पीलिया उस स्थिति या समस्या को कहते हैं जब आपकी त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ने लगता है। पीलिया को अंग्रेजी में “जॉन्डिस” (Jaundice) कहा जाता है। ये समस्या तब होती है जब "बिलीरुबिन" (Bilirubin) नामक पीले रंग का एक पदार्थ हमारे शरीर में एकत्रित होने लगता है। ये पदार्थ तब बनता है जब शरीर की मृत लाल रक्त कोशिकाएं टूटती हैं। आमतौर पर बिलीरुबिन मल के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाने पर ये शरीर में इकठ्ठा होने लगता है, जिसके कारण पीलिया होता है।

(और पढ़ें - पीलिया के घरेलू उपाय)

पीलिया का सबसे मुख्य लक्षण होता है त्वचा और आंखों का पीला होना। इसके अलावा जॉन्डिस में अन्य समस्याएं भी होती हैं, जैसे बुखार, सिरदर्द, कब्ज, पेट दर्द आदि। नवजात शिशुओं को पीलिया की शिकायत होती है, जो देखभाल और दवाओं से ठीक की जा सकती है।

(और पढ़ें - नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण)

पीलिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे कई टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। पीलिया के इलाज के लिए घरेलू उपाय, एंटीबायोटिक या खून चढाने जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

(और पढ़ें - एंटीबायोटिक लेने से पहले ध्यान रखने वाली बातें)

इस लेख में जॉन्डिस (पीलिया) हो जाए तो क्या करना चाहिए और इसके लिए डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।

  1. पीलिया होने पर क्या करना चाहिए - Jaundice ho jaye to kya kare
  2. जॉन्डिस के लिए डॉक्टर के पास कब जाएं - Piliya hone par doctor ke pas kab jana chahiye

पीलिया होने पर कई तरह के टोटके किए जाते हैं, लेकिन हम आपको ये सलाह देंगे कि इन टोटकों के प्रभाव में न आएं और इसके लक्षण अनुभव होने पर अपने डॉक्टर के पास जाएं। पीलिया के लिए आपके डॉक्टर आपको सही इलाज देंगे। इसके लिए निम्नलिखित प्राथमिक उपचार किया जा सकता है -

  • पीलिया से ग्रस्त व्यक्ति को पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है ताकि वह जल्द से जल्द ठीक हो सके। (और पढ़ें - रात को जल्दी सोने के उपाय)
  • नवजात शिशुओं को पीलिया होने पर कुछ समय के लिए धूप का सेक लगवाना चाहिए। इसके सही तरीके के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। (और पढ़ें - नवजात शिशु को पीलिया का इलाज)
  • जॉन्डिस होने पर दिन में तीन बार पेट भर के खाना खाने की बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में कम खाना खाएं। (और पढ़ें - खाना खाने का सही समय)
  • पीलिया में कम फैट वाला और संतुलित आहार खाना चाहिए। (और पढ़ें - सैचुरेटेड फैट क्या है)
  • पीलिया एक लिवर में होने वाली समस्या है, इसीलिए पीलिया होने पर शराब बिलकुल न पिएं। ऐसा करने से आपके लिवर को और अधिक नुकसान होगा और आपकी समस्या बढ़ेगी। अगर आपको शराब पीने की लत है, तो इसे छोड़ने का प्रयास करें। (और पढ़ें - शराब की लत छुड़ाने के घरेलू उपाय)
  • जॉन्डिस में बहुत तेज गर्म, तला हुआ, पचाने में मुश्किल और ज्यादा मसालेदार खाना नहीं खाना चाहिए। स्वाद बनाने के लिए नमक और मसालों की जगह आप नींबू या नींबू के रस का उपयोग कर सकते हैं। (और पढ़ें - नींबू पानी के फायदे)
  • शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए पीलिया होने पर पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेते रहें, खासकर पानी। पूरे दिन थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीने की आदत डालें। आप चाहें तो जूस भी पी सकते हैं। (और पढ़ें - पानी कैसे पीना चाहिए)
  • बकरी के दूध में एंटीबाडीज और कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो पीलिया ठीक करने के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। अगर आपको या आपके बच्चे को पीलिया है, तो रोजाना एक गिलास बकरी का दूध पीने से आपको आराम मिल सकता है। (और पढ़ें - गाय के दूध का बकरी के दूध का महत्व)
  • जॉन्डिस के लिए कई लोग अलग-अलग प्रकार के सप्लीमेंट्स, दवाएं और जड़ी बूटियां लेते हैं, जिनसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसीलिए इन पदार्थों से दूर रहें। अगर आप पीलिया के लिए कोई दवा लेना भी चाहते हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से अवश्य बात कर लें। (और पढ़ें - पीलिया के लिए डाइट चार्ट)
  • पीलिया होने पर आपको आराम करने की आवश्यकता होती है, इसीलिए कोई एक्सरसाइज या शारीरिक परिश्रम वाला काम न करें। (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
  • अगर आपके बच्चे को पीलिया हुआ है और आप उसे स्तनपान कराती हैं, तो उसे पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाते रहें। (और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं)
  • लहसुन में ऐसे पदार्थ होते हैं, जो आपके लिवर को ठीक करते हैं और आप जॉन्डिस से जल्दी ठीक हो पाते हैं। रोजाना लहसुन की तीन से चार फांकें खाएं। अगर आप लहसुन कच्चा चबा नहीं सकते हैं, तो इसे अपने खाने में मिलाकर खाएं। (और पढ़ें - खाली पेट लहसुन खाने का तरीका)
  • अगर आपको पीलिया है, तो चीनी का सेवन कम करें और अपनी चाय या कॉफी में चीनी का उपयोग न करें। (और पढ़ें - चीनी की लत दूर करने के उपाय)
  • अगर आप पहले से ही कोई दवाएं ले रहे हैं, तो पीलिया होने पर कोई भी दवा या सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें क्योंकि कुछ दवाएं आपकी लिवर की समस्या को और बढ़ा सकती हैं। (और पढ़ें - लिवर रोग के लक्षण)
  • गुस्से या चिंता के कारण पीलिया में होने वाले लक्षण और बढ़ सकते हैं, इसीलिए ऐसी स्थिति में चिंता न करें और गुस्से को नियंत्रित करने का प्रयास करें। (और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)
  • अदरक एक ऐसा उपाय है, जिससे लिवर स्वस्थ रहता है और पीलिया जल्दी ठीक होता है। इसके लिए थोड़े अदरक को कूटकर एक गिलास पानी में डालें और उबाल लें। इसके बाद इस पानी को छान लें और थोड़ा ठंडा होने दें। पानी को हल्का गुनगुना ही पिएं। (और पढ़ें - गुनगुना पानी पीने के फायदे)
  • अगर आप फुल क्रीम या मलाई वाला दूध लेते हैं, तो पीलिया ठीक हो जाने तक टोंड या बिना मलाई वाला दूध लें। (और पढ़ें - मलाई फेस पैक)
  • पीलिया होने पर कई लोगों को खुजली होने लगती है। ऐसी स्थिति में ढीले कपडे पहनें और बाहर धूप में न जाएं। आप चाहें तो खुजली के लिए दवा भी ले सकते हैं, लेकिन ये लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लें और दवा के पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू उपाय)
  • जॉन्डिस होने पर भट्टी में न जाएं और ऐसी कोई भी गर्म जगह में काम करने से बचें। (और पढ़ें - धूप से जली त्वचा का इलाज)
  • दही लेने से शरीर में बिलीरुबिन का स्तर कम होता है, इसीलिए पीलिया होने पर दही खाएं। नवजात शिशुओं के लिए भी ये लाभकारी उपाय है, इसीलिए अगर आप अपने बच्चे को दूध पिलाती हैं, तो अधिक दही लेने का प्रयास करें ताकि आपके बच्चे का पीलिया जल्दी सही हो सके। (और पढ़ें - रात को दही खाना चाहिए या नहीं)
  • ऐसी कोई भी चीज का सेवन न करें, जिसमें अल्कोहल हो। इसकी जगह ऐसी चीज लें जिसमें अल्कोहल न हो और कैलोरी भी कम हो। (और पढ़ें - मुंहासों के लिए अल्कोहल का उपयोग)
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पीलिया के लक्षण अनुभव करने पर आपको हमेशा डॉक्टर के पास जाना चाहिए, क्योंकि ये किसी अंदरूनी गंभीर समस्या का संकेत हो सकते हैं। अगर पीलिया का इलाज सही समय पर और सही तरीके से न किया जाए, तो इससे कुछ गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।

निम्नलिखित स्थितियों में अपने डॉक्टर के पास अवश्य जाएं -

अगर घरेलू उपाय और प्राथमिक उपचार करने के बाद भी आपके पीलिया के लक्षण ठीक नहीं हो रहे हैं, तो बिना वक्त बर्बाद किए तुरंत अपने डॉक्टर के पास चले जाएं।
 

नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पताल​ से तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है।

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