फोड़े फुंसी - Abscess in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 12, 2018

February 01, 2024

फोड़े फुंसी
फोड़े फुंसी

परिचय:

फोड़ा फुंसी दर्दनाक व पस से भरा बंद घाव होता है, जो आमतौर पर बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है। फोड़े फुन्सी शरीर में कहीं भी विकसित हो सकते हैं। कई प्रकार के बैक्टीरिया हैं, जो फोड़े फुन्सी होने का कारण बन सकते हैं। एक ही इन्फेक्शन में कई प्रकार के बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं।

फोड़े फुंसी होने पर लालिमा, खुजली, सूजन और दर्द जैसे लक्षण होने लग जाते हैं। यदि फुंसी या फोड़े का मुंह खुल जाए तो इससे द्रव भी बह सकता है। यदि आपकी त्वचा पर फोड़े फुंसी हो गए हैं, तो उनको छुएं, दबाएं या नोचें नहीं। यदि फुंसी का मुंह अपने आप फुट कर उससे द्रव बहने लगता है, तो यह संक्रमण साफ होने की प्रक्रिया हो सकती है। ऐसे में फोड़ा कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो सकता है। यदि यह फूटने के बाद भी ठीक न हो, तो फिर इसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

फोड़े फुंसी आदि से बचाव के लिए त्वचा पर लगी चोट, कटनील पड़ने वाली जगह को स्वच्छ रखना चाहिए। सिर्फ एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से ही फोड़े फुंसी को ठीक नहीं किया जा सकता है। फोड़े के अंदर से मवाद निकालने के लिए डॉक्टर उसमें छोटा सा चीरा लगा सकते हैं। यदि इनका इलाज ना किया जाए तो कुछ मामलों में फोड़े फुंसी गंभीर और जीवन के लिए घातक जटिलताएं पैदा कर सकते हैं।

(और पढ़ें - घाव भरने के उपाय)

फोड़े फुंसी क्या है - What is Abscess in Hindi

फोड़े फुंसी क्या है?

फोड़ा या फुंसी त्वचा पर बनने वाली एक गांठ होती है, जिसके चारों तरफ का क्षेत्र गुलाबी या गहरे लाल रंग का हो जाता है। फोड़े फुंसी को अक्सर छूने से आसानी से पता चल जाता है। ज्यादातर मामलों में फोड़े फुंसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होते हैं। 

(और पढ़ें - गले की गांठ की दवा​)

फोड़े फुंसी के प्रकार - Types of Abscess in Hindi

फोड़े फुंसी कितने प्रकार के होते हैं?

फोड़े व फुंसी के कई अलग-अलग प्रकार होते हैं, जैसे:

  • त्वचा पर बनने वाला फोड़ा या सफेद मुंह वाली फुंसी - यह आमतौर पर चेहरे, गले कांख और ग्रोइन (जननांग और जांघ के बीच का हिस्सा) आदि पर होता है। 
  • दांत का फोड़ा, यह दांत या मसूड़े के अंदर होता है।
  • पायलोनाइडल फोड़े या सिस्ट, नितम्बों की क्रीज (सिकुड़न) में फोड़े होना।
  • एनल व एनोरेक्टल फोड़े, गुदा के अंदर या आसपास फोड़े बनना।
  • स्तन के फोड़े, यदि मास्टाइटिस (ब्रेस्ट में सूजन) का इलाज जल्द से जल्द ना किया  जाए तो स्तन में फोड़े फुंसी हो सकते हैं। (और पढ़ें - ब्रेस्ट में गांठ का इलाज)
  • योनी में फोड़े, योनी में फुंसी या फोड़े को बार्थोलिन सिस्ट भी कहा जाता है।

(और पढ़ें - योनी में फुंसी का इलाज)

फोड़े फुंसी के लक्षण - Abscess Symptoms in Hindi

फोड़े फुंसी के लक्षण क्या हैं?

फोड़ा या फुंसी त्वचा पर आमतौर पर एक उभार या गांठ की तरह होता है, जो पिम्पल के जैसा दिखता है। हालांकि यह समय के साथ-साथ बढ़ता रहता है और मवाद से भरी एक सिस्ट बन जाता है। शरीर के अंदर फोड़े फुंसी से होने वाले कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

(और पढ़ें - कब्ज से छुटकारा पाने का तरीका)

फोड़े फुंसी के कारण के आधार पर इसके कुछ अन्य लक्षण भी विकसित हो सकते हैं, जैसे: 

  • बुखार
  • जी मिचलाना
  • ठंड लगना
  • सूजन
  • त्वचा पर घाव बनना
  • त्वचा में सूजन आना
  • फोड़े से द्रव आना

(और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए)

डॉक्टर को कब दिखाएं?

निम्नलिखित स्थितियों में जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए:

  • तेज बुखार होना
  • फोड़े का आकार बढ़ जाना और दो हफ्तों तक ठीक ना होना
  • फोड़े फुंसी शरीर के अन्य हिस्सों में फैलना
  • फोड़े में अत्यधिक दर्द व पीड़ा महसूस होना
  • हाथों व पैरों में सूजन आना
  • फोड़े फुंसी के आस-पास की त्वचा में सूजन आ जाना और अत्यधिक लाल हो जाना

(और पढ़ें - पैरों में सूजन के घरेलू उपाय)

फोड़े फुंसी के कारण व जोखिम कारक - Abscess Causes & Risk Factors in Hindi

फोड़े फुंसी क्यों होते है?

ज्यादातर प्रकार के फोड़े व फुंसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होते हैं। जब बैक्टीरिया आपके शरीर के अंदर जाता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित क्षेत्र में भेजती हैं। 

जैसे ही सफेद रक्त कोशिकाएं बैक्टीरिया पर अटैक करती हैं तो उनके साथ-साथ आस पास के कुछ ऊतक भी नष्ट हो जाते हैं। जहां से ऊतक नष्ट होते हैं वहां पर खाली जगह बन जाती है और पस से भर जाती है। पस में नष्ट हुए ऊतक, सफेद रक्त कोशिकाएं और बैक्टीरिया होते हैं। यदि संक्रमण लगातार बढ़ता रहता है तो पस भी लगातार बढ़ता रहता है। ऐसे में फोड़े फुंसी का आकार बढ़ जाता है और दर्द भी अधिक होता है।

पेट के अंदर विकसित होने वाला फोड़ा या फुंसी किसी ऐसे इन्फेक्शन के कारण होता है जो ऊतकों की गहराई तक पहुंच जाता है। ऐसा आमतौर पर निम्नलिखित कारणों से होता है:

  • चोट लगना (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
  • आस पास के किसी क्षेत्र से संक्रमण फैलना
  • अपेंडिक्स के परिणामस्वरूप भी बैक्टीरिया पेट के अंदर फैल सकते हैं और फोड़े फुंसी पैदा कर सकते हैं

इसके अलावा कुछ प्रकार के वायरस, फंगी व अन्य परजीवियों के कारण भी फोड़े फुंसी हो सकते हैं।

फोड़े फुंसी होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितियों में आपको फोड़े फुंसी होने का खतरा बढ़ जाता है, जैसे:

(और पढ़ें - एचआईवी टेस्ट क्या है)

फोड़े फुंसी से बचाव - Prevention of Abscess in Hindi

फोड़े फुंसी से बचाव कैसे करें?

फोड़ा या फुंसी न हो इसके लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

  • अपनी त्वचा को स्वच्छ व स्वस्थ रखें।
  • नियमित रूप से अपने हाथ धोते रहें।
  • त्वचा पर लगी सभी छोटी व बड़ी खरोंच को साबुन व पानी के साथ अच्छे से धोएं और फिर उन पर एंटीबैक्टीरियल मलहम लगा लें।
  • यदि आपको कोई घाव या फोड़ा है तो नियमित रूप से अपने बिस्तर की चादर को डिटर्जेंट या ब्लीच में धोते रहें और गर्म वातावरण में सुखाएं।
  • त्वचा पर लगे कट व घाव आदि को पट्टी से ढक कर रखें।
  • अपनी पर्सनल चीजों को किसी के साथ शेयर ना करें।
  • यदि आपको डायबिटीज है तो नियमित रूप से उसकी दवाएं लेते रहें और जांच करवाते रहें। (और पढ़ें - शुगर में क्या खाना चाहिए)
    डायबिटीज को नियंत्रियत करने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे और डायबिटीज से होने वाली अन्य बीमारियों से बचे।
  • त्वचा को खरोंच आदि लगने से बचाएं।
  • अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखने के लिए स्वस्थ भोजन खाएं और शरीर का वजन नियंत्रित रखें। (और पढ़ें - प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने वाले खाद्य पदार्थ)
  • धूम्रपान न करें।

 (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय)

वजन घटाने का उपाय-मोटापे से परेशान? वजन कम करने में असफल? myUpchar आयुर्वेद मेदारोध फैट रेड्यूसर जूस द्वारा अब आसानी से वजन नियंत्रित करें। आज ही शुरू करें और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

फोड़े फुंसी का परीक्षण - Diagnosis of Abscess in Hindi

फोड़े फुंसी की जांच कैसे करें?

यदि आपको फुंसी या फोड़ा हो गया है, तो आपको डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। 

यदि आपकी त्वचा पर कोई फोड़ा बना है, तो डॉक्टर सबसे पहले प्रभावित क्षेत्र की जांच करेंगे। फोड़े फुंसी की जगह के अनुसार जांच के लिए आपके निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं:

  • पस कल्चर और सेंस्टिविटी टेस्ट:
    इस टेस्ट के दौरान फोड़े फुंसी से पस का सेंपल लिया जाता है और टेस्टिंग के लिए उसे लेबोरेटरी भेज दिया जाता है। इसकी मदद से इन्फेक्शन का कारण बनने वाले बैक्टीरिया की पहचान कर ली जाती है। बैक्टीरिया की पहचान करने के बाद उसके लिए उचित इलाज निर्धारित किया जाता है। (और पढ़ें - स्यूडोमोनस संक्रमण का इलाज)
     
  • यूरिन और ब्लड शुगर टेस्ट:
    जिन लोगों को डायबिटीज है उनको त्वचा में फोड़े होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए डायबिटीज आदि का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके शरीर में शुगर (ग्लूकोज) की मात्रा की जांच करने के लिए आपका खून व यूरिन टेस्ट कर सकते हैं। (और पढ़ें - खून टेस्ट कैसे होता है)
     
  • अल्ट्रासाउंड:
    यदि फोड़े फुंसी शरीर की अंदरुनी परत में विकसित हो गए हैं, तो ऐसे में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करते हैं। इसकी मदद से फोड़े के आकार का पता लगा लिया जाता है।
     
  • सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन:
    यदि फोड़ा शरीर के अंदर है, तो डॉक्टर सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन करवाने का सुझाव भी दे सकते हैं। 

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

फोड़े फुंसी का इलाज - Abscess Treatment in Hindi

फोड़े फुंसी का इलाज कैसे करें?

छोटे मोटे फोड़े व फुंसी आदि का इलाज करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, कुछ निश्चित समय के बाद उनका मवाद निकल जाता है और वे अपने आप ठीक होने लग जाते हैं। गर्म सिकाई करने से इनके ठीक होने की गति और बढ़ जाती है। 

चीरा देकर पस निकालना: 
जब फोड़े फुंसी में तेज गंभीर दर्द व सूजन हो और छूने पर दर्द बढ़ जाता हो, तो ऐसी स्थिति में चीरा देने की आवश्यकता पड़ती है। इस स्थिति के दौरान मरीज को लोकल एनेस्थीसिया (सुन्न करने वाली दवा) दी जाती है, ये दवा इंजेक्शन या स्प्रे के रूप में दी जा सकती है। 

(और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज)

प्रभावित क्षेत्र पर किसी एंटीसेप्टिक घोल को लगाया जाता है और उसे किसी स्वच्छ तौलिए से ढक कर रखा जाता है। जिन लोगों को काफी बड़े आकार का फोड़ा होता है या उससे अत्यधिक दर्द हो रहा है, तो ऐसे में पस निकालने के दौरान मरीज को बेहोशी की दवा दी जाती है। 

फोड़े फुंसी से पस निकालने के लिए डॉक्टर सिर्फ छोटा सा चीरा या छेद करते हैं। जब सारा मवाद निकल जाता है तो डॉक्टर दस्ताने पहन कर उंगली के साथ फोड़े को धीरे-धीरे चारों तरफ से दबाते हैं जिससे फोड़े के अंदर की सारी सामग्री निकल जाती है। 

उसके बाद फोड़े को स्टेराइल (किटाणु रहित) द्रव से धोया जाता है। उसके बाद खाली फोड़े में रुई का टुकड़ा भर दिया जाता है। इस रुई के टुकड़े को 24 से 48 घंटों के बाद निकाल दिया जाता है। प्रभावित क्षेत्र की गर्म सिकाई करने से सूजन जल्दी ठीक होने लग जाती है। फोड़े से द्रव निकाल देने के तुरंत बाद ही ज्यादातर लोगों को अच्छा महसूस होने लगता है। 

दवाएं:
जब मरीज को एक साथ कई फोड़े, चेहरे पर फोड़े फुंसी, प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी समस्या, कोई सिस्टमिक इन्फेक्शन या सेलुलाइटिस हो जाता है, तो ऐसे में डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं दे सकते हैं। इलाज के दौरान शुरूआत में रोगी को एमोक्सिलिन दवा दी जा सकती है और बाद में रिजल्ट के अनुसार उसमें कुछ बदलाव किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • क्लिंडामाइसिन
  • डॉक्सिसाइक्लिन
  • डाईक्लोक्सासीलिन
  • केफालेक्सिन

कुछ प्रतिरोधी मामलों में निम्न दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है:

  • वैंकोमाइसिन
  • लिनेजोलाइड
  • डेप्टोमाइसिन

(और पढ़ें - सिकाई करने के फायदे)

फोड़े फुंसी की जटिलताएं - Abscess Complications in Hindi

फोड़े फुंसी से क्या समस्याएं होती हैं?

पहले 2 दिन के बाद फोड़े फुंसी से थोड़ा बहुत मवाद आता है या बिलकुल नहीं आता। आमतौर पर सभी प्रकार के फोड़े फुंसी 10 से 14 दिनों तक ठीक हो जाते हैं। 

यदि फोड़े फुंसी का समय पर इलाज ना किया जाए, तो फोड़ा बढ़ सकता है और गहरे ऊतकों तक पहुंच सकता है। ऐसे में सिस्टमिक इन्फेक्शन या अन्य जीवन के लिए घातक स्थितियां पैदा हो जाती है। फोड़े फुंसी से निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं:

(और पढ़ें - घाव का  उपचार)

क्या फोड़े फुंसी अपने आप ठीक हो जाते हैं? - Do Abscesses Go Away by Themselves in Hindi?

ज्यादातर फोड़े-फुंसियां हानिकारक नहीं होती हैं और बिना उपचार के ठीक हो जाती हैं। मामूली फोड़े को ठीक करने के लिए क्रीम और दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, कभी-कभी इन्हें ठीक करना मुश्किल हो जाता है, जिसके लिए इन्हें सूखना जरूरी हो जाता है।

क्या फोड़े फुंसी को बिना इलाज के छोड़ा जा सकता है? - Can an Abscess be Left Untreated in Hindi?

अगर शरीर पर मौजूद किसी भी फोड़े-फुंसी को बिना इलाज के छोड़ दिया जाए, तो ये कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। यहां तक कि जीवन के लिए गंभीर खतरा तक पैदा कर सकता है।

फोड़े-फुंसी को कब तक बिना उपचार के छोड़ा जा सकता है? - How Long Can an Abscess Go Untreated in Hindi?

छोटे फोड़े-फुंसियां अपने आप ठीक हो जाते हैं। वहीं, अगर कोई फोड़ा या फुंसी 2 हफ्ते में खुद से ठीक नहीं होता है, तो तुरंत डाॅक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर उपचार के दौरान फोड़े से तरल पदार्थ को निकालकर साफ कर देंगे।



संदर्भ

  1. Eric vanSonnenberg, Gerhard R. Wittich, Brian W. Goodacre, Giovanna Casola, Horacio B. D'Agostino. Percutaneous Abscess Drainage: Update. March 2001, Volume 25, Issue 3
  2. Antony S1, Cooper RNL. Spontaneous chest abscess caused by Salmonella enterica subspp. arizonae; a rare cause of skin and soft tissue infection in the Desert Southwest. Case report and review of the literature. Infect Disord Drug Targets. 2018 Nov 4. PMID: 30394218
  3. J. Craig Baumgartner, TianXia. Antibiotic Susceptibility of Bacteria Associated with Endodontic Abscesses. Volume 29, Issue 1, January 2003, Pages 44-47
  4. DD Stark, MP Federle, PC Goodman, AE Podrasky. Differentiating lung abscess and empyema: radiography and computed tomography Read More: https://www.ajronline.org/doi/abs/10.2214/ajr.141.1.163. American Journal of Roentgenology. 1983;141: 163-167. 10.2214/ajr.141.1.163
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Abscess

फोड़े फुंसी के डॉक्टर

Dr. Prity Kumari Dr. Prity Kumari सामान्य शल्यचिकित्सा
Dr. Surendra Kumar Dr. Surendra Kumar सामान्य शल्यचिकित्सा
3 वर्षों का अनुभव
Dr. Mangesh Yadav Dr. Mangesh Yadav सामान्य शल्यचिकित्सा
5 वर्षों का अनुभव
Dr. Anand Kumar Dr. Anand Kumar सामान्य शल्यचिकित्सा
10 वर्षों का अनुभव
डॉक्टर से सलाह लें

फोड़े फुंसी की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Abscess in Hindi

फोड़े फुंसी के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

सम्बंधित लेख