किसी व्यक्ति का बढ़ता वजन और मोटापा उसकी सेहत पर कई तरह से नकारात्मक असर डालता है। मोटापे के कारण व्यक्ति को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसे- कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा शरीर का वजन अधिक होने के कारण हड्डी, जोड़, लिवर और किडनी की बीमारियां होने की आशंका भी बनी रहती है। ये सारी बातें इसी ओर इशारा करती हैं कि मोटापा, आपकी शारीरिक सेहत से जुड़ी बीमारियों के लिए किस तरह से जिम्मेदार है। लेकिन अब एक नई स्टडी सामने आयी है, जिसमें यह बताया गया है कि मोटापा, मस्तिष्क के कार्यों को प्रभावित कर मानसिक सेहत को भी बिगाड़ सकता है।

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जैसे-जैसे वजन बढ़ता है, ब्रेन में रक्त का प्रवाह घटने लगता है
जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स डिजीज में हाल में प्रकाशित एक स्टडी में बताया गया है कि जैसे-जैसे व्यक्ति का वजन बढ़ने लगता है, मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह (ब्लड सर्कुलेशन) कम होने लगता है जिससे अंततः मानसिक सेहत से जुड़ी बीमारी अल्जाइमर्स होने का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन से पता चलता है कि मस्तिष्क के कार्यों में सुधार करने और अल्जाइमर्स रोग के जोखिम को कम करने के लिए मोटापे को टार्गेट किया जा सकता है। 

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आपको भुलक्कड़ बना सकता है
इस स्टडी के अनुसंधानकर्ता डॉ डैनियल जी एमेन कहते हैं, 'हमारी इस स्टडी में यह बात सामने आयी है कि अगर किसी व्यक्ति का वजन अधिक है या फिर अगर वह मोटापे का शिकार है इसका उसकी ब्रेन ऐक्टिविटी पर गंभीर असर पड़ता है, जिससे वह व्यक्ति न केवल अल्जाइमर्स से ग्रस्त हो सकता है, बल्कि यह उस व्यक्ति के मस्तिष्क के कार्य को भी विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर सकता है। मोटापा आपको भुलक्कड़ बना सकता है और यह समय के साथ आपकी सोच और समझ के कौशल को भी कम कर सकता है।'  

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व्यक्ति के वजन और मस्तिष्क के कार्य के बीच क्या है लिंक?
व्यक्ति के वजन और मस्तिष्क के कार्यों के बीच क्या लिंक है इसे समझने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने 17 हजार से ज्यादा प्रतिभागियों के ब्रेन स्कैन की जांच की। कुल मिलाकर 35 हजार से ज्यादा इमेज को देखा गया। स्टडी का लक्ष्य प्रतिभागियों के संपूर्ण मस्तिष्क के कार्य और पूरे मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को मापना और यह देखना था कि क्या उन संख्याओं और प्रतिभागियों के वजन के बीच कोई लिंक मौजूद है। स्टडी में इस तथ्य को भी हाइलाइट किया गया कि मस्तिष्क में रक्त का कम प्रवाह और मोटापा दोनों ही अल्जाइमर्स के विकास के जोखिम को बढ़ाते हैं।

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हम आपको मोटापे के उन मस्तिष्क पर पड़ने वाले उन 3 प्रभावों के बारे में बता रहे हैं जो समय के साथ अध्ययन में सुझाए गए हैं:

1. आपका मस्तिष्क तेजी से बूढ़ा होने लगता है
इंसान के मस्तिष्क के बिलकुल गहरे हिस्से में कुछ होता है जिसे वाइट मैटर या श्वेत पदार्थ कहते हैं। ये श्वेत पदार्थ व्यक्ति को नई-नई चीज सीखने और हुनर की खोज करने में मदद करते हैं, हालांकि जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने लगती है इस श्वेत पदार्थ का लेवल भी घटने लगता है। अब, इस बारे में होने वाले अध्ययनों से पता चला है कि मोटापे के कारण किसी व्यक्ति का मस्तिष्क और ज्यादा तेजी से बूढ़ा होने लगता है। सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में मोटे लोगों के मस्तिष्क में श्वेत पदार्थ की संख्या कम होती है। 473 लोगों पर की गई एक स्टडी में यह बताया गया कि स्वस्थ लोगों की तुलना में मोटे लोगों का ब्रेन 10 साल अधिक वृद्ध होता है। 

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इतना ही नहीं मोटापा आपके संपूर्ण मस्तिष्क के साइज को भी कम कर देता है। यूके में हुए एक स्टडी के मुताबिक, मोटे लोगों का मस्तिष्क छोटा होता है और उसमें ग्रे मैटर भी बहुत कम होता है। ब्रेन की बाहरी सतह ग्रे मैटर से बनी होती है। ब्रेन का यह हिस्से हमें रोजाना के जीवन में बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है क्योंकि यही वह हिस्सा है जो गतिविधियों, भावनाओं और याददाश्त को कंट्रोल करता है।

2. आपको ज्यादा खाने के लिए प्रेरित करता है
जरूरत से ज्यादा खाना भी मोटापे के प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि, कई बार मोटापा आपके मस्तिष्क में इस तरह से बदलाव कर देता है जिससे आप अधिक मात्रा में भोजन (ओवरईटिंग) करने लगते हैं। जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक स्टडी में यह संकेत दिया गया कि मोटापा मस्तिष्क के उस क्षेत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जो आपको अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थ को खाने के बाद आनंददायक अनुभूति देता है। नतीजतन, मोटे लोग ज्यादा भोजन खाने लगते हैं उस आनंददायक अनुभूति को पाने के लिए जो उन्हें पहले कम खाने पर आती थी। इस कारण एक विषम चक्र जैसा शुरू हो जाता है जिसमें व्यक्ति अधिक भोजन करता जाता है और उसका वजन बढ़ता जाता है।

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3. डिमेंशिया और याददाश्त खोने का खतरा 
यूके में हुई एक स्टडी में दावा किया गया कि स्वस्थ वजन वाले लोगों की तुलना में मोटे लोगों में जीवन के बाद के सालों में डिमेंशिया (याददाश्त और संज्ञान खोना) विकसित होने का खतरा बहुत अधिक होता है। खासकर, महिलाओं में और उन लोगों में जिनके पेट के आसपास चर्बी अधिक है उनमें यह खतरा और भी ज्यादा है।

लिहाजा अब तक हो चुके कई अध्ययनों में यही सुझाव दिया गया है कि मोटापा मस्तिष्क में रक्त प्रवाह (ब्लड सर्कुलेशन) को कम कर देता है और शरीर में विभिन्न मेटाबॉलिक (चयापचय संबंधी) गड़बड़ी का कारण बन सकता है और मस्तिष्क अंततः डिमेंशिया या मनोभ्रंश की ओर चला जाता है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिर्फ मोटापे की वजह से ही नहीं बल्कि हाइपरटेंशन और बाकी समस्याएं जो मोटापे के कारण उत्पन्न होती हैं वे सभी मिलकर डिमेंशिया के खतरे को बढ़ाती हैं।

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याददाश्त को भी खराब कर सकता है
चूहों पर की गई स्टडी में यह दिखाया गया कि मोटापे के कारण मस्तिष्क में कुछ ऐसे परिवर्तन होते हैं जो आपकी याददाश्त को खराब कर सकते हैं। मेनोपॉज के बाद वाली महिलाओं पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि अस्वस्थ मोटापा (शरीर का अत्यधिक वजन) स्मृति काल में कमी का कारण बन सकता है।

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