महिलाओं को सामान्यत: 45-50 वर्ष तक मासिक धर्म होता है, लेकिन कुछ महिलाओं को इससे पहले ही महावारी बंद हो जाती है, जिसे अर्ली मेनोपॉज कहते हैं। रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज होने पर नींद में कमी आना, मूड स्विंग्स, हॉट फ्लैशेज, मोटापा बढ़ना, योनि में सूखापन, दर्द रहना, घबराहट होना, कब्ज की शिकायत, मानसिक तनाव और शरीर पर झुर्रियां पड़ने जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं।

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लेकिन अर्ली मेनोपॉज का कारण क्या है?- इस प्रश्न का जवाब है हार्मोन्स... इस उम्र में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन कम हो जाता है। जो कि प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन्स होते हैं। एस्ट्रोजन का स्तर कम होते ही आपको माहवारी सम्बंधित बदलाव दिखना शुरू हो जाते हैं। जैसे कि अनियमित माहवारी, कम या ज्यादा रक्त स्राव होना आदि।

अच्छी बात ये है कि उतार-चढ़ाव वाले हार्मोन्स को संतुलित करने और इन सभी लक्षणों से बचने के लिए कुछ जरूरी खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।

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  1. मेनोपॉज के साथ जुड़ी हुई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं - Health Risks Associated with Menopausal in Hindi
  2. हॉट फ्लैश को कैसे कम करें - How to manage hot flashes in Hindi
  3. कोलेस्ट्रॉल को कैसे नियंत्रित करें - How to control cholesterol level in menopause in Hindi
  4. विटामिन डी एवं कैल्शियम का सेवन अवश्य करें - Vitamin D and Calcium during menopause in Hindi
मेनोपॉज की तकलीफ से राहत दिलाएगी ये डाइट, जानें डाइट चार्ट के डॉक्टर

अक्सर मेनोपॉज के दौरान और बाद में वजन का बढ़ना देखा जाता है, जो कि हार्मोन में हुए बदलाव का नतीजा होता है। वजन बढ़ने के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जैसे कि कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, बीपी का बढ़ना, कब्ज होना, इन्सुलिन रेजिस्टेंस आदि काफी सामान्य रूप से देखा जाता है। इसको डाइट से कंट्रोल करने के लिए कुछ बदलाव आवश्यक हैं।

(और पढ़ें : मेनोपॉज के बाद वजन कम करने का तरीका)

मेनोपॉज के दौरान वजन को डाइट से नियंत्रित करें - Control weight gain with diet in menu menopause in Hindi

हार्मोन में बदलाव एवं बढ़ती उम्र के कारण, वजन का बढ़ना एवं आसानी से वजन कम न कर पाना, इस दौरान बहुत आसानी से देखा जा सकता है। इस दौरान मांसपेशियों का कमजोर होना एवं पेट के आसपास चर्बी बढ़ने की समस्या भी देखने को मिल सकती है। इस उम्र की महिलाओं में शारीरिक सक्रियता भी कम होना एवं कैलोरी वाला भोजन ग्रहण करने की भी आदत देखी जाती है। ऐसे में डाइट में प्रोटीन की मात्रा ठीक रखें, जिससे मांसपेशियों को संतुलन में रखा जा सके, साथ ही बुरी चीजों की क्रेविंग को भी रोका जा सके। इसके साथ ही प्रोटीन युक्त भोजन वजन को भी नियंत्रित रखने में मददगार है। कोशिश करें कि दिन की हर डाइट में एक प्रोटीन का स्रोत अवश्य हो। खाने में दालें, फलियां, दूध, दही, पनीर, अंडा, चिकन आदि का अवश्य सेवन करें।

(और पढ़ें : वजन घटाने के उपाय)

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फाइबर रिच डाइट से करें लक्षणों को नियंत्रित - Fiber rich diet to control the symptom in Hindi

फाइबर युक्त आहार मेनोपॉज के लक्षणों जैसे कि पेट के आसपास की चर्बी, वजन का ज्यादा होना, लिपिड लेवल का बढ़ना, कब्ज होना आदि को नियंत्रित करने में मदद करता हैं। इसके लिए अपनी रोज की डाइट में हरी एवं पत्तेदार सब्जियां व साबूत फल (ना कि जूस) शामिल करें। मोटे अनाज जैसे कि ज्वार, बाजरा, रागी आदि का भरपूर मात्रा सेवन करें। इसके साथ ही सोते वक्त दूध के साथ इसबगोल का सेवन करें।

(और पढ़ें : कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर क्या खाएं)

यदि आपको भी इस दौरान हॉट फ्लैश की समस्या हो रही है, तो कैफीन वाली चीजें जैसे कि चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक आदि के सेवन से बचें। इसके बदले आप हर्बल टी या ग्रीन टी का सेवन कर सकती हैं। इसके साथ ही ज्यादा तेल एवं मसाले वाले भोजन से भी परहेज करें, इससे भी हॉट फ्लैश की समस्या बढ़ सकती है।

(और पढ़ें : कैफीन के फायदे)

सोडियम की मात्रा रखें नियंत्रित - Watch your sodium intake in Hindi

इस दौरान वजन बढ़ने एवं हार्मोन के बदलाव के कारण, बीपी बढ़ने की समस्या देखी जाती है। इसको नियंत्रित रखने के लिए अपनी रोज की डाइट में सोडियम की मात्रा को कम ही रखें। इसके लिए खाने में ऊपर से नमक, अचार, पापड़, पैकेट वाले स्नैक्स एवं प्रिज़रवेटिव वाली चीजें, जैसे- सॉस, कैचअप, नूडल आदि का सेवन कम से कम करें।

(और पढ़ें : हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाएं)

इस दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण, कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ जाता है। डाइट एवं दिनचर्या से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। अपनी डाइट में रोज कच्चा लहसुन के स्तरअवश्य शामिल करें। कई रिसर्च में ऐसा बताया गया है कि कच्चे लहसुन के सेवन से हृदय सम्बंधित समस्याओं के साथ-साथ टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल एवं ट्राइग्लिसराइड में भी कमी देखी गई है। इसके अलावा अपनी डाइट में फैट का कम से कम उपयोग करें, जैसे अलग-अलग प्रकार के तेल जैसे कि जैतून का तेल, तिल का तेल, नारियल का तेल, सरसों का तेल आदि। इसके अलावा बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज आदि का भी अवश्य सेवन करें। जिससे शरीर में वसा संबंधित अलग-अलग पोषक तत्व जैसे की पूफा, मूफा, ओमेगा3 एवं ओमेगा6 फैटी एसिड आदि की पूर्ति हो पाती है। साथ ही जब भी कोई पैकेट वाली वस्तु खरीदें, न्यूट्रिशन लेबल अवश्य पढ़ें, जिसमे टोटल फैट, ट्रांस फैट, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अवश्य जांच लें।

(और पढ़ें : कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय)

अच्छी मात्रा में पानी का सेवन करें - Drink plenty of water during menopause in Hindi

पानी के अच्छी मात्रा में सेवन से, पेट को साफ रखने एवं कब्ज को खत्म करने में मदद मिलती है। साथ ही साथ हॉट फ्लैश को भी नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। साधारण पानी के अलावा फल एवं सब्जियां भी शरीर में पानी की मात्रा ठीक रखने के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्यवर्धक पोषक तत्वों को भी उपलब्ध कराते हैं।

(और पढ़ें : शरीर में पानी की कमी के लक्षण)

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इस दौरान हड्डियों का कमजोर होना, ओस्टियोपेनिया एवं ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या काफी ज्यादा देखी जाती है। ऐसे में आपकी डाइट में इन पोषक तत्वों का होना आवश्यक है, जिससे आपकी हड्डियां स्वस्थ रहें। ऐस में कैल्शियम के लिए दूध एवं दूध से बनी चीजें (दही, पनीर, छाछ), फोर्टिफाइड सोया मिल्क एवं जूस, रागी, अंडा, मछली आदि का अपने आहार में सेवन करें। विटामिन डी के लिए, फोर्टिफाइड दूध, मशरूम, अंडा, फैटी मछलियां आदि का सेवन करें। इसके साथ ही रोजाना 15-20 मिनट धूप में बैठने की आदत डालें और आवश्यकता हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर सप्लीमेंट भी ले सकती हैं।

(और पढ़ें : कैल्शियम ब्लड टेस्ट क्या होता है)

Dt. Priti Kumari

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संदर्भ

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