कोरोना वायरस से जुड़ी बीमारी कोविड-19 को लेकर भारत के लिए एक राहत भरी खबर है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उसे भारत में कोविड-19 के तीसरी स्टेज (या कम्युनिटी ट्रांसमिशन) में पहुंचने के सबूत नहीं मिले हैं। इसका मतलब है कि अभी तक यह वायरस केवल विदेशों से आए मरीजों और उनके करीबियों तक ही सीमित है। गौरतलब है कि देश में कोविड-19 के 147 मरीजों की पुष्टि हो गई है। इन सभी का संबंध अन्य देशों की यात्राओं से है। वहीं, कोविड-19 से देश में तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है।

(और पढ़ें - जानें, कोरोना वायरस की चार स्टेज और भारत के कोविड-19 की दूसरी स्टेज में होने का मतलब)

भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन 'नहीं'
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि संस्थान ने अलग-अलग क्रम (रैन्डमली) में 500 सैंपलों की जांच की और उनमें से किसी में भी कोरोना वायरस नहीं मिला। सभी नेगेटिव पाए गए। इसके बाद आईसीएमआर के महानिदेशक ने कहा, '(भारत में कोरोना वायरस के) कम्युनिटी ट्रांसमिशन के कोई सबूत नहीं मिले हैं।' इसके अलावा भार्गव ने उन रिपोर्टों को भी खारिज किया, जिनमें कहा गया था कि भारत कोविड-19 को लेकर पर्याप्त संख्या में टेस्ट नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हमारा उद्देश्य है कि अविवेकपूर्ण जांचों को अनदेखा करें, (लोगों का) डर कम करें, संसाधनों का किफायत से इस्तेमाल करें और जांच से जुड़ी सुविधाओं को बढ़ाएं।'

(और पढ़ें - अमेरिका में एक व्यक्ति के पास सैनिटाइजर की 17,000 से ज्यादा बोतलें मिलीं)

वहीं, आईसीएमआर के प्रमुख एपिडेमियोलॉजिस्ट आरआर गंगाखेडकर ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत द्वारा अपनाई जा रही नीतियों की दूसरे देशों से तुलना करना सही नहीं है। खबर के मुताबिक, गंगाखेडकर ने कहा, 'उन देशों ने कहा है कि उनके यहां स्टेज 3 वाले हालात हैं। अगर हमें इसके सबूत मिलते तो हमारी रणनीति भी अलग तरह की होती। इसीलिए हमने निगरानी के तहत चेक किया कि हमारे यहां कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ है या नहीं। यह प्रक्रिया लगाता जारी है और हम आगे भी निगरानी करते रहेंगे।'

भारत सरकार ने भी एंटी-एचआईवी ड्रग के इस्तेमाल को मंजूरी दी
हाल ही में राजस्थान से खबर आई थी कि वहां जयपुर स्थित सरकारी अस्पताल में दो एचआईवी-रोधी दवाओं से कोविड-19 के मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। इन मरीजों में इटैलियन दंपती भी शामिल है। यह जानकारी सामने आने के बाद अब सरकार के हवाले से खबर आई है कि उसने कुछ विशेष मरीजों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोपिनावीर और रिटोनावीर नामक इन दोनों दवाओं को अलग-अलग मरीज में फैली बीमारी की गंभीरता के हिसाब से देने का सुझाव दिया है। बताया गया है कि केवल 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के इलाज के लिए मंत्रालय की तरफ से यह सिफारिश की गई है। उसने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित जिन बुजुर्गों को पहले से डायबिटीज, गुर्दे और फेफड़ों से जुड़ी कोई दीर्घकालिक समस्या हो, उनके लिए इन दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।

(और पढ़ें - भारत में कोरोना वायरस से तीसरी मौत)

डायबिटीज से बचने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे।और अपने जीवन को स्वस्थ बनाये।

बता दें कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, विश्व स्वास्थ्य संगठन और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा इन दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी गई थी। इसके बाद ही मंत्रालय ने इन ड्रग्स को मंजूरी दी है। इससे पहले फरवरी महीने की शुरुआत में आईसीएमआर ने इन दोनों दवाओं के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। इसके लिए उसने ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी थी। गौरतलब है कि भारत में इन दवाओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। लेकिन फरवरी में थाइलैंड में लोपिनावीर और रिटोनावीर के साथ एक अन्य दवा के मिश्रण से एक चीनी महिला को ठीक किए जाने का दावा किया गया था। उसके बाद भारतीय स्वास्थ्य एजेंसियों ने भी इन दवाओं के इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी।

ऐप पर पढ़ें