दिल्ली हाई कोर्ट ने फलों को पकाने के लिए केमिकलों के इस्तेमाल पर सख्त टिप्पणी की है। गुरुवार को एक सुनवाई में अदालत ने इसे ग्राहकों को 'जहर देने जैसा' बताया। उसने फलों और सब्जियों में केमिकल पदार्थों के इस्तेमाल को रोकने के मकसद से उठाए गए कदमों की निगरानी के लिए स्वतः संज्ञान लेते हुए यह बात कही। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामले चलाए जाने चाहिए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कोर्ट ने कहा, 'आम पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल करना किसी को जहर देने जैसा है। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत मामला क्यों न चलाया जाए? ऐसे लोगों को जेल भेजा जाए, भले ही दो दिन के लिए। इससे वे कुछ डरेंगे।'

आम भारत में सबसे लोकप्रिय फलों में से एक है। बताया जाता है कि दुनिया में आम का 80 प्रतिशत उत्पादन यहीं होता है। लेकिन जल्दी आम पकाने के चक्कर में केमिकल का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। दरअसल, कई फलों की तरह आम भी पकने में काफी समय लेता है। इस समय को कम करने के लिए कई लोग केमिकल का इस्तेमाल करने लगे हैं। आम पकाने के लिए जिस केमिकल को सबसे ज्यादा उपयोग किया गया है, उसे कैल्शियम कार्बाइड कहते हैं।

क्या है कैल्शियम कार्बाइड?
यह एक रासायनिक यौगिक पदार्थ है जिसमें आर्सेनिक और फास्फोरस जैसे कैंसरकारी तत्व होते हैं। मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके प्रभाव से त्वचा पर कई तरह की ऐलर्जी सकती हैं। इसके अलावा व्यक्ति को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इनमें तमाम न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स, अल्सर, मेमरी लॉस जैसे विकारों और बीमारियों के अलावा कैंसर जैसा जानलेवा रोग भी शामिल है। जानकार सलाह देते हैं कि आज बाजार में कई फल रसायन-युक्त होते हैं, ऐसे में उनके गलत प्रभावों से बचने के लिए फलों को अच्छे से धोकर ही खाना चाहिए।

कैल्शियम कार्बाइड अपने खतरनाक प्रभावों की वजह से कई देशों में प्रतिबंधित है। इनमें भारत भी शामिल है। यहां 'खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954' के तहत इसके इस्तेमाल पर रोक लगी हुई है। हालांकि इसके बावजूद कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल जारी है। कई व्यापारी अभी भी इस घातक रसायन का उपयोग आमों को पकाने के लिए कर रहे हैं। वे फलों को समय से पहले ही तोड़ लेते हैं और जल्दी पकाने के लिए उनके आसपास कैल्शियम कार्बाइड रख देते हैं। केमिकल से ऐसिटिलीन नामक गैस निकलती है जिसके प्रभाव में आम जल्दी पक जाता है।

रसायन-युक्त फल को कैसे पहचानें?
इसके लिए हमें एक संवेदनशील घोल (सेंसर सॉल्यूशन) की जरूरत है। करीब 10 मिलीलीटर पानी में फल को धोएं। फिर उस पानी में से एक मिलीलीटर पानी अलग से लें और इतनी ही मात्रा में संवेदनशील घोल लेकर दोनों का मिश्रण करें। अगर घोल का रंग लाल से बैंगनी हो जाता है, तो इसका मतलब है कि वह फल कैल्शियम कार्बाइड से युक्त है। वहीं, रंग नहीं बदलने का मतलब है कि फल प्राकृतिक रूप से तैयार किया गया है।

कैसे बचें?
सेंसर सॉल्यूशन से केमिकल वाले फलों की पहचान हो तो सकती है, लेकिन आमतौर पर लोग इस तरह के तरीके अपनाने में लापरवाही करते हैं। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? अगर बाजार में बड़ी संख्या में फल रसायन-युक्त हैं तो आखिर इनसे बचें कैसे? इसके लिए निम्नलिखित सावधानियां बरती जानी चाहिए-

  • फलों को बहुत अच्छे से धोएं ताकि पानी के साथ केमिकल भी बह जाए
  • फल को सीधे मुंह में न डालें, बल्कि काट कर खाएं। अगर फल के अंदर का रंग अलग निकले तो उसे न खाएं
  • जिन फलों को छिलके समेत खाया जाता है, उन्हें छिलके उतार कर खाएं
  • संभव हो तो फल मदर डेयरी या सफल के स्टॉल से ही खरीदें
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