइरिस या परितारिका (आंख का रंगीन हिस्सा) में सूजन के रूप में भी प्रकट हो सकता है।

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2. ऑस्टियोआर्थराइटिस की प्रारंभिक शुरुआत : ऑस्टियोआर्थराइटिस, जोड़ों के टूट-फूट के कारण होता है और आमतौर पर 60 की उम्र से ऊपर के लोगों में ही अधिक देखा जाता है। हालांकि, यह 25 साल की उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है। मोटापा, जोड़ों में लगी चोट, शरीर के किसी एक जोड़ का अत्यधिक इस्तेमाल (जैसे किसी खेल में) और बीमारी का पारिवारिक इतिहास- इन सारी चीजों के कारण आपको इस प्रकार के गठिया का खतरा अधिक हो सकता है। जोड़ों में दर्द इस तरह के गठिया का सबसे आम लक्षण है। हालांकि, बहुत से लोगों में दर्द सहने को लेकर सहनशीलता का स्तर अधिक होता है और खिलाड़ी या एथलीट, कई बार इस दर्द को अपने खेल से जोड़कर भी देखते हैं- इस कारण ज्यादातर मौकों पर यह बीमारी देर से डायग्नोज होती है। शरीर के प्रभावित जोड़ों में कठोरता या अकड़न महसूस होना, विशेष रूप से सुबह के समय में, और जोड़ों में चटचटाहट की आवाज आना भी ऑस्टियोआर्थराइटिस के कुछ अन्य लक्षण हैं।

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3. रुमेटाइड आर्थराइटिस : रुमेटाइड आर्थराइटिस (आरए) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो आपको किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती है, हालांकि इस बीमारी का जोखिम उम्र बढ़ने के साथ बढ़ने लगता है। यह बीमारी धीरे-धीरे शुरू होती है और इसके लक्षण कई सप्ताह और महीनों में बढ़ते हैं। एक या एक से अधिक जोड़ों में कठोरता या अकड़न इस बीमारी का पहला लक्षण है। हालांकि आरए ज्यादातर हाथ और पैरों के जोड़ों को प्रभावित करता है हालांकि यह कंधे और कोहनी के जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। थकान, कमजोरी, बुखार और वजन कम होना भी आरए के कुछ अन्य लक्षण हैं।

4. संक्रामक गठिया : संक्रामक गठिया, जिसे सेप्टिक आर्थराइटिस भी कहा जाता है, तब होता है जब आपके शरीर के किसी एक हिस्से में हुआ संक्रमण, एक या एक से अधिक जोड़ों में या जोड़ों के आसपास मौजूद द्रव में फैलता है, जिससे जोड़ों में दर्द और अकड़न, बुखार और कंपकंपी महसूस होने लगती है। यह वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक देखने को मिलता है। बैक्टीरियल संक्रमण, विशेष रूप से जो स्टैफिलोकोकस ऑरियस के कारण होता है, आमतौर पर संक्रामक गठिया का अंतर्निहित कारण होता है। हालांकि यह स्थिति फंगल या वायरल संक्रमण के कारण भी हो सकती है। इस तरह का गठिया कूल्हे, घुटने, कलाई और टखने के जोड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। संक्रामक गठिया का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं और जोड़ों में मौजूद फ्लूइड को निकाल कर किया जाता है।

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