मैजिक मशरूम में पाया जाने वाला एक सब्सटेंस मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर के इलाज में मददगार हो सकता है। अमेरिका की चर्चित जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 27 लोगों पर किए अपने अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है। इन शोधकर्ताओं की मानें तो मशरूम में पाए जाने वाले कंपाउंड साइलोसाइबिन पर आधारित ट्रीटमेंट डिप्रेशन के मरीजों पर सामान्य एंटीडीप्रेसेंट दवाओं से बेहतर काम करता है। इस जानकारी को जानी-मानी मेडिकल पत्रिका जामा सायकाइट्री में प्रकाशित किया गया है।

अध्ययन में साइलोसाइबिन को डिप्रेशन के मरीजों पर आजमाने के बाद मिले परिणामों पर बात करते हुए इसके लेखक ऐलन डेविस ने कहा कि पीड़ितों पर इस कंपाउंड का चार गुना बेहतर असर हुआ है। दरअसल, पूर्व में आए अध्ययनों में यह आशंका जताई गई थी कि साइलोसाइबिन डिप्रेशन के खिलाफ कारगर हो सकता है। इस संबंध में जॉन्स हॉपकिन्स का भी एक पिछला अध्ययन आ चुका है, जिसमें बताया गया था कि मशरूम में पाया जाने वाला यह कंपाउंड जानलेवा कैंसर मरीजों के डिप्रेशन और एंग्जाइटी को कम कर सकता है।

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अब नए ट्रायल आधारित अध्ययन में यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने डिप्रेशन के मरीजों को साइलोसाइबिन के दो डोज अलग-अलग दिनों पर दिए। साथ ही उन्हें 11 घंटों की साइकोथेरेपी भी दी गई। ट्रीटमेंट से जुड़ी जानकारी देते हुए डॉ. डेविस ने कहा, 'उनकी (मरीज) आंखों पर पट्टी बांध दी गई थी और हेडफोन देकर संगीत सुनने को कहा गया था। हमने उन्हें वास्तव में अपने भीतर झांकने और साइलोसाइबिन के प्रभाव के चलते महसूस होने वाले अनुभव के साथ आने को प्रोत्साहित किया।' डेविस का कहना है कि साइलोसाइबिन के प्रभाव में आधे मरीजों ने अपना ट्रीटमेंट तुरंत शुरू कर दिया। बाकी मरीजों को वेटिंगलिस्ट में डाल दिया गया ताकि उनका तब तक कंपैरिजन ग्रुप के रूप में इस्तेमाल किया जा सके, जब तक कि अगले आठ हफ्तों में उनका अपना ट्रीटमेंट शुरू नहीं होता।

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डेविस ने बताया, 'वेटिंग लिस्ट वाले समूह की अपेक्षा तुरंत ट्रीटमेंट शुरू करने वाले मरीजों में डिप्रेशन बहुत तेजी से कम हुआ और सामान्य एंटीडीप्रेसेन्ट दवाओं की अपेक्षा इस ट्रीटमेंट में उन्होंने कहीं ज्यादा तेजी के साथ रेस्पॉन्ड किया।' डेविस ने आगे बताया, 'पहले सेशन के एक दिन बाद ही प्रभाव दिखने लगा था, जो साइलोसाइबिन के दूसरे सेशन के दौरान पूरा एक महीने तक उसी कम स्तर पर बना रहा।'

इन परिणामों पर अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के स्कूल ऑफ मेडिसिन में सायकाइट्री के प्रोफेसर डॉ. चार्ल्स रेनॉल्ड्स का कहना है कि इस अध्ययन की विशेषता इसे कड़ाई के साथ अंजाम दिया जाना है। बता दें कि साइलोसाइबिन पर प्रोफेसर चार्ल्स द्वारा लिखे गए एक संपादकीय को अध्ययन में शामिल किया गया था। अब इसके परिणामों को लेकर उन्होंने प्रतिक्रिया दी है। इसमें चार्ल्स ने कहा है, 'मेरे विचार में यह अलग-अलग प्रकार के दीर्घकालिक डिप्रेशन के इलाज के लिए एक भरोसेमंद विकल्प है, जिसे बतौर ट्रीटमेंट आजमाया जा सकता है।'

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क्या है साइलोसाइबिन?
यह एक केमिकल कंपाउंड है, जो विशेष प्रकार के ड्राई या फ्रेश हैल्युसिनेजेनिक मशरूम या मैजिक मशरूमों पाया जाता है। ये कवल (फंजाई) मैक्सिको, दक्षिण अमेरिका और अमेरिका के दक्षिण और उत्तर-पश्चिमी इलाकों में पाए जाते हैं। साइलोसाइबिन को इन्डोल-अल्काइलमाइन नामक विशेष ड्रग श्रेणी में गिना जाता है। इन कंपाउंडों का स्ट्रक्चर लिसर्जिक एसिड डाइथायलेमाइड जैसा होता है और अपने हैल्युसिनोजेनिक (भ्रम पैदा करने वाले) और यूफॉरिक (परम सुख देने वाले) प्रभावों की वजह से इनका काफी ज्यादा दुरुपयोग किया जाता है। साइकिडेलिक ट्रीटमेंट के हैल्युसिनोजेनिक प्रभाव सेंट्रल नर्वस सिस्टम के सेरोटोनिन रिसेप्टर्स में होने वाली प्रतिक्रिया के कारण देखने को मिलते हैं। बताया जाता है कि दुनियाभर में 180 से ज्यादा अलग-अलग प्रकार के मशरूमों में साइलोसाइबिन केमिकल पाया जाता है। इनके सिंथैटिक वर्जन लैब में भी तैयार किए जा सकते हैं।

संदर्भ

  1. Davis A.K., Barrett F.S., May D.G., et al. Effects of psilocybin-assisted therapy on major depressive disorder: A randomized clinical trial. JAMA Psychiatry. Published online 4 November 2020. doi:10.1001/jamapsychiatry.2020.3285
  2. India State-Level Disease Burden Initiative Mental Disorders Collaborators. The burden of mental disorders across the states of India: the Global Burden of Disease Study 1990–2017. The Lancet Psychiatry, 1 February 2020; 7(2): 148-161. Published online: 20 December 2019 DOI:https://doi.org/10.1016/S2215-0366(19)30475-4
  3. Gordon J. for National Institute of Mental Health, National Institute of Health, U.S. [Internet]. New hope for treatment-resistant depression: guessing right on ketamine, 13 August 2019.
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