प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में ब्लड प्रेशर का एक सामान्य स्तर होता है. जब ब्लड प्रेशर का लेवल सामान्य से अधिक हो जाता है, तो इस स्थिति को हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन कहा जाता है. आपको बता दें कि अगर ब्लड प्रेशर का स्तर 110/70 mmHg है, तो इसे सामान्य माना जाता है. लेकिन जब ब्लड प्रेशर 130/80 mmHg या उससे अधिक होता है, तो इस स्थिति को हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है. हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति गंभीर हो सकती है. यह स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, किडनी फेलियर और अन्य कई गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है. इसकी गंभीरता बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के स्तर पर ही निर्भर करती है. इसलिए, इसके अलग-अलग चरणों के बारे में जरूर जानना चाहिए.

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आज इस लेख में आप हाइपरटेंशन के सभी चरणों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. हाइपरटेंशन क्या है?
  2. हाइपरटेंशन के चरण
  3. हाइपरटेंशन को कंट्रोल कैसे करें?
  4. सारांश
हाइपरटेंशन के चरण व कैसे कंट्रोल करें के डॉक्टर

रक्त वाहिकाओं की दीवारों के विरुद्ध रक्त के दबाव या बल के माप को ही ब्लड प्रेशर कहा जाता है. ऐसे में जब शरीर में रक्त वाहिकाओं की दीवारों के विरुद्ध दबाव बहुत अधिक लगता है, तो इस स्थिति को हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है. अगर हाई ब्लड प्रेशर को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह खतरनाक हो सकता है. इसलिए, इसे साइलेंट किलर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि हाइपरटेंशन होने पर शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन शरीर को अंदर से नुकसान हो रहा होता है. फिर जब ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो जटिलताएं बढ़ने लगती हैं.

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हाइपरटेंशन के चरण ब्लड प्रेशर के स्तर पर निर्भर करते हैं. जैसे-जैसे ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ता जाता है, स्थिति गंभीर होती जाती है. इस स्थिति में हाइपरटेंशन की स्टेज बढ़ती जाती है. हाइपरटेंशन के चरण इस प्रकार हैं -

सामान्य ब्लड प्रेशर

2017 के एक अध्ययन के अनुसार 120/80 mmHg से कम ब्लड प्रेशर को ही सामान्य माना जाता है. इसका मतलब अगर सिस्टोलिक 120 mmHg से कम है और डायस्टोलिक 80 mmHg से कम है, तो यह सामान्य होता है. अगर किसी का ब्लड प्रेशर का स्तर सामान्य से थोड़ा अधिक होता है, तो हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज की मदद से इसे कंट्रोल में किया जा सकता है. अगर नॉर्मल बीपी की बात करें, तो उसे 110/70 mmHg होना चाहिए.

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प्रीहाइपरटेंशन

अगर सिस्टोलिक 120-129 mmHg के बीच और डायस्टोलिक 80 mmHg से अधिक होता है, तो यह प्री हाइपरटेंशन की स्थिति होती है. अगर कोई प्री हाइपरटेंशन की स्थिति में है, तो डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल की मदद से इसे सामान्य किया जा सकता है.

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चरण 1

हारपरटेंशन का चरण 1 तब होता है, जब ब्लड प्रेशर की सिस्टोलिक रीडिंग 130-139 mmHg के बीच और डायस्टोलिक 80-89 mmHg के बीच होती है. इस स्थिति में व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की वजह से अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. हाइपरटेंशन के चरण 1 में डॉक्टर रोगी को हाई ब्लड प्रेशर की दवा लिख सकते हैं.

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चरण 2

हाइपरटेंशन का चरण 2 गंभीर हो सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति को हार्ट फेलियर व स्ट्रोक होने की आशंका बढ़ सकती है. हाइपरटेंशन का चरण 2 तब होता है, जब सिस्टोलिक 140 mmHg और डायस्टोलिक 90 mmHg से अधिक होता है. हाइपरटेंशन के इस चरण में दवाइयों का सेवन करना जरूरी हो जाता है.

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गंभीर स्थिति

अगर हाई ब्लड प्रेशर चरण 2 से भी गंभीर हो जाता है, तो यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है. इस स्थिति में रोगी को इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है. अगर ब्लड प्रेशर 180/120 mmHg से अधिक हो जाता है, तो यह स्थिति गंभीर रूप ले सकती है. इस स्थिति में व्यक्ति के लिए जटिलताएं बढ़ सकती हैं. अगर किसी का ब्लड प्रेशर इस रीडिंग तक पहुंच जाए, तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करते हुए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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हाइपरटेंशन को कम करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करना जरूरी होता है -

  • रोजाना एक्सरसाइज करें. एक्सरसाइज से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखा जा सकता है.
  • अगर कोई धूम्रपान करता है, तो उसे यह बिल्कुल छोड़ देना चाहिए.
  • इसके साथ ही शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचें.
  • ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए हेल्दी डाइट लें.
  • शुगर और कार्ब्स का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें.
  • वजन को कंट्रोल में रखना भी जरूरी होता है.
  • तनाव कम करें और नींद पूरी लें.
  • सोडियम का कम और पोटेशियम का अधिक मात्रा में सेवन करें.

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हाइपरटेंशन खतरनाक बीमारी होती है. इसमें ब्लड प्रेशर को सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दबाव में मापा जाता है. सिस्टोलिक ऊपरी संख्या होती है और डायस्टोलिक निचली संख्या होती है. अगर ब्लड प्रेशर 110/70 mmHg होता है, तो इसे नॉर्मल माना जाता है. लेकिन अगर ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg या उससे अधिक होता है, तो इस स्थिति को हाइपरटेंशन कहा जाता है. इसके अलावा, ब्लड प्रेशर को चरण 1 और चरण 2 में भी विभाजित किया जाता है. 180/120 या उससे अधिक ब्लड प्रेशर को गंभीर माना जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति में हार्ट अटैक, स्ट्रोक व हार्ट फेलियर का जोखिम काफी बढ़ जाता है. अगर हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है. 

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