लिवर हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक होता है. यह शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है. लिवर विषाक्त पदार्थों को रक्त से डिटॉक्स करता है और रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है. इसके अलावा, लिवर पित्त का उत्पादन करता है व प्रोटीन बनाने का काम करता है. ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए लिवर की सेहत पर ध्यान देना जरूरी है. हालांकि, लिवर को कई रोग डैमेज कर सकते हैं. इसमें सीलिएक रोग भी शामिल है.

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आज इस लेख में आप सीलिएक रोग और लिवर खराब होने के बीच के संबंध के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. सीलिएक रोग व लिवर के बीच क्या संबंध है?
  2. सीलिएक रोग से होने वाली लिवर की बीमारियां
  3. सीलिएक रोग वाले लोग लिवर खराब होने से कैसे बचें?
  4. सारांश
सीलिएक रोग व लिवर खराब होने के बीच संबंध के डॉक्टर

सीलिएक रोग और लिवर के बीच गहरा संबंध माना जाता है. सीलिएक रोग वाले लोगों में लिवर एंजाइम बढ़ा हुआ हो सकता है. ये कभी-कभी लिवर की समस्या का संकेत दे सकता है, लेकिन लिवर में बढ़ा हुआ एंजाइम हमेशा लिवर की बीमारी पैदा नहीं करता है. इसके अलावा, सीलिएक रोग वाले लोगों में लिवर खराब होने का जोखिम भी काफी अधिक रहता है. इन लोगों को फैटी लिवर व लिवर फेलियर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. हालांकि, जब सीलिएक रोग का उपचार ग्लूटेन फ्री डाइट के रूप में शुरू होता है, तो लिवर एंजाइम धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और लिवर के स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है. 

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सीलिएक रोग कई तरह की लिवर की समस्याओं का कारण बन सकता है. इसमें शामिल हैं -

अधिक लिवर एंजाइम

सीलिएक रोग वाले लोगों में लिवर एंजाइम का स्तर अधिक पाया जा सकता है, लेकिन ऐसा हर राेगी के साथ नहीं होता. लिवर एंजाइम के स्तर का पता लगाने के लिए एस्पार्टेट एमिनोट्रांस्फरेज (एएसटी) और एलेनिन एमिनोट्रांस्फरेज (एएलटी) मेडिकल टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है. ये टेस्ट तब करवाए जाते हैं, जब लिवर की समस्या होती है या फिर लिवर ठीक से काम नहीं करता है. रिसर्च की मानें तो 42 प्रतिशत सीलिएक रोगियों में लिवर एंजाइम हल्के से बढ़े होते हैं. ग्लूटेन फ्री डाइट के बाद ये बढ़े हुए एंजाइम भी सामान्य हो जाते हैं.

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फैटी लिवर रोग

सीलिएक रोग के चलते नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोग की समस्या हो सकती है. फैटी लिवर रोग में लिवर की कोशिकाओं में वसा के अणु जमा हो जाते हैं और लिवर का आकार बढ़ जाता है. रिसर्च में सीलिएक रोग और फैटी लिवर रोग के बीच गहरा संबंध बताया गया है.

एक अध्ययन के अनुसार, सीलिएक रोग वाले अधिकतर लोगों में नॉन एल्कोहालिक लिवर रोग का जोखिम काफी बढ़ जाता है. आपको बता दें कि सीलिएक रोग वाले लोगों में फैटी लिवर रोग विकसित होने का जोखिम लगभग 3 गुना अधिक होता है. हैरानी की बात यह है कि सीलिएक वाले बच्चों में वयस्कों और बुजुर्गों की तुलना में फैटी लिवर की बीमारी का खतरा अधिक होता है.

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ऑटोइम्यून लिवर रोग

कई रिसर्च में साबित हुआ है कि सीलिएक रोग वाले कई लोगों को ऑटोइम्यून लिवर रोग होने की आशंका भी अधिक होती है. ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली लिवर की कोशिकाओं पर हमला करती है और लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है. इस स्थिति में लिवर फेलियर और हेपेटाइटिस जैसे गंभीर रोग उत्पन्न हो सकते हैं. इस स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ सकती है.

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सीलिएक रोग वाले लोग ग्लूटेन फ्री डाइट लेकर लिवर खराब होने के जोखिम को कम कर सकते हैं. दरअसल, ग्लूटेन फ्री डाइट लेने से बढ़े हुए लिवर एंजाइम धीरे-धीरे कम होने लगते हैं, जिससे लिवर रोगों का खतरा कम होने लगता है. वहीं, कुछ स्थितियों में सीलिएक रोग की वजह से होने वाले लिवर रोग का इलाज संभव नहीं होता है. ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है.

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सीलिएक रोग एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है. यह तब होता है, जब कोई व्यक्ति ग्लूटेन रिच डाइट लेता है. ग्लूटेन गेहूं, जौ, राई और अन्य अनाजों में पाया जाने वाला एक प्रोटीन होता है. जब सीलिएक रोग से ग्रस्त कोई व्यक्ति ग्लूटेन लेता है, तो उसका शरीर प्रोटीन के प्रति अधिक प्रतिक्रिया करता है और समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. सीलिएक रोग, लिवर को भी प्रभावित कर सकता है. सीलिएक रोग वाले लोगों को लिवर फेलियर, सिरोसिस, फैटी लिवर और हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन ग्लूटेन फ्री डाइट लेने से इनसे बचा जा सकता है.

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