कहते हैं अच्छी नींद लेना स्वस्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। पर्याप्त नींद आपके मन-मतिष्तक को चुस्त और तंदुरुस्त रखने में सहायक होती है। हालांकि, अपर्याप्त या जरूरत से ज्यादा नींद आपको बीमार कर सकती है। एक रिसर्च के मुताबिक ज्यादा सोना आपके लिए जानलेवा हो सकता है, क्योंकि दिन-रात सोने से स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है, जो आगे चलकर मुत्यु का कारण बन सकता है।

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि किस प्रकार नींद में आई कमी स्ट्रोक का कारण बन सकेती है -

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  1. क्या कहती है रिसर्च?
  2. कैसे की गई रिसर्च?
  3. ऐसे लोगों में स्ट्रोक का ज्यादा खतरा
  4. विशेषज्ञों की राय
  5. सारांश
8 घंटे से ज्यादा सोने और दिनभर ऊंघने से बढ़ता है स्ट्रोक का खतरा के डॉक्टर

जरनल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 1.5 करोड़ लोगों को स्ट्रोक आता है। इनमें से लगभग 60 लाख लोगों की मौत जाती है, जबकि 50 लाख विकलांगता के साथ जीने को मजबूर होते हैं।

  • सिर्फ अमेरिका में ही हर साल 7 लाख 95 हजार से अधिक लोगों को स्ट्रोक आता है।
  • हालांकि, स्ट्रोक के लिए पारंपरिक जोखिम कारकों की एक लंबी सूची है, जिसमें जीवनशैली यानि लाइफ स्टाइल से जुड़े कई तत्व शामिल हैं। इसमें धूम्रपान करना और मधुमेह (शुगर या डायबिटीज) जैसी गंभीर स्थितियां भी आती हैं।
  • ताजा रिसर्च के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने संभावित जोखिम कारक के रूप में नींद की अवधि को स्ट्रोक की वजह माना है, क्योंकि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि बहुत अधिक या बहुत कम नींद स्ट्रोक सहित हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकती है।
  • इन निष्कर्षों के अनुसार, नियमित रूप से नींद न आना और हर रात 7 घंटे से अधिक समय तक सोना स्ट्रोक के जोखिम को बहुत अधिक तक बढ़ता है।

(और पढ़ें - ज्यादा नींद आने के कारण)

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चीन के वुहान में, हुआजोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डॉक्टर श्याओमिन जैंग और उनकी टीम ने अध्ययन के लिए देश में 31,750 लोगों से आंकड़े इकट्ठा किए हैं। स्टडी में शामिल लोगों की औसत आयु 62 वर्ष थी और इनमें से किसी में भी स्टडी की शुरुआत में स्ट्रोक या अन्य कोई गंभीर समस्याएं नहीं पाई गई।

  • शोधकर्ताओं की यह क्लीनिकल रिसर्च करीब 6 साल तक चली, जिसमें लोगों से उनके सोने के तरीके और सोने से जुड़ी आदतों (जैसे झपकियां लेने) के बारे में सवाल पूछे गए थे।
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन में शामिल 8 प्रतिशत लोगों में 90 मिनट से अधिक समय तक झपकी लेने की आदत थी और 24 प्रतिशत लोगों ने रात के समय कम से कम 9 घंटे सोने की बात कही।
  • रिसर्च के दौरान, करीब 1,557 प्रतिभागियों के अंदर स्ट्रोक के लक्षण पाए गए। जो हर रात करीब 7 से 8 घंटे सोते थे, उनकी तुलना में रात के वक्त 9 घंटे से ज्यादा सोने वाले लोगों ने 23 प्रतिशत अधिक स्ट्रोक का खतरा पाया गया।
  • अध्ययकर्ताओं ने पाया कि 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों की तुलना में जो लोग 7 घंटे से कम या 8 से 9 घंटे होने वालों में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग 9 घंटे सोने के बाद भी दिन में 90 मिनट तक की झपकियां लेते थे, उनमें 7-8 घंटे सोने वाले लोगों की तुलना में स्ट्रोक का जोखिम 85 प्रतिशत अधिक था।

  • नींद की गुणवत्ता बेहतर स्वास्थ्य में अच्छी भूमिका निभाती है, क्योंकि जो अच्छी नींद ले रहे थे, उनकी तुलना में नींद की खराब आदत वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा 29 प्रतिशत अधिक था।
  • रिसर्च के परिणाम से पता चलता है कि नींद की खराब आदतों का मुख्य कारण हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), डायबिटीज और धूम्नपान हो सकता है।

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डॉक्टर श्याओमिन जैंग की मानें तो यह समझने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है कि लंबे समय तक झपकी लेना और रात में अधिक समय तक सोने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन पिछले अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक झपकी लेने और सोने वाले लोगों के कोलेस्ट्रॉल के स्तर में प्रतिकूल परिवर्तन होते हैं, जो कि स्ट्रोक जोखिम के कारक हैं।

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कम नींद लेने से न केवल स्ट्रोक हो सकता है बल्कि अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। नींद पूरी न होने से हृदय रोग और अनिद्रा का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हर रात कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेना जरूरी है।

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