अमेरिका के फिलेडेल्फिया स्थित चर्चित स्वास्थ्य व्यवस्था पेन मेडिसिन ने डिमेंशिया के एक दुर्लभ प्रकार की खोज करने का दावा किया है। इस खोज से मस्तिष्क में प्रोटीन बनने के विषय पर भी रौशनी पड़ती है, जिससे इस नए प्रकार के डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के होने से जुड़ी वजहों के बार में पता लगाने में मदद मिली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे इन बीमारियों के इलाज में भी यह मदद मिल सकती है कि इनसे ग्रस्त होने पर नई थेरेपी के तहत किन चीजों को टार्गेट करना है।

अल्जाइमर एक ऐसी न्यूरोडीजेनरेटिव (तंत्रिका कोशिकाओं को विकृत करने वाली) बीमारी है, जो दिमाग के कुछ विशेष हिस्सों में विशेष प्रोटीन के निर्माण के कारण होती है। इन प्रोटीनों को टो प्रोटीन कहा जाता है। जानी-मानी मेडिकल और विज्ञान पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने एक अनजान डोनर से मिले मानव मस्तिष्क के ऊतकों के सैंपलों की जांच कर एक नए म्युटेशन (परिवर्तन) का पता लगाया है। यह म्युटेशन दिमाग के वैलोसिन-कन्टैनिंग प्रोटीन (वीसीपी) नामक जीन में दिखाई दिया है। टो प्रोटीन के निर्माण के चलते यह ब्रेन एरिया विकृत हो रहा था और न्यूरॉन में खाली छेद हो रहे थे, जिन्हें वैक्यूल्स कहते हैं।

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शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया के इस नए प्रकार को 'वैक्यूलर टोपैथी' का नाम दिया है। एक ऐसी न्यूरोडीजेनरेटिव बीमारी, जिसे न्यूरोनल वैक्यूल्स के संचयन और टो प्रोटीन के एकत्रीकरण के रूप में चित्रित किया गया है। अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ पिनसेल्वेनिया के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर एडवर्ड ली कहते हैं, 'किसी कोशिका में प्रोटीनों का एक साथ आना एक ज्ञात तथ्य है। इसके अलावा शरीर में इन प्रोटीनों को अलग करने की क्षमता भी होनी चाहिए। क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो प्रोटीन आपस में चिपक जाएंगे और अपनी भूमिका नहीं निभाएंगे। जिन कोशिकाओं में यह क्षमता होती है, उनमें वीसीपी की भूमिका अक्सर देखी जाती है। हमें लगता है कि नया म्युटेशन प्रोटीनों की अलग होने की सामान्य क्षमता को खराब कर देता है।'

वैज्ञानिकों ने बताया है कि उन्होंने जिस टो प्रोटीन को ऑब्जर्व किया है, वह काफी हद तक अल्जाइमर बीमारी से जुड़े टो प्रोटीन से मिलता है। इन समानताओं के मद्देनजर इन विशेषज्ञों ने यह जानने की कोशिश की आखिर किस तरह वीसीपी म्यूटेशन इस नई बीमारी की वजह बनता है ताकि इसके इलाज का पता लगाया जा सके। इसके लिए शोधकर्ताओं ने सबसे पहले प्रोटीनों की जांच की। साथ ही कोशिकाओं का अध्ययन किया और एनीमल मॉडल के तहत भी बीमारी को समझने का प्रयास किया। इससे उन्हें यह स्पष्ट हुआ कि वीसीपी म्यूटेशन के कारण ही टो प्रोटीन का निर्माण होता है।

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इस जानकारी पर प्रोफेसर ली का कहना है, 'हमें इस अध्ययन में एक विशेष पैटर्न का पता चला है, जो पहले कभी नहीं देखा गया है। हमने जाना है कि म्यूटेशन वीसीपी एक्टिविटी को बाधित करता है। इसका मतलब है कि उसका कन्वर्जन सच हो सकता है। अगर ऐसा है तो वीसीपी एक्टिविटी को बूस्ट करके आप प्रोटीन को तोड़ कर उन्हें एकत्र होने से रोक सकते हैं। ऐसा हुआ तो हम न सिर्फ इस बीमारी के संबंध में टो प्रोटीन को जमा होने से रोक पाएंगे, बल्कि अल्जाइमर और अन्य बीमारियों से जुड़े टो प्रोटीन एग्रीगेशन के मामले भी ऐसा कर सकेंगे।'

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