फैटी लिवर ऐसी बीमारी है, जो लिवर में फैट जमा होने के कारण होती है. यह बीमारी दो प्रकार की होती हैं - एल्कोहलिक और नॉन एल्कोहलिक. एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या शराब पीने की वजह से होती है, जबकि नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोग का शराब से कोई संबंध नहीं होता है. नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोग मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल वाले लोगों में अधिक देखने को मिलता है. यह एक गंभीर बीमारी होती है और लिवर फेलियर का कारण बन सकती है. फिलहाल, इसका इलाज करने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है. इसके लक्षणों को सिर्फ खान-पान और जीवनशैली को बेहतर करके ही कम किया जा सकता है.

आप यहां दिए लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं कि फैटी लिवर का इलाज क्या है.

आज इस लेख में आप फैटी लिवर रोग के लिए कुछ कारगर प्राकृतिक उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज)

  1. फैटी लिवर के लक्षणों को कम करने के प्राकृतिक उपाय
  2. सारांश
फैटी लिवर रोग के प्राकृतिक उपाय के डॉक्टर

अगर किसी को फैटी लिवर रोग है, ताे डॉक्टर से इलाज करवाना जरूरी होता है, ताकि फैटी लिवर की वजह से लिवर को डैमेज होने से बचाया जा सके. इसके साथ ही आप कुछ प्राकृतिक उपाय भी आजमा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं -

अतिरिक्त वजन कम करें

अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लिवर डिजीज के अनुसार, मोटापा नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग का मुख्य कारण हो सकता है. ऐसे में वजन कम करके फैटी लिवर रोग के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है.

दरअसल, जब मोटापे से ग्रस्त लोगों को नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोग होता है, तो उसे अपने शरीर के वजन का 3 से 5 प्रतिशत वजन कम करना लाभकारी हो सकता है. वहीं, अगर वह 7 से 10 प्रतिशत वजन कम करता है, तो फैटी लिवर रोग के लक्षणों में काफी सुधार हो सकता है. वजन कम होने पर सूजन और फाइब्रोसिस को कम करने में मदद मिल सकती है.

(और पढ़ें - फैटी लिवर के घरेलू उपाय)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Yakritas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को लिवर से जुड़ी समस्या (फैटी लिवर, पाचन तंत्र में कमजोरी) में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Liver Detox Tablets
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें

मेडिटेरेनियन डाइट लें

मेडिटेरेनियन डाइट एक प्लांट बेस्ड डाइट होती है. इस डाइट में फल और सब्जियों का अधिक सेवन किया जाता है. इसमें आप जामुनसेबसंतराब्रोकलीगाजरखीराबैंगनटमाटर व फलियां आदि खा सकते हैं. वहीं, फैटी लिवर होने पर आप मसूर की दाल व चने की दाल आदि को भी अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं. इसके अलावा, आप नट्स और सीड्स का सेवन भी कर सकते हैं. इसमें आपको सिर्फ उन चीजों का सेवन करना होता है, जो सीधे तौर पर प्रकृति से प्राप्त होते हैं.

2017 के एक अध्ययन के अनुसार, मेडिटेरेनियन डाइट लेने से फैटी लिवर रोग के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है. यह डाइट लिवर में मौजूद फैट को कम कर सकती है. इसके अलावा, यह फैटी लिवर रोग के जोखिम कारकों, जैसे- हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को भी कंट्रोल करने में मदद कर सकती है. फैटी लिवर रोग के लक्षण महसूस होने पर इस डाइट को लेना शुरू कर देना अच्छा विकल्प हो सकता है.

(और पढ़ें - फैटी लिवर में क्या खाना चाहिए)

कॉफी पिएं

कॉफी भी फैटी लिवर रोग को कम करने में मदद कर सकती है. 2016 के एक अध्ययन के अनुसार, कॉफी पीने से फैटी लिवर की वजह से होने वाले सूजन को कम किया जा सकता है. इस अध्ययन में यह साबित हुआ कि कॉफी पीने से लिवर ऐसे एंजाइम का उत्पादन करता है, जो सूजन को कम कर सकता है. इसके साथ ही अध्ययन में यह भी पता चला है कि नियमित रूप से कॉफी पीने से नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोग वाले लोगों में लिवर को अधिक नुकसान नहीं पहुंचता है.

अगर किसी को फैटी लिवर रोग है, तो प्रतिदिन 2 कप कॉफी पी सकते हैं. रोजाना कॉफी पीने से लिवर की बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है. इसके लिए ब्लैक कॉफी पीना अच्छा विकल्प होता है, क्योंकि इसमें फैट और चीनी नहीं होती है. फैटी लिवर रोग होने पर आपको कॉफी में चीनी मिलाकर नहीं पीनी चाहिए. कॉफी में कैफीन होता है, इसलिए बहुत अधिक मात्रा में कॉफी पीने से बचें.

(और पढ़ें - फैटी लिवर की होम्योपैथिक दवा)

एक्टिव रहें

2017 के शोध के अनुसार, नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग के मामले उन लोगों में अधिक देखने को मिलते हैं, जो शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं. दरअसल, शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने की वजह से डायबिटीज और हृदय रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. ये रोग फैटी लिवर का कारण बन सकते हैं. ऐसे में अगर किसी को फैटी लिवर रोग है, तो एक्टिव रहना बहुत जरूरी है.

फैटी लिवर रोग के लक्षणों को कम करने के लिए सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए यानी रोजाना 30 मिनट की एक्सरसाइज की जा सकती है. अगर किसी के पास जिम जाने का समय नहीं है, तो सिर्फ जॉगिंग व वॉकिंग आदि भी कर सकते हैं. तेज गति से चलने से भी फैटी लिवर रोग में सुधार किया जा सकता है.

(और पढ़ें - लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज)

शुगर लेने से बचें

शुगर फैटी लिवर रोग के लक्षणों को खराब कर सकती है. इसलिए, अगर किसी व्यक्ति को फैटी लिवर रोग है, तो उसे शुगर से पूरी तरह से परहेज करना चाहिए. इस स्थिति में आइसक्रीम, जूस, कैंडी व केक आदि से परहेज करना चाहिए. इसी के साथ शुगर वाली कॉफी व चाय आदि से भी बचना चाहिए.

(और पढ़ें - लिवर की बीमारी के लिए व्यायाम)

हाई कोलेस्ट्रॉल डाइट से बचें

हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को फैटी लिवर रोग का मुख्य कारण माना जाता है. ऐसे में फैटी लिवर रोग के लक्षणों को कम करने के लिए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखना जरूरी होता है. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने के लिए सैचुरेटेड और ट्रांस फैट के सेवन से बचना चाहिए. सैचुरेटेड और ट्रांस फैट कोलेस्ट्रॉल व फैटी लिवर रोग के लक्षणों को खराब कर सकते हैं. इस स्थिति में हृदय और लिवर को बुरी तरह से नुकसान पहुंच सकता है.

(और पढ़ें - लिवर फैटी हो तो क्या करें)

ओमेगा 3 सप्लीमेंट्स

ओमेगा 3 सप्लीमेंट्स लिवर के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं, लेकिन ओमेगा 3 सप्लीमेंट्स को डॉक्टर की सलाह पर ही लें. इसके साथ ही आप मछली का तेल, नट्स व सीड्स आदि का सेवन कर सकते हैं. इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैट होते हैं, जो हृदय और लिवर के लिए अच्छे साबित होते हैं. ओमेगा-3 फैटी एसिड लिवर में फैट को कम कर सकता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार कर सकता है.

(और पढ़ें - लिवर रोग का होम्योपैथिक इलाज)

विटामिन-ई

विटामिन-ई एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट होता है. विटामिन-ई सप्लीमेंट्स या खाद्य पदार्थ लेना फैटी लिवर रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है. विटामिन-ई सप्लीमेंट्स नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग के कारण होने वाली सूजन को कम कर सकता है. ध्यान रहे कि विटामिन-ई सप्लीमेंट को सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही लें.

(और पढ़ें - लिवर को मजबूत करने के लिए क्या खाएं)

जड़ी-बूटियां

कुछ जड़ी-बूटियां भी फैटी लिवर रोग का प्राकृतिक उपाय हो सकते हैं. हल्दी, मिल्क थिसल और ग्रीन टी फैटी लिवर रोग के लक्षणों में कमी कर सकते हैं. इनमें मौजूद कंपाउंड्स लिवर हेल्थ में सुधार कर सकते हैं.

(और पढ़ें - लिवर इंफेक्शन में क्या खाएं)

फैटी लिवर रोग के मामलों में लगातार वृद्धि होती जा रही है. कई लोग एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग का सामना कर रहे हैं, तो कुछ लोग नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग से भी परेशान हैं. इस स्थिति में लिवर में फैट जमा हो जाता है, जिसकी वजह से लिवर में सूजन आने लगती है और गंभीर लक्षण महसूस होने लगते हैं. वैसे तो फैटी लिवर का इलाज डॉक्टर ही कर सकते हैं, लेकिन आप अपने इलाज के साथ-साथ कुछ प्राकृतिक उपायों को भी अपना सकते हैं.

(और पढ़ें - लिवर की गर्मी का इलाज)

Dr. Murugan N

Dr. Murugan N

हीपैटोलॉजी (यकृत पित्त अग्न्याशय चिकित्सा )
18 वर्षों का अनुभव

Dr. Ashwin P Vinod

Dr. Ashwin P Vinod

हीपैटोलॉजी (यकृत पित्त अग्न्याशय चिकित्सा )
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Rathod Bhupesh

Dr. Rathod Bhupesh

हीपैटोलॉजी (यकृत पित्त अग्न्याशय चिकित्सा )
6 वर्षों का अनुभव

Dr. Datta Sawangikar

Dr. Datta Sawangikar

हीपैटोलॉजी (यकृत पित्त अग्न्याशय चिकित्सा )
3 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें