ल्यूटिनाइजिंग को मानव शरीर के लिए जरूरी हार्मोन माना गया है. इसका निर्माण महिला व पुरुष दोनों के शरीर में होता है. इस हार्मोन को गोनाडोट्रोपिन के रूप में भी जाना जाता है. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) शरीर में मौजूद ऐसा केमिकल है, जो मुख्य रूप से रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए होता है. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन प्यूबर्टी, मेंस्ट्रुअल साइकिल और फर्टिलिटी में अहम भूमिका निभाता है. ब्लड में एलएच का सामान्य स्तर उम्र, लिंग और मेडिकल हिस्ट्री के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है.

आज इस लेख में आप ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के कार्यों व नॉर्मल रेंज के बारे में जानेंगे -

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  1. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन क्या है?
  2. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के काम
  3. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज
  4. सारांश
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का काम व नॉर्मल रेंज के डॉक्टर

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन ऐसा केमिकल है, जो सेक्सुअल हेल्थ, डेवलपमेंट और प्रोडक्शन के लिए जरूरी प्रक्रिया को स्टिम्युलेट करता है. ब्रेन के बेस में मौजूद मटर के दाने जितना छोटा-सा स्ट्रक्चर, जिसे पिट्यूटरी ग्लैंड कहा जाता है, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन को प्रोड्यूस करता है. महिला और पुरुषों के सेक्स ऑर्गन में होने वाले बदलावों का कारण ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन बनता है, जैसे - ओवरीज या टेस्टिकल, जो रिप्रोडक्टिव सिस्टम के फंक्शन को सुचारू रूप से चलाने का काम करते हैं.

महिलाओं में होने वाले मेंस्ट्रुअल साइकिल में एलएच का अहम हिस्सा है. यह फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन के साथ मिलकर काम करता है. फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन एग को विकसित करने के लिए ओवेरियन फॉलिकल को स्टिम्युलेट करता है. साथ ही ये फॉलिकल्स में होने वाले एस्ट्रोजन के प्रोडक्शन को भी ट्रिगर करता है.

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ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन महिला, पुरुष और बच्चों तीनों के लिए अहम रोल निभाता है. ये ओवुलेशन को प्रोत्साहित करता है और प्रेगनेंसी के सपोर्ट के लिए आवश्यक हार्मोन के प्रोडक्शन में मदद करता है. ये युवावस्था में कदम रख रहे बच्चों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को प्रोड्यूस करने का काम करता है. आइए, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के कामों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

रिप्रोडक्टिव सिस्टम को करे प्रभावित

ब्रेन में मौजूद पिट्यूटरी ग्लैंड फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का निर्माण करता है. ये दोनों हार्मोन रिप्रोडक्टिव सिस्टम की प्रक्रिया को रेगुलेट करने का काम करते हैं. ये दोनों हार्मोंस केमिकल मैंसेजर होते हैं, जो सेक्स ऑर्गन (ओवरीज और टेस्टिकल्स) को रिप्रोडक्टिव हेल्थ को सपोर्ट करने के लिए जरूरी संदेश भेजते हैं. दूसरे शब्दों में, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन रिप्रोडक्टिव सिस्टम को काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है. इससे प्रेरित होकर सेक्स ऑर्गन प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को प्रोड्यूस करते हैं.

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ओवरीज को करे स्टिम्युलेट

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन महिलाओं की ओवरीज में होने वाले बदलावों को स्टिम्युलेट करता है, जिससे मासिक धर्म चक्र संतुलित रहता है और गर्भधारण करने में मदद मिलती है.

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ओवुलेशन

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के अधिक प्रोडक्शन के कारण ओवरी मासिक धर्म के हर दूसरे हफ्ते के आसपास मैच्योर एग को रिलीज करती है. इस समय एलएच का शरीर में अधिक लेवल होने का मतलब है कि महिला अपने उस साइकिल में है, जब उसके प्रेग्नेंट होने के सबसे अधिक चांसेज हैं.

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प्रोजेस्टेरोन प्रोडक्शन

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन ओवरी में एक स्ट्रक्चर के बनने का कारण बनता है. इस स्ट्रक्चर को कॉर्पस ल्यूटियम के नाम से जाना जाता है. कॉर्पस ल्यूटियम मासिक धर्म के तीसरे और चौथे सप्ताह में अधिक मात्रा में प्रोजेस्टेरोन का निर्माण करता है. प्रोजेस्टेरोन ऐसा हार्मोन है जो प्रेगनेंसी की शुरुआती स्टेज को सपोर्ट करने के लिए जरूरी है.

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मेनोपॉज

मेनोपॉज शुरू होने पर ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की मात्रा शरीर में बढ़ने लगती है और एस्ट्रोजन के साथ ही प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में कमी आ जाती है. जब महिला में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्तर अधिक हो जाता है, तो इसका मतलब होता है कि महिलाएं ओवुलेट नहीं कर पा रही हैं और कई बार एलएच का लेवल बढ़ने का मतलब होता है कि महिलाएं मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज स्थिति में पहुंच गई है.

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टेस्टोस्टेरोन प्रोडक्शन

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन पुरुषों के टेस्टिकल्स को टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बनाने के लिए स्टियुमिलेट करता है. शरीर को स्पर्म प्रोड्यूस करने के लिए टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की आवश्यकता होती है. टेस्टोस्टेरोन पुरुषों में कई तरह के अन्य विकास के लिए जिम्मेदार होता है, जैसे - मसल्स मास, बॉडी हेयर और भारी आवाज. प्यूबर्टी के बाद पुरुषों में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का लेवल काफी स्टेबल हो जाता है.

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बच्चों में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन

जब 9 से 10 साल की उम्र में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का लेवल हाई होता है, तो इसका मतलब होता है कि बच्चे में प्यूबर्टी स्टेज या तो शुरू होने वाली है या शुरू हो चुकी है. प्यूबर्टी के दौरान एलएच ओवरीज और टेस्टिज दोनों को टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बनाने के लिए स्टिम्युलेट करता है. ओवरी में टेस्टोस्टेरोन एस्ट्रोजन में बदल जाता है.

(और पढ़ें - ग्रोथ हार्मोन बढ़ाने के उपाय)

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्तर उम्र, लिंग और मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है. यहां तक कि महिलाओं में उनका मेंस्ट्रुअल साइकिल और मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज स्थिति भी ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के लेवल को प्रभावित करती है. आइए, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

महिलाओं में सामान्य स्तर - महिलाओं में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज इस प्रकार है -

  • मेंस्ट्रुअल साइकिल के पहले और दूसरे सप्ताह में महिलाओं में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज 1.37 to 9 IU/L होती है. महिलाओं में दूसरे सप्ताह में और ओवुलेशन से पहले ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज 6.17 से 17.2 IU/L हो सकती है.
  • मेंस्ट्रुअल साइकिल के तीसरे और चौथे सप्ताह में महिलाओं में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज 1.09 to 9.2 IU/L होती है.
  • मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज 19.3 to 100.6IU/L होती है.

पुरुषों में सामान्य स्तर - पुरुषों में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की नॉर्मल रेंज 1.42 to 15.4 IU/L के आसपास हो सकती है.

(और पढ़ें - थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट)

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ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन एक केमिकल है, जो रिप्रोडक्टिव सिस्टम की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया को ट्रिगर करने का काम करता है. ये हार्मोन महिलाओं और पुरुषों दोनों के सेक्स ऑर्गन को प्रभावित करता है. प्यूबर्टी से लेकर मेंस्ट्रुअल साइकिल और फर्टिलिटी सभी के लिए ये अहम रोल निभाता है. साथ ही ये हार्मोन सेक्सुअल हेल्थ, डेवलपमेंट और प्रोडक्शन के लिए जरूरी प्रोसेस को स्टिम्युलेट करता है. 

(और पढ़ें - एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट)

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