प्रजनन की उम्र वाली महिलाओं में असामान्य योनि स्त्राव के सबसे सामान्य कारणों में से एक है बैक्टीरियल वेजिनोसिस। बैक्टीरियल वेजिनोसिस के सामान्य लक्षणों की बात करें तो इसमें ग्रे, सफेद या हरे रंग का योनि स्त्राव, जिससे किसी तरह की संशय वाली गंध आ रही हो, योनि में खुजली और पेशाब करने के दौरान जलन महसूस होना शामिल है।

अगर गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को बैक्टीरियल वेजिनोसिस की बीमारी हो जाए तो प्रेगनेंसी के दौरान समय से पहले प्रसव पीड़ा का शुरू होना और एमनियोटिक फ्लूइड इंफेक्शन जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस के सबसे सामान्य कारणों में से एक है- लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया की अधिक या कम वृद्धि जो योनि के पीएच बैलेंस में परिवर्तन कर देती है। हालांकि, 25 अगस्त को पीएलओएस बायोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि ओरल सेक्स के कारण भी बैक्टीरियल वेजिनोसिस की समस्या हो सकती है।

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योनि में एफ न्यूक्लिटम बैक्टीरिया की मौजूदगी
अक्सर ऐसा देखने में आता है कि बैक्टीरिया एक-दूसरे से लाभान्वित होते हैं और आमतौर पर एक-दूसरे के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी रिश्ता बना लेते हैं। अमेरिका के सैन डियागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की डॉ अमांडा लुईस और उनके अन्य सहयोगियों ने इस स्टडी को पूरा करने के बाद कहा कि संभावित हानिकारक सूक्ष्मजीव जैसे- फुसोबैक्टीरियम न्यूक्लिटम की वृद्धि न केवल स्वस्थ बैक्टीरिया की अनुपस्थिति में देखी जा सकती है, बल्कि बैक्टीरिया के बीच मौजूद आपसी संबंध के कारण भी।

फुसोबैक्टीरियम न्यूक्लिटम या एफ न्यूक्लिटम एक ऐसा बैक्टीरिया है जो आमतौर पर मुंह के अंदर (ओरल कैविटी में) पाया जाता है और यह मसूड़ों से जुड़ी विभिन्न बीमारियों से जुड़ा है। यह गर्भवती महिलाओं में अंतर्गर्भाशयी (इंट्रायूट्राइन) संक्रमण और समय से पहले बच्चे का जन्म जैसी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है।

वैज्ञानिकों ने इस स्टडी को चूहों में संपन्न किया और इसके लिए सबसे पहले उन्होंने चूहिया की योनि में एफ न्यूक्लिटम बैक्टीरिया का टीका लगाया और पाया कि उनकी योनि की जैव रासायनिक गतिविधियों में बदलाव हो गया। वैज्ञानिकों ने चूहिया की योनि में सियालिडेज एन्जाइम की उपस्थिति देखी जो बैक्टीरियल वेजिनोसिस से जुड़ा हुआ है।

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इसके बाद वैज्ञानिकों ने 21 महिलाओं से लिए गए योनि के स्वैब पर यह प्रयोग किया। वैज्ञानिकों ने योनि के कुछ सैंपल्स को एफ न्यूक्लिटम बैक्टीरिया के साथ इन्क्यूबेट किया और दूसरे सैंपल्स में कोई बैक्टीरिया नहीं मिलाया। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि जिन नमूनों को एफ न्यूक्लिटम बैक्टीरिया के साथ इन्क्यूबेट किया गया था, उनमें उच्च स्तर के संकेतक थे, जिसके परिणामस्वरूप उन सैंपल्स में बैक्टीरियल वेजिनोसिस अधिक हुआ उन सैंपल्स की तुलना में जिनमें कोई बैक्टीरिया नहीं था।

ओरल सेक्स के कारण बैक्टीरियल वेजिनोसिस का खतरा
स्टडी के परिणामस्वरूप वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि सियालिडेज एन्जाइम फुसोबैक्टीरियम को, मेजबान द्वारा उत्पादित बलगम से सियालिक एसिड का उपभोग करने में मदद करता है, जिससे फुसोबैक्टीरियम को बढ़ने की अनुमति मिलती है। वैज्ञानिकों ने आगे यह भी कहा कि चूंकि फुसोबैक्टीरियम ज्यादातर ओरल कैविटी में पाया जाता है, (विशेष रूप से उन लोगों के मुंह में जिनमें डेंटल प्लाक की अधिकता होती है) इसलिए यह ओरल सेक्स के दौरान योनि में फैल सकता है, जिससे योनि में बैक्टीरियल वेजिनोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

सुरक्षित यौन व्यवहार अपनाकर जैसे- ओरल सेक्स के दौरान डेंटल डैम का उपयोग करके, इस तरह के संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को फैलने से पूरी तरह से रोका जा सकता है।

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एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल से मुंह के बैक्टीरिया परिवर्तित होते हैं
मुंह के अंदर (ओरल कैविटी में) मौजूद सूक्ष्मजीवों में बदलाव या बैक्टीरिया की मौजूदगी का कारण केवल डेंटल प्लाक की उपस्थिति नहीं है, बल्कि एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल भी है। माइक्रोबायोम नाम की पत्रिका में प्रकाशित 'फिनिश हेल्थ इन टीन्स' (फिन-एचईटी) नाम की स्टडी में, वैज्ञानिकों ने पाया कि फिनलैंड के रहने वाले 11 हजार फिनिश किशोरों में से, जिन्होंने अपने जीवन के पहले दशक यानी शुरुआती 10 साल के दौरान एजिथ्रोमाइसिन और ऐमॉक्सिलिन जैसे रोगाणुरोधी दवाओं का सेवन अधिक किया, उनके मुंह में बैक्टीरिया की कम विविधता देखी गई। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस कारण उन्हें जीवन के बाद के सालों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध और मोटापे का खतरा अधिक था।

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