खून शरीर में बहने वाला तरल पदार्थ है, जो जीवन के लिए सबसे जरूरी है. खून का कोई विकल्प नहीं है और न ही इसे किसी लैब में बनाया जा सकता है. खून शरीर में कई जरूरी काम करता है जैसे सेल तक ऑक्सीजन पहुंचाना, गंदगी को साफ करना आदि. खून में चार बेसिक एलिमेंट होते हैं - प्लाज्मा, रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल और प्लेटलेट्स.

मानव शरीर में खून की मात्रा आम तौर पर शरीर के भार के लगभग 7% के बराबर होती है, जो बच्चों, बड़ों व लिंग के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. खून की कमी से स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है जैसे सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना, बेहोशी आदि.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि शरीर में कितना खून होना चाहिए और उसकी कमी से क्या परेशानी हो सकती है -

(और पढ़ें - शरीर में खून बढ़ाने वाले आहार)

  1. शरीर में खून की मात्रा
  2. खून की मात्रा कैसे पता चलती है
  3. खून की कमी का असर
  4. सारांश
शरीर में कितना खून होता है? के डॉक्टर

आयु, लिंग व वजन के अनुसार खून की मात्रा अलग-अलग होती है. यहां हम औसत के आधार पर बता रहे हैं कि किस आयु वर्ग में कितना खून होता है -

  • शिशु - नवजात शिशु में वजन के प्रति किलोग्राम लगभग 75 मिलीलीटर खून होता है. उदाहरण के लिए, अगर एक बच्चे का वजन लगभग 4 किलो है, तो उसके शरीर में करीब 300 ml खून हो सकता है.
  • बच्चे - औसतन 36 किलोग्राम बच्चे के शरीर में लगभग 2,650 एमएल या 0.7 गैलन खून हो सकता है.
  • वयस्क - वयस्कों में लगभग 4.5 लीटर से लेकर 6 लीटर तक खून हो सकता है. इसकी मात्रा शरीर के आकार, उम्र और जेंडर पर बहुत कुछ निर्भर करती है.
  • गर्भवती महिला - गर्भ में शिशु के पोषण के लिए गर्भवती महिला में सामान्य महिला के मुकाबले लगभग 30-50 प्रतिशत अधिक खून हो सकता है.

यह समझना जरूरी है कि शरीर में खून की कोई एक उचित मात्रा नहीं है. यह कई चीजों पर निर्भर करता है, जैसे वजन, आकार, जेंडर, भोजन, उम्र, स्वास्थ्य और यहां तक कि रहने की जगह भी. उदाहरण के लिए, छोटे कद और कम वजन के व्यक्ति के शरीर को उसी उम्र के बड़े और अधिक वजन के व्यक्ति से कम खून की जरूरत होती है. ऊंचे इलाकों में रहने वाले व्यक्तियों के शरीर में अधिक खून होता है, क्योंकि वहां हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है.

(और पढ़ें - खून की कमी के घरेलू उपाय)

व्यक्ति के शरीर में कितना खून है, यह पता लगाने के लिए हीमोग्लोबिन टेस्ट किया जाता है. हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर आयु व लिंग के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. इस बारे में हम नीचे दो टेबल के जरिए समझाने का प्रयास कर रहे हैं -

व्यस्कों में हीमोग्लोबिन का स्तर

पुरुषों का हीमोग्लोबिन महिलाओं की तुलना में थोड़ा अधिक होता है. इसे ब्लड में ग्राम प्रति डेसीलीटर (g/dL) के रूप में मापा जाता है.

लिंग सामान्य हीमोग्लोबिन स्तर (g/dL)
महिला 12-15
पुरुष 13-17
गर्भवती महिला 11-15

(और पढ़ें - बच्चों में खून की कमी का इलाज)

बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर

जन्म के समय शिशु में हीमोग्लोबिन का स्तर बड़ों की तुलना में अधिक होता है, क्योंकि उन्हें गर्भ में अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है. जन्म के कुछ हफ्तों के बाद ये स्तर धीरे-धीरे कम होता जाता है और सामान्य स्तर पर आ जाता है.

आयु लड़का (g/dL) लड़की (g/dL)
जन्म से लेकर 30 दिन तक 13.4-19.9 13.4-19.9
31 से लेकर 60 दिन तक 10.71-17.1 10.71-17.1
2-3 महीने तक 9.0-14.1 9.0-14.1
3-6 महीने तक 9.5-14.1 9.5-14.1
6-12 महीने तक 11.3-14.1 11.3-14.1
1-5 वर्ष तक 10.9-15 10.9-15
5-11 वर्ष तक 11.9-15 11.9-15
11-18 वर्ष तक 11.9-15 12.7-17.7

(और पढ़ें - खून का पतला होना)

हमारे शरीर में खून खुद ही बनता है, लेकिन कुछ कारणों से शरीर में खून की कमी हो सकती है, जैसे रक्तदानपीरियडचोट या एनीमिया जैसी समस्या. आमतौर पर हमारा शरीर खून की कमी को पूरा कर लेता है, लेकिन शरीर में खून की अधिक कमी हो जाने पर इससे परेशानी हो सकती है.

खून की कमी होने पर शरीर को ऑक्सीजन की पूरी और सही मात्रा नहीं मिल पाती है. ऑक्सीजन की कमी के कारण शरीर के विभिन्न अंग और मस्तिष्क काम करना बंद कर सकते हैं. यह स्थिति जानलेवा भी बन सकती है. पोषक तत्वों और हार्मोन सही मात्रा में अंगों तक न पहुंचने से शरीर का विकास भी प्रभावित होता है. खून का स्तर कम होने के कुछ लक्षण हैं -

खून की कमी होने पर निम्न प्रकार की समस्या हो सकती हैं -

  • खून के उचित स्तर में 14% की कमी होने पर बेहोशी और उलझन की समस्या हो सकती.
  • इससे अधिक कमी होने पर घबराहट महसूस होने लगती है.
  • 30% तक खून की कमी होने पर दिल की धड़कन लगभग 120 बीट प्रति मिनट हो जाती है और ब्लड प्रेशर एकदम से गिरने लगता है.
  • 40% से अधिक खून की कमी घातक हो सकती है, जिसमें व्यक्ति कोमा में जा सकता है या मृत्यु भी हो सकती है.

(और पढ़ें - रक्तस्राव का इलाज)

शरीर में खून की कमी कई कारणों से हो सकती है, जैसे पीरियड, गंभीर चोट, बीमारी व कैंसर आदि. खून का स्तर कम होने पर कई तरह की जानलेवा स्थितियां पैदा हो सकती है, इसलिए शरीर में खून की कमी होने पर उसका इलाज जरूरी है. साथ ही समय-समय पर नियमित जांच करवानी चाहिए और ब्लड प्रेशर पर ध्यान बनाए रखना चाहिए, ताकि समय रहते खून की मात्रा सही की जा सके.

(और पढ़ें - हीमोग्लोबिन की कमी)

Siddhartha Vatsa

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