पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट एक स्लीप स्टडी है. इस टेस्ट में नींद के दौरान कुछ बॉडी फंक्शन को रिकॉर्ड किया जाता है. पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट का इस्तेमाल स्लीप डिसऑर्डर के निदान के लिए किया जाता है. इसके अलावा, इस टेस्ट के जरिए कुछ अन्य चीजों के बारे में भी पता लगाया जा सकता है. टेस्ट के बाद इसका रिजल्ट सामने आने के बाद ही डॉक्टर उसके अनुसार इलाज करते हैं.

आप यहां दिए लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं कि स्लीप डिसऑर्डर का इलाज किस प्रकार किया जाता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट क्या है और ये क्यों किया जाता है -

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  1. पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट क्या है?
  2. पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट क्यों किया जाता है?
  3. पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट का रिस्क
  4. पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट का रिजल्ट
  5. सारांश
पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट : क्या है, क्यों किया जाता है, रिस्क व रिजल्ट के डॉक्टर

पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट नींद से जुड़ा एक अध्ययन है. इसमें विस्तृत जांच की जाती है, जिससे स्लीप डिसऑर्डर का पता लगाया जा सकता है. पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट ब्रेन की तरंगों, खून में ऑक्सीजन स्तर, हार्ट रेट और ब्रीदिंग को रिकॉर्ड करने के साथ ही आंख और पैरों के मूवमेंट को भी रिकॉर्ड करता है. पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट को हॉस्पिटल के स्लीप डिसऑर्डर यूनिट या स्लीप सेंटर में किया जाता है. इसे अमूमन रात के समय ही किया जाता है. स्लीप डिसऑर्डर का पता लगाने के साथ ही पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की मदद से पहले से स्लीप डिसऑर्डर के इलाज को एडजस्ट किया जा सकता है या उसे शुरू करने के लिए भी किया जा सकता है.

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पॉलीसोम्नोग्राफी नींद के विभिन्न स्तरों और साइकल को मॉनिटर करता है. साथ ही इसके जरिए यह भी पता चलता कि नींद कब प्रभावित हो रही है. इसमें मुख्य रूप से ब्रीदिंग रेट, एयरफ्लो, ऑक्सीजन स्तर और हार्ट रेट को रिकॉर्ड किया जाता है. आमतौर पर निम्न स्थितियों में पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट किया जाता है -

स्लीप एपनिया या अन्य नींद संबंधी ब्रीदिंग डिसऑर्डर

इस स्थिति में व्यक्ति की सांस लेने की क्षमता नींद के दौरान बार-बार रुकती है और शुरू होती है. इस समय व्यक्ति तेज खर्राटे भी ले सकता है और उसकी नींद बार-बार टूट भी सकती है.

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पीरियॉडिक लिम मूवमेंट डिसऑर्डर

इस स्लीप डिसऑर्डर में नींद के दौरान व्यक्ति अपने पैरों को मोड़ता और फैलाता है. इस स्थिति को कई बार रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से जोड़कर देखा जाता है.

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नार्कोलेप्सी

दिन में बहुत ज्यादा ड्राउजीनेस और अचानक से नींद आने की इस स्थिति को नार्कोलेप्सी कहा जाता है.

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आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर

रैपिड आई मूवमेंट के समय ब्रेन की एक्टिविटी ज्यादा रहती है. इस समय व्यक्ति सपने देख रहा होता है. इस स्लीप डिसऑर्डर में व्यक्ति सोते हुए जो सपने देखता है, उसी तरह व्यवहार करने लगता है.

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नींद के दौरान अजीब हरकतें करना

अगर कोई व्यक्ति सोते हुए चलता है या उसके रिदम वाले मूवमेंट्स होते हैं, तो भी डॉक्टर पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं.

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बिना कारण क्रोनिक इनसोम्निया

अगर नींद आने में बहुत दिक्कत होती है या हमेशा नींद आती रहती है, तो भी पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है.

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पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट से किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है, इसलिए इसे बिना रिस्क वाला टेस्ट माना गया है. टेस्ट के दौरान इलेक्ट्रोड को त्वचा के साथ लगाया जाता है, जिस कारण त्वचा में हल्की जलन महसूस हो सकती है. इसके अलावा, पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट को और कोई रिस्क नोट नहीं किया गया है.

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इस टेस्ट की रिपोर्ट आने में करीब 3 दिन लग सकते हैं. इसका रिजल्ट निम्न प्रकार से हो सकता है -

अगर पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की रिपोर्ट सही नहीं है, तो नींद से जुड़ी निम्न प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं -

  • स्लीप एपनिया या अन्य श्वास संबंधी विकार
  • दौरा संबंधी विकार
  • पीरियोडिक लिंब मूवमेंट डिसऑर्डर या अन्य मूवमेंट डिसऑर्डर
  • नार्कोलेप्सी या दिन के समय असामान्य थकान

स्लीप एपनिया की पहचान करने के लिए डॉक्टर पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट रिपोर्ट की निम्न प्रकार से समीक्षा कर सकते हैं

  • एपनिया की फ्रीक्वेंसी को चेक करना, जो तब होती है जब सांस 10 सेकंड या उससे अधिक समय तक रुकती है.
  • हाइपोपेनिया की फ्रीक्वेंसी चेक करना, जो तब होती है जब सांस 10 सेकंड या उससे अधिक समय के लिए रुक जाती है.

इसके बाद डॉक्टर टेस्ट के रिजल्ट को एपनिया हाइपोपेना इंडेक्स (एएचआई) के साथ चेक कर सकता है. एएचआई स्कोर का 5 से कम होना सामान्य माना जाता है. सामान्य मस्तिष्क तरंग और मांसपेशियों की गति के डेटा के मिलकर यह डेटा बताता है कि मरीज को स्लीप एपनिया नहीं है. वहीं, अगर एएचआई का स्कोर 5 या उससे अधिक होता है, तो इसे असामान्य माना जाता है. एएचआई का चार्ट कुछ इस तरह से है -

  • अगर एएचआई स्कोर 5 से 15 तक है, तो इसे माइल्ड स्लीप एपनिया माना जाता है.
  • 15 से 30 का एएचआई स्कोर मध्यम स्लीप एपनिया का संकेत देता है.
  • 30 से अधिक एएचआई स्कोर गंभीर स्लीप एपनिया का संकेत देता है.

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पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट को सोते समय किया जाता है. इस समय डॉक्टर नींद के पैटर्न को रिकॉर्ड करता है और पता लगाया जाता है कि कहीं कोई स्लीप डिसऑर्डर तो नहीं है. स्लीप एपनिया, आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर जैसी स्थिति में पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट किया जाता है.

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