हेयर रिमूवल टिप्स - Hair Removal Tips in Hindi

इतिहास की मानें तो प्राचीन रोमवासी अपने चेहरे को शेव किया करते थे और प्राचीन मिस्त्रवासी जिसमें महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल हैं अपने पूरे शरीर को। इतिहास में इस बात के सबूत मौजूद हैं जिससे यह पता चलता है कि 331 ईसा पूर्व में महान शासक एलेक्जैंडर भी बिना दाढ़ी-मूंछ के क्लीन शेव था। हालांकि ऐसा करने के पीछे उन सभी के कारण अलग-अलग थे। इतिहासकारों का इस बारे में मतभेद भी रहा है। मिस्त्रवासी जहां शरीर के बाल को गंदा और अशुद्ध मानते थे, वहीं एलेक्जैंडर द ग्रेट का ऐसा विचार था कि अगर दाढ़ी होगी तो युद्ध के दौरान किसी सिपाही को उसकी दाढ़ी खींचकर पकड़ा जा सकेगा।

हाल ही में, शरीर के बाल हटाना दुनियाभर में करोड़ों डॉलर की इंडस्ट्री बन गया है। इसके अलावा शरीर के बाल हटाने के लिए कई तरह के नए इलाज भी आ गए हैं जैसे- हेयर रिमूवल क्रीम से लेकर वैक्सिंग तक और इलेक्ट्रोलाइसिस से लेकर लेजर ट्रीटमेंट तक। 20वीं और 21वीं सदी में ये सभी चीजें काफी प्रसिद्ध हो गई हैं। हालांकि हेयर रिमूवल यानी शरीर के बाल हटाना है या नहीं यह आपकी पसंद है। वास्तव में बहुत से डॉक्टर इस बात को मानते हैं कि शरीर के बाल फायदेमंद होते हैं क्योंकि वे शरीर के तापमान को नियमित रखने में मदद करते हैं और त्वचा के लिए सुरक्षात्मक कोटिंग का काम करते हैं। 

आमतौर पर शरीर पर बालों की मौजूदगी मेडिकली किसी तरह से चिंता की बात नहीं है। लेकिन कुछ मामलों में यह हर्सुटिज्म नाम की बीमारी के भी लक्षण हो सकते हैं। वैसी महिलाएं जिन्हें पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की बीमारी हो उन्हें भी शरीर पर खासकर चेहरे पर ज्यादा हेयर ग्रोथ की दिक्कत हो सकती है। इस तरह के मामलों में जहां बहुत ज्यादा बाल की वजह से खासकर चेहरे पर उगने वाले बाल- अगर मरीज में मनोवैज्ञानिक या आत्म सम्मान में कमी का कारण बनने लगें तो हेयर रिमूवल ट्रीटमेंट के जरिए इन्हें हटवाने की सलाह दी जाती है।

किसी भी तरह की सर्जरी करने से पहले स्वास्थ्यकर्मी उस खास हिस्से को शेव करके वहां के बाल हटाते हैं ताकि वह हिस्सा सही तरीके से नजर आए और उसके बाद उसे ऑपरेट किया जा सके। लिहाजा चिकित्सा समुदाय के बीच यह भी रिसर्च का विषय है कि बालों को हटाने का सबसे सुरक्षित तरीका कौन सा है जिसमें किसी भी तरह के कट लगने या इंफेक्शन होने के खतरे को कम किया जा सके।

शरीर के बाल हटाने या हटवाने का आपका कारण चाहे जो हो- खूबसूरती, प्राथमिकता, आत्म-सम्मान या फिर शरीर की सफाई- बेहद जरूरी है कि आप उसे सही और सुरक्षित तरीके से करें। शरीर के बालों को हटाने यानी हेयर रिमूवल के कौन से अलग-अलग तरीके हैं, चेहरे के बाल हटाने के टिप्स, चेस्ट और प्यूबिक एरिया के बाल हटाने का तरीका, जोखिम कारक और जटिलताएं क्या हैं, इस बारे में आगे पढ़ें।

  1. दवाइयां, स्टेरॉयड और हार्मोनल थेरेपी
  2. सुरक्षित तरीके से बाल हटाने के टिप्स
  3. बाल हटाने के तरीके: फायदे और दुष्प्रभाव
  4. हेयर रिमूवल से जुड़े जोखिम कारक और जटिलताएं
  5. मेडिकल कंडिशन जिस वजह से अत्यधिक हेयर ग्रोथ होता है

दवाइयां, स्टेरॉयड और हार्मोनल थेरेपी

अलग-अलग बीमारियों के इलाज को दौरान दी जाने वाली कुछ दवाइयां भी ऐसी हैं जिनकी वजह से किसी व्यक्ति के शरीर अनियमित रूप से बहुत ज्यादा बाल बढ़ने लगते हैं। वे दवाइयां हैं:

  • टेस्टोस्टेरॉन: हार्मोनल थेरेपी के दौरान इनका इस्तेमाल होता है
  • डैनाजॉल: एंडोमेट्रिओसिस और फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के इलाज के दौरान होता है इस्तेमाल
  • ऐनाबोलिक स्टेरॉयड: चोट लगने पर इसका इस्तेमाल होता है ताकि मांसपेशियों को बढ़ाने में मदद मिल सके
  • ग्लूकोकॉर्टिकॉयड्स: शरीर में अगर एक से ज्यादा जगह पर इन्फ्लेमेशन की दिक्कत हो तो उसके इलाज में इस दवा का इस्तेमाल होता है
  • साइक्लोस्पोरिन: अंग प्रत्यारोपण के दौरान इसका इस्तेमाल होता है ताकि शरीर अंग को अस्वीकार न कर दे
  • मिनोक्सिडिल: बालों के गिरने और पतले होने को रोकने के लिए इस्तेमाल में आने वाली दवा
  • फेनिटॉयन: मिर्गी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा

सुरक्षित तरीके से बाल हटाने के टिप्स

आप शरीर के किस हिस्से से बालों का हटाना चाहते हैं और किस तरीके से हटाना चाहते हैं इस पर ही निर्भर करेगा कि आपको किस तरह के ऐहतियाती कदम उठाने की जरूरत है। हालांकि कुछ टिप्स और आइडियाज ऐसे होते हैं जिसका इस्तेमाल आप शरीर के किसी भी हिस्से से बाल हटाने के दौरान कर सकती हैं:

  • किसी भी उत्पाद का इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें। इसमें हेयर रिमूवल क्रीम और अलग-अलग तरह के वैक्स भी शामिल हैं।
  • अगर हेयर रिमूवल के किसी तरीके को अपनाने के बाद आपको त्वचा पर चकत्ते (रैशेज) हो जाएं, स्किन एलर्जी हो जाए या बहुत ज्यादा दर्द या असहजता महसूस हो तो उस तरीके को बिलकुल न अपनाएं।
  • शेविंग और थ्रेडिंग जैसे तरीकों का इस्तेमाल करने के दौरान कट लग सकता है। ऐसे में शेविंग या थ्रेडिंग के बाद उस हिस्से पर आफ्टरशेव या ऐस्ट्रिन्जेंट लगाना न भूलें।
  • वैक्सिंग करने या करवाने से पहले ध्यान रखें कि आपके बाल लंबे होने चाहिए यानी एक इंच के एक चौथाई से तीन चौथाई तक।
  • असरदार तरीके से बाल निकल पाएं इसके लिए हेयर रिमूवल से पहले ही उस हिस्से को धोकर सुखा लें।
  • अगर आप किसी तरह की दवा या सप्लिमेंट्स का सेवन कर रही हैं तो अपने डॉक्टर से बात कर लें कि आपके लिए हेयर रिमूवल का सबसे सुरक्षित तरीका कौन सा है।
  • शरीर के जिस हिस्से पर आप थ्रेडिंग या वैक्सिंग करने जा रही हैं वहां थ्रेडिंग या वैक्सिंग करने से पहले ही बर्फ लगा लें। ऐसा करने से दर्द और तकलीफ कम होगी।

बाल हटाने के तरीके: फायदे और दुष्प्रभाव

शरीर के बालों को हटाने का सबसे पुराना तरीका है- शेविंग और ट्वीजिंग (चिमटी से पकड़कर बाल हटाना)। कुछ अनुसंधानकर्ताओं का तो यहां तक मानना है कि शेविंग 1 लाख साल पुराना तरीका है। हालांकि हेयर रिमूवल के कुछ नए तरीके भी हैं जो बेहद पॉप्युलर हैं। उन पर डालते हैं एक नजर:

  • शेविंग: हाल के दिनों में रेजर तेज होने के साथ-साथ बेहतर और सुरक्षित भी हो गए हैं। यही वजह है कि महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग रेजर आते हैं जो दोनों जेंडर के बालों की कठोरता के बीच के अंतर को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं। शेविंग को घर पर आसानी से किया जा सकता है और इसके लिए आपको रेजर और शेविंग क्रीम या जेल की जरूरत होती है। आपको शेव करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप बालों के उगने की दिशा में शेव करें। हालांकि इस तरीके के विपरित शेव करने से बाल आसानी से हटते हैं लेकिन इससे स्किन में जलन, उभार और अंदरूनी बालों के उगने का खतरा रहता है। आपको रेजर इस्तेमाल करने का सही तरीका पता होना चाहिए वरना आपकी स्किन छिल सकती है या कट सकती है।
  • शुगरिंग: इस तरीके का इस्तेमाल प्राचीन मिस्त्रवासियों ने शुरू किया था। बालों को हटाने के इस तरीके में वैक्स की जगह चीनी, पानी और नींबू के रस का इस्तेमाल किया जाता है और यह उन लोगों के लिए ज्यादा बेहतर है जिनकी त्वचा संवेदनशील है।
  • प्लकिंग: प्राचीन कलाकृतियां इस बात को दिखाती हैं कि प्लकिंग या ट्विजींग का इस्तेमाल हजारों साल पहले हमारे पूर्वज भी किया करते थे। ये एक बेहद आसान तरीका है जिसमें चिमटी यानी ट्वीजर जैसे किसी धारदार औजार का इस्तेमाल कर अनचाहे बालों को हटाया जाता है ताकि भौहें आकर्षक और स्टाइलिश दिखें।
  • थ्रेडिंग: भारत में अनचाहे बालों को हटाने का एक और पॉप्युलर तरीका है थ्रेडिंग। धागे के एक टुकड़े का इस्तेमाल कर स्किन के ऊपर हिस्से को दबोच कर बालों को उसकी पुटिका से खींचकर निकालने के लिए काफी कुशलता की जरूरत होती है।
  • वैक्सिंग: शरीर के अनचाहे बालों को उसकी जड़ों से निकालने का एक और पॉप्युलर तरीका है वैक्सिंग और इसके कई वेरिएशन्स मौजूद हैं। उदाहरण के लिए- रीका वैक्स जो न सिर्फ अनचाहे बालों को हटाता है बल्कि भविष्य में बालों की ग्रोथ को भी कम करने में मदद करता है। चॉकलेट वैक्स को कठोर बालों को हटाने के लिए बेहतर माना जाता है। इसके अलावा मार्केट में रेडी-टू-यूज वैक्स स्ट्रिप्स भी मिलते हैं जिनका इस्तेमाल पर कर आप घर बैठे ही अनचाहे बालों को हटा सकती हैं। अनचाहे बालों को हटाने का सबसे पॉप्युलर तरीका है- गर्म वैक्सिंग जिसे सॉफ्ट वैक्स या हार्ड वैक्स किसी से भी किया जा सकता है। सॉफ्ट वैक्स मार्केट में आसानी से मिल जाता है जिसमें बालों को हटाने के लिए कॉटन स्ट्रिप्स का इस्तेमाल होता है। हार्ड वैक्स रोजिन या बीजवैक्स से तैयार किया जाता है और इसके इस्तेमाल के दौरान वैक्स स्ट्रिप की जरूरत नहीं होती। वैसे लोग जो विटामिन ए सप्लिमेंट रेटिनॉल या मुंहासों की दवा आइसोट्रेटिनोएन का सेवन कर रहे हों उनके लिए वैक्सिंग का सुझाव नहीं दिया जाता। इसके अलावा संवेदनशील त्वचा या धूप में झुलसी हुई त्वचा पर भी वैक्सिंग नहीं करनी चाहिए।
  • डेपिलेटरी (रोमहर) क्रीम: अनचाहे बालों को हटाने के लिए इस्तेमाल होने वाली हेयर रिमूवल क्रीम में कई तरह के केमिकल्स होते हैं जैसे- थिओग्लाइकोलिक ऐसिड का सॉल्ट या बेरियम सल्फाइड। ये केमिकल्स बालों में मौजूद प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया कर उन्हें कमजोर कर देते हैं जिसके बाद यह हेयर रिमूवल किट में मौजूद स्पैचुला की मदद से स्किन से आसानी से निकल जाते हैं। बालों को आसानी से निकालने के लिए ये क्रीम्स बाजार में मिल जाती हैं। इसके लिए आपको बस इतना करना है कि शरीर के जिस हिस्से से बाल हटाने हैं वहां पर क्रीम लगाएं, कुछ समय के लिए क्रीम को लगा रहने दें और उसके बाद क्रीम को स्पैचुला की मदद से हटा दें। हालांकि यह क्रीम पूरे शरीर पर यूज करने से पहले पैच टेस्ट जरूर कर लें। ऐसा करने से आपको एलर्जिक रिऐक्शन नहीं होगा। वैसे तो यह अनचाहे बालों को बिना दर्द वाला आसान तरीका है लेकिन इन क्रीम्स का इस्तेमाल करने से स्किन एलर्जी और केमिकल बर्न होने का भी खतरा रहता है अगर इन्हें ज्यादा समय तक स्किन पर छोड़ दिया जाए। चेहरे पर मौजूद बाल और प्यूबिक एरिया के बाल को हटाने के लिए इन क्रीम्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • लेजर: लेजर हेयर रिमूवल ट्रीटमेंट में लेजर लाइट का उत्सर्जन किया जाता है जिसे बालों में मौजूद पिगमेंट (मेलानिन) सोख लेता है। यह लाइट हीट में बदल जाती है जो बालों की कूप (हेयर फॉलिकल्स) को नुकसान पहुंचाते हैं जहां से बालों का उत्पादन होता है। इस नुकसान की वजह से भविष्य में बाल उगने की प्रक्रिया धीमी या फिर पूरी तरह से बाधित हो जाती है। हालांकि लेजर हेयर रिमूवल की प्रक्रिया को किसी ट्रेन्ड प्रफेशनल से ही करवाना चाहिए। इससे शरीर में अनचाहे बालों की ग्रोथ को कम किया जा सकता है। हालांकि इस बारे में कोई अध्ययन नहीं है कि लेजर हेयर रिमूवल प्रेगनेंसी के दौरान सेफ है लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट प्रेगनेंसी के दौरान इसे न करवाने की सलाह देते हैं।
  • इलेक्ट्रोलाइसिस: इस प्रक्रिया में ट्रेन्ड प्रफेशनल बिजली के करेंट को बालों के कूप (हेयर फॉलिकल्स) से पास करते हैं। बिजली का यह करेंट कूप को नुकसान पहुंचाता है जिससे नए बालों की ग्रोथ को रोका जा सकता है। इसे सिर्फ वैसे ही डर्मेटॉलजिस्ट से करवाना चाहिए जिन्हें इलेक्ट्रोलाइसिस करने का सर्टिफिकेट हासिल हो। इसे अनचाहे बालों को हटवाने का स्थायी तरीका माना जाता है।
  • एपिलेटर: यह एक तरह का डिवाइस है जो एक बार में स्किन से बहुत सारे बालों को खींचकर निकाल लेता है। इस प्रक्रिया में काफी दर्द हो सकता है। एपिलेटर यूज करने से पहले स्किन को गर्म पानी और सौम्य स्क्रब से साफ करने से दर्द को कम किया जा सकता है

हेयर रिमूवल से जुड़े जोखिम कारक और जटिलताएं

अनचाहे बालों को हटवाने की प्रक्रिया से जुड़ी कुछ असुविधाएं और हानि भी है:

  • कट लगना: शेविंग करने के दौरान स्किन पर कट लगना और स्किन का छिलना आम बात है
  • हल्की जलन: गर्म वैक्स का इस्तेमाल करने से स्किन हल्की जल सकती है
  • इन्फ्लेमेशन: वैक्सिंग या शेविंग के बाद स्किन में इन्फ्लेमेशन की समस्या हो सकती है। बालों को निकालने के दौरान होने वाले घर्षण की वजह से आमतौर पर ऐसा होता है।
  • गांठ या उभार: यह वैक्सिंग का सबसे कॉमन साइड इफेक्ट है
  • अंदरूनी बालों का बढ़ना: वैक्सिंग के बाद अंदरूनी बाल (इन्ग्रोन हेयर) की भी समस्या हो सकती है। वैक्सिंग के दौरान बालों को बड़ी तेजी से बालों के उगने की विपरित दिशा से खींचकर निकाला जाता है। ऐसा करने से बालों की कूप (हेयर फॉलिकल्स) बाधित हो जाते हैं और जब बाल वापस उगते हैं तो वे स्किन के अंदर उगने लगते हैं जिससे अंदरूनी बालों के बढ़ने की समस्या हो सकती है।
  • संक्रमित बालों के कूप: फॉलिकुलिटिस सबसे कॉमन स्किन की बीमारी है। इसमें बाल के हर एक रेशे में लाल रंग का उभार हो जाता है जिसमें ऊपर पस जम जाता है। शेविंग के बाद ऐसा कई बार होता है।

मेडिकल कंडिशन जिस वजह से अत्यधिक हेयर ग्रोथ होता है

कई बीमारियां या मेडिकल कंडिशन की वजह से भी और दवाइयों के सेवन की वजह से भी कई बार अत्यधिक अनचाहे बाल शरीर पर निकल आते हैं। वे कंडिशन्स हैं:

  • हाइपरट्रिकोसिस
  • पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
  • कुशिंग सिंड्रोम
  • सेक्स हार्मोन का उत्पादन करने वाले ट्यूमर
  • कुछ निश्चित दवाइयां

इन परिस्थिति में भी बालों को हटाने का तरीका वही है जो सामान्य स्थिति में है लेकिन बेहद जरूरी है कि आप इनके बारे में पूरी जानकारी हासिल करके रखें। इसका कारण- कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं जैसे- पीसीओएस इसमें हार्मोन्स के असंतुलन के कारण अनचाहे बाल उगने लगते हैं। ऐसे में हो सकता है कि लेजर हेयर रिमूवल करवाने के बाद भी दोबारा बाल निकल आएं।

  1. हाइपरट्रिकोसिस या वेयरवुल्फ सिंड्रोम
  2. पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम पीसीओएस की वजह से चेहरे पर बालों की ग्रोथ
  3. कुशिंग सिंड्रोम
  4. सेक्स हार्मोन का उत्पादन करने वाले ट्यूमर

हाइपरट्रिकोसिस या वेयरवुल्फ सिंड्रोम

हाइपरट्रिकोसिस एक ऐसी समस्या है जिसमें महिलाओं या पुरुषों में शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक बहुत ज्यादा बाल उगने लगते हैं लेकिन इनका कारण स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाता। लेकिन कुछ दवाइयों का सेवन करने से, जुवेनाइल हाइपोथायरॉयडिज्म (बच्चे के शरीर में थायरॉयड हार्मोन का कम होना), जुवेनाइल डर्मेटोमायोसिटिस (बच्चों में रैशेज और मांसपेशियां में सूजन-जलन), ऐक्रोमेगैली (हार्मोनल बीमारी जिसमें ग्रोथ ज्यादा होती है), कुपोषण और अडवांस्ड एचआईवी/एड्स इंफेक्शन जैसी स्थितियां इस परिस्थिति से जुड़ी हो सकती हैं।

हाइपरट्रिकोसिस शरीर के अलग-अलग हिस्सों में हो सकता है जैसे:

  • हाइपरट्रिकोसिस क्युबिटी (हेयरी एल्बो सिंड्रोम)
  • हथेली या तलवे में हाइपरट्रिकोसिस
  • कानों में हाइपरट्रिकोसिस
  • नाक की नोक (नेजल टिप) पर हाइपरट्रिकोसिस

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम पीसीओएस की वजह से चेहरे पर बालों की ग्रोथ

पीसीओएस हार्मोन्स से जुड़ी बीमारी है जिसमें शरीर पुरुष हार्मोन्स या ऐंड्रोजेन्स का उत्पादन अधिक करने लगता है। नतीजा- अंडाशय में सिस्ट का बनना जिसकी वजह से अंडाशय में सूजन आ जाती है। पीसीओएस के लक्षण हैं:

  • अनियमित मासिक धर्म
  • चेहरा, छाती, पीठ या कूल्हे पर अनचाहे बालों का उगना
  • अचानक से वजन का तेजी से बढ़ना
  • बालों का पतला होना और कमजोर होना
  • मुंहासे

कुशिंग सिंड्रोम

यह एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें ऐड्रिनल ग्लैंड से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का उत्पादन बहुत ज्यादा होने लगता है। कोर्टिसोल जीवन के लिए जरूरी है क्योंकि इसकी मदद से बीमारी जैसी परिस्थितियों से निपटने में मदद मिलती है। कुशिंग सिंड्रोम के सामान्य लक्षण हैं:

  • अचानक वजन का बढ़ना खासकर गर्दन के आसपास के हिस्से में
  • बहुत ज्यादा असाधारण बालों का बढ़ना
  • उत्तेजना या अतिसंवेदनशीलता
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • अनियमित रजोधर्म
  • एकाग्रता में दिक्कत महसूस होना

सेक्स हार्मोन का उत्पादन करने वाले ट्यूमर

कुछ ट्यूमर ऐसे भी होते हैं जो सेक्स हार्मोन का उत्पादन करते हैं जैसे- टेस्टोस्टेरॉन या एस्ट्रोजेन जिसकी वजह से शरीर में असामान्य बालों की ग्रोथ होने लगती है। ये ट्यूमर दुर्लभ हैं और ऐड्रिनल ग्लैंड में मौजूद रहते हैं। ये 3 तरह के हो सकते हैं:

  • ऐंड्रोजेन का स्त्राव करने वाले ट्यूमर: इसकी वजह से महिलाओं में पुरुषों जैसे लक्षण यानी असाधारण बालों का बढ़ना, भारी आवाज, मुंहासे और संदिग्ध जननांग शामिल है।
  • एस्ट्रोजेन का स्त्राव रकने वाले ट्यूमर: इसकी वजह से पुरुषों में महिलाओं जैसे लक्षण दिखने लगते हैं यानी प्यूबिक हेयर का गायब हो जाना, ब्रेस्ट का विकास होना और बांझपन आदि।
  • मिक्स्ड सेक्स हार्मोन का स्त्राव करने वाले ट्यूमर: इस तरह की समस्या में मर्दाना और जनाना दोनों तरह के फीचर्स नजर आते हैं।
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