अगर आप गर्भवती हैं तो पहली बार अपने बच्चे की दिल की धड़कन को सुनना किसी भी माता-पिता के लिए सबसे बेहतरीन, यादगर और जीवन बदलने वाले अनुभवों में से एक होता है और यह किसी माइलस्टोन से कम नहीं होता। लेकिन यह पैरंट्स और गर्भ में पल रहे बच्चे के बीच पहले "हेलो" से कहीं अधिक बढ़कर होता है क्योंकि यह छोटी सी धड़कन आपको बच्चे की सेहत के बारे में बहुत कुछ बता सकती है। 

(और पढ़ें - पीरियड्स मिस होने से पहले गर्भावस्था के लक्षण)

गर्भाशय के अंदर पल रहे भ्रूण की हार्ट बीट पूरे गर्भावस्था के दौरान सामान्य है या नहीं यह माता-पिता को कैसे पता चलेगा, इस बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं। प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे की हार्टबीट कितनी होनी चाहिए, यह हार्टबीट पहली बार कब सुनाई देती है, हार्टबीट की निगरानी कैसे की जा सकती है और पूरे गर्भावस्था के दौरान बच्चे की दिल की धड़कन पर नजर रखना क्यों जरूरी है, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

  1. बच्चे की हार्टबीट कब आती है? - Pregnancy me baby ki heartbeat kab aati hai?
  2. बच्चे की हार्टबीट कितनी होनी चाहिए? - Pregnancy me baby ke heartbeat kitni honi chahiye
  3. बच्चे की हार्टबीट की निगरानी कैसे की जाती है? - Pregnancy me baby ke heartbeat ko monitor kaise karte hain?
  4. बच्चे की हार्टबीट को कैसे सुन सकते हैं? - Baby ke heartbeat kaise sun sakte hain?
  5. प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे की हार्टबीट में बदलाव - Pregnancy me baby ke heartbeat me changes
  6. प्रसव या लेबर के दौरान भ्रूण की हार्टबीट की निगरानी क्यों जरूरी है? - Labour ke waqt baby ki heartbeat monitor karna kyu jaruri hai?
प्रेगनेंसी में बच्चे की हार्टबीट कब आती है और कितनी होनी चाहिए के डॉक्टर

गर्भधारण करने के साढ़े 5 सप्ताह या 6 सप्ताह के बाद वजाइना या योनि का अल्ट्रासाउंड किया जाता है और इसके जरिए पहली बार भ्रूण के दिल की धड़कन सुनाई पड़ती है। इसी अल्ट्रासाउंड के दौरान फीटल पोल भी नजर आ सकता है। फीटल पोल गर्भ में पल रहे विकासशील भ्रूण का दिखाई देने वाला पहला संकेत है, जो कभी-कभी देखा जा सकता है। हालांकि गर्भावस्था के 9 सप्ताह बाद तक भी फीटल पोल का दिखाई न देना पूरी तरह से सामान्य है। 

भले ही गर्भावस्था के 5 से 6 सप्ताह के बीच भ्रूण की हार्टबीट आ जाए लेकिन गर्भावस्था के 6 से 7 सप्ताह के बीच, भ्रूण के दिल की धड़कन का बेहतर तरीके से मूल्यांकन किया जा सकता है। यही वह समय होता है जब डॉक्टर आपके पहली बार योनि या पेट का अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं ताकि स्वस्थ और विकासशील गर्भावस्था के संकेतों की जांच की जा सके।

डॉक्टर आपको गर्भावस्था का पहला स्कैन 6 सप्ताह में ही शुरू करने की सलाह दे सकते हैं अगर:

  • आपको पहले से कोई बीमारी या चिकित्सीय समस्या हो
  • अगर आपका पहले कभी मिसकैरेज हो चुका हो
  • अगर पहले कभी प्रेगनेंसी को बनाए रखने में मुश्किल हुई हो

प्रेगनेंसी के पहले अल्ट्रासाउंड के दौरान, डॉक्टर या अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन निम्नलिखित बातों की जांच करते हैं:

  • व्यवहार्य या विकसित गर्भावस्था की पुष्टि की जा सके और गैर-व्यवहार्य, मोलर या एक्टोपिक (अस्थानिक) प्रेगनेंसी की जांच की जा सके
  • बच्चे के दिल की धड़कन की पुष्टि की जा सके
  • बच्चे के सिर से लेकर कूल्हे तक की लंबाई मापी जाती है जिससे भ्रूण की गर्भकालीन आयु निर्धारित करने में मदद मिलती है
  • असामान्य गर्भधारण का आकलन (और पढ़ें- गर्भधारण का सही समय क्या है, जानें)
Women Health Supplements
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

गर्भावस्था के 6 हफ्ते से लेकर 7वें हफ्ते के बीच के समय में आपके शिशु के दिल की धड़कन 90 से 110 बीट प्रति मिनट (बीपीएम) होनी चाहिए। 9वां सप्ताह आते-आते आपके बच्चे के दिल की धड़कन 140 से 170 बीपीएम तक पहुंच जानी चाहिए। लेकिन कई बार ऐसा भी हो सकता है कि गर्भावस्था के पहले अल्ट्रासाउंड के दौरान आपको अपने बच्चे के दिल की धड़कन सुनाई ही न दे। आमतौर पर, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह गर्भावस्था का शुरुआती समय है और हार्टबीट सुनाई न देने का मतलब ये जरूरी नहीं कि किसी तरह की कोई समस्या हो। इस दौरान हो सकता है कि डॉक्टर आपको 1-2 सप्ताह बाद फिर से एक अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दें।

बच्चे की हार्टबीट को न सुन पाने के कुछ और कारण भी हो सकते हैं, जैसे:

  • अगर गर्भाशय टिप्पड हो (आमतौर पर गर्भाशय, सर्विक्स या गर्भाशय ग्रीवा की ओर आगे बढ़ता है। एक झुका हुआ गर्भाशय, जिसे टिप्पड गर्भाशय भी कहा जाता है, आगे की बजाय गर्भाशय ग्रीवा में पीछे की ओर बढ़ता है। यह एक सामान्य शारीरिक भिन्नता है।) ऐसे में अगर गर्भाशय आगे की ओर या पेट की ओर टिप्पड हो तो गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में बच्चे की दिल की धड़कन को सुनना मुश्किल हो सकता है।
  • अगर गर्भवती महिला का पेट बड़ा हो

गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान बच्चे की हृदय गति
गर्भावस्था के पांचवें सप्ताह में आपके बच्चे का दिल धड़कना शुरू कर देता है। यह वह अवधि होती है जब बच्चे का दिल और उसके अन्य अंग बनने शुरू होते हैं। गर्भावस्था के छठे सप्ताह में, बच्चे का दिल रक्त पंप करना शुरू कर देता है।

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में बच्चे की हृदय गति
एक बार जब गर्भवती महिला प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में पहुंच जाती है, तो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन 110 से 160 बीट प्रति मिनट के बीच रहती है और डॉपलर डिवाइस की मदद से हार्टबीट का पता लगाया जा सकता है। यदि बच्चे की हार्टबीट अनियमित हो यानी बहुत धीमी या बहुत तेज हो तो बच्चे को दिल की बीमारी होने का खतरा हो सकता है।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में बच्चे की हृदय गति
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में बच्चे की हृदय गति दूसरी तिमाही की तरह ही होगी लेकिन अंतर सिर्फ इतना होगा कि इस दौरान बच्चा अधिक तेजी से बढ़ने लगेगा।

भ्रूण की हृदय गति की निगरानी आपके बच्चे (भ्रूण) की हृदय गति और लय को मापने का काम करती है। भ्रूण की हार्टबीट या हृदय गति के जरिए डॉक्टर को यह जानने में मदद मिलती है कि गर्भ के अंदर आपका बच्चा सही तरीके से विकसित हो रहा है या नहीं। इसके अलावा डॉक्टर लेट प्रेगनेंसी की स्थिति में और लेबर के दौरान भी बच्चे की हृदय गति की निगरानी करते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे की हृदय गति औसतन 110 से 160 बीट प्रति मिनट होनी चाहिए लेकिन इसमें 5 से 25 बीट प्रति मिनट के अंतर भी सामान्य माना जाता है।

गर्भाशय से जुड़ी अलग-अलग स्थितियों के हिसाब से पेट में पल रहा बच्चा जिस तरह की प्रतिक्रिया देता है उस हिसाब से ही भ्रूण या बच्चे की हृदय गति में बदलाव देखने को मिल सकता है। अगर भ्रूण की हृदय गति असामान्य हो जाए तो इसका मतलब है कि आपके बच्चे को गर्भाशय के अंदर पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है या फिर कोई और समस्या है। भ्रूण की हृदय गति की निगरानी करने का मुख्य रूप से 2 तरीका है: बाहरी और आंतरिक।

(और पढ़ें- प्रेगनेंसी में सांस फूलना)

भ्रूण की हृदय गति की बाहर से निगरानी करना
इस प्रणाली के तहत आपके पेट के माध्यम से बच्चे के दिल की धड़कन को सुनने और रिकॉर्ड करने के लिए एक खास तरह के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा ही एक उपकरण है डॉपलर अल्ट्रासाउंड डिवाइस। प्रेगनेंसी के दौरान जब गर्भवती महिला अक्सर प्रसव पूर्व चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाती है तो इसी डॉपलर डिवाइस की मदद से बच्चे की हृदय गति की गणना की जाती है।

इतना ही नहीं कई बार इस डॉपलर डिवाइस का इस्तेमाल प्रसव के दौरान भ्रूण की हृदय गति की जांच के लिए भी किया जा सकता है। कई बार डॉक्टर लेबर और बच्चे के जन्म के दौरान लगातार इस डिवाइस की मदद से बच्चे की हृदय गति की जांच करते हैं। इसके लिए अल्ट्रासाउंड डिवाइस के ट्रांसड्यूसर को गर्भवती महिला के पेट पर बांधा जाता है। यह आपके बच्चे के दिल की धड़कन की आवाज को कंप्यूटर में भेजता है। बच्चे की हृदय गति की दर और पैटर्न स्क्रीन पर दिखायी देता है और साथ ही वह कागज पर प्रिंट भी होता रहता है। 

(और पढ़ें- गर्भावस्था में नाभि में दर्द क्यों होता है)

भ्रूण की हृदय गति की आंतरिक निगरानी
इस प्रणाली में आपके बच्चे के स्कैल्प पर एक पतली तार (इलेक्ट्रोड) का उपयोग किया जाता है। यह तार आपके गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) के माध्यम से बच्चे तक जाती है और फिर यह तार एक मॉनिटर से जुड़ी होती है। बच्चे की हृदय गति की निगरानी करने की यह विधि बेहतर रीडिंग देती है क्योंकि बच्चे की गतिविधियों का इस पर कोई असर नहीं होता है। लेकिन इस विधि का इस्तेमाल सिर्फ तभी किया जा सकता है जब गर्भावस्था के दौरान बच्चे को घेरकर रखने वाली तरल पदार्थ से भरी थैली (एमनियोटिक सैक) फट जाए और गर्भाशय ग्रीवा का मुंह खुल गया हो।

जब बाहर से ली जा रही भ्रूण की हार्ट रेट रीडिंग सही जानकारी न दे पा रही हो तब डॉक्टर आंतरिक निगरानी की इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा अगर आपके डॉक्टर लेबर और डिलिवरी के दौरान बच्चे को अधिक बारीकी से देखना चाहें तब भी इस पद्धति का उपयोग किया जाता है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Prajnas Fertility Booster बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख पुरुष और महिला बांझपन की समस्या में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
Fertility Booster
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें

बिना किसी चिकित्सीय उपकरण की मदद के सिर्फ अपने कानों से गर्भ में पल रहे बच्चे की हार्टबीट को सुनना असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर है। लेकिन कुछ गर्भवती महिलाओं का दावा है कि वे अपने पेट से बच्चे के दिल की धड़कन को सुन सकती हैं। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही या तीसरी तिमाही के दौरान किसी शांत कमरे में बैठकर बच्चे की दिल की धड़कन को कानों से सुनना संभव हो सकता है।

(और पढ़ें- शोधकर्ताओं का दावा, 13 हफ्ते में दर्द महसूस कर सकता है भ्रूण)

यदि आप अपने बच्चे के दिल की धड़कन के अनियमित होने को लेकर चिंतित हैं और उसे सुन नहीं पा रही हैं तो परेशान न हों। आपके लिए सबसे सुरक्षित विकल्प यही है कि आप अपने डॉक्टर के पास जाएं। वह आपकी सोनोग्राफी करवा सकते हैं जिससे यह निर्धारित हो सकता है कि बच्चे की धड़कनें सामान्य हैं या नहीं।

पूरी प्रेगनेंसी के दौरान, आपके बच्चे के हृदय का विकास जारी रहता है। गर्भावस्था के शुरुआती कुछ हफ्तों के दौरान भ्रूण के दिल की धड़कन 90 से 110 बीट प्रति मिनट के बीच शुरू होती है और गर्भवास्था के 9वें सप्ताह से लेकर 10वें सप्ताह के बीच यह बढ़कर 140 से 170 बीट प्रति मिनट तक पहुंच जाती है। हालांकि इसके बाद, प्रेगनेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में 110 से 160 बीट प्रति मिनट के बीच की हार्टबीट को भ्रूण के दिल की धड़कन के लिए सामान्य माना जाता है।

इस बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे की दिल की धड़कन में पूरी प्रेगनेंसी के दौरान और हर बार प्रसवपूर्व अपॉइंटमेंट से पहले बदलाव आ सकता है। अगर आपके बच्चे की हार्टबीट बहुत ज्यादा तेज हो, बहुत धीमी हो या असामान्य हो तो यह आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है। ऐसा होने पर इस बात की आशंका भी हो सकती है कि आपके बच्चे को हृदय से जुड़ी कोई जन्मजात समस्या हो। इस वजह से डॉक्टर नियमित रूप से आपके बच्चे की हार्टबीट की निगरानी कर सकते हैं। बच्चे के हृदय के विकास को लेकर अगर डॉक्टर के मन में किसी तरह की आशंका हो तो भ्रूण का ईसीजी भी किया जाता है।

Ashokarishta
₹360  ₹400  10% छूट
खरीदें

लेबर पेन और डिलिवरी के दौरान भ्रूण के दिल की धड़कनों की निगरानी करने से कई बच्चों की जान बचाई जा सकती है:

एक बार जब आप अस्पताल पहुंच जाती हैं और आपका लेबर स्थापित हो जाता है (गर्भाशय ग्रीवा 3 सेंटीमीटर से अधिक खुल जाता है या उसमें विस्तार हो जाता है और आपको लगातार नियमित रूप से मजबूत संकुचन महसूस हो रहे हों जो आपके गर्भाशय ग्रीवा को और अधिक खोल रहे हों), उसके बाद डॉक्टर लेबर के पहले चरण में हर 15 से 30 मिनट के बीच और लेबर के दूसरे चरण में हर मिनट के अंतराल पर बच्चे के दिल की धड़कन की निगरानी करते हैं। बच्चे की हार्टबीट के साथ ही गर्भवती महिला के संकुचन की भी निगरानी की जाती है।

(और पढ़ें- गर्भाशय संकुचन क्या है)

लेबर और प्रसव के दौरान बच्चे की हार्टबीट की निगरानी करना इसलिए जरूरी है ताकि बच्चे को प्रसव के दौरान कोई कठिनाई हो रही है या नहीं इसका पता लगाया जा सके। बच्चे के दिल की असामान्य धड़कन या लय डॉक्टरों को शुरुआती समस्याओं के लिए सचेत कर सकती है ताकि वे हस्तक्षेप कर सकें और नवजात शिशु को हाइपोक्सिया/ एसिडोसिस जैसी समस्याओं से बचाने की कोशिश कर सकें (पेरिनेटल या नवजात शिशु में हाइपोक्सिया- जन्म के ठीक पहले, जन्म के दौरान या जन्म के ठीक बाद शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाना- नवजात शिशु की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है)। प्रसव के दौरान बच्चे के दिल की धड़कन की निगरानी करने के दो तरीके हैं:

1. लगभग 15 मिनट के अंतराल पर, बच्चे के दिल की धड़कन की लगातार निगरानी की जा सकती है। इसके लिए डॉक्टर डॉपलर फीटल हार्टबीट मॉनिटर या पिनार्ड स्टेथेस्कोप का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि डॉपलर फीटल हार्टबीट मॉनिटर मशीन आसानी से ओटीसी के तौर पर उपलब्ध है, लेकिन विशेषज्ञ उत्सुक माता-पिता और अन्य गैर-मेडिक्स द्वारा इसके अति उपयोग के खिलाफ चेतावनी देते हैं, क्योंकि इसका बहुत ज्यादा या अनुभवहीन उपयोग मां या बच्चे की सेहत को किसी तरह का बढ़ावा नहीं देता।

2. वैकल्पिक तौर पर गर्भवती महिला को एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (कार्डियोटोकोग्राफी) से भी जोड़ा जा सकता है ताकि बच्चे के दिल की धड़कन की लगातार निगरानी की जा सके। इसके लिए एक इलेक्ट्रॉनिक फीटल मॉनिटरिंग मशीना का इस्तेमाल किया जाता है। आपके पेट से जुड़े दो ट्रांसड्यूसर (पैड) का उपयोग करते हुए, बाहर से बच्चे की हार्टबीट की लगातार निगरानी की जा सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में योनि के माध्यम से बच्चे के सिर में एक छोटा इलेक्ट्रोड जोड़कर भी बच्चे की हार्टबीट की निगरानी की जाती है। 
निम्नलिखित मामलों में लेबर के दौरान भ्रूण की हृदय गति की लगातार निगरानी करने की सिफारिश की जाती है:

  • अगर गर्भवती महिला को बुखार हो (मैटरनल पाइरेक्सिया)
  • अगर आप 37 सप्ताह से कम के समय में लेबर में चली गई हों
  • अगर आपका बच्चा 42 सप्ताह से ज्यादा समय से आपके गर्भ में है
  • अगर आपकी प्रेगनेंसी मुश्किलों से भरी रही हो या भ्रूण का विकास असामान्य हो
  • आपके लेबर को ऑक्सिटोसिन के साथ प्रेरित या संवर्धित किया गया हो या एमनियोटिक फ्लूइड में बच्चे का पहला मल (मेकोनियम) हो (यह 40 सप्ताह तक की प्रेगनेंसी में भ्रूण के संकट का संकेत हो सकता है) या आपके अत्यधिक गर्भाशय गतिविधि का संकेत हो सकता है
  • अगर गर्भ में बच्चा उल्टा हो जाए (ब्रीच पोजिशन) में (बच्चे का पैर गर्भाशय ग्रीवा की ओर)
  • आपने लेबर के दौरान एपिड्यूरल (प्रसव के दौरान पेनकिलर) का चुनाव किया हो
  • आपको उच्च रक्तचाप है
  • आपको मधुमेह, हृदय रोग या किडनी की बीमारी है
  • अनिरंतर जांच के दौरान डॉक्टर को भ्रूण की हृदय गति में किसी समस्या का पता चला हो
  • आपके गर्भ में जुड़वां या इससे अधिक बच्चे पल रहे हों 
  • पिछली गर्भावस्था में आपकी सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) हुई हो
  • डॉक्टरों और प्रसूति नर्सों द्वारा किए गए बाहरी परीक्षण के आधार पर, आपका बच्चा छोटा लग रहा हो

प्रसव के दौरान, बच्चे के दिल की धड़कन आमतौर पर 110 से 160 बीट प्रति मिनट होती है। अपने गाइनैकॉलजिस्ट के साथ अपने बच्चे के लिए उपयुक्त सीमा की जांच करें, क्योंकि यह विभिन्न परिस्थितियों में उच्च या निम्न तरफ हो सकता है। कुछ मामलों में, गर्भाशय संकुचन के दौरान बच्चे की हृदय गति में भी उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन ऐसा होना सामान्य है और डॉक्टर इस बारे में जल्दी से प्रतिक्रिया दे सकते हैं यदि वे पहले से ही बच्चे की हार्टबीट की लगातार निगरानी कर रहे हों।

Dr Sujata Sinha

Dr Sujata Sinha

प्रसूति एवं स्त्री रोग
30 वर्षों का अनुभव

Dr. Pratik Shikare

Dr. Pratik Shikare

प्रसूति एवं स्त्री रोग
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Payal Bajaj

Dr. Payal Bajaj

प्रसूति एवं स्त्री रोग
20 वर्षों का अनुभव

Dr Amita

Dr Amita

प्रसूति एवं स्त्री रोग
3 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Pildner von Steinburg S., Boulesteix A.L., Lederer C., Grunow S., Schiermeier S., Hatzmann W., Schneider K.T., Daumer M. What is the "normal" fetal heart rate?. PeerJ. 4 June 2013; 1: e82. PMID: 23761161.
  2. Johns Hopkins Medicine [Internet]. Fetal heart monitoring.
  3. North Bristol, National Health Service NHS Trust [Internet]. UK; Listening to your baby's heartbeat.
  4. US Food & Drug Administration [Internet]. Avoid fetal "keepsake" images, heartbeat monitors.
  5. Galli L., Dall'Asta A., Whelehan V., Archer A. and Chandraharan E. Intrapartum cardiotocography patterns observed in suspected clinical and subclinical chorioamnionitis in term fetuses. The Journal of Obstetrics & Gynaecology Research, 16 October 2019; 45: 2343-2350.
  6. Safe Motherhood and Newborn Health Committee, FIGO. Cardiotocography, In "FIGO consensus guidelines on intrapartum fetal monitoring" [Internet].
  7. Hornberger L.K. and Sahn D.J. Rhythm abnormalities of the fetus. Heart (British Cardiac Society), October 2007; 93(10): 1294-300. PMID: 17890709.
  8. Bloom S.L., Belfort M. and Saade G. What we have learned about intrapartum fetal monitoring trials in the MFMU Network. Seminars in Perinatology, 29 April 2016; 40(5): 307-317. PMID: 27140936.
  9. National Institute for Health and Care Excellence, UK [Internet]. Intrapartum care: NICE guidelines (February 2017).
ऐप पर पढ़ें